
अनूठे गौ सेवक भाईजी
Updated: December 16, 2011
आशीष कुमार ‘अंशु’ ‘कुल्लू के अंदर दूध ना देने वाली गाएं किसानों के लिए बड़ी समस्या बनती जा रहीं हैं, इसी प्रकार बिलासपुर, मंडी में…
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सोशल मीडिया को और प्रासंगिक कैसे बनाएं
Updated: December 16, 2011
जगदीश्वर चतुर्वेदी फेसबुक और दूसरे सोशल नेटवर्क पर आकर्षक और प्रासंगिक विषयवस्तु की समस्या बनी हुई है। हिन्दी वाले सोशल नेटवर्क पर ज्यादातर व्यक्तिगत खोजखबर…
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कविता / मन का शृंगार
Updated: December 16, 2011
काश। एक कोरा केनवास ही रहता मन…। न होती कामनाओं की पौध न होते रिश्तों के फूल सिर्फ सफेद कोरा केनवास होता मन…। न होती…
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द्रोणाचार्य या चाणक्य?
Updated: December 16, 2011
शशांक शेखर सर्वविदित है कि भारत विविधताओं का देश रहा है। यहाँ गुरु को गोविन्द से ऊपर का स्थान दिया जाता है। भारत सदैव अपने…
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व्यंग्य: गांधी जी का चश्मा
Updated: December 16, 2011
विजय कुमार जब समाचार पत्र अरबों-खरबों रुपये के घोटालों से भरे हों, तो एक चश्मे की चोरी कुछ अर्थ नहीं रखती। इसलिए इस पर किसी…
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सोनिया की नसीहतों पर धूल डालने के आदी हो चुके हैं कांग्रेसी
Updated: December 16, 2011
लिमटी खरे देश को ब्रितानियों के कब्जे से छुड़ाने में महती भूमिका अदा करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस की वर्तमान निजाम श्रीमती सोनिया…
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कविता / कपूत
Updated: December 16, 2011
कितने तीर्थ किये माता ने और मन्नत के बांधे धागे! चाह लिए संतति की मन में, मात-पिता फिरते थे भागे! सुनी प्रार्थना ईश ने उनकी…
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आतंक की निरंतरता
Updated: December 16, 2011
संदीप कुमार श्रीवास्तव 7 दिसम्बर को भारत के प्रमुख पर्यटक स्थल वाराणसी में बम विस्फोट होता है। जिसमें दो निर्दोष लोगों की जान जाती है।…
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अकेले हम, अकेले तुम ?
Updated: December 16, 2011
सिमोन बैक की आत्महत्या से उठे कई सवाल सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सामाजिक प्रभावों का अध्ययन जरूरी -संजय द्विवेदी संचार क्रांति का एक प्रभावी हिस्सा…
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भारत देश को बहुविध आंदोलनों से गुजरना होगा
Updated: January 12, 2011
के.एन. गोविन्दाचार्य विगत वर्षों में जितना कुछ भी अच्छा और बुरा बदलाव समाज में हुआ है, उसे दूर कर अतीत के भारत की ओर लौटना…
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क्या यह खबर नहीं है?
Updated: December 16, 2011
चैतन्य प्रकाश उत्तर भारत में ठंड का मौसम बूढ़े लोगों के अंतिम दिनों को काफी नजदीक ला देता है। सड़क पर, फुटपाथ पर रहने वाले…
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ये है दिल्ली मेरी जान
Updated: December 16, 2011
लिमटी खरे जनता के बजाए बसों की चिंता में घुल रही हैं शीला दिल्ली के बारे में कहा जाता है कि जो भी कंकड़ पत्थर…
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