राजनीति धर्मनिरपेक्षता के कारण भी बढता पर्यावरण-प्रदूषण ! June 25, 2019 / June 25, 2019 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment मनोज ज्वाला स्वातंत्र्योत्तर भारत की समस्त समस्याओं के मूल में यहां कीवर्तमान प्रदूषित राजनीति है और इस राजनीतिक प्रदूषण का एक बडा कारणधर्मनिरपेक्षता है । धर्म के प्रति निरपेक्ष और मजहब के प्रति […] Read more » environmental pollution due to secularism! environmental pollution secularism! Increasing environmental pollution due to secularism! धर्मनिरपेक्षता पर्यावरण प्रदूषण
शख्सियत समाज डॉ आंबेडकर और उनका वैज्ञानिक चिंतन April 13, 2018 by संजीव खुदशाह | Leave a Comment आंबेडकर जयंती पर विशेष संजीव खुदशाह अक्सर डॉ आंबेडकर को केवल दलितों का नेता कहकर संबोधित किया जाता है। ऐसा संबोधित किया जाना दरअसल उनके साथ ज्यादती किया जाने जैसा है। ऐसा कहते समय हम भूल जाते हैं कि उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की थी। हम भूल जाते हैं कि उन्होंने हीराकुंड जैसा विशाल बांध का निर्माण समेत दामोदर घाटी परियोजना और सोन नदी परियोजना जैसे […] Read more » Featured अंबेडकर धर्मनिरपेक्षता पिछड़ी वंचित जातियों भारतीय महिलाओं राजनीतिक प्रजातंत्र समाजिक लोकतंत्र
समाज राष्ट्रीय चुनौतियों के मूल में बौद्धिक कारण September 20, 2017 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment साहित्य से ही निवारण मनोज ज्वाला आज अपने देश में जितनी भी तरह की समस्यायें और चुनैतियां विद्यमान हैं, उन सबका मूल कारण वस्तुतः बौद्धिक संभ्रम है , जो या तो अज्ञानतावश कायम है या अंग्रेजी मैकाले शिक्षा-पद्धति से निर्मित औपनिवेशिक सोच का परिणाम है अथवा वैश्विक महाशक्तियों के भारत-विरोधी साम्राज्यवादी षड्यंत्र का अंजाम । […] Read more » Featured धर्मनिरपेक्षता पुरातन संस्कृति बौद्धिक कारण राष्ट्रीय अस्मिता साम्प्रदायिकता
विविधा गांधीवाद की परिकल्पना-7 April 21, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment नैतिक मूल्यों के आधार बनाकर भी गांधीवाद का एक धूमिल चित्र भारत में गांधीवादियों ने खींचने का प्रयास किया है। गांधीजी भारतीय राजनीति को धर्महीन बना गये। वह उसे संप्रदाय निरपेक्ष नहीं बना सके, अपितु उसे इतना अपवित्र करन् दिया है कि वह सम्प्रदायों के हितों की संरक्षिका सी बन गयी जान पड़ती है। इससे भारतीय राजनीति पक्षपाती बन गयी। जहां पक्षपात हो वहां नैतिक मूल्य ढूंढऩा 'चील के घोंसले में मांस ढूढऩे के बराबर' होता है। नैतिक मूल्य, नीति पर आधारित होते हैं नीति दो अक्षरों से बनी है-नी+ति। जिसका अर्थ है एक निश्चित व्यवस्था। नीति निश्चित व्यवस्था की संवाहिका है, ध्वजवाहिका है और प्रचारिका है। Read more » Featured Gandhiwad gandhiwad ki parikalpana गाँधीजी गाँधीवाद गांधीवाद की परिकल्पना धर्मनिरपेक्षता
विविधा भगवा योगी की जय ! अर्थात, सफेद-आतंकियों की पराजय March 20, 2017 by मनोज ज्वाला | 6 Comments on भगवा योगी की जय ! अर्थात, सफेद-आतंकियों की पराजय खुद ‘सफेद आतंक’ बरपाते रहे इन समाजवादियों-कांग्रेसियों द्वारा मुस्लिम-वोटबैंक पर अपनी पकड बनाये रखने के लिए साम्प्रदायिक तुष्टिकरण-आधारित विभेदकारी शासन से बहुसंख्यक समाज में उत्त्पन्न असंतोष-अक्रोश ने योगी आदित्यनाथ के हिन्दूत्ववादी तेवर को धार देने और पूरे प्रदेश में उसे चमकाने का काम किया । Read more » Featured धर्मनिरपेक्षता भगवा आतंक भगवा योगी मुस्लिम-तुष्टिकरणवादी सफेद-आतंकियों की पराजय
राजनीति विधि-कानून संविधान में अपरिभाषित है धर्मनिरपेक्षता April 5, 2016 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on संविधान में अपरिभाषित है धर्मनिरपेक्षता प्रमोद भार्गव भारतीय समाज के बहुलतावादी धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्वरूप को ध्यान में रखकर संविधान में धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की नींव रखी गई थी, लेकिन उसमें अलग-अलग पहचानों को मिटाकर सबको एकरूप करने का उल्लेख नहीं है। हालांकि न्यायपालिका ने इस बारे में स्थिति साफ कि है, बावजूद उसके फैसले की भिन्न-भिन्न तरह से […] Read more » Featured secularism is undefined in constitution अपरिभाषित धर्मनिरपेक्षता संविधान
जन-जागरण धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद भारतीय अस्मिता के प्राण तत्व January 31, 2015 by श्रीराम तिवारी | 2 Comments on धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद भारतीय अस्मिता के प्राण तत्व जिस तरह ‘सत्यमेव जयते ‘ या जयहिंद पर वहस की कोई गुंजाइस नहीं उसी तरह धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद भी भारतीय अस्मिता के प्राण तत्व हैं। आज विश्व शोक दिवस है ! आज ही के दिन मानवता के महान सपूत मोहनदास करम चंद गांधी की निरशंस -जघन्य हत्या हुई थे थी। नाथूराम गोडसे तो निमित्त मात्र था। […] Read more » धर्मनिरपेक्षता भारतीय अस्मिता के प्राण तत्व समाजवाद
विविधा धर्मनिरपेक्षता ही भारतीय समाज का स्वभाव November 16, 2014 / November 17, 2014 by तनवीर जाफरी | 3 Comments on धर्मनिरपेक्षता ही भारतीय समाज का स्वभाव तनवीर जाफ़री भारतवर्ष में पहली बार कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाला राजनैतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी देश की स्वतंत्रता के 67 वर्षों बाद पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता ज़रूर हासिल कर चुकी है परंतु इसका अर्थ यह क़तई नहीं लगाया जा सकता कि देश ने अपना धर्मनिरपेक्ष मिज़ाज बदल दिया है […] Read more » The secular nature of Indian society धर्मनिरपेक्षता भारतीय समाज का स्वभाव
महत्वपूर्ण लेख संविधान में अपरिभाषित है, धर्मनिरपेक्षता August 13, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment -प्रमोद भार्गव- गीता या रामायण के नैतिक मूल्यों और चारित्रिक शुचिता से जुड़े अंशों को जब भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात आती है तो वामपंथी दल व बुद्धिजीवी इन पहलों को लोकतंत्र के मूलभूत संवैधानिक धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के विरूद्ध बताने लगते हैं। यह सही है कि भारत का धर्मरिपेक्षस्वरूप भारतीय संविधान का बुनियादी […] Read more » धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान संविधान संविधान में अपरिभाषित है धर्मनिरपेक्षता
जरूर पढ़ें क्या अब बदलेगी धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा ? May 26, 2014 by तनवीर जाफरी | 2 Comments on क्या अब बदलेगी धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा ? -तनवीर जाफ़री- ‘अब की बार मोदी सरकार’ का नारा परवान चढ़ चुका है। देश में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ दक्षिणपंथी भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आ चुकी है। देश को सुशासन व सुराज देने के साथ-साथ भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने की बात की जा रही है। निश्चित रूप से देश की […] Read more » धर्मनिरपेक्षता नरेंद्र मोदी भारत प्रधानमंत्री भारत में धर्मनिरपेक्ष मोदी सरकार
राजनीति धर्मनिरपेक्षता है सांप्रदायिकतावादियों की राह में सबसे बड़ा रोड़ा July 29, 2013 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on धर्मनिरपेक्षता है सांप्रदायिकतावादियों की राह में सबसे बड़ा रोड़ा तनवीर जाफ़री भारतीय जनता पार्टी के बड़बोले नेता तथा सोशल मीडिया में अपने झूठे दावों व डींगें हांकने के चलते ‘फेंकू’ के नाम से पहचाने जाने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों अपने एक भाषण में जहां कांग्रेस मुक्त भारत के निर्माण का उद्घोष किया। वहीं अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने स्वयं […] Read more » धर्मनिरपेक्षता
राजनीति मोदी बनाम सेकुलरिज़्म का घमासान March 8, 2013 by वासुदेव त्रिपाठी | Leave a Comment वासुदेव त्रिपाठी सेकुलरिज़्म शब्द भारतीय संविधान का जन्मजात हिस्सा नहीं है। सेकुलरिज़्म शब्द को 1976 में 42वें संशोधन के द्वारा संविधान में सम्मिलित किया गया था किन्तु अपने मूल अर्थ से अलग भारतीय स्वीकृति में सेकुलरिज़्म राज्य के लिए “सर्वधर्म समभाव” के आदर्श के रूप में ही ग्रहण किया गया था। कुछ हद तक संविधान […] Read more » धर्मनिरपेक्षता नरेंद्र मोदी सेकुलरिज्म