मनोरंजन मोबाइल की लत और विड्रॉल सिंड्रोम: बच्चों को दे रही तनाव की सौगात

मोबाइल की लत और विड्रॉल सिंड्रोम: बच्चों को दे रही तनाव की सौगात

मोबाइल की बढ़ती लत ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। विड्रॉल सिंड्रोम के तहत बच्चे मोबाइल से दूर होने…

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राजनीति दोनों नेता तो मिले, लेकिन दिल भी मिलें, तो बात बने!

दोनों नेता तो मिले, लेकिन दिल भी मिलें, तो बात बने!

अशोक गहलोत और सचिन पायलट की गर्मजोशी वाली मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो लोग जम कर देख रहे हैं। दोनों धुर विरोधी नेताओं की इस…

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आर्थिकी गरीबी के साथ आर्थिक असमानता दूर करने का लक्ष्य हो

गरीबी के साथ आर्थिक असमानता दूर करने का लक्ष्य हो

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Tech स्टारलिंक की भारत में एंट्री: इंटरनेट की दुनिया में क्रांति या महंगा सपना?

स्टारलिंक की भारत में एंट्री: इंटरनेट की दुनिया में क्रांति या महंगा सपना?

अशोक कुमार झा भारत में इंटरनेट सेवा के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक और विश्व के…

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आर्थिकी महाकुंभ 2025 ने पहुंचाया भारत को चौथी अर्थव्यवस्था में

महाकुंभ 2025 ने पहुंचाया भारत को चौथी अर्थव्यवस्था में

पंकज जायसवाल भारत ने एक ऐतिहासिक छलांग लगाते हुए जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त किया है। अंतरराष्ट्रीय…

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राजनीति जाति जनगणना: गिनती नहीं, पहचान 

जाति जनगणना: गिनती नहीं, पहचान 

सचिन त्रिपाठी भारत केवल एक भूगोल नहीं है। यह संवेदनाओं, विविधताओं, संघर्षों और चेतनाओं की जीवित भूमि है। यहां हर नदी की धारा, हर पर्वत की छाया, हर गांव की मिट्टी में एक कथा छिपी है  और इन सब कथाओं को जोड़ने वाली जो सबसे महीन और गहरी रेखा है, वह है जाति। जाति  यह शब्द जितना साधारण दिखता है, उतना ही जटिल है इसकी गुत्थी। यह किसी व्यक्ति के नाम के साथ चलती है, कभी उसके आगे तो कभी उसके पीछे, परंतु उससे अलग कभी नहीं होती। यह उसके खाने, पहनने, बोलने, चलने, बैठने, यहां तक कि स्वप्न देखने के अधिकार को भी निर्धारित करती है। ऐसे में अगर कोई कहे कि भारत को जाति जनगणना की आवश्यकता नहीं, तो यह वैसा ही होगा जैसे कोई आंखें मूंदकर सूरज को नकार दे। जातियों की गणना कोई नया विचार नहीं है। ब्रिटिश भारत में 1931 में अंतिम बार व्यापक जातिवार जनगणना हुई थी। उसके बाद भारत स्वतंत्र हुआ, संविधान बना, लोकतंत्र आया, लेकिन जातियों का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हुआ। वे हमारे सामाजिक व्यवहार में बनी रहीं।  किसी के आंगन की चौखट तक सीमित तो किसी के सपनों की ऊंचाई तक पहुंचने में बाधा बनीं। इसलिए जब हम जाति जनगणना की बात करते हैं तो हम महज आंकड़ों की नहीं, बल्कि उन कहानियों की बात करते हैं जो आंकड़ों के पीछे छुपी हैं। वंचना की कहानियां, उपेक्षा की पीड़ाएं और संघर्ष की ज्वालाएं। क्या यह आवश्यक नहीं कि हम जानें, कौन-कौन से समाज अब भी अधूरे हैं? कौन-से वर्ग अब भी हाथ में पात्र लेकर अवसरों की भिक्षा मांग रहे हैं? भारत ने संविधान में वादा किया था। सबको समान अवसर मिलेगा। पर बिना यह जाने कि कौन कहां खड़ा है, यह समानता महज़ एक कविता बन जाती है सुंदर लेकिन असंभव। जाति जनगणना उसी कविता को गद्य में बदलने का पहला कदम हो सकती थी। जब तक हमें यह न पता चले कि किस जाति की कितनी जनसंख्या है, उनका आर्थिक स्तर क्या है, वे शिक्षा से कितनी दूर हैं। तब तक उनकी समस्याओं का समाधान कैसे संभव है? मान लीजिए, एक गांव में पांच जातियां हैं। एक ऊंची जाति, जो वर्षों से सब संसाधनों पर अधिकार रखती आई है, और चार वे जो छाया बनकर जीती रही हैं। यदि सबको समान रूप से योजनाएं दी जाएँ, तो क्या यह वास्तव में न्याय होगा? जाति जनगणना एक ऐसी दृष्टि प्रदान करती जिससे योजनाएं अंधेरे में तीर चलाने के बजाय सटीक निशाने पर उतरतीं। भारतीय लोकतंत्र जाति से अनभिज्ञ नहीं है। हर चुनाव, हर टिकट, हर नारा कहीं न कहीं जाति की गणित में उलझा रहता है। राजनीतिक दल जब ‘बहुजन हिताय’ की बात करते हैं, तो उनका गणना तंत्र जातियों के अनुमानों पर आधारित होता है, न कि ठोस आंकड़ों पर। अगर जाति जनगणना होती, तो इस अनुमान का स्थान ज्ञान ले लेता। कौन जातियां अभी भी प्रतिनिधित्व…

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राजनीति मोबाइल पर बजने वाला आरबीआई का संदेश बन रहा परेशानी का कारण

मोबाइल पर बजने वाला आरबीआई का संदेश बन रहा परेशानी का कारण

-संदीप सृजन भारतीय रिज़र्व बैंक देश की वित्तीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो मौद्रिक नीतियों को लागू करने, मुद्रा प्रबंधन और वित्तीय जागरूकता…

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राजनीति भारतीय इंजीनियरिंग का अनोखा, नायाब नमूना है चिनाब ब्रिज 

भारतीय इंजीनियरिंग का अनोखा, नायाब नमूना है चिनाब ब्रिज 

हाल ही में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर को चिनाब पुल का उद्घाटन करके एक बड़ी सौगात दी है। पाठकों को जानकारी…

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शख्सियत डॉ. रामअवतार किला : जिनकी हर पात में सेवा एवं संवेदना की झंकार हैं

डॉ. रामअवतार किला : जिनकी हर पात में सेवा एवं संवेदना की झंकार हैं

-ः ललित गर्ग :-आप एक सेतु बन सकते हैं, जीवन-मुस्कान का, जिन्दगी बचाने वाला एवं सेवा करने वाला पुल। हम एक साथ मिलकर जीवन को…

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आर्थिकी भारतीय अर्थव्यवस्था को भारतीय रिजर्व बैंक के दो महत्वपूर्ण तोहफे

भारतीय अर्थव्यवस्था को भारतीय रिजर्व बैंक के दो महत्वपूर्ण तोहफे

वैश्विक स्तर पर विश्व के कई देशों में आर्थिक गतिविधियों पर संकट के बादल मंडराते हुए दिखाई दे रहे हैं। अमेरिका में तो श्री डॉनल्ड…

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कविता मैंl वह बड़ा बेटा हूँ

मैंl वह बड़ा बेटा हूँ

✍️ डॉ. सत्यवान सौरभ मैं वह बड़ा बेटा हूँ,जिसने हँसकर जीवन की आग पिया है।जिसने चुपचाप लुटा अपना यौवन,और घर का भाग्य सिया है। जो…

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लेख राखीगढ़ी: भारत की स्त्री-केंद्रित सभ्यता की झलक

राखीगढ़ी: भारत की स्त्री-केंद्रित सभ्यता की झलक

इतिहास की परतों में छुपी स्त्री, संस्कृति और सभ्यता का पुनर्पाठ हरियाणा स्थित राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल है, जहाँ से मिले 4600…

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