धर्म-अध्यात्म मनुष्य धर्मानुसार तथा सत्य असत्य को विचार कर ही आचरण करें July 8, 2020 / July 8, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा ने मनुष्य को सबसे मूल्यवान् वस्तु उसके शरीर में बुद्धि के रूप में दी है। बुद्धि से हम ज्ञान को प्राप्त कर उसके अनुसार आचरण करते है। जिस मनुष्य की बुद्धि जितनी विकसित व शुद्ध होती है, वह उतना ही अधिक ज्ञानी कहा जाता है। सत्य ज्ञान के अनुरूप आचरण […] Read more » मनुष्य सत्य असत्य को विचार कर आचरण
धर्म-अध्यात्म हम मनुष्य कहलाते हैं परन्तु क्या मनुष्य बनने का प्रयत्न करते हैं? June 8, 2020 / June 8, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य स्वयं को मनुष्य कहता है परन्तु मनुष्य किसे कहते हैं, इस पर वह कभी विचार नहीं करता। हमारे वैदिक विद्वान बताते हैं कि मनुष्य को मनुष्य विचारशील तथा सत्य व असत्य का मनन करने के कारण से कहते हैं। मनुष्य के पास बुद्धि होती है जिससे वह उचित–अनुचित, सत्य–असत्य, कर्तव्य–अकर्तव्य, […] Read more » मनुष्य
धर्म-अध्यात्म क्या सभी मनुष्य मननशील एवं विवेकवान हैं और सत्याचरण करते हैं? February 10, 2020 / February 10, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य किसे कहते हैं? इसका सबसे युक्तियुक्त एवं यथार्थ उत्तर ऋषि दयानन्द ने अपने ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के स्वमन्वयामन्तव्य प्रकरण में दिया है। मनुष्य की परिभाषा एवं उसके मुख्य कर्तव्य का उद्घोष करते हुए वह लिखते हैं ’मनुष्य उसी को कहना (अर्थात् मनुष्य वही होता है जो) मननशील होकर स्वात्मवत् अन्यों के […] Read more » Are all humans contemplative and wise and do satyacharan? मनुष्य मनुष्य मननशील एवं विवेकवान सत्याचरण
धर्म-अध्यात्म मनुष्य अपने अगले जन्मों को उन्नत व श्रेष्ठ बनाने के लिए क्या करे? January 24, 2020 / January 24, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य एक चेतन व अल्पज्ञ आत्मायुक्त शरीर को कहते हैं जिसके पास दो हाथ व दो पैरों सहित बोलने के लिये वाणी होती है तथा एक विवेकवान व मनन करने की क्षमता से युक्त बुद्धि व मस्तिष्क होता है। मनुष्य की मृत्यु होने पर उसका शरीर अन्त्येष्टि कर्म के द्वारा नष्ट […] Read more » मनुष्य
धर्म-अध्यात्म मनुष्य और जीवात्मा February 11, 2019 / February 11, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य दो पैर वाले प्राणी के जीवित शरीर को कहते हैं जिसके पास बुद्धि है, दो हाथ हैं, जो सोच-विचार कर सत्य व असत्य का निर्णय कर सकता है और जो ज्ञान व विज्ञान की उन्नति कर अपने जीवन को दुःखों से निवृत्त कर सुखों से युक्त कर सकता है। इसी […] Read more » जीवात्मा मनुष्य मनुष्य और जीवात्मा
समाज सफल जीवन के लिये नई राहें बनाएं November 22, 2018 / November 22, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग- धूप और छांव की तरह जीवन में कभी दुःख ज्यादा तो कभी सुख ज्यादा होते हैं। जिन्दगी की सोच का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि जिन्दगी में जितनी अधिक समस्याएं होती हैं, सफलताएं भी उतनी ही तेजी से कदमों को चुमती हैं। बिना समस्याओं के जीवन के कोई मायने नहीं हैं। समस्याएं […] Read more » ईष्र्या क्रोध घृणा भय मन मनुष्य वाणी शरीर सफल जीवन के लिये नई राहें बनाएं
धर्म-अध्यात्म “मनुष्य वही है जो सदा सत्य का आचरण करता है” September 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य क्या वास्तव में मनुष्य है? यह प्रश्न इसलिये करना पड़ रहा है कि किसी देश व समाज के जो नियम होते हैं, उनका वर्तमान समय में पालन देखने को नहीं मिल रहा है। वैदिक शिक्षा है कि मनुष्य को सत्य बोलना चाहिये तथा असत्य नहीं बोलना चाहिये। सत्य बोलना धर्म के […] Read more » ईश्वर देश मनुष्य सत्य समाज व न्यायालय
धर्म-अध्यात्म “मोक्ष प्राप्ति तक मनुष्य जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त नहीं हो सकता” September 12, 2018 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on “मोक्ष प्राप्ति तक मनुष्य जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त नहीं हो सकता” मनमोहन कुमार आर्य, हम मनुष्य हैं और हमारा जन्म हुआ है। श्रीमद्भगवद्-गीता का प्रसिद्ध वचन है ‘जातस्य हि ध्रुवो मृत्यु धु्रवं जन्म मृतस्य च’ अर्थात् जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है और जिसकी मृत्यु होती है उसका पुनर्जन्म भी निश्चित है। इस सत्य वेदोक्त सिद्धान्त के अनुसार हम सब की भी भविष्य में […] Read more » ईश्वर मनुष्य महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म “भ्रान्ति-निवारण पुस्तक से चुने ज्ञानवर्धक व मार्गदर्शक ऋषि-वचन” August 16, 2018 / August 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, हमने इससे पूर्व ऋषि दयानन्द जी के लघु-ग्रन्थ भ्रान्ति-निवारण से 25 चुने हुए ऋषि वचनों को प्रस्तुत किया था। आज हम इसी पुस्तक के शेष ऋषि वचनों को आपके लाभार्थ प्रस्तुत कर रहे हैं। 26- चारों वेदों में एक से दूसरा ईश्वर कहीं प्रतिपादन नहीं किया है तथा इन्द्र, अग्नि […] Read more » Featured ईश्वर ऋषि दयानन्द ज्ञानवर्धक व मार्गदर्शक ऋषि-वचन” धार्मिक विद्वान भ्रान्ति-निवारण पुस्तक मनुष्य
प्रवक्ता न्यूज़ “जीवात्मा और शरीर” July 16, 2018 / July 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य को मनुष्य इस लिये कहते हैं क्योंकि यह मननशील प्राणी है। मनन का अर्थ है कि मन की सहायता से हम अपने कर्तव्यों व गुण-दोष को जानकर गुणों का ग्रहण व दोषों का त्याग करें। यदि हम मनन करना छोड़ देते हैं और काम, क्रोध, लोभ में फंस कर स्वार्थ […] Read more » “जीवात्मा और शरीर” Featured अनिच्छा अप्रसन्नता आनन्द ऋषि दयानन्द पहिचानना पुरुषार्थ बल मनुष्य विलाप विवेक वैर
धर्म-अध्यात्म “माता-पिता की नित्य सेवा करना सन्तान का धर्म वा पितृ-यज्ञ है” July 12, 2018 / July 12, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य के जीवन में ईश्वर के बाद माता-पिता का सबसे अधिक महत्व है। इसके बाद जिन लोगों का महत्व है उनमें हमारे आचार्य, गुरु व उपाध्याय आते हैं जिनसे हम ज्ञान, विज्ञान व अनेक विद्याओं का अध्ययन करते व सीखते हैं। यदि दुर्भाग्य से कोई मनुष्य अपने माता-पिता आदि देवताओं के […] Read more » Featured ईश्वर ऋषि दयानन्द ज्ञान भाषा मनुष्य माता पिता विज्ञान व्याकरण सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर के उपकारों के लिए सन्ध्या द्वारा धन्यवाद करना मनुष्य का मुख्य कर्तव्य” June 26, 2018 / June 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम मनुष्य हैं। हमारा अस्तित्व सत्य व यथार्थ है। हमारी आत्मा अनादि, अनुत्पन्न, अल्पज्ञ, एकदेशी, ससीम, जन्म-मरण धर्मा और शुभ व अशुभ करने वाली व ईश्वरीय व्यवस्था से उसका फल भोगने वाली है। आत्मा की दो अवस्थायें कह सकते हैं जो बन्धन व मोक्ष हैं। बन्धन का तात्पर्य है कि आत्मा के […] Read more » “ईश्वर के उपकारों के लिए सन्ध्या द्वारा धन्यवाद करना Featured अर्थ ओ३म् व गायत्री काम धर्म मनुष्य मनुष्य का मुख्य कर्तव्य”