राजनीति विपक्ष की लोकतंत्र पर चिंता या सत्तालोभ की राजनीति?

विपक्ष की लोकतंत्र पर चिंता या सत्तालोभ की राजनीति?

-ललित गर्ग- भारतीय लोकतंत्र आज विश्व के सबसे बड़े, जीवंत और जागरूक लोकतंत्रों में गिना जाता है। यह संविधान की मजबूत नींव, संस्थाओं की पारदर्शिता…

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मनोरंजन निरंकुश अभिव्यक्ति से जुड़े सुप्रीम फैसलों का स्वागत हो

निरंकुश अभिव्यक्ति से जुड़े सुप्रीम फैसलों का स्वागत हो

-ललित गर्ग-सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एंटी सोशल अभिव्यक्ति की सुनवाई करते हुए समय-समय पर जो कहा, वह जहां…

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राजनीति साधुओं के भेष में मुस्लिम 

साधुओं के भेष में मुस्लिम 

उत्तराखंड राज्य सरकार ने चलाया ढोंगी बाबाओं के विरुद्ध कालनेमि अभियान  इस साधु-जिहाद-तंत्र के पर्दाफाश की जरुरत प्रमोद भार्गव            …

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शख्सियत मंगल पांडे : भारतीय स्वाधीनता संग्राम के “अग्रदूत”

मंगल पांडे : भारतीय स्वाधीनता संग्राम के “अग्रदूत”

स्वाधीनता सेनानी मंगल पांडे की जयंती 19 जुलाई पर विशेष….. प्रदीप कुमार वर्मा “शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मिटने वालों का यही आखरी निशां होगा…” मां भारती की आन,बान और शान की खातिर मर मिटने तथा उसे गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने वाले शहीदों का अब यही फलसफा बाकी है। आज से करीब दो सौ साल पहले जन्मे महान स्वाधीनता सेनानी मंगल पांडे की आज जयंती है। शहीद मंगल पांडे का नाम भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में एक ऐसे अमर सेनानी के रूप में दर्ज है, जिसने ब्रिटिश फ़ौज में शामिल रहते हुए देशभक्ति का जज्बा बुलंद किया और यूनियन जैक के सामने एक चुनौती पेश की। महान शहीद मंगल पांडे ने ब्रिटिश हुकूमत के निर्देशों को मानने से इनकार कर दिया और सैन्य छावनी में ही कई अंग्रेज अफसर को मौत के घाट उतार दिया। मंगल पांडे के इस कदम से ब्रिटिश सेना भौचक्की रह गई और उन पर मुकदमा चला। इसके बाद उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया। लेकिन एक अमर सेनानी और प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत के रूप में मंगल पांडे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं।       गुलामी की वीडियो से मां भारती को आजाद कराने की लड़ाई में भागीदारी करने वाले क्रांतिकारी मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को यूपी के बलिया जिले के नगवा गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता दिवाकर पांडे तथा माता का नाम अभय रानी था। वर्ष 1849 में मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए और बैरकपुर की सैनिक छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैंट्री यानी बीएनआई की 34 वीं रेजीमेंट के पैदल सेना के सिपाही रहे। मंगल पांडे के मन में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्वार्थी एवं भारत विरोधी नीतियों के कारण अंग्रेजी हुकुमत के प्रति पहले ही नफरत थी। उस दौरान ब्रिटिश सेना की बंगाल यूनिट में ‘ पी.-53’ राइफल आई। जिसमें कारतूसों को राइफल में डालने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था। उस जमाने में सैनिकों के बीच ऐसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों को बनाने में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग किया गया है। ऐसे में हिन्दू और मुसलमानों में प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के चलते दोनों धर्मों के सैनिकों के मन में अंग्रजों के खिलाफ आक्रोश पैदा हो गया।        फिर आई वह 9 फरवरी 1857 की तारीख, जब यह कारतूस पैदल सेना को बांटा गया। तब मंगल पांडेय ने उसे न लेने को लेकर विद्रोह के अपने इरादे जता दिए। इस बात से गुस्साए अंग्रेजी अफसर द्वारा मंगल पांडे से उनके हथियार छीन लेने और वर्दी उतरवाने का आदेश दिया, जिसे मानने से मंगल पांडे ने इनकार कर दिया। आज़ादी की खातिर मर-मिटने का जज्बा दिल में लिए मंगल पांडे ने रायफल छीनने आगे बढ़ रहे अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर आक्रमण किया तथा उसे मौत के घाट उतार दिया। यही नहीं उनके रास्ते में आए दूसरे एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉग को भी मौत के घाट उतार दिया। और इस तरह मंगल पांडे ने ब्रिटिश सेना की बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया। यही वजह है कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम की गाथा लिखने वाले इतिहासकार मंगल पांडे को आजादी की लड़ाई का “अगदूत” मानते हैं। भारतीय इतिहास में इस घटना को ‘1857 का गदर’ नाम दिया गया है।             इस घटना के बाद मंगल पांडे को अंग्रेजी सेना के सिपाहियों ने गिरफ्तार किया। उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाया और फांसी की सजा सुना दी गई। कोर्ट के फैसले के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी थी। अंग्रेजी हुकूमत को इस बात का अंदेशा था कि मंगल पांडे को फांसी की सजा दिए जाने वाले दिन कोई बड़ा विद्रोह और जनता में आक्रोश हो सकता है। इस बात को भांपते हुए अंग्रेजों द्वारा 10 दिन पूर्व ही यानि 8 अप्रैल सन 1857 को ही मंगल पांडे को फांसी दे दी गई। इस घटना ने भारतीय सैनिकों में असंतोष को और बढ़ाया और मेरठ में 10 मई 1857 को विद्रोह की चिंगारी भड़की, जिससे पूरे उत्तर भारत में विद्रोह फैल गया। मंगल पांडे का बलिदान और विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी और देशवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रेरित किया। ब्रिटिश सेवा में माया सिपाही होने के बावजूद उन्होंने देशभक्ति की खातिर यूनियन जैक को ललकारा था।        अमर शहीद मंगल पांडे ने भारत में ब्रिटिश उपनिवेश को उखाड़ फेंकने का आगाज कर दिया था। मंगल पांडे द्वारा लगायी गयी विद्रोह की यह चिंगारी बुझी नहीं। करीब एक महीने बाद ही 10 मई सन 1857 को मेरठ की छावनी में कोतवाल धनसिंह गुर्जर के नेतृत्व में बगावत हो गयी। मेरठ में भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश अधिकारियों को मार डाला। इसके बाद विद्रोही सैनिक दिल्ली की ओर बढ़े और बहादुर शाह जफर को अपना नेता घोषित किया। इसके बाद लखनऊ में भीषण संघर्ष हुआ, जहां भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश रेजीडेंसी पर हमला किया।  इस दौरान बेगम हज़रत महल और अन्य नेताओं ने विद्रोह का नेतृत्व किया। मेरठ और लखनऊ के बाद विद्रोह की आज कानपुर तक आ पहुंची ,जहां नाना साहेब ने कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व किया और ब्रिटिश सैनिकों पर हमला किया। यह विद्रोह अत्यधिक हिंसक था और  इसमें कई ब्रिटिश नागरिक भी मारे गए। महान स्वाधीनता सेनानी रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी में विद्रोह का नेतृत्व किया।             इसके बाद आजादी की लड़ाई का दायरा पूरे बुंदेलखंड तक पहुंच गया।  इस विद्रोह को कुचलना के लिए अंग्रेजी सेना ने झांसी पर हमला कर दिया जहां रानी लक्ष्मीबाई ने बहादुरी से ब्रिटिश सेना का सामना किया और अंततः लड़ते हुए शहीद हो गईं। प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान देश के कई हिस्सों में हुए इस विद्रोह के बाद अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अब भारत पर राज्य करना उतना आसान नहीं है। देश की आजादी के लिए क्रांति की ज्वाला को प्रज्वलित करने वाले मां भारती के इस वीर सपूत मंगल पांडे की आज जयंती है। भारत में पांडे को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है। अमर शहीद मंगल पांडे की स्मृति में बैरकपुर में उनके नाम पर एक पार्क है। यही नहीं वर्ष 1984 में भारत सरकार द्वारा उनकी छवि वाला एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया था। इसके अलावा वर्ष 2005 में मंगल पांडे के जीवन और उनकी शहादत पर आधारित फिल्म मंगल पांडे :…

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समाज ‘संस्कृत’ का रक्षक बना कर्नाटक का एक गाँव

‘संस्कृत’ का रक्षक बना कर्नाटक का एक गाँव

डॉ. रमेश ठाकुर एकाध दशकों से पश्चिमी भाषा इस कदर हावी हुई है जिससे हम अपनी पारंपरिक भाषाएं और सभ्यताओं को पीछे छोड़ दिया है…

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लेख गाँव का अस्तित्व और पलायन 

गाँव का अस्तित्व और पलायन 

विवेक रंजन श्रीवास्तव  दुनिया में हमारे गांवो की विशिष्ट पहचान यहां की आत्मीयता,सचाई और प्रेम है . विकास का अर्थ आर्थिक उन्नति से ही लगाया…

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राजनीति धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है

धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है

राजेश कुमार पासी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो व्यक्ति अपना धर्म बदलता है वो केवल अपना धर्म नहीं बदलता बल्कि वो अपने समाज और देश से भी कट जाता है । यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण को देश के लिए बड़ा खतरा बताया था और सरकारों को इसके खिलाफ कदम उठाने को कहा था । धर्मांतरण के बाद व्यक्ति अपना परिवार और अपनी संस्कृति छोड़ देता है, अपना खानपान और पहनावा बदल लेता है । धर्मांतरित मुस्लिम इस्लाम के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए आतंकी संगठनों के साथ भी चले जाते हैं । यही कारण है कि धर्मांतरण देश की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है । दुनिया में कई देश हैं, जहां धर्मांतरण के कारण डेमोग्राफी बदलने से दंगों की आग में जलना पड़ रहा है । बाबा साहब अम्बेडकर ने कहा था कि हिन्दू-मुस्लिम के बीच तनाव के कई कारण हैं जिनके कारण दंगे भी होते हैं । उन्होंने इस्लाम को एक बंद समाज कहा था क्योंकि उनका कहना था कि मुस्लिमों का भाईचारा आपसी होता है. दूसरों को वो काफिर मानते हैं । उन्होंने गौमांस, धर्मांतरण और मस्जिदों के आगे संगीत बजाने को दंगों का बड़ा कारण बताया था । उन्होंने कहा था कि जब दोनों समुदाय मिलते हैं तो धर्मांतरण एकतरफा होता है. हिन्दू कभी धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं करते । यही कारण है कि किसी भी मुस्लिम देश में धर्मांतरण विरोधी कानून नहीं है क्योंकि मुस्लिमों की उसकी जरूरत ही नहीं है लेकिन गैर-मुस्लिम देशों की इसकी जरूरत इसलिए पड़ती है क्योंकि मुस्लिम समुदाय पूरी आक्रामकता के साथ धर्मांतरण की कोशिश करता है । ये अजीब बात है कि मुस्लिम बहुल देशों में सभी नागरिकों को धीरे-धीरे मुस्लिम बना दिया जाता है लेकिन जहां मुस्लिम अल्पसंख्यक होते हैं, वहां भी वो धीरे-धीरे बहुसंख्यक समाज को इस्लाम में शामिल कर लेते हैं । इस तरीके से कई देशों को इस्लामिक मुल्क बना दिया गया है और भारत को भी 2047 तक मुस्लिम संगठन इस्लामिक मुल्क बनाने का संकल्प लेकर धर्मांतरण के अभियान में जुटे हुए हैं । ज्यादातर मुस्लिम संगठन दावा करते हैं कि वो धर्मांतरण नहीं करवाते हैं बल्कि लोग अपनी खुशी से इस्लाम धर्म अपनाते हैं । सवाल यह है कि अगर लोगों को अपनी खुशी से इस्लाम अपनाना है तो वो खुद मस्जिद में जायेंगे न कि उनका धर्मांतरण करवाने के लिए करोड़ों रुपये की फंडिंग लानी पड़ेगी और गैंग बनाने पड़ेंगे । वास्तव में धर्मांतरण करवाने के लिए लालच, भय और धोखे का सहारा लिया जाता है । हमारा संविधान अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार देता है और व्यक्ति को अपनी मर्जी से धर्म बदलने का भी  अधिकार देता है । दूसरी तरफ यही संविधान कहता है कि किसी भी व्यक्ति को लालच, भय और धोखे से धर्मांतरित नहीं किया जा सकता । वास्तव में हमारे देश में लोगों को धोखा भय और लालच देकर ही धर्मांतरित किया जा रहा है ।                   हमारे देश का सेकुलर गैंग यह चिल्लाता है कि देश में भाईचारा बढ़ाने की जरूरत है, इसे खतरे में नहीं डालना चाहिए लेकिन सच्चाई यह है कि अगर आपको मुस्लिमों और ईसाइयों के साथ भाईचारा निभाना है तो उनके धर्म को अपनाना होगा । जब तक आप ऐसा नहीं करते हैं वो आपसे भाईचारा नहीं निभा सकते क्योंकि ये दोनों धर्म दूसरे धर्म को बर्दाश्त नहीं कर सकते । यही कारण था कि मुस्लिम आक्रांताओं  ने हिन्दुओं के सामने तीन विकल्प रखे थे । पहला उन्हें धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बनना होगा, दूसरा अगर इस्लाम नहीं अपनाना है तो जजिया कर देना होगा और अगर ये दोनों विकल्प नहीं लिए तो मौत ही आखिरी विकल्प होगा । सेकुलर  गैंग कहता है कि अगर मुस्लिम शासकों ने जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया था तो हिन्दू कैसे बचे रह गए । वास्तव में हिन्दुओं ने अपना धर्म परिवर्तन करने की जगह जजिया कर चुकाना ज्यादा पसंद किया था । बेइंतहा जुल्म, उत्पीड़न और शोषण के बावजूद हिन्दू अपने धर्म पर अडिग रहे । इसके बावजूद करोड़ों लोगों ने भय और लालच  के कारण धर्म परिवर्तन  कर लिया और भारत में मुस्लिमों की आबादी इतनी बढ़ गई कि देश का विभाजन करना पड़ा । समस्या यह है कि इसके बाद भी यह जारी है और ये तब तक रुक नहीं सकता जब तक कि पूरे देश को धर्मांतरित न कर दिया जाए । विभाजन के बाद इसको रोका जा सकता था लेकिन हमारे नेताओं पर सेक्युलरिज्म का ऐसा भूत सवार था कि इसको रोकने की कोशिश नहीं की गई । अब ये तब रुकेगा जब देश का एक और विभाजन हो जाएगा ।  इससे पहले इसके रुकने की उम्मीद दिखाई नहीं देती है। धर्मांतरण करने वाले संगठनों के पास विदेशों से अथाह पैसा आता है जिसका इस्तेमाल ये लोग पुलिस और प्रशासन में बैठे लोगों को खरीदने के लिए करते हैं । इसके कारण पुलिस और प्रशासन न केवल इनके कारनामों की अनदेखी करने लगता है बल्कि इनके खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने की हर संभव कोशिश करता है । छांगुर बाबा के खिलाफ जिन लोगों ने भी शिकायत की थी पुलिस ने उनके ही खिलाफ फर्जी मुकदमें ठोक दिये । सरकार किसी की भी हो लेकिन इको सिस्टम अभी भी पुराना ही चल रहा है ।                  इस्लाम धर्म के अनुसार हर मुस्लिम का प्रथम कर्तव्य है कि वो गैर मुस्लिम को अपने धर्म में लेकर आये क्योंकि एक दिन पूरी दुनिया को इस्लामिक बनाना है। जब तक पूरी दुनिया मुस्लिम  नहीं बन जाती तब तक मुस्लिम समुदाय  चैन से नहीं बैठ सकता। इस सच को हम माने या न माने लेकिन इससे भाग नहीं सकते । मुस्लिम संगठनों को हिंदुओं और अन्य धर्म के लोगों को मुसलमान बनाने के लिए अरबों रुपये की फंडिंग मिल रही है। यही कारण है कि मुस्लिम युवा लव जिहाद की आड़ में हिंदू लड़कियों को पहले धोखे से बहला उनसे फुसलाकर कर शादी कर लेते हैं और इसके बाद उनका धर्मांतरण करवा देते हैं। इसके बदले उन्हें लाखों रुपये मिलते हैं. दूसरी तरफ अपना धार्मिक कर्तव्य पूरा करने की खुशी भी मिलती है।  धर्म परिवर्तन के बाद लड़कियों को गौमांस खिलाया जाता है और कहा जाता है कि इसके बाद ही तुम्हारा धर्मांतरण पूरा होगा । उन्हें मुस्लिम पहनावे और खानपान के लिए मजबूर किया जाता है ।  छांगुर बाबा के बारे में दावा किया जा रहा है कि उसने 5000 लोगों का धर्मांतरण करवाया था और उसमें से 1500 हिन्दू लड़कियां थी । उसके नेटवर्क को देखते हुए कहा जा सकता है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि कई जिलों की बदलती डेमोग्राफी इसकी गवाही देती है। ये और इसके परिवार के सदस्यों ने सेकड़ो अमीर मुस्लिम देशों की यात्रा की थी। धर्मांतरण के काम मे इसके मुख्य सहयोगी वो लोग थे जिनका इसने धर्म परिवर्तन करवाया था। इसने धर्मांतरण के लिए लोगों को ट्रेनिंग देने का बड़ा इंतज़ाम किया हुआ था, इसके लिए कोठियों और बड़े भवनों के तहख़ानों का इस्तेमाल किया जाता था। दुबई और दूसरे मुस्लिम देशों से ये जेहादी ट्रेनर और मौलाना को बुलाता था । इसका पूरा नेटवर्क मिलकर गैर मुस्लिमों का ब्रेनवाश करके मुस्लिम बनाने का धंधा करता था ।  गरीब, दलित, आदिवासी और युवा लड़कियों को विशेष तौर पर निशाने पर रखा जाता था।                ईसाई संगठनों का तरीका अलग है, वो धर्म परिवर्तन के बाद कुछ नहीं बदलने देते और किसी को पता भी नहीं चलता कि इस व्यक्ति ने अपना धर्म बदल लिया है । पंजाब में कई संगठनों ने दावा किया है कि ईसाई आबादी 15 प्रतिशत को पार कर गई है जबकि 2011 में यह आबादी सिर्फ डेढ़ प्रतिशत थी । ज्यादातर दलित समाज के लोग पंजाब में धर्मांतरण कर रहे हैं क्योंकि वहां जातिवाद के कारण इनके साथ उत्पीड़न अभी भी जारी है और भेदभाव किया जा रहा है । ईसाई संगठन दलितों की कई तरह से मदद करके उनको अपने धर्म में लेकर जा रहे हैं । दलितों में अंधविश्वास बहुत ज्यादा है और ईसाई संगठन इस कमजोरी का फायदा उठाकर तथाकथित चमत्कारों के जरिये उनको  बहला फुसलाकर अपने धर्म में ले जा रहे हैं । धर्मांतरण देश के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है क्योंकि इसके कारण कई राज्यों की डेमोग्राफी बदल चुकी है । इसके कारण कई जगहों पर सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक परेशानियां खड़ी हो  रही हैं । धर्मांतरण को छोटी समस्या नहीं समझना चाहिए, अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश दंगों की आग में ऐसा जलेगा कि एक और विभाजन की जरूरत पड़ सकती है । इसके अलावा विदेशी शक्तियां इन लोगों का देश के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती हैं । सुप्रीम कोर्ट और बाबा साहब की चेतावनी को याद रखना चाहिए और धर्मांतरण पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए । सैकड़ों छांगुर बाबा धर्मांतरण का गैंग चलाकर करोड़पति बन रहे हैं और देश को खतरे में डाल रहे हैं ।   राजेश कुमार पासी

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लेख यौन हिंसा पर सख्त कानून के बावजूद आखिर अपराधों में कमी क्यों नहीं आ रही ?

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हाल ही में ओडिशा के बालेश्वर जिले के एक कॉलेज में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यौन…

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राजनीति क्या बिहार में सुशासन अब जंगलराज में बदल रहा है?

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-ललित गर्ग-बिहार में एक बार फिर कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बेखौफ अपराधियों का आतंक, दिन-दहाड़े हत्याएं, लूट, अपहरण और महिलाओं के…

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राजनीति छांगुर बाबा के काले कारनामे और भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी

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सूफी संत के वेष में भी अनेक ऐसे मुस्लिम रहे हैं, जिन्होंने सनातन धर्म का बहुत भारी अहित किया है। भारतवर्ष में ऐसे कथित सूफी…

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कविता सावन

सावन

नील गगन घनश्यामाच्छादित,तेज तड़ित की दमक उठे।जो संग पवन के द्रुत गति वो,अगले बादल चमक उठे। मेघ उच्च जो श्यामवर्ण हैं,मंद चाल विचरण करते।जीत समर…

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लेख कोख में कत्ल होती बेटियाँ: हरियाणा की घुटती संवेदना

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हरियाणा में केवल तीन महीनों में एक हज़ार एक सौ चौवन गर्भपात। कारण – कन्या भ्रूण हत्या की आशंका। छप्पन आशा कार्यकर्ताओं को कारण बताओ…

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