विविधा अनूठे गौ सेवक भाईजी

अनूठे गौ सेवक भाईजी

आशीष कुमार ‘अंशु’ ‘कुल्लू के अंदर दूध ना देने वाली गाएं किसानों के लिए बड़ी समस्या बनती जा रहीं हैं, इसी प्रकार बिलासपुर, मंडी में…

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प्रवक्ता न्यूज़ सोशल मीडिया को और प्रासंगिक कैसे बनाएं

सोशल मीडिया को और प्रासंगिक कैसे बनाएं

जगदीश्‍वर चतुर्वेदी फेसबुक और दूसरे सोशल नेटवर्क पर आकर्षक और प्रासंगिक विषयवस्तु की समस्या बनी हुई है। हिन्दी वाले सोशल नेटवर्क पर ज्यादातर व्यक्तिगत खोजखबर…

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कविता कविता / मन का शृंगार

कविता / मन का शृंगार

काश। एक कोरा केनवास ही रहता मन…। न होती कामनाओं की पौध न होते रिश्तों के फूल सिर्फ सफेद कोरा केनवास होता मन…। न होती…

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विविधा द्रोणाचार्य या चाणक्य?

द्रोणाचार्य या चाणक्य?

शशांक शेखर सर्वविदित है कि भारत विविधताओं का देश रहा है। यहाँ गुरु को गोविन्द से ऊपर का स्थान दिया जाता है। भारत सदैव अपने…

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विविधा व्यंग्य: गांधी जी का चश्मा

व्यंग्य: गांधी जी का चश्मा

विजय कुमार जब समाचार पत्र अरबों-खरबों रुपये के घोटालों से भरे हों, तो एक चश्मे की चोरी कुछ अर्थ नहीं रखती। इसलिए इस पर किसी…

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राजनीति सोनिया की नसीहतों पर धूल डालने के आदी हो चुके हैं कांग्रेसी

सोनिया की नसीहतों पर धूल डालने के आदी हो चुके हैं कांग्रेसी

लिमटी खरे देश को ब्रितानियों के कब्जे से छुड़ाने में महती भूमिका अदा करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस की वर्तमान निजाम श्रीमती सोनिया…

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कविता कविता / कपूत

कविता / कपूत

कितने तीर्थ किये माता ने और मन्नत के बांधे धागे! चाह लिए संतति की मन में, मात-पिता फिरते थे भागे! सुनी प्रार्थना ईश ने उनकी…

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विविधा आतंक की निरंतरता

आतंक की निरंतरता

संदीप कुमार श्रीवास्तव 7 दिसम्बर को भारत के प्रमुख पर्यटक स्थल वाराणसी में बम विस्फोट होता है। जिसमें दो निर्दोष लोगों की जान जाती है।…

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टेक्नोलॉजी अकेले हम, अकेले तुम ?

अकेले हम, अकेले तुम ?

सिमोन बैक की आत्महत्या से उठे कई सवाल सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सामाजिक प्रभावों का अध्ययन जरूरी -संजय द्विवेदी संचार क्रांति का एक प्रभावी हिस्सा…

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विविधा भारत देश को बहुविध आंदोलनों से गुजरना होगा

भारत देश को बहुविध आंदोलनों से गुजरना होगा

के.एन. गोविन्दाचार्य विगत वर्षों में जितना कुछ भी अच्छा और बुरा बदलाव समाज में हुआ है, उसे दूर कर अतीत के भारत की ओर लौटना…

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विविधा क्या यह खबर नहीं है?

क्या यह खबर नहीं है?

चैतन्य प्रकाश उत्तर भारत में ठंड का मौसम बूढ़े लोगों के अंतिम दिनों को काफी नजदीक ला देता है। सड़क पर, फुटपाथ पर रहने वाले…

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राजनीति ये है दिल्ली मेरी जान

ये है दिल्ली मेरी जान

लिमटी खरे जनता के बजाए बसों की चिंता में घुल रही हैं शीला दिल्ली के बारे में कहा जाता है कि जो भी कंकड़ पत्थर…

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