पर्यावरण प्रकृति से खिलवाड़ की चेतावनी

प्रकृति से खिलवाड़ की चेतावनी

संदर्भः उत्तराखंड में बादल फटने से हुई ताबाहीप्रमोद भार्गवभारतीय दर्शन के अनुसार मानव सभ्यता का विकास हिमालय और उसकी नदी-घाटियों से माना जाता है। ऋषि…

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राजनीति भारत के साहसिक कदम से अमेरिका की दादागिरी पर लग सकता है ‘ग्रहण’।

भारत के साहसिक कदम से अमेरिका की दादागिरी पर लग सकता है ‘ग्रहण’।

संतोष कुमार तिवारी  अमेरिका की तरफ से भारत पर टैरिफ लगाने का सिर्फ रूस से तेल खरीदना ही एक कारण नहीं है बल्कि इसके पीछे कई और भी कारण हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगा दिया है, जो 7 अगस्‍त से प्रभावी है और वहीं इस टैरिफ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की चेतावनी दे चुके हैं, जिसके पीछे की वजह भारत द्वारा रूसी तेल खरीदना बताया जा रहा है जबकि भारत का रूस सबसे बड़ा दोस्त है जो हमेशा भारत के साथ बड़े भाई की तरह खड़ा रहता है। इधर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्‍ड टंप ने गीदड़भभकी दिखाते हुए भारत के खिलाफ सख्‍त रुख अपनाते हुए कहा कि जब तक टैरिफ को लेकर मसला नहीं सुलझ जाता है, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति को ज्ञात है कि भारत में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री है जो अपने देश के हित के आगे अमेरिका क्या दुनिया की किसी ताकत के साथ नहीं झुक सकते है।  ट्रम्प के टैरिफ़ बढ़ाने की गीदड़भभकी के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ-साफ कह दिया कि देश के किसानों, पशुपालकों और मछुवारों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।प्रधानमंत्री का यह बयान अमेरिका को और चुभ गया और ट्रम्प को समझ में आ गया कि भारत को झुकाना अब सरल नहीं है। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद देश के किसान, पशुपालक और मछुवारा व्यवसाय से जुड़े लोग काफ़ी खुश है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों और हिम्मत की सराहना कर रहे है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह चाहते हैं कि भारत अमेरिकी कृषि उत्‍पाद और डेयरी प्रोडक्‍ट्स पर टैरिफ कम करे ताकि भारत जैसे बड़े बाजार में अमेरिका के इन उत्पादों को बेचा जा सके लेकिन भारत इन क्षेत्रों को देश में ज्‍यादा प्राथमिकता देता है. अगर भारत इन क्षेत्रों को अमेरिका के लिए खोलता है तो भारत के किसानों की आय पर असर होगा जिसे लेकर भारत कभी भी समझौता नहीं करना चाहेगा जबकि अमेरिका कृषि और दुग्ध उत्पादों के लिए शत प्रतिशत टैरिफ़ कम करने की मांग कर रहा है। इसके अलावा अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत रूसी तेल का आयात कम करे और अमेरिका से ज्‍यादा तेल का आयात करे जबकि भारत को अमेरिका की तुलना में सस्‍ता तेल रूस से मिल रहा है तो अमेरिका से भारत तेल क्यों ख़रीदे। भारत जैसे बड़े बाजार में अमेरिका के मुंह खाने के बाद अमेरिका के दादागिरी पर ग्रहण लगने की आशंका बन रही है क्योंकि अमेरिकी डॉलर दुनिया भर में इस्‍तेमाल की जाने वाली करेंसी है। वर्ष 1944 से ही अमेरिकी डॉलर का इस्‍तेमाल सभी देश व्‍यापार के लिए कर रहे हैं। दुनिया भर के सेंट्रल बैंक अपने यहां डॉलर का रिजर्व रखते हैं। करीब 90 फीसदी विदेशी मुद्रा लेन-देन डॉलर में ही होती है लेकिन ब्रिक्‍स देशों ने इस पर निर्भरता कम करने के लिए कदम उठाये जिसे लेकर ट्रंप बौखलाए हुए हैं क्‍योंकि ब्रिक्स संगठन के देश मिलकर वर्ल्‍ड इकोनॉमी में कुल 35 प्रतिशत का योगदान देते हैं। ऐसे में अगर इन देशों ने अमेरिका और डॉलर का विरोध किया तो अमेरिका के सुपर पॉवर बने रहने का स्थिति छिन सकती है। साथ ही डॉलर वर्ल्‍ड करेंसी से हट भी सकता है और अमेरिकी दादागिरी में ग्रहण लग सकता है।   भारत और रूस के तेल व्यापार की बात की जाये तो भारत रूस से 2022 से तेल का आयात बढ़ाया है। भारत अभी रूस से हर दिन 1.7 से 2.2 मिलियन बैरल तक का रूसी तेल आयात करता है। भारत रूसी तेल का करीब 37 फीसदी हिस्‍सा आयात कर रहा है। वहीं सबसे ज्‍यादा चीन रूस से  तेल खरीद रहा है। साल 2024 में भारत ने रूस से 4.1 लाख करोड़ रुपये का कच्‍चा तेल आयात किया है। जो अमेरिका को पच नहीं रहा है और अपनी दादागिरी के दम पर अपने देश के कृषि और दुग्ध उत्पाद को भारत जैसे बड़े बाजार में बिना टैरिफ़ के बेचने के लिए बेताब है और भारत द्वारा अमेरिका की बात न मामने पर 50 प्रतिशत टैरिफ़ बढ़ाने की बात कहीं जा रही है। जबकि अमेरिका के इस फैसले से भारत के विरोध में रहने वाला चीन भी अमेरिका के इस कदम को गलत बताया है। अब अमेरिका के लिए एक चिंता और हो रही है कि भारत,रूस और चीन जैसे महाशक्ति यदि एक हो जाएगी तो अमेरिका की दादागिरी भी खतरे में पड़ सकती है। अमेरिका के इस मनमानी टैरिफ़ पर न चीन बल्कि विश्व के कई देशों ने सही नहीं करार दिया है। भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने का विरोध तो अमेरिका का बहाना है, अमेरिका का मुख्य दर्द भारत जैसे बड़े बाजार में अमेरिका के कृषि और दुग्ध उत्पाद को बेचने का मौका न मिलना प्रमुख है।   अमेरिका चाहता है कि उसके कृषि और दुग्ध उत्पाद जैसे दूध, पनीर, घी आदि को भारत में आयात की अनुमति मिले। अमेरिका का तर्क  हैं कि उनका दूध स्वच्छ और गुणवत्ता वाला है और भारतीय बाजार में सस्ता भी पड़ सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस क्षेत्र में करोड़ों छोटे किसान लगे हुए हैं। भारत सरकार को डर है कि अगर अमेरिकी दुग्ध उत्पाद भारत में आएंगे तो वे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। भारत में ज्यादातर लोग शुद्ध शाकाहारी दूध उत्पाद चाहते हैं जबकि अमेरिका में कुछ दुग्ध उत्पादों में जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम का इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही अमेरिका चाहता है कि गेहूं, चावल, सोयाबीन, मक्का और फलों जैसे सेब, अंगूर आदि को भारत के बाजार में कम टैक्स पर बेचा जा सके और भारत अपनी इम्पोर्ट ड्यूटी को कम करे। इसके अलावा, अमेरिका जैव-प्रौद्योगिकी फसलों को भी भारत में बेचने की कोशिश करता रहा है लेकिन भारत की सरकार और किसान संगठन इसका कड़ा विरोध करते हैं। इसको लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि देश के किसानों, पशुपालकों और मछुवारों के हितों के साथ समझौता नहीं हो सकता है। प्रधानमंत्री के इस बयान से अमेरिका समेत पूरे विश्व ने भारत के रुख को समझ लिया और सभी ने मान लिया कि भारत अमेरिका के आगे झुकने वाला देश नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रहित सर्वोपरि है, इसके लिए जो भी कीमत चुकानी पड़े उसके लिए वह तैयार रहते है।  इसलिए इस समय पुरे देश के पक्ष और विपक्ष दलों के नेताओं, किसानों, पत्रकारों, बुद्धजीवियों और आम लोगो को अमेरिका के इस कड़े कदम का विरोध करते हुए सरकार के साथ खड़े होने की जरूरत है। संतोष कुमार तिवारी

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मनोरंजन Default Post Thumbnail

आखिर कितना उपयोगी साबित होगा ओपन बुक असेसमेंट ?

सुनील कुमार महला आज हम इक्कीसवीं सदी में सांस ले रहे हैं और इस सदी की आवश्यकताओं के मद्देनजर हमारे देश में नई शिक्षा नीति-2025…

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खान-पान मिठाई के नाम पर जहर – हिसार में नकली मावा कांड से सबक

मिठाई के नाम पर जहर – हिसार में नकली मावा कांड से सबक

रक्षा बंधन जैसे पवित्र त्यौहार के तुरंत बाद हरियाणा के हिसार शहर से आई एक चौंकाने वाली खबर ने लोगों को झकझोर कर रख दिया।…

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राजनीति आज़ादी के 78 साल का हासिल: थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है

आज़ादी के 78 साल का हासिल: थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है

राजेश जैन 15 अगस्त 1947 को जब देश ने आज़ादी की सांस ली तो करोड़ों लोगों की आंखों में ऐसे देश का सपना था जो…

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कला-संस्कृति लोक जागरण का महापर्व है श्री कृष्ण जन्माष्टमी

लोक जागरण का महापर्व है श्री कृष्ण जन्माष्टमी

डा. विनोद बब्बर  जागरण अर्थात चेतना जीवंतता  की पहली शर्त है। यूं तो सभी जीवों में चेतना होती है लेकिन जागृत चेतना केवल मनुष्य में…

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लेख जीवन का दूसरा अवसर प्रदान करता है अंगदान

जीवन का दूसरा अवसर प्रदान करता है अंगदान

विश्व अंगदान  दिवस – १३ अगस्त कुमार कृष्णन अंगदान और प्रत्यारोपण हर वर्ष हजारों लोगों को जीवन का दूसरा अवसर प्रदान करता है। अमीर और…

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राजनीति शिक्षा-चिकित्सा को मुनाफाखोरी से बचाने का भागवत-आह्वान

शिक्षा-चिकित्सा को मुनाफाखोरी से बचाने का भागवत-आह्वान

– ललित गर्ग – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने इंदौर के एक किफायती कैंसर अस्पताल के उद्घाटन अवसर पर जो बात कही,…

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राजनीति वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बढ़ता अमेरिकी आतंक और भारत

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बढ़ता अमेरिकी आतंक और भारत

प्रो. महेश चंद गुप्ता दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के कारण अमेरिका लंबे समय से वैश्विक आर्थिक नीतियों पर दबदबा बनाए हुए है। यह  दबदबा अब खुलेआम दादागिरी का रूप ले चुका है, खासकर जब  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मनमाने टैरिफ लगाकर देशों को आर्थिक रूप से झुकाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत पर 25 फीसदी टैरिफ  लगाने के बाद अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ की घोषणा ने इस दादागिरी को और स्पष्ट कर दिया है, यानी कुल मिलाकर 50 फीसदी का टैरिफ — यह न सिर्फ व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार संतुलन पर भी असर डालेगा। ट्रंप को भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर आपत्ति है जबकि विडंबनायह है कि चीन भी यही कर रहा है और अमेरिका स्वयं रूस से यूरेनियम और खाद खरीद रहा है, यानी सिद्धांत और व्यवहार में अमेरिकी नीति दोहरे मानदंडों से भरी है। सवाल यह है कि भारत क्यों अपने हितों को ताक पर रखकर अमेरिकी दबाव में काम करे? कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत पर टैरिफ बढ़ोतरी के एलान के बाद पहली बार एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिक्रिया ने भारत के अडिग रुख को और मजबूती से सामने रखा है। उससे भारत का अडिग रवैया परिलक्षित हो रहा है। मोदी ने साफ कह दिया है कि हमारे लिए, हमारे किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है, चाहे उसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े। भारत किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। यह वक्तव्य बताता है कि भारत अब वैश्विक दबावों के आगे नतमस्तक नहीं होगा।   यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) के आंकड़ों के अनुसार भारत-अमेरिका के बीच वार्षिक व्यापार 11 लाख करोड़ रुपये का है। भारत अमेरिका को 7.35 लाख करोड़ रुपये का निर्यात करता है जिसमें दवाइयाँ, दूरसंचार उपकरण, जेम्स-एंड- ज्वेलरी, पेट्रोलियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग उत्पाद और वस्त्र शामिल हैं। वहीं, अमेरिका से भारत 3.46 लाख करोड़ रुपये का आयात करता है जिसमें कच्चा तेल, कोयला, हीरे, विमान व अंतरिक्ष यानों के पुर्जे  शामिल हैं। लेकिन यहां चिंता की बात यह है कि चीन, वियतनाम, बांग्लादेश और इंडोनेशिया जैसे देशों पर अमेरिका ने इतना भारी शुल्क नहीं लगाया है, जिससे उनके उत्पाद भारतीय उत्पादों की तुलना में अमेरिकी बाजार में सस्ते पड़ेंगे। फिर भी, मोदी सरकार का रवैया दृढ़ है। साठ के दशक में हम गेहूं, दूध के लिए भी अमरीका पर निर्भर थे लेकिन लगता है ट्रंप ने उन दिनों लिखी गई कोई किताब ताजा मानकर पढ़ ली है। उन्हें आज भी पुराना भारत दिख रहा है जिसे वह झुकाने की सोच रहे हैं। उन्हें यह समझ में आ जाना चाहिए कि अब भारत पहले वाला भारत नहीं रहा है। वह आत्मनिर्भर एवं विश्व में तेजी से बढ़ती हुई अर्थ व्यवस्था है। भारत का पूरे विश्व में दबदबा बढ़ रहा है। उद्योग जगत भी इस दबाव को एक अवसर के रूप में देख रहा है। उद्योगपति हर्ष गोयनका का कहना है कि अमेरिका निर्यात पर टैरिफ लगा सकता है लेकिन हमारी संप्रभुता पर नहीं। आनंद महिंद्रा ने तो यह भी कहा कि जैसे 1991 के विदेशी मुद्रा संकट ने उदारीकरण की राह खोली थी, वैसे ही यह टैरिफ संकट भी हमें आत्मनिर्भरता की दिशा में गति दे सकता है। ललित मोदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ट्रंप…

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मनोरंजन ‘हाउसफुल 5’ रिलीज के बाद सुर्खियों में हैं सौंदर्या शर्मा

‘हाउसफुल 5’ रिलीज के बाद सुर्खियों में हैं सौंदर्या शर्मा

सलमान खान के रियलिटी शो ‘बिग बॉस 16’ (2022-2023) से अचानक सुर्खियों में आई एक्ट्रेस सौंदर्या शर्मा हाल ही में रिलीज फिल्‍म ‘हाउसफुल 5’ (2025) में अपनी एक्टिंग और…

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लेख युवाः वर्तमान की क्रांति एवं शांति के वाहक

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अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस, 12 अगस्त 2025 पर विशेष – ललित गर्ग – अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस केवल एक कैलेंडर की तारीख नहीं है, बल्कि यह हमें…

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लेख आज़ाद भारत और 15 अगस्त

आज़ाद भारत और 15 अगस्त

शम्भू शरण सत्यार्थी हर साल जब 15 अगस्त आता है, पूरा देश गर्व और देशभक्ति की भावना से भर जाता है। यह दिन भारत के…

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