विश्ववार्ता मांसाहार , चीन , वेद का धर्म और विश्व शांति June 4, 2020 / June 4, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment संसार में चीन एक कम्युनिस्ट देश है । यहां की कुल जनसंख्या के 91% लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। यद्यपि कम्युनिस्ट सरकार ने यहां पर किसी भी धर्म को न मानने की अनिवार्यता घोषित कर रखी है । कम्युनिस्ट पार्टी के 9 करोड़ से अधिक कार्यकर्ताओं के लिए यह कड़े निर्देश हैं कि वह […] Read more » Carnivores China Religion of the Vedas and World Peace चीन मांसाहार वेद का धर्म और विश्व शांति
खान-पान स्वास्थ्य-योग मांसाहार बढ़ा रहा है कार्बन उत्सर्जन January 24, 2020 / January 24, 2020 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on मांसाहार बढ़ा रहा है कार्बन उत्सर्जन -प्रमोद भार्गव खानपान पर ऑक्सफोर्ड और मिनेसोटा विश्वविद्यालयों के संयुक्त अध्ययन के निष्कर्षों ने सारी दुनिया को चौंका दिया है। इसमें कहा गया है कि शाकाहारी भोजन के मुकाबले रेड मीट पर्यावरण के लिए 35 गुना अधिक घातक है। यदि लोग मांस खाना छोड़ दें तो दुनिया में खाद्य पदार्थों के कारण होने वाले कार्बन उत्सर्जन […] Read more » मांसाहार मांसाहार कार्बन उत्सर्जन मांसाहार बढ़ा रहा है कार्बन उत्सर्जन
धर्म-अध्यात्म मनुष्य के लिए अनुचित एवं हानिकर है मांसाहार ” September 7, 2019 / September 7, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य की उत्पत्ति अपनी आत्मा तथा परमात्मा सहित इस सृष्टि को जानने तथा सद्कर्म करने के लिये हुई है। क्या हम अपनी आत्मा, ईश्वर और इस सृष्टि को यथार्थरूप में जानते हैं? इसका उत्तर हमें यह मिलता है कि हम व संसार के प्रायः सभी लोग जिनमें सभी मतों के आचार्य […] Read more » मांसाहार
राजनीति प्रधानमंत्रियों से भी बड़ा काम December 22, 2018 / December 22, 2018 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | 1 Comment on प्रधानमंत्रियों से भी बड़ा काम डॉ. वेदप्रताप वैदिकहमारे स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व-स्वास्थ्य संगठन के एक ताजा सर्वेक्षण ने मुझे चौंका दिया। उससे पता चला कि हमारे देश में सात करोड़ से भी ज्यादा लोग रोज बीड़ी पीते हैं। बीड़ी फूंककर वे खुद को फेफड़ों, दिल और केंसर का मरीज तो बनाते ही हैं, हवा में भी जहर फैलाते हैं। उनके […] Read more » अंग्रेजी अशिक्षित आदिवासी गरीब ग्रामीण धूम्रपान नशे पिछड़े मांसाहार स्वास्थ्य मंत्रालय
समाज “हमारे निमित्त से होने वाला वायु प्रदुषण हमारे परजन्म के सुखों में बाधक होंगे” November 19, 2018 / November 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य जीवन में यदि किसी भौतिक वस्तु का सबसे अधिक महत्व है तो वह वायु है। वायु हमारे जीवन का प्रमुख आधार है। हम श्वास-प्रश्वास में वायु का ही सेवन करते हैं। हमें श्वास लेने में शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है और जब हम श्वास छोड़ते हैं तो अशुद्ध वायु या […] Read more » “हमारे निमित्त से होने वाला वायु प्रदुषण हमारे परजन्म के सुखों में बाधक होंगे” अण्डों अर्जुन आकृति कृष्ण जी दांतों की बनावट धूम्रपान भीष्म पितामह मधुमेह मानवीय बुद्धि मांसाहार हृदय
प्रवक्ता न्यूज़ “मन को वश में करना कठिन है परन्तु इसकी साधना आवश्यक है” September 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य का मन ही बन्धन व मोक्ष का कारण है। यह दर्शन शास्त्र का वचन है और यह सत्य सिद्धान्त है। मनुष्य जो भी कर्म करता है वह शुभ व अशुभ होने से दो प्रकार के कहे जाते हैं। शुभ कर्म करने का परिणाम शुभ व सुख होता है और अशुभ कर्म […] Read more » घूम्रपान चाय निराकार न्यायकारी मदिरापान मांसाहार सच्चिदानन्दस्वरूप सद्कर्मों सर्वज्ञ सर्वव्यापक
धर्म-अध्यात्म “यदि स्वामी दयानन्द और स्वामी श्रद्धानन्द न होते तो स्वामी रामदेव भी न होते : स्वामी रामदेव” July 7, 2018 / July 7, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “यदि स्वामी दयानन्द और स्वामी श्रद्धानन्द न होते तो स्वामी रामदेव भी न होते : स्वामी रामदेव” मनमोहन कुमार आर्य, तीन दिवसीय गुरुकुल सम्मेलन, गुरुकुल कांगड़ी परिसर में 6 जुलाई, 2018 को आरम्भ हुआ। अपरान्ह 4 बजे से सम्मेलन का उद्घाटन समारोह हुआ जिसे पतंजलि योगपीठ के विश्व विख्यात योगाचार्य स्वामी रामदेव जी, मेघालय के राज्यपाल ऋषिभक्त श्री गंगा प्रसाद जी एवं कई आर्य संन्यासी एवं नेताओं ने सम्बोधित किया। स्वामी […] Read more » Featured अन्धविश्वास आर्यसमाज नशाखोरी पाखण्ड मांसाहार राष्ट्र स्वामी दयानन्द स्वामी रामदेव स्वामी श्रद्धानन्द
समाज हमारे मुसलमान भी क्या मुसलमान हैं? April 18, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment तीन तलाक, निकाह हलाला, बहुपत्नीवाद, पशु-बलि, बुर्का, मांसाहार, ताबीज, आदि ये सब बातें किसी भी धर्म के शाश्वत और सार्वदेशिक लक्षण नहीं हो सकते। इन्हें देश-काल के मुताबिक बदलते रहना चाहिए। यही बात शरिया, रोमन और ग्रीक लॉ पर भी लागू होती है। आज स्त्री-पुरुष समानता का युग है। इसमें यदि आदमी तीन बार बोलकर औरत को तलाक दे सकता है तो औरत भी तीन बार बोलकर आदमी को Read more » ताबीज तीन तलाक निकाह हलाला पशु बलि बहुपत्नीवाद बुर्का मांसाहार मुसलमान हमारे मुसलमान
खान-पान समाज ‘मांसाहार से नाना दुखों, रोग व अल्पायु की प्राप्ती December 13, 2016 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on ‘मांसाहार से नाना दुखों, रोग व अल्पायु की प्राप्ती मांसाहार छोड़िये और शाकाहार अपनाईये क्योंकि शाकाहारी भोजन ही सर्वोत्कृष्ट भोजन है। यह बल, आयु और सुखों का वर्धक है। इससे परजन्म में उन्नति होने से इस जन्म से भी अच्छा मनुष्य जीवन मिलने की सम्भावना है। मनुष्य शाकाहारी प्राणी है, इसका एक प्राण भी दे देते हैं। सभी शाकाहारी पशु मांसाहारियों पशुओं की गन्ध व आहट से ही दूर भाग जाते हैं परन्तु वही पशु मनुष्य को देखकर उसके पास आते हैं। Read more » मांसाहार शाकाहार
समाज निरीह जीवों की निर्मम हत्या से बना भोजन क्यों? November 23, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment निया के किसी भी धर्म में मांसाहार का उपदेश नहीं दिया गया है। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने कहा है कि मांसाहार से मनुष्य का स्वभाव हिंसक हो जाता है, जो लोग मांस भक्षण या मदिरापान करते हैं, उनके शरीर तथा वीर्यादि धातु भी दूषित हो जाते हैं। बौद्ध धर्म में पंचशील अर्थात सदाचार के पाँच नियमों में प्रथम और प्रमुख नियम किसी प्राणी को दुःख न देना है। बौद्ध धर्म के मतानुसार बुद्धिमान व्यक्ति को आपातकाल में भी मांस खाना उचित नहीं है। Read more » Featured पाश्चात्य देशों में शाकाहार आन्दोलन मांस भक्षण मांसाहार विश्व मांसाहार निषेध दिवस
धर्म-अध्यात्म मांसाहार और मनुस्मृति June 16, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य प्राचीन काल में भारत में मांसाहार नहीं होता था। महाभारतकाल तक भारत की व्यवस्था ऋषि मुनियों की सम्मति से वेद निर्दिष्ट नियमों से राजा की नियुक्ति होकर चली जिसमें मांसाहार सर्वथा वर्जित था। महाभारतकाल के बाद स्थिति में परिवर्तन आया। ऋषि तुल्य ज्ञानी मनुष्य होना समाप्त हो गये। ऋषि जैमिनी पर आकर […] Read more » मनुस्मृति मांसाहार
समाज मांसाहार बनाम शाकाहार का आर्थिक समाजशास्त्र May 30, 2016 by अखिलेश आर्येन्दु | Leave a Comment अखिलेश आर्येन्दु पिछले कुछ सालों में जब से नए शोधों ने यह साबित कर दिया कि शाकाहार इंसान के लिए मंासाहार से अधिक मुफीद और निरापद है तब से पश्चिमी देशो में शाकाहारियों की एक बड़ी तादाद देखने में आ रही है। इतना ही नहीं लोगों को यह भी समझ में बखूबी आने लगा है […] Read more » Featured veg versus non veg आर्थिक समाजशास्त्र मांसाहार मांसाहार बनाम शाकाहार शाकाहार