जीवन का आनंद है संयुक्त परिवार
Updated: May 15, 2023
संयुक्त परिवार दिवस 15 मई विशेष ) प्रभुनाथ शुक्ल संयुक्त परिवार हमारी संस्कृति और संस्कार की…
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कृषि के नये अध्यायों में आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद
Updated: May 15, 2023
ललित गर्ग भारत में उन्नत कृषि की नई इबारत लिखी जा रही है। आत्म-निर्भर भारत की बुनियाद बनाने में कृषि आधार होगी। कृषि…
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माँ के चरणों में मिलता है स्वर्ग
Updated: May 15, 2023
(मातृ दिवस 14 मई 2023 पर विशेष आलेख) आज मातृ दिवस है, एक ऐसा दिन जिस दिन हमें संसार की समस्त माताओं का सम्मान और सलाम करना चाहिये। वैसे माँ किसी के सम्मान की मोहताज नहीं होती, माँ शब्द ही सम्मान के बराबर होता है, मातृ दिवस मनाने का उद्देश्य पुत्र के उत्थान में उनकी महान भूमिका को सलाम करना है। श्रीमद भागवत गीता में कहा गया है कि माँ की सेवा से मिला आशीर्वाद सात जन्म के पापों को नष्ट करता है। यही माँ शब्द की महिमा है। असल में कहा जाए तो माँ ही बच्चे की पहली गुरु होती है एक माँ आधे संस्कार तो बच्चे को अपने गर्भ में ही दे देती है यही माँ शब्द की शक्ति को दशार्ता है, वह माँ ही होती है पीडा सहकर अपने शिशु को जन्म देती है। और जन्म देने के बाद भी मॉं के चेहरे पर एक सन्तोषजनक मुस्कान होती है इसलिए माँ को सनातन धर्म में भगवान से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है। ‘माँ’ शब्द एक ऐसा शब्द है जिसमे समस्त संसार का बोध होता है। जिसके उच्चारण मात्र से ही हर दुख दर्द का अंत हो जाता है। ‘माँ’ की ममता और उसके आँचल की महिमा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। रामायण में भगवान श्रीराम जी ने कहा है कि ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।’’ अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। कहा जाए तो जननी और जन्मभूमि के बिना स्वर्ग भी बेकार है क्योंकि माँ कि ममता कि छाया ही स्वर्ग का एहसास कराती है। जिस घर में माँ का सम्मान नहीं किया जाता है वो घर नरक से भी बदतर होता है, भगवान श्रीराम माँ शब्द को स्वर्ग से बढकर मानते थे क्योंकि संसार में माँ नहीं होगी तो संतान भी नहीं होगी और संसार भी आगे नहीं बढ पाएगा। संसार में माँ के समान कोई छाया नहीं है। संसार में माँ के समान कोई सहारा नहीं है। संसार में माँ के समान कोई रक्षक नहीं है और माँ के समान कोई प्रिय चीज नहीं है। एक माँ अपने पुत्र के लिए छाया, सहारा, रक्षक का काम करती है। माँ के रहते कोई भी बुरी शक्ति उसके जीवित रहते उसकी संतान को छू नहीं सकती। इसलिए एक माँ ही अपनी संतान की सबसे बडी रक्षक है। दुनिया में अगर कहीं स्वर्ग मिलता है तो वो माँ के चरणों में मिलता है। जिस घर में माँ का अनादर किया जाता है, वहाँ कभी देवता वास नहीं करते। एक माँ ही होती है जो बच्चे कि हर गलती को माफ कर गले से लगा लेती है। यदि नारी नहीं होती तो सृष्टि की रचना नहीं हो सकती थी। स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश तक सृष्टि की रचना करने में असमर्थ बैठे थे। जब ब्रह्मा जी ने नारी की रचना की तभी से सृष्टि की शुरूआत हुई। बच्चे की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी चुनौती का डटकर सामना करना और बड़े होने पर भी वही मासूमियत और कोमलता भरा व्यवहार ये सब ही तो हर ‘माँ’ की मूल पहचान है। दुनिया की हर नारी में मातृत्व वास करता है। बेशक उसने संतान को जन्म दिया हो या न दिया हो। नारी इस संसार और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की मूल पहचान माँ होती है। अगर माँ न हो तो संतान भी नहीं होगी और न ही सृष्टि आगे बढ पाएगी। इस संसार में जितने भी पुत्रों की मां हैं, वह अत्यंत सरल रूप में हैं। कहने का मतलब कि मां एकदम से सहज रूप में होती हैं। वे अपनी संतानों पर शीघ्रता से प्रसन्न हो जाती हैं। वह अपनी समस्त खुशियां अपनी संतान के लिए त्याग देती हैं, क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पुत्री कुपुत्री हो सकती है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती। एक संतान माँ को घर से निकाल सकती है लेकिन माँ हमेशा अपनी संतान को आश्रय देती है। एक माँ ही है जो अपनी संतान का पेट भरने के लिए खुद भूखी सो जाती है और उसका हर दुख दर्द खुद सहन करती है। लेकिन आज के समय में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपने मात-पिता को बोझ समझते हैं। और उन्हें वृध्दाआश्रम में रहने को मजबूर करते हैं। ऐसे लोगों को आज के दिन अपनी गलतियों का पश्चाताप कर अपने माता-पिताओं को जो वृध्द आश्रम में रह रहे हैं उनको घर लाने के लिए अपना कदम बढाना चाहिए। क्योंकि माता-पिता से बढकर दुनिया में कोई नहीं होता। माता के बारे में कहा जाए तो जिस घर में माँ नहीं होती या माँ का सम्मान नहीं किया जाता वहाँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का वास नहीं होता। हम नदियों और अपनी भाषा को माता का दर्जा दे सकते हैं तो अपनी माँ से वो हक क्यों छीन रहे हैं। और उन्हें वृध्दाआश्रम भेजने को मजबूर कर रहे है। यह सोचने वाली बात है। माता के सम्मान का एक दिन नहीं होता। माता का सम्मान हमें 365 दिन करना चाहिए। लेकिन क्यों न हम इस मातृ दिवस से अपनी गलतियों का पश्चाताप कर उनसे माफी मांगें। और माता की आज्ञा का पालन करने और अपने दुराचरण से माता को कष्ट न देने का संकल्प लेकर मातृ दिवस को सार्थक बनाएं।
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बसे अंनूठी मॉ
Updated: May 15, 2023
दुख आया तो दवा नहीं ली हारी नहीं, तू खुद से लडी थी। पिताजी देखे, सख्त बहुत थे तनखा लाकर, वे दादी को देते ॥…
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भाजपा को आत्म-मंथन की जरूरत…!
Updated: May 15, 2023
~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल कर्नाटक चुनाव में लगभग कांग्रेस की ताजपोशी तय हो चुकी है। लेकिन अब मध्यप्रदेश में क्या? यह सवाल भाजपा के आत्म-मंथन के…
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यह शिवराजसिंह का मध्यप्रदेश है साहेब
Updated: May 15, 2023
मनोज कुमारजीत हमेशा सकुन देती है. यह जीत व्यक्ति की हो या संस्था की और बात जब राजनीति की हो तो यह और भी अर्थपूर्ण…
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बुनियादी ढांचा है, मगर सुविधा नहीं
Updated: May 15, 2023
पूजा गोस्वामीरौलियाना, उत्तराखंड किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए ज़रूरी है कि वहां न केवल बुनियादी ढांचा मज़बूत हो, बल्कि क्षेत्र की जनता को…
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गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में विश्व को राह दिखाता भारत
Updated: May 12, 2023
भारत में विशेष रूप से कोरोना महामारी के बीच एवं इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा गरीब वर्ग के लाभार्थ चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों के परिणाम…
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दुष्कर्म के दलदल से मैं जिंदा लौटी हूं__!
Updated: May 12, 2023
ISIS पीड़ित एक यजीदी युवती की आप बीती दर्दनाक गाथा___! बाद में इस पीड़िता को नोबेल पुरस्कार भी मिला_! साभार: दैनिक जागरण (14.10.2018) रात के…
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मां का मातृत्व, प्रेम और त्याग उसे बनाता है विधाता
Updated: May 12, 2023
अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस, 14 मई 2023 -ललित गर्ग-मातृ दिवस का मतलब होता है मां का दिन। पूरी दुनिया में मई माह के दूसरे रविवार को मातृ…
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अंधविश्वास की जद में समाज
Updated: May 12, 2023
अंधविश्वास की जद में समाज सिमरन कुमारीमुजफ्फरपुर, बिहारभारतीय समाज आज भी रूढ़िवाद और अंधविश्वास से बाहर नहीं आया है. अनपढ़ तो अनपढ़, शिक्षित भी इससे…
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नर्स की चाह
Updated: May 12, 2023
सुंदर श्वेत परिधानों में थामे औषध बाहों में रोग भगाने की शक्ति है उसकी मुस्कानों में सेवा भाव खूब समाया रोगी को दे निरोगी काया …
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