धर्म-अध्यात्म “संसार की आदि भाषा संस्कृत कैसे अस्तित्व में आई” November 5, 2018 / November 5, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में अनेक भाषायें हैं। सबका अपना अपना इतिहास है। कोई भाषा अपनी पूर्ववर्ती किसी भाषा का विकार है व वह उसमें सुधार होकर बनी है तो कोई भाषा अनेक भाषाओं से शब्दों को लेकर व अन्य अनेक भौगोलिक आदि कारणों से अस्तित्व में आईं हैं। संस्कृत भाषा की बात करें तो […] Read more » “संसार की आदि भाषा संस्कृत कैसे अस्तित्व में आई” आदित्य व अंगिरा ऋग्वेद ऋषियों अग्नि यजुर्वेद वायु सामवेद तथा अथर्ववेद
समाज अपने मौलिक नाम से जाने जाना गौरव का विषय है विवाद का नहीं October 20, 2018 / October 20, 2018 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment डॉ. नीलम महेंद्रा बरसों पहले अंग्रेजी के मशहूर लेखक शेक्सपियर ने कहा था, व्हाट इस इन द नेम? यानी नाम में क्या रखा है? अगर गुलाब का नाम गुलाब न होकर कुछ और होता, तो क्या उसकी खूबसूरती और सुगंध कुछ और होती? आज एक बार फिर यह प्रश्न प्रासंगिक हो गया है कि क्या नाम महत्वपूर्ण होते हैं? लेकिन इस पूरे […] Read more » उमापति नीलकंठ मत्स्यपुराण शम्भू अकबर इलाहाबाद ऋग्वेद प्रयागराज महाभारत रामायण शंकर
धर्म-अध्यात्म “वेदों का यथार्थ ज्ञान वेदांगों के अध्ययन से ही सम्भव” August 18, 2018 / August 18, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, वेद ईश्वरीय ज्ञान है और सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। सभी विद्याओं का विस्तार वेदों के आधार व ज्ञान से ही सम्भव हो सका है। वेद सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा से उत्पन्न हुए। परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि की थी। इस अमैथुनी सृष्टि में सभी स्त्री व […] Read more » Featured अग्नि अध्ययन से ही सम्भव आदित्य ऋग्वेद ऋषि दयानन्द ब्रह्मा यजुर्वेद वायु वेदों का यथार्थ ज्ञान शिक्षक सामवेद और अथर्ववेद स्वामी दयानन्द स्वामी विरजानन्द जी
धर्म-अध्यात्म “लघु-ग्रन्थ भ्रान्ति-निवारण में विद्यमान उपयोगी कुछ ऋषि-वचन” August 14, 2018 / August 14, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द ने एक लघु-ग्रन्थ ‘भ्रान्ति–निवारण’ लिखा है। यह लघु-ग्रन्थ ऋषि दयानन्द ने पंडित महेशचन्द्र न्यायरत्न, कलकत्ता की पुस्तक ‘वेदभाष्यपरत्व प्रश्न–पुस्तक’ के खण्डन में लिखा था। ऋषि की इस लघु पुस्तक में अनेक महत्वपूर्ण वचन आये हैं जो वैदिक सिद्धान्तों के पोषक एवं उनकी सरल व्याख्या होने सहित तथ्यपूर्ण भी हैं। हमने […] Read more » “लघु-ग्रन्थ भ्रान्ति Featured अग्नि’ ईश्वर ऋग्वेद ऋषि दयानन्द ऋषि मुनियों द्रव्यों का वायु विष्णु
धर्म-अध्यात्म “वैदिक धर्म का समग्रता से ज्ञान व प्रचार गुरुकुलीय शिक्षा से ही सम्भव” June 27, 2018 / June 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, गुरुकुल एक लोकप्रिय शब्द है। यह वैदिक शिक्षा पद्धति का द्योतक शब्द है। वैदिक धर्म व संस्कृति का आधार ग्रन्थ वेद है। वेद चार हैं जिनके नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं। यह चार वेद सृष्टि के आरम्भ में सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, अनादि, अनन्त, न्यायकारी, सृष्टिकर्ता और जीवों के […] Read more » “वैदिक धर्म का समग्रता से ज्ञान व प्रचार गुरुकुलीय Featured अनन्त अनादि ऋग्वेद निराकार न्यायकारी यजुर्वेद शिक्षा से ही सम्भव” सच्चिदानन्दस्वरूप सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सामवेद सृष्टिकर्ता
धर्म-अध्यात्म “वेदों का आविर्भाव कब, कैसे व क्यों हुआ?” May 8, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment “वेदों का आविर्भाव कब, कैसे व क्यों हुआ?” -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। संसार में जितने भी पदार्थ है उनकी उत्पत्ति होती है और उत्पत्ति में कुछ मूल कारण व पदार्थ होते हैं जो अनुत्पन्न वा नित्य होते हैं। इन मूल पदार्थों की उत्पत्ति नहीं होती, वह सदा से विद्यमान रहते हैं। उदाहरण के लिए […] Read more » Featured अथर्ववेद ईश्वर ऋग्वेद ऋषि दयानन्द बुद्धि मन यजुर्वेद वेदों सामवेद
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-57 October 22, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य ऋग्वेद (10/85/47) ने पति-पत्नी को जल के समान मिलने की बात तो कही ही है, साथ ही इनके मिलन को और भी अधिक सुंदर और उपयोगी बनाते हुए एक उपदेश और दिया है। जिसमें ‘सं मातरिश्वा’ की बात कही गयी है। इसका अभिप्राय है कि तुम दोनों परस्पर मिलकर ऐसे रहो जैसे […] Read more » Featured India India as world leader world leader ऋग्वेद भारत विश्वगुरू
धर्म-अध्यात्म ऋग्वेद के आठवें मण्डल का संस्कृत-हिन्दी भाष्य वा भाषानुवाद विषयक जानकारी August 10, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द ने अपने जीवन में वेद प्रचार को सबसे अधिक महत्व दिया। सभी मत व सम्प्रदायों के बीच यदि भविष्य में कभी एकता हो सकती है तो केवल वेद के आधार पर ही हो सकती है। वेद ज्ञान की उपस्थिति में किसी इतर मत की आवश्यकता ही नहीं रह जाती क्योंकि […] Read more » ऋग्वेद
धर्म-अध्यात्म विविधा ‘पत्नी घर का खजाना और पतिकुल की रक्षिका है’ April 25, 2015 / April 25, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on ‘पत्नी घर का खजाना और पतिकुल की रक्षिका है’ –मनमोहन कुमार आर्य- वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है और वेदों को स्वयं पढ़ना व दूसरों को पढ़ाना सब श्रेष्ठ मनुष्यों का परम धर्म है। यह घोषणा महाभारत काल के बाद वेदों के अपूर्व विद्वान महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सप्रमाण की है। वेदों का अध्ययन करने पर इसमें सर्वत्र जीवनोपयगी बहुमूल्य ज्ञान व प्रेरक […] Read more » Featured अथर्ववेद ऋग्वेद पत्नी घर का खजाना और पतिकुल की रक्षिका है यजुर्वेद वेद
ज्योतिष सूर्य उपासना/आराधना का महत्व November 6, 2011 / December 5, 2011 by पंडित दयानंद शास्त्री | 4 Comments on सूर्य उपासना/आराधना का महत्व पंडित दयानन्द शास्त्री (कब और कैसे करें सूर्य पूजा..???) वैदिक युग से भगवान सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता हैं। ऋग्वेद में सूर्य को स्थावर जंगम की आत्मा कहा जाता हैं। सूर्यात्मा जगत स्तस्थुषश्च ऋग्वेद 1/115 वैदिक युग से अब तक सूर्य को जीवन स्वास्थ्य एवं शक्ति के देवता के रूप में मान्यता हैं। छान्दोग्य […] Read more » आराधना का महत्व ऋग्वेद वैदिक युग सूर्य उपासना
धर्म-अध्यात्म ऋग्वेद प्राचीन भारतीय समाज का गीत दर्पण October 18, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment – हृदयनारायण दीक्षित सभी जीवधारी शरीर और प्राण का संयोग हैं। लेकिन मनुष्य विशिष्ट है। मनुष्य जिज्ञासु है। बाकी प्राणी शारीरिक जरूरतों में सीमित हैं। जिज्ञासा की प्यास मनुष्य को प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है। जिज्ञासा जानकारी की इच्छा है। दुनिया के सभी भूखंडों के मनुष्य में जिज्ञासा थी लेकिन इसका प्रामाणिक इतिहास नहीं मिलता। […] Read more » Indian ऋग्वेद