समाज “हमारे निमित्त से होने वाला वायु प्रदुषण हमारे परजन्म के सुखों में बाधक होंगे” November 19, 2018 / November 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य जीवन में यदि किसी भौतिक वस्तु का सबसे अधिक महत्व है तो वह वायु है। वायु हमारे जीवन का प्रमुख आधार है। हम श्वास-प्रश्वास में वायु का ही सेवन करते हैं। हमें श्वास लेने में शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है और जब हम श्वास छोड़ते हैं तो अशुद्ध वायु या […] Read more » “हमारे निमित्त से होने वाला वायु प्रदुषण हमारे परजन्म के सुखों में बाधक होंगे” अण्डों अर्जुन आकृति कृष्ण जी दांतों की बनावट धूम्रपान भीष्म पितामह मधुमेह मानवीय बुद्धि मांसाहार हृदय
राजनीति सियासी जनादेश का हिस्सा है नाम बदलना November 12, 2018 / November 12, 2018 by अनिल अनूप | 1 Comment on सियासी जनादेश का हिस्सा है नाम बदलना अनिल अनूप शहरों, सड़कों, चौराहों, स्टेडियम और संस्थानों के नाम बदलना कोई राजनीतिक अपराध नहीं है। विभिन्न सरकारें केंद्र और राज्यों में अपनी राजनीतिक सुविधा के मुताबिक नाम बदलती रही हैं। उनकी एक लंबी फेहरिस्त है, जिसके मद्देनजर कांग्रेस पर सबसे ज्यादा सवाल हैं, क्योंकि 60 साल से अधिक उसी ने देश पर शासन किया […] Read more » अग्रवन’ अर्जुन अलीगढ़ को ‘हरिगढ़’ आजमगढ़ को ‘आर्यमगढ़’ और देवबंद को ‘देववृंद’ ईसाई कर्ण जैन बौद्ध मुजफ्फरनगर को ‘लक्ष्मीनगर’ मुस्लिम राम लक्ष्मण लखनऊ को ‘लक्ष्मणपुर’ शिवाजी संभाजी सिख सियासी जनादेश का हिस्सा है नाम बदलना हिंदू
धर्म-अध्यात्म ‘श्री कृष्ण द्वारा रणभूमि में अर्जुन को दिये उपदेशों के यथार्थ विषय’ August 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महाभारत युद्ध से पूर्व अर्जुन को युद्ध के विषय में भ्रम व विषाद हो गया था। उन्होंने श्री कृष्ण को रथ को रण भूमि में दोनों सेनाओं के मध्य में ले जाने और अपने शत्रुओं को देखने की इच्छा व्यक्त की थी। वहां अपने मित्र व शत्रुओं को देखकर व युद्ध के […] Read more » Featured अर्जुन ऋषि वेदव्यास महाभारत श्री कृष्ण स्त्रियों स्वामी विद्यानन्द सरस्वती
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज April 18, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गीता का कर्मयोग और आज राकेश कुमार आर्य  गीता का अठारहवां अध्याय अधर्म को धर्म समझ लेना घोर अज्ञानता का प्रतीक है। मध्यकाल में बड़े-बड़े राजा महाराजाओं ने और सुल्तानों ने अधर्म को धर्म समझकर महान नरसंहारों को अंजाम दिया। ये ऐसे नरसंहार थे -जिनसे मानवता सिहर उठी थी। वास्तव में ये कार्य तामसी […] Read more » Featured अर्जुन इन्द्रियां प्राण भय मनुष्य निद्रा मनुष्य मन विषाद शोक श्रीकृष्णजी
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-91 April 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का अठारहवां अध्याय योगीराज श्रीकृष्णजी अर्जुन को बताते हैं कि किसी भी देहधारी के लिए कर्मों का पूर्ण त्याग सम्भव नहीं है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई व्यक्ति कर्मों का पूर्ण त्याग कर दे। कर्म तो लगा रहता है, चलता रहता है। गीता की एक ही शर्त […] Read more » Featured अर्जुन आध्यात्मिक गीता युद्ध श्रीकृष्णजी संसार
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-92 April 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का अठारहवां अध्याय अंग्रेजों के कानून ने किसी ‘डायर’ को फांसी न देकर और हर किसी ‘भगतसिंह’ को फांसी देकर मानवता के विरुद्ध अपराध किया। यह न्याय नहीं अन्याय था। यद्यपि अंग्रेज अपने आपको न्यायप्रिय जाति सिद्घ करने का एड़ी चोटी का प्रयास आज भी करते हैं। इसके विपरीत गीता दुष्ट […] Read more » Featured अंग्रेजों अर्जुन कानून कृष्ण गीता परमपिता परमात्मा भगत सिंह
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-90 April 13, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का अठारहवां अध्याय अठारहवें अध्याय में गीता समाप्त हो जाती है। इसे एक प्रकार से ‘गीता’ का उपसंहार कहा जा सकता है। जिन-जिन गूढ़ बातों पर या ज्ञान की गहरी बातों पर पूर्व अध्याय में प्रकाश डाला गया है, उन सबका निचोड़ इस अध्याय में दिया गया है। […] Read more » Featured अठारहवें अध्याय अर्जुन गीता गृहस्थियों धर्मग्रंथों महाभारत ब्रह्मचारियों वानप्रस्थियों श्रीकृष्णजी समन्वयात्मक दृष्टि
धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-87 April 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सत्रहवां अध्याय श्रीकृष्ण जी कह रहे हैं कि संसार में कई लोग ऐसे भी होते हैं जो कि दम्भी और अहंकारी होते हैं। ऐसे लोग अन्धश्रद्घा वाले होते हैं और शारीरिक कष्ट उठाने को ही मान लेते हैं कि इसी प्रकार भगवान की प्राप्ति हो जाएगी। यद्यपि ऐसे […] Read more » Featured अर्जुन ऐषणाओं यज्ञ वैभव-ऐश्वर्य शरीर श्रीकृष्णजी
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-२४ (महाभारत पर आधारित अपन्यास) September 4, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (सुभद्रा के साथ अर्जुन का इन्द्रप्रस्थ में पुनरागमन) विपिन किशोर सिन्हा बलराम हतप्रभ रह गए। वे इस प्रस्ताव के लिए प्रस्तुत न थे। राजक्रोध पर नियंत्रण नहीं करते तो सुभद्रा के साथ कृष्ण से भी हाथ धोना पड़ता। शीघ्र ही निर्णय लिया गया – सुभद्रा सहित मुझे द्वारिका ससम्मान लौटा लिवाने का। योजनानुसार मैं रथ […] Read more » Kaho Kauntey अर्जुन कहो कौन्तेय सुभद्रा