लेख मुद्दा: वैवाहिक रिश्तों की डोर, क्यों हो रही कमजोर?

मुद्दा: वैवाहिक रिश्तों की डोर, क्यों हो रही कमजोर?

महिलाओं ने अपने पतियों को उतारा मौत के घाट, बदले हुए सामाजिक परिवेश में अब पुरुष हो रहे प्रताड़ित प्रदीप कुमार वर्मा नीला ड्रम और सीमेंट। फ्रिज में डेड बॉडी। कांटेक्ट किलिंग। जानलेवा जहर का कहर। और शादी के नाम पर साजिश और धोखा। बीते दिनों में प्यार, दोस्ती और शादी का यही स्याह सच समाज में सामने आया है। सात वचनों के जरिए सात जन्म तक साथ निभाने के वादे अब टूट रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि बीते जमाने में जहां महिला को सामाजिक तिरस्कार का शिकार होना पड़ता था। वहीं, इसके उलट अब महिलाओं के हाथों पुरुष प्रताड़ित हो रहे हैं और उनकी जान तक जा रही है। मुस्कान से लेकर सोनम की बेवफाई अब शादी के सपने देखने वाले लोगों को डरा रही है। यही वजह है कि अब समाज में इंसानी और सामाजिक रिश्तों को लेकर एक नई बहस छिढ़ गई है और यह बहस इस तौर पर भी प्रासंगिक है कि आखिर हम किस तरफ जा रहे हैं? मनोविज्ञान के जानकारों का कहना है कि सामाजिक ताने-बाने को बचाने की खातिर हमें इस समस्या का कारण और समाधान निकालना ही होगा।           साल 2025 में अपराध की दुनिया में एक अजीब सा बदलाव देखने को मिला है। अब तक की कहानी में यही बात सामने आई थी  कि किसी पति ने पत्नी को मौत के घाट उतार दिया या प्रेम संबंधों के चलते पति ने अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया लेकिन इस बार कातिल का किरदार महिलाएं निभा रही हैं, वो भी अपने पतियों के खिलाफ। प्रेम, लालच, धोखा और साजिश की जाल में फंसकर पत्नियां वो हदें पार कर रही हैं जिनके बारे में सोचकर भी रूह कांप जाती है। ऐसे मामलों में ताजा उदाहरण राजा रघुवंशी हत्याकांड का है। मप्र के इंदौर के रहने वाले राजा रघुवंशी की लाश 2 जून को मेघालय के मशहूर वेईसावडॉन्ग झरने के पास एक गहरी खाई में मिली थी। वह अपनी नई नवेली पत्नी सोनम के साथ हनीमून पर गए थे लेकिन इस सफर का अंत बेहद खौफनाक रहा। अब मेघालय पुलिस ने खुलासा किया है कि राजा की हत्या उसी की पत्नी सोनम ने अपने प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिलकर करवाई थी।                  फिलहाल सोनम सहित चार कांटेक्ट किलर सलाखों के पीछे हैं। इसी साल ऐसे ही एक अन्य मामले में 3 मार्च को मेरठ की मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर मर्चेंट नेवी में काम करने वाले सौरभ राजपूत की हत्या कर दी। सौरभ राजपूत अपनी पत्नी मुस्कान रस्तोगी और 5 साल की बेटी के साथ मेरठ के ब्रह्मपुरी थाना के इंदिरा नगर में रहता था। अपनी नौकरी के सिलसिले में लंदन में पोस्टिंग पर सौरभ कुछ दिन पहले ही सौरभ लंदन से मेरठ अपने घर आया था। इस दौरान मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर  सौरभ की हत्या कर उसके शव को कई टुकड़ों में काटा और अपना गुनाह छिपाने के लिए सौरभ के शव के टुकड़ों को नीले ड्रम में सीमेंट के साथ बंद कर दिया। मुस्कान की साजिश और सनकीपन यहीं समाप्त नहीं हुआ और इस गुनाह के बाद मुस्कान और उसका प्रेमी साहिल छुट्टियों पर घूमने चले गए। पति के हत्या करने वाली मुस्कान जब अपने प्रेमी साहिल के साथ वापस लौटी, तब यह मामला खुला। यह अलग बात है कि आज दोनों आरोपी जेल में बंद हैं।          उप्र के मेरठ में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया जिसमे रविता ने अपने प्रेमी अमरदीप के साथ मिलकर अपने पति अमित कुमार की गला घोंटकर हत्या कर दी और शव के पास सांप रख दिया ताकि यह हादसा लगे लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सच्चाई सामने ला दी। ऐसे ही एक मामले में रेलवे में काम करने वाले दीपक कुमार की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। उसकी पत्नी शिवानी ने दावा किया कि उसे हार्ट अटैक आया था लेकिन दीपक के परिवार ने पोस्टमार्टम की मांग की। जब जांच हुई तो पता चला कि दीपक की हत्या की गई थी और उसकी पत्नी ही आरोपी निकली। महिलाओं के अपराध की दुनिया में कदम रखने तथा अपने ही पति को अपने रास्ते का कांटा समझ उनकी हत्या करने का यह कोई अकेला मामला नहीं है। ऐसे कई और भी मामले हैं जिनमें महिलाओं ने अपने मर्यादा की सारी हद पर कर अपने पति को मौत की नींद सुला दिया।     …

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मनोरंजन ‘सेक्रेड गेम्स’ से मशहूर हुई एक्‍ट्रेस राजश्री देशपांडे

‘सेक्रेड गेम्स’ से मशहूर हुई एक्‍ट्रेस राजश्री देशपांडे

सुभाष शिरढोनकर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक कृषक मजदूर परिवार में पैदा हुई एक्‍ट्रेस राजश्री देशपांडे तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। उनका बचपन औरंगाबाद…

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आर्थिकी भारत में लगातार घटती गरीबी एवं बढ़ती धनाडयों की संख्या

भारत में लगातार घटती गरीबी एवं बढ़ती धनाडयों की संख्या

वैश्विक स्तर पर वित्तीय संस्थान अब यह स्पष्ट रूप से मानने लगे हैं कि विश्व में भारत की आर्थिक ताकत बहुत तेजी से बढ़ रही…

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राजनीति मोदी मैजिक के 11 वर्ष

मोदी मैजिक के 11 वर्ष

प्रोफेसर मनोज कुमारसाल 2014 के पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि देश की सत्ता में गैर-कांग्रेसी दल लगातार तीन बार सत्ता में…

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लेख स्मोकिंग और सांसें – ये रिश्ता क्या कहलाता है

स्मोकिंग और सांसें – ये रिश्ता क्या कहलाता है

                                 – भाषणा बंसल गुप्ता हमें जिंदा रहने के लिए क्या चाहिए? आप शायद इस सवाल पर हंस रहे होंगे कि कितना बचकाना सवाल है। बच्चा-बच्चा…

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आर्थिकी भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के तरीके

भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के तरीके

शिवानन्द मिश्रा भारत जापान को पछाड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।स्टॉक मार्केट रॉकेट बनकर उड़ रहा है। खबर सुकून वाली है लेकिन बस एक…

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राजनीति राजस्थान लोक सेवा आयोग की बिगड़ी छवि को पुनः बहाल करेंगे यूआर साहू !

राजस्थान लोक सेवा आयोग की बिगड़ी छवि को पुनः बहाल करेंगे यूआर साहू !

 रामस्वरूप रावतसरे   राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने राज्य सरकार की सिफारिश पर आईपीएस उत्कल रंजन साहू (यूआर साहू) को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष…

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कला-संस्कृति इंस्टाग्राम संस्कृति में तीर्थयात्रा बनाम पर्यटन 

इंस्टाग्राम संस्कृति में तीर्थयात्रा बनाम पर्यटन 

सचिन त्रिपाठी  आज की दुनिया में जहां हर क्षण एक स्टोरी है, हर भाव एक फिल्टर में ढलता है, वहां तीर्थयात्रा और पर्यटन के बीच…

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राजनीति भारत: आत्म बल से आगे बढ़ता राष्ट्र

भारत: आत्म बल से आगे बढ़ता राष्ट्र

प्रो. महेश चंद गुप्ता भारत ने हाल ही में जिस ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, वह केवल एक सैन्य ऑपरेशन नहीं बल्कि उसकी…

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राजनीति भारत और इस्लामिक देश

भारत और इस्लामिक देश

शिवानन्द मिश्रा इस्लामिक देशों से भारत की दोस्ती कितनी गहरी और कितनी सांस्कृतिक है, मलेशिया की घटना से समझ लीजिए। यूँ तो सभी जानते हैं…

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राजनीति शिमला समझौता : सवालों के घेरे में पाकिस्तान की मंशा

शिमला समझौता : सवालों के घेरे में पाकिस्तान की मंशा

डॉ. ब्रजेश कुमार मिश्र पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में 1972 के शिमला समझौते को “मृत दस्तावेज़” करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान…

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शख्सियत संत कबीर : विश्व शांति का मूल है कबीर का “एकेश्वरवाद”

संत कबीर : विश्व शांति का मूल है कबीर का “एकेश्वरवाद”

संत कबीर दास जी की जयंती 11 जून पर विशेष… दुनिया में धार्मिक कट्टरता के लिए नहीं है कोई स्थान, देश के सभी धर्म और संप्रदाय हैं एक समान प्रदीप कुमार वर्मा संत कबीर दास15 वीं सदी के मध्यकालीन भारत के एक रहस्यवादी कवि और भक्ति आंदोलन की निर्गुण शाखा के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे, जो ईश्वर के प्रति भक्ति और प्रेम पर जोर देते थे। संत कबीर दास को एक ऐसे समाज सुधारक के तौर पर भी जाना जाता है, जो अपनी रचनाओं के जरिए जीवन भर आडंबर और अंधविश्वास का विरोध करते रहा।वह कर्म प्रधान समाज के पैरोकार थे और इसकी झलक उनकी रचनाओं में साफ़ झलकती है। यही वजह है कि समाज में संत कबीर को जागरण युग का अग्रदूत कहा जाता है। उनकी रचनाएँ हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण शाखा की ज्ञानमार्गी उपशाखा की महानतम कविताओं के  रूप में आज भी प्रसिद्ध हैं। इन कविता और साखियों के माध्यम से पता चलता है कि संत कबीर दास जी का एकेश्वरवाद का सिद्धांत दुनिया में आज भी प्रासंगिक है।               माना जाता है कि संत कबीर का जन्‍म सन 1398 ईस्वी में काशी में हुआ था। कबीर दास निरक्षर थे तथा ऐसी मान्यता है कि उन्‍हें शास्त्रों का ज्ञान अपने गुरु स्‍वामी रामानंद द्वारा प्राप्‍‍त हुआ था। तत्कालीन भारतीय समाज में कबीर दास ने कर्मकांड और गलत धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों में भक्ति भाव का बीज बोया। इन्होंने सामाजिक व्यवस्था में व्याप्त भेद भाव को दूर करने का भी प्रयास किया। वे सच्चे अर्थों में धर्मनिरपेक्ष थे। उन्होंने हिंदू मुसलमानों के बाह्याडंबरों पर समान रूप से प्रहार किया | यदि उन्होंने हिंदुओं से कहा कि-पत्थर पूजै हरि मिलै, तो मैं पूजूँ पहाड़,,तासे तो चक्की भली, पीस खाए संसार ||” तो मुसलमानों से भी यह कहने में संकोच नहीं किया कि ” कंकड़ पत्थर जोड़ि के, मस्जिद लियो बनाय,,ता पर मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय”?             संत कबीर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सच्ची पूजा दिल से होती है, बाहरी कर्मकांडों की तुलना में ईश्वर के साथ सच्चे संबंध को प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने यह भी सिखाया कि हृदय की पवित्रता और ईश्वर के प्रति प्रेम ही सर्वोपरि है। यजी नहीं संत कबीर ने खुलेआम खोखले कर्मकांडों और अंधविश्वासों की निंदा की और लोगों से सच्ची भक्ति की तलाश करने का आग्रह किया। उनका मानना था कि सच्ची आस्था से रहित कर्मकांडों का कोई मतलब नहीं होता है। उन्होंने तत्कालीन समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था और सामाजिक असमानताओं को खारिज किया। संत कबीर ने जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना सभी मनुष्यों के बीच समानता की वकालत की। उनके छंदों ने लोगों के बीच सद्भाव की वकालत करते हुए एकता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया               कबीरदास निर्गुण भक्ति के उपासक थे। उन्होंने न तो हिंदू धर्म की मूर्तिपूजा को स्वीकार किया, न ही इस्लाम की कट्टरता को। वे एकेश्वरवाद में विश्वास रखते थे और मानते थे कि ईश्वर एक है तथा सर्वत्र व्याप्त है। उनके अनुसार, आत्मा और परमात्मा के बीच का संबंध प्रेम और भक्ति पर आधारित होना चाहिए। कबीर दास पहले भारतीय कवि और संत हैं जिन्होंने हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म के बीच समन्वय स्थापित किया और दोनों धर्मों के लिए एक सार्वभौमिक मार्ग दिया। उसके बाद हिंदू और मुसलमान दोनों ने मिलकर उनके दर्शन का अनुसरण किया,जो कालांतर में “कबीर पंथ” के नाम से चर्चित हुआ। कहा तो यह भी जाता है की कबीरदास द्वारा काव्यों को कभी भी लिखा नहीं गया, सिर्फ बोला गया है। उनके काव्यों को बाद में उनके शिष्‍यों द्वारा लिखा गया।  कबीर की रचनाओं में मुख्‍यत: अवधी एवं साधुक्‍कड़ी भाषा का समावेश मिलता है।   …

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