साहित्य कहो कौन्तेय-३६ October 1, 2011 / October 1, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (अर्जुन का निवातकवच दानवों से युद्ध) विपिन किशोर सिन्हा मैंने उनकी आज्ञा शिरिधार्य की। मातलि दिव्य रथ के साथ उपस्थित हुआ। स्वयं देवराज ने मेरे मस्तक पर अत्यन्त प्रकाशमय मुकुट पहनाया, एक अभेद्य और सुन्दर कवच से मेरा वक्षस्थल आच्छादित किया, मेरे गांडीव पर अटूट प्रत्यंचा चढ़ाई, मुझे विजयी होने का आशिर्वाद दिया और प्रसन्न […] Read more » Draupadi Krishna अर्जुन का निवातकवच दानवों से युद्ध कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-३५ October 1, 2011 / October 1, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (अर्जुन की सदेह स्वर्ग-यात्रा) विपिन किशोर सिन्हा – क्या खोया की गणना कर ही रहा था कि देवराज के रथ की घरघराहट सुनाई पड़ी। जैसे-जैसे रथ समीपआंखें बंद करके, दुर्दिनों में क्या पाया आ रहा था, भीषण ध्वनि से दिशाएं प्रतिध्वनित हो रही थीं। कुछ ही पल में रथ मेरे सामने था। सारथि मातलि ने […] Read more » Draupadi Krishna अर्जुन की सदेह स्वर्ग-यात्रा कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-३४ (महाभारत पर आधारित उपन्यास अंश) October 1, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (अर्जुन को दिव्यास्त्रों की प्राप्ति) विपिन किशोर सिन्हा हिमालय और गंधमादन पर्वत को लांघते हुए अति शीघ्र मैं इन्द्रकील पर्वत पर पहुंचा। मुझे देवराज इन्द्र का साक्षात्कार हुआ। उनके परामर्श पर मैंने तपस्या आरंभ की – देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने हेतु। मैंने घोर तपस्या की। अन्ततः भगवान शंकर प्रसन्न हुए। उन्होंने आशीर्वाद के रूप […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-२९ (महाभारत पर आधारित उपन्यास-अंश) September 17, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (हस्तिनापुर की द्यूत-सभा) विपिन किशोर सिन्हा भीम शत्रुओं के जाल में फंसते दीख रहे थे। हम पांचो भ्राताओं की चट्टानी एकता में एक छोटी सी दरार ही तो देखना चाहते थे कौरव। चार उंगलियां कभी मुष्टिका का निर्माण नहीं कर सकतीं। मुष्टिका के बिना शत्रु पर प्रहार असंभव होता है। सिर्फ उंगली उठाने से शत्रु […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय हस्तिनापुर की द्यूत-सभा
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-२८ (महाभारत पर आधारित उपन्यास-अंश) September 17, 2011 / December 6, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment (हस्तिनापुर की द्यूत-सभा) विपिन किशोर सिन्हा “भीम, लौट आओ, मुझे लज्जित न करो। तुम्हें मेरी शपथ, लौट आओ।” युधिष्ठिर ने तेज स्वरों में बार-बार भीम को लौट आने का आदेश दिया। भैया भीम कठपुतली की भांति युधिष्ठिर के पांव के अंगूठे पर दृष्टिपात करते हुए अपने स्थान पर लौट आए। हम चारो भ्राताओं की जीवन-डोर […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय हस्तिनापुर की द्यूत-सभा
साहित्य कहो कौन्तेय-२७ September 16, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (हस्तिनापुर की द्यूत-सभा) स्मरण है मुझे महाभारत युद्ध का प्रथम दिवस – दोनों सेनाओं के मध्य में खड़ा हुआ जब मैं मोहग्रस्त हुआ था तो श्रीकृष्ण ने मुझे ’नपुंसक’ कहकर संबोधित किया था। उनके इस सम्बोधन का प्रतिकार मुझे करना चाहिए था – आर्यावर्त के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर को उसी का सारथि नपुंसक […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-२५ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) September 12, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (खाण्डववन-दाह) विपिन किशोर सिन्हा खाण्डववन दाह! संरक्षक देवराज इन्द्र की सत्ता को सीधे चुनौती देने का यह कार्य था। स्वीकार करना सरल था, पूरा करना अत्यन्त कठिन। इन्द्र के वज्र का प्रत्युत्तर मेरे पास नहीं था। श्रीकृष्ण कुछ कर सकते थे। उन्होंने गोकुल में गोवर्धन पर्वत को तर्जनी पर धारण कर इन्द्र का दर्प चूर्ण […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय खाण्डववन-दाह
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-२४ (महाभारत पर आधारित अपन्यास) September 4, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (सुभद्रा के साथ अर्जुन का इन्द्रप्रस्थ में पुनरागमन) विपिन किशोर सिन्हा बलराम हतप्रभ रह गए। वे इस प्रस्ताव के लिए प्रस्तुत न थे। राजक्रोध पर नियंत्रण नहीं करते तो सुभद्रा के साथ कृष्ण से भी हाथ धोना पड़ता। शीघ्र ही निर्णय लिया गया – सुभद्रा सहित मुझे द्वारिका ससम्मान लौटा लिवाने का। योजनानुसार मैं रथ […] Read more » Kaho Kauntey अर्जुन कहो कौन्तेय सुभद्रा
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय (महाभारत पर आधारित उपन्यास) September 3, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (सुभद्रा-हरण) विपिन किशोर सिन्हा मेरे वनवास का अन्तिम चरण प्रारंभ हो चुका था। मैं हृदय से चाहता था कि यह चरण समाप्त ही न हो। इतने लंबे समय तक श्रीकृष्ण का सत्संग! मैं अभिभूत था। मैं भूल गया था कि मुझे इन्द्रप्रस्थ वापस भी लौटना है। श्रीकृष्ण मेरे ज्ञानवर्द्धन और मनोरंजन की ऐसी व्यवस्था करते […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय सुभद्रा-हरण
साहित्य कहो कौन्तेय-२२ August 29, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (व्रत भंग और अर्जुन का वन गमन) खाण्डवप्रस्थ के रूप में हमें हस्तिनापुर राज्य का आधा भाग प्राप्त हुआ जिसमें पठारों और अनुर्वर भूमि की बहुलता थी। श्रीकृष्ण के निर्देश पर हमने इसे स्वीकार किया। एक शुभ मुहूर्त्त में महर्षि व्यास ने स्वयं धरती नाप कर शास्त्रविधि से भूमिपूजन संपन्न कराया। श्रीकृष्ण […] Read more » Draupadi Krishna कहो कौन्तेय व्रत भंग और अर्जुन का वन गमन
प्रवक्ता न्यूज़ कहो कौन्तेय-२१ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) August 28, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (पाण्डवों का हस्तिनापुर में प्रत्यागमन) विपिन किशोर सिन्हा हस्तिनापुर नगर के प्रवेश द्वार पर आचार्य द्रोण और कृपाचार्य हमलोगों के स्वागत के लिए स्वयं उपस्थित थे। उनके पीछे दुर्योधन, दुशासन, विकर्ण, चित्रसेन इत्यादि समस्त कौरव भी मुस्कुराते हुए, हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे। मुझे आश्चर्यमिश्रित हर्ष हुआ। दोनो गुरुवर के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-२० August 26, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (पाण्डवों का हस्तिनापुर में प्रत्यागमन) कांपिल्यनगर में कृष्णा का स्वयंवर समारोह समाप्त हो गया, विवाह समारोह भी संपन्न हो चुका था किन्तु श्रीकृष्ण द्वारिका जाने का नाम नहीं ले रहे थे। वे हमारे सान्निध्य में एक लंबी अवधि तक महाराज द्रुपद के राजकीय अतिथि के रूप में कांपिल्यनगर में रहे। मेरे जीवन […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय