लेख हम जो कुछ भी होते हैं वह मां के कारण होते हैं January 31, 2021 / January 31, 2021 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment मां का हमारे जीवन में अमूल्य योगदान है । संसार के जितने भर भी महापुरुष हुए हैं उनके निर्माण में सबसे बड़ा योगदान मां का रहा है। जो महापुरुष युगधारा को परिवर्तित करते हैं और इतिहास को मोड़ने की क्षमता रखते हैं उन सबके निर्माण में मां का विशेष योगदान रहा है । इस प्रकार […] Read more » मां
कविता करता हूँ नमन कोटि कोटि कारगिल के अमर शहीदों को July 27, 2018 / July 27, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment करता हूँ नमन कोटि कोटि कारगिल के अमर शहीदों को देश के खातिर जिन्होंने परवाह नहीं की अपने वजिदो को किसी ने माँ की गोद सूनी की किसी ने पत्नि की माँग को किसी ने बहन की राखी को,किसी ने माँ-बाप के प्यार को ऐसे थे वीर बलिदानी,जिन्होंने न्योछावर कर दिया जान को आओ हम […] Read more » अमर शहीदों कारगिल कुर्बानियों जवान मां
समाज मैं भी अब मास्टर बन सकती हूँ June 2, 2018 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment शराब के खिलाफ महिलाओं के प्रयास ने सजाया बच्चों की आंखों में सपना अनीसुर्रहमान खान बच्चों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में “सभी प्रकार की हिंसा से बच्चों की सुरक्षा” उनका मौलिक अधिकार घोषित किया गया है, बच्चों के खिलाफ हिंसा के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए सतत विकास केलक्ष्य 2030 के एजेंडा में एक विशिष्ट लक्ष्य (एसडीजी 16.2) को शामिल किया गया है। जो भय, उपेक्षा, दुर्व्यवहार और शोषण से मुक्त रहने के लिए प्रत्येक बच्चे के अधिकार की प्राप्ति को एक नई गति मिलती है। एक भयावह सच यह है कि बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की घटनाओं के मामले में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है। जबकि आदिवासी बहुल राज्य ओडिशा इसी श्रेणी में देश में चौथे स्थान पर है। राष्ट्रीयअपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार ओडिशा में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के अंतर्गत बड़ी संख्या में केस दर्ज किये जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार ओडिशा के एक लाख बच्चों में से प्रत्येक सात बच्चों का यौनशोषण किया जाता है। मनोवैज्ञानिक इन अपराधों के पीछे कई कारणों को ज़िम्मेदार मानते हैं, जिनमें शराब का सेवन भी प्रमुख है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ओडिशा के संभलपुर जिला स्थित लरियापली ग्रामपंचायत की महिलाओं ने सख़्त क़दम उठाते हुए क्षेत्र को शराब जैसी कुरीतियों से मुक्त करने का बीड़ा उठाया है। इससे बच्चों का न केवल भविष्य संवर रहा है बल्कि उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के भी प्रयास जारी हैं। महिलाओं के इस हौसले ने गांव के लोगों विशेषकर पुरुषों में शराब के प्रति सोंच को भी बदलने का काम किया है। शराबबंदी से होने वाले परिवर्तनों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए गांव की एक युवा लड़की बताती है कि”अब मुझे विश्वास हो गया है कि मास्टर बनने का मेरा सपना अब पूरा हो सकता है।” वहीं दूसरी ओर आठवीं क्लास में पढ़ने वाली चौदह वर्षीय सुकांति कालू आत्मविश्वास से लबरेज होकर बताती है कि “पहले मेरे पापान केवल सभी प्रकार का नशा किया करते थे बल्कि घर में झगड़ा और मारपीट भी करते थे। जब शाम को उनके घर आने का समय होता तो हम लोग घर का अंधेरा कोना खोज कर इसमें अपने आप को छिपाने के प्रयास में लग जाते, लेकिन बेचारी माँ! उसकी तो जम कर पिटाई होती थी। माँ को मार खाता देख, बर्दाश्त नहीं होता तो मैं उस को बचाने जाती, मगर जब खुद की पिटाई होती तो न चाहते हुए भी अलग होना पड़ताथा।” सुकांती के पिता घनश्याम कालू एक राजमिस्त्री है, जो दिन भर की अपनी मेहनत की कमाई को शाम में शराब की चंद बोतलों में उड़ा दिया करता था। उसकी एक रिश्तेदार रुक्मणी प्रधान कहती हैं कि “घनश्यामकालू पहले महुआ और चावल से बने स्थानीय शराब का भी आदी था, इतना ही नहीं उसकी पत्नी भी ताड़ी का सेवन की आदी थी”। लेकिन अब उन्होंने इस बुराई से तौबा कर ली है। दाहिने हाथ में कलम और बाएँ हाथ में कॉपी पकड़े कुर्सी पर बैठी सुकांति मुस्कुराते हुए कहती है कि “अब हमारे पापा और मम्मी हमें खूब पढ़ाना चाहते हैं, अब शाम को जब हमारे पिता घर आते हैं तो उनके हाथ मेंहमारे लिए मिठाइयां या फल होते हैं। हमारी एक मांग पर कॉपी, कलम, किताब सब कुछ हाज़िर कर देते हैं और कहते हैं कि एक दिन मेरी बेटी मेरा नाम रोशन करेगी, मैं ने भी सोच रखा है कि अब मैं दिल व जान सेपढ़ाई करूंगी और मास्टर बनकर गांव के सारे बच्चों को भी पढ़ाऊंगी।” गांव में अचानक आये इस बदलाव को लेकर 23 वर्षीय पदमनी बदनाईक कहती हैं कि “मैं खुद बी.ए पास हूँ, मेरा घर सुनदरगढ़ जिले में है लेकिनमैं ने यह तय कर रखा है कि अपने लोगों के लिए कुछ ज़रूर करूँगी, यह उसी का हिस्सा है कि मैं यहाँ महिलाओं को एकत्रित करके उन्हें शराब से होने वाले जानी माली नुकसान से अवगत कराया, और महिलाओं कोतैयार किया कि गांव में शराब की क्रय-विक्रय को बंद किया जाए, शुरू में इस काम में थोड़ी मुश्किल ज़रूर आई, लेकिन अब स्थिति बहुत बेहतर है”। अपनी मुहिम के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि “शुरुआत में, हमने यहाँ की महिलाओं को समूह से जोड़ने के लिए, उनके घर गए और साथ बैठ कर समस्या का समाधान करने की कोशिश की, लेकिन हताश औरमार खाने की आदी हो चुकी अधिकांश महिलाओं ने यही उत्तर दिया कि “हम क्या कर सकते हैं?” लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और धीरे धीरे दस महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी) बनाया, जिन्होंनेशराब की भट्ठी चलाने वालों का विरोध शुरू कर दिया, देखते ही देखते और भी महिलाएं समूह का हिस्सा बनने लगीं, तो समूह को बड़ा करते हुए इसका नाम “नारी शक्ति संघ” कर दिया गया”। “नारी शक्ति संघ” की अध्यक्षा हमादरी धरवा अपनी पंचायत की उप सरपंच भी हैं, जबकि सचिव परीमोदोनिय नायक हैं। एक अन्य सदस्य अपना परिचय कराते हुए कहती है कि “मेरा नाम पुष्पलता नायक है, गांव केअन्य पुरुषों की तरह मेरा पति भी शराब पीता था, जिस के कारण हमारे घरेलू हालात बद से बदतर हो गए थे। यही हाल गांव की अन्य महिलाओं के घरों का भी था, इसलिए सभी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया किइसके ज़िम्मेदार शराब की भट्ठी को बंद करवाना होगा। इस निर्णय को बदलने के लिए हमारे पतियों ने हमपर काफी दबाब बनाया यहां तक कि हमारे साथ मारपीट भी की, वहीं दूसरी ओर हमारे आंदोलन को ख़त्म करनेके लिए शराब भट्टी के मालिकों ने कई तरह के प्रलोभन और धमकियां भी दीं, लेकिन आखिरकार हमारे अटल इरादे के आगे उन्हें घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा। गांव में शराबबंदी को सख्ती से लागू समूह ने यह फैसला भी लिया कि यदि गांव में कोई भी पुरुष या महिला शराब पीकर गाली गलौज करेगा तो उस पर पहली बार एक हजार रूपए का जुर्माना लगाया जाएगा। अगरदूसरी बार भी पकड़ा गया तो जुर्माने की राशि बढ़ कर दो हजार हो जाएगी। ऐसे ही शराब की भट्टी वालों के लिए भी एक कानून बनाया कि अगर गांव में शराब बनाते हुए पकड़े गए तो पहली बार पांच हज़ार का जुर्मानादेना होगा और यदि दूसरी बार भी पकड़े जाते हैं, तो दंड की राशि दोगुनी हो जाएगी। हमारे इस फैसले का गांव में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला। शराबबंदी से एक तरफ जहां गांव के लोगों के जीवन स्तर में सुधारआया है वहीँ दूसरी ओर उनके घर की आमदनी भी बढ़ी है। अब बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी बल दिया जा रहा है। लरियापली जैसे हजारों गाँव में लाखों बच्चे न जाने कैसे कैसे सपनों को अपनी आँखों में सजाते होंगे। लेकिन क्या हर बच्चे अपने सपनों को सुकांति की तरह पूरा कर पाते है? यह वह प्रश्न है जो हर शराबी को कम सेकम एक बार अपने हाथ में शराब की बोतल पकड़ने से पहले अवश्य करना चाहिए, आप का यह प्रश्न और उत्तर लाखों बच्चों की ज़िंदगी बदल देगा। Read more » Featured कलम नारी शक्ति संघ" मां लरियापली ग्रामपंचायत संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
कहानी अपमान May 29, 2018 by डॉ. मनोज चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ मनोज चतुर्वेदी आकांक्षा को शाम से ही एक सौ तीन डिग्री बुखार था .उसके पापा जैसे ही घर आए, तो दादी ने उन्हें उसकी हालत के बारे में बताया. तब वह डॉ. सुधाकर शर्मा से बुखार की दवा ले आए. दो दिन तक आकांक्षा को बुखार चढ़ता- उतरता रहा. फिर उसके पापा शिवचरण सिंह […] Read more » Featured अपमान आकांक्षा डॉक्टर नागेंद्र मां मेडिकल की पढ़ाई
कविता माँ ने पूछा,मै आई किसके हिस्से में ? May 15, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सन्नाटा छा गया बटवारे के किस्से में माँ ने पूछा,मै आई किसके हिस्से में ? कहते है सभी लोग आज माँ का दिन है मै कहता हूँ,कौन सा दिन माँ के बिन है एक अच्छी माँ होती है सभी के पास होती नहीं अच्छी औलाद सभी के पास माँ तो एक सबसे बड़ी नियामत हे […] Read more » औलाद ज़िन्दगी नियामत बहन भाई मां
महिला-जगत समाज माँ तुम धन्य हो May 14, 2018 by संजय चाणक्य | 2 Comments on माँ तुम धन्य हो संजय चाणक्य ‘‘ मातृ दिवस पर शुभकामनाओं के साथ ! दुनिया की सभी माँओं को समर्पित है यह कालम !! ’’ मै माफी चाहता हू उन सभी बुद्धिजीवियो और मनिऋषियों से ! जो ’’मां ’’शब्द पर लम्बा-चैडा भाषण देते है किन्तु मां का सम्मान नही करते। मै माफी का तलबगार हूँ उन धर्मात्माओं से जो […] Read more » Featured और काशी विश्वानाथ खुशियों प्रेमी-प्रेमिका बाजारवादी तमाम मथुरा मां वृंदावन संगमरमर
महिला-जगत समाज मां जन्मदात्री ही नहीं, जीवन निर्मात्री भी May 11, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग- अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस सम्पूर्ण मातृ-शक्ति को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है, जिसे मदर्स डे, मातृ दिवस या माताओं का दिन चाहे जिस नाम से पुकारें यह दिन सबके मन में विशेष स्थान लिये हुए है। पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाए तो मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है। […] Read more » Featured करुणा और ममता प्रेम भारतीय मां मां मां ऊर्जा है मां का प्यार दुलार मां प्रेम मातृत्व दिवस सम्पूर्ण मातृ-शक्ति
कविता हर वस्तु मिल सकती है.आज ऑन लाइन पर May 4, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी हर वस्तु मिल सकती है तुम सबको,आज.ऑन लाइन पर पर माँ की ममता नही मिल सकती,तुम्हे ऑन लाइन पर प्यार करना हो तुमको,कर सकते हो तुम ऑन लाइन पर पर सच्चा प्यार न मिल पायेगा तुमको ऑन लाइन पर खाने के सब व्यजन,मिल सकते है तुम्हे ऑन लाइन पर पर उनका स्वाद […] Read more » Featured आभूषण मंगा ऑन लाइन देश मां मोहब्बत वस्तु विदेशी
कविता श्री बोनी कपूर के मन के उदगार May 3, 2018 by आर के रस्तोगी | 5 Comments on श्री बोनी कपूर के मन के उदगार काश! आज तुम होती फिल्म फेस्टिवल का बेस्ट फिमेल एक्ट्रेस का राष्टीय पुरष्कार लेती तेरे बिन मन नही लगता अपना सा कोई नहीं लगता सूना सा सारा संसार लगता चारो तरफ अँधेरा सा लगता काश!मेरी “चांदनी” होती ये अँधेरा दिखाई न देता ये संसार सूना दिखाई न देता इस अवार्ड के साथ मै होता तुमको […] Read more » "चांदनी Featured अच्छी कलाकार पत्नी फिल्म फेस्टिवल बोनी कपूर मां रोता-बिलखता
समाज माँ के बिना सब शून्य July 30, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी जिसे कोई उपमा न दी जा सके उसका नाम है ‘माँ’। जिसकी कोई सीमा नहीं उसका नाम है ‘माँ’। जिसके प्रेम को कभी पतझड़ स्पर्श न करे उसका नाम है ‘माँ’। ऐसी तीन माँ हैं —1. परमात्मा , 2. महात्मा और 3. माँ। हे जीव, प्रभु को पाने की पहली सीढ़ी ‘माँ’ […] Read more » मां
समाज माँ का ऋण चुकाना कठिन है July 30, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी ऋण का अर्थ है ‘‘कर्ज’’ और कर्ज हर मनुष्य को चुकाना पड़ता है। इसका उल्लेख वेद-पुराणों में प्राप्त होता है। हिंदु धर्म-शास्त्रों के अनुसार मनुष्यों पर तीन ऋण माने गए हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण एवं पितृ ऋण। इन तीनों में पितृ ऋण सबसे बड़ा ऋण माना गया है। इन ऋणों का […] Read more » Featured मां माँ का ऋण
महिला-जगत समाज माँ, ममता और महिला March 8, 2017 by अर्पण जैन "अविचल" | Leave a Comment ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’ की आध्यात्मिक ताक़त वाला राष्ट्र जिसकी रगों में नारी का सम्मान बसा हुआ है, किंतु दुर्भाग्य इस कलयुगी पौध का जो यौवन के मदमास में अपने गौरवशाली इतिहास की किताबो को कालिख पोतते हुए अपमान के नए अंगवस्त्र तैयार कर रही है, वो भूल गई 'यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्रफला: क्रिया’ अर्थात जिन घरों में स्त्रियों का अपमान होता है, वहां सभी प्रकार की पूजा करने के बाद भी भगवान निवास नहीं करते हैं। Read more » Featured अंतराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास ममता महिला मां