लेख बेरोज़गारी पलायन को मजबूर कर रहा है

बेरोज़गारी पलायन को मजबूर कर रहा है

पूनम नायकबीकानेर, राजस्थान “हम बहुत गरीब हैं, ऊपर से कोई स्थाई रोजगार भी नहीं है.  मुझे कभी कभी दैनिक मज़दूरी मिल जाती है और कई…

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लेख बंदरों के आतंक से प्रभावित होती कृषि

बंदरों के आतंक से प्रभावित होती कृषि

सपनाकपकोट, बागेश्वरउत्तराखंड “बंदरों की बढ़ती संख्या से हमारे खेती सबसे अधिक प्रभावित हो रही है। कहा जाए तो बिल्कुल नष्ट होने की कगार पर है।…

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राजनीति श्रीगुरुजी की शक्तिशाली राष्ट्र की अवधारणा 

श्रीगुरुजी की शक्तिशाली राष्ट्र की अवधारणा 

प्रवीण गुगनानी श्री गुरुजी, माधव सदाशिव राव गोलवलकर शक्तिशाली भारत की अवधारणा के अद्भुत, उद्भट व अनुपम संवाहक थे। श्री गुरुजी के संदर्भ में “थे”…

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राजनीति मीडिया पर अनर्गन आरोप लगाकर अनचाहे ही अघोषित नाराजगी मोल क्यों लेना चाह रहे राहुल गांधी!

मीडिया पर अनर्गन आरोप लगाकर अनचाहे ही अघोषित नाराजगी मोल क्यों लेना चाह रहे राहुल गांधी!

सड़कों पर चलते हुए केंद्र पर जमकर गरज रहे राहुल गांधी, पर सदन में . . . मीडिया पर पक्षपात का आरोप लगा रहे राहुल, पर सोशल…

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लेख रेगिस्तान के जहाज के उन्नयन और संरक्षण की आवश्यकता !

रेगिस्तान के जहाज के उन्नयन और संरक्षण की आवश्यकता !

रेगिस्तान के जहाज(द शिप ऑफ डेजर्ट) के नाम से जाना जाने वाला, राजस्थान का राज्य पशु(ऊंटों के संरक्षण के लिए राजस्थान सरकार ने इसे साल…

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राजनीति अब भारत से ब्रेनड्रेन को कम करने का समय आ गया है

अब भारत से ब्रेनड्रेन को कम करने का समय आ गया है

अभी हाल ही में इजराईल ने हमास के साथ छिड़े युद्ध के बाद भारत से एक लाख कामगारों को इजराईल भेजने का आग्रह किया है क्योंकि लगभग इतनी ही संख्या में फिलिस्तीन के नागरिक इजराईल में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे थे। हालांकि, इजराईल द्वारा भारत से मांगे गए एक लाख कामगारों की संख्या में इंजीनियर भी शामिल हैं। इसी प्रकार ताईवान ने भी घोषणा की थी कि उसे लगभग एक लाख भारतीय इंजीनियरों की आवश्यकता है। इसके पूर्व जापान ने भी लगभग 2 वर्ष पूर्व घोषणा की थी कि वह 2 लाख भारतीय इंजीनियरों की भर्ती जापान में विभिन्न कम्पनियों में करेगा। एक अन्य समाचार के अनुसार, माक्रोसोफ्ट के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री सत्या नंडेला एवं गूगल के मुख्य कार्यपालन अधिकार श्री सुंदर पिचाई भी प्रयास कर रहे हैं कि इनकी कम्पनियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किस प्रकार भारतीय इंजीनियरों की भर्ती बढ़ाई जाए। अमेरिका एवं कनाडा आदि देशों में पहिले से ही लगातार कुछ वर्षों से इन देशों की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में लाखों भारतीय इंजीनियरों की भर्ती जारी है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि भारत आज पूरे विश्व में इंजीनियरों की आपूर्ति का बहुत बड़ा केंद्र बन गया है अर्थात एक तरह से भारत पूरे विश्व के लिए इंजीनियर तैयार कर रहा है।  दूसरे, हाल ही में एक रोचक जानकारी सामने आई है कि रूस जैसे कुछ देशों की महिलाएं पति के रूप में भारतीय पुरुषों के प्रति आकर्षित हो रही हैं। क्योंकि, भारतीय पुरुष तलाक जैसी कुरीतियों से मीलों दूर दिखाई देते हैं। भारतीय पुरुष एक बार शादी के बाद पूरे जीवन भर अपनी पत्नी को सुखी जीवन प्रदान करते हैं। यह भारतीय सनातन संस्कृति का प्रभाव है। परंतु, विश्व के कई विकसित देशों में सामाजिक तानाबाना छिन्न भिन्न हो चुका है। इन देशों में तलाक की दर 50 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है एवं अमेरिका में तो लगभग 60 प्रतिशत बच्चों को अपने पिता के बारे में जानकारी ही नहीं रहती है। इन विपरीत परिस्थितियों के बीच कुल मिलाकर इन देशों में बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है एवं इन देशों में बच्चे गणित एवं विज्ञान जैसे विषयों में गहरी रुचि नहीं ले पा रहे हैं। अतः इन देशों में महिलाएं बहुत अधिक परेशानी में दिखाई दे रही हैं एवं वे भारतीय पुरुषों को अपने पति के रूप में स्वीकार करने को लालायित दिखाई दे रही हैं।  आज 1.40 करोड़ भारतीय मूल के नागरिक विभिन्न देशों में रह रहे हैं, जो इन देशों की नागरिकता प्राप्त करने का इंतजार कर रहे हैं एवं इसके अतिरिक्त 1.80 करोड़ भारतीय मूल के नागरिक इन देशों के स्थायी नागरिक बन चुके हैं। अतः कुल मिलाकर 3.20 करोड़ भारतीय मूल के नागरिक आज विश्व के अन्य देशों में निवास कर रहे हैं। भारतीय मूल के नागरिकों का यह वर्ग न केवल इन देशों में भारतीय सनातन संस्कृति को फैलाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है बल्कि अपनी बचतों को भारत में भेजकर भारत में अपना पूंजी निवेश भी बढ़ा रहा हैं। पिछले वर्ष, भारतीय मूल के इन नागरिकों द्वारा 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि भारत में भेजी गई थी, जो पूरे विश्व में किसी भी देश में भेजी गई राशि में सबसे अधिक है। भारतीय मूल के नागरिक अपने संस्कारों के चलते इन देशों में शीघ्र ही अपना विशेष स्थान बना लेते हैं एवं अपनी मेहनत के बल पर सम्पन्नता भी प्राप्त कर लेते हैं। आज भारतीय मूल के नागरिक कई देशों में राजनैतिक क्षेत्र में भी बहुत आगे आ गए हैं। अमेरिका की उपराष्ट्रपति श्रीमती कमला हेरिस, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री ऋषि सुनक सहित कई देशों के प्रमुख आज भारतीय मूल के नागरिक ही हैं।  जब विशेष रूप से विकसित देशों में भारत से डॉक्टर, इंजीनियर एवं प्रबंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञ भारत से बाहर जाते हैं तो इन विशिष्ट श्रेणी में विशेषज्ञों की भारत में कमी होना स्वाभाविक है। अब तो ऐसा आभास होने लगा है कि पूरे विश्व के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ जैसे भारत तैयार कर रहा है। यह विशेषज्ञ विभिन्न देशों में जाकर इन देशों की कम्पनियों को मजबूती प्रदान करते हैं एवं यह कम्पनियां पूरे विश्व में अपने व्यापार को फैलाने में सफल हो रही हैं। अब समय आ गया है कि भारतीय कम्पनियां भी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां बनें एवं पूरे विश्व में अपने व्यापार को फैलाएं। इस दृष्टि से भारत की इन कम्पनियों को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। यदि भारतीय कम्पनियां विश्व के अन्य देशों में अपने पैर पसरना शुरू करें तो हो सकता है इन क्षेत्रों में पूर्व से ही कार्य कर रही विकसित देशों की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से भारतीय कम्पनियों को गला काट प्रतिस्पर्धा करनी पड़े। जबकि विकसित देशों की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने में भारतीय विशेषज्ञों का ही अधिक योगदान रहा है। विदेश में रह रहे भारतीय विशेषज्ञों एवं भारत में रह रहे भारतीय विशेषज्ञों की आपस में प्रतिस्पर्धा होगी। इस प्रतिस्पर्धा में सम्भव है कि भारतीय कम्पनियां विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आगे प्रतिस्पर्धा में टिक ही न सकें। दूसरे, बदले हुए आर्थिक परिदृश्य में आज भारत में आर्थिक विकास की रफ्तार बहुत तेज हो चुकी है, जबकि विश्व के अन्य देशों, विशेष रूप से विकसित देशों में, आर्थिक विकास की रफ्तार लगातार कम बनी हुई है। भारत आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है एवं अगले लगभग 5 वर्षों के दौरान भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, ऐसी सम्भावना विश्व की वित्तीय एवं आर्थिक संस्थाएं  व्यक्त कर रही हैं। अतः आगे आने वाले समय में भारत में भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की अधिक आवश्यकता महसूस होने लगेगी।  इस प्रकार, आज भारत में इस विषय पर गम्भीरता से विचार किए जाने की आवश्यकता है कि भारत से ब्रेन ड्रेन को कम करने के उद्देश्य से क्या उपाय किए जाने चाहिए। यदि भारत से ब्रेन ड्रेन पर अंकुश लगाने में सफलता मिलती है तो सम्भव है कि विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत में ही अपनी विनिर्माण इकाईयां स्थापित करें, क्योंकि इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को इनके अपने देशों में भारतीय विशेषज्ञ इंजीनियरों की कमी महसूस होने लगेगी। भारत में ही विनिर्माण इकाईयों के स्थापित होने से न केवल भारत में रोजगार के अधिक अवसर निर्मित होंगे बल्कि इन कम्पनियों का विदेशी व्यापार भी भारत के माध्यम से होने लगेगा और भारत के कर संग्रहण में भी अपार वृद्धि होगी। कुल मिलाकर, भारत में और अधिक खुशहाली फैलाने का रास्ता साफ होगा।  भारत से ब्रेन ड्रेन को एकदम बंद तो नहीं किया जा सकता है परंतु कुछ क्षेत्रों जिनमें भारत को पूर्व में ही महारत हासिल हैं एवं जिन क्षेत्रों में भारत तेजी से विश्व में अपना स्थान मजबूत कर रहा है तथा जिन क्षेत्रों में भारत को आगे आने वाले समय में विशेषज्ञों की बहुत अधिक आवश्यकता होने जा रही है, ऐसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ इंजीनियरों के ब्रेन ड्रेन को कम करने की जरूर आज आवश्यकता है। जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स एवं मशीन लर्निंग जैसे नए क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभर रहे हैं, इन क्षेत्रों को भारतीय इंजीनियरों द्वारा भारत में ही अधिक विकसित अवस्था में लाया जा सकता है। इससे अन्य विकसित देशों की तुलना में इन क्षेत्रों को भारत में अधिक तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा। कुल मिलाकर, भारत से किन क्षेत्रों से कितने विशेषज्ञ इंजीनियरों को विदेश जाने की अनुमति दी जानी चाहिए, इस विषय पर अब गम्भीरता से विचार किया जाना चाहिए ताकि आगे आने वाले समय में भारत में इन पूर्व निर्धारित क्षेत्रों में विशेषज्ञ इंजीनियरों की कमी नहीं हो।  प्रहलाद सबनानी

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व्यंग्य तुमको याद रखेंगे गुरु

तुमको याद रखेंगे गुरु

“आइए महसूस कीजिये पब्लिसिटी के ताप को, मैं फिल्मवालों की गली में ले चलूंगा आपको” तो ख़्वातीनो हजरात मायानगरी की इस चमक-दमक से भरी दुनिया…

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समाज क्या आने वाले दिनों में वाकई उत्तर प्रदेश नेहरू गांधी परिवार के वारिसानों से मुक्त हो जाएगा!

क्या आने वाले दिनों में वाकई उत्तर प्रदेश नेहरू गांधी परिवार के वारिसानों से मुक्त हो जाएगा!

सोनिया गांधी का सीधे चुनाव न लड़कर राज्य सभा का पर्चा भरना कांग्रेस के असली कार्यकर्ताओं को करेगा निराश . . . (लिमटी खरे) देश…

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राजनीति एटीएम भारत के देसी मुसलमानों यानि डीएम को गुलाम बनाना चाहता है

एटीएम भारत के देसी मुसलमानों यानि डीएम को गुलाम बनाना चाहता है

– डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री एटीएम (अरब, तुर्क, मंगोल) भारतीय मुसलमानों को अपना ग़ुलाम मानने की मानसिकता से ग्रसित रहे हैं। एटीएम की मानसिकता की शुरुआती…

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लेख दिल्ली में सजा एशिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला

दिल्ली में सजा एशिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला

विश्व पुस्तक मेला (10-18 फरवरी) पर विशेषपुस्तकों के प्रति रूचि बढ़ाता विश्व पुस्तक मेला– योगेश कुमार गोयलनई दिल्ली में प्रतिवर्ष नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) द्वारा…

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कविता फूलों जैसी कली है बेटी

फूलों जैसी कली है बेटी

प्रियंका कोशियारी कपकोट, उत्तराखंड फूलों जैसी कली है बेटी। तितली जैसी उड़ान है उसकी। कर सकती है वो भी सबकुछ। अपने पिता की शान है वो।…

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कविता वे दिन थे मेरे लिए बेहद खास

वे दिन थे मेरे लिए बेहद खास

करीना थायत कक्षा-9 गरुड़, उत्तराखंड वे भी दिन थे मेरे लिए बेहद खास। जब खेलने का था मुझको अहसास।। अब तो जिंदगी से है यही…

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