धर्म-अध्यात्म लेख रामायण में त्याग मर्यादा और आदर्श की पराकाष्ठा April 5, 2020 / April 5, 2020 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment आचार्य राधेश्याम द्विवेदी रामायण हिन्दू स्मृति का बहुत ही कीमती अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजाराम की गाथा कही गयी। श्रीराम अवतार श्वेतवाराह कल्प के सातवें वैवस्वत मन्वन्तर के चैबीसवें त्रेता युग में हुआ था, जिसके अनुसार श्रीरामचंद्र जी का काल लगभग पौने दो करोड़ वर्ष पूर्व माना जाता है। इसके सन्दर्भ में […] Read more » dignity and perfection in the Ramayana Renunciation रामायण
धर्म-अध्यात्म “दूसरों की उन्नति में ही हमारी व देश समाज की उन्नति सम्भव है” December 3, 2018 by अभिलेख यादव | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, परमात्मा ने यह संसार जीवात्माओं के कर्म फल भोग और अपवर्ग अर्थात् मोक्ष प्राप्ति के लिये बनाया है। मनुष्य तथा सभी पशु-पक्षी आदि योनियों में सबका आत्मा एक जैसा है। सबको समान रूप से सुख व दुःख की अनुभूति होती है। सब जीवात्मायें अपने पूर्व जन्मों के कर्मानुसार भिन्न-भिन्न योनियों को प्राप्त […] Read more » अवतारवाद उपनिषद फलित ज्योतिष मनुस्मृति महाभारत मूर्तिपूजा मृतक श्राद्ध रामायण वेदानुकूल दर्शन
समाज अपने मौलिक नाम से जाने जाना गौरव का विषय है विवाद का नहीं October 20, 2018 / October 20, 2018 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment डॉ. नीलम महेंद्रा बरसों पहले अंग्रेजी के मशहूर लेखक शेक्सपियर ने कहा था, व्हाट इस इन द नेम? यानी नाम में क्या रखा है? अगर गुलाब का नाम गुलाब न होकर कुछ और होता, तो क्या उसकी खूबसूरती और सुगंध कुछ और होती? आज एक बार फिर यह प्रश्न प्रासंगिक हो गया है कि क्या नाम महत्वपूर्ण होते हैं? लेकिन इस पूरे […] Read more » उमापति नीलकंठ मत्स्यपुराण शम्भू अकबर इलाहाबाद ऋग्वेद प्रयागराज महाभारत रामायण शंकर
धर्म-अध्यात्म ‘सत्यार्थ-प्रकाश लिखकर ऋषि दयानन्द ने मानव जाति का उपकार किया है’ August 17, 2018 / August 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द वेद, इतिहास एवं संस्कृति के मूर्धन्य विद्वान व प्रचारक थे। उन्होंने सहस्रों की संख्या में संस्कृत भाषा के प्राचीन शास्त्रीय व इतर ग्रन्थों का अध्ययन किया था और लगभग तीन सहस्र ग्रन्थों को प्रामाणिक माना था। वेद सहित ऋषि दयानन्द अष्टाध्यायी-महाभाष्य व्याकरण, निरुक्त, ब्राह्मण ग्रन्थ, दर्शन, उपनिषद, रामायण, महाभारत, चरक, […] Read more » Featured अर्थ उपनिषद ऋषि दयानन्द काम व मोक्ष गुरुमन्त्र व्याख्या दर्शन धर्म पठन-पाठन ब्रह्मचर्योपदेश ब्राह्मण मनुस्मृति रामायण सन्ध्या अग्निहोत्र उपदेश
धर्म-अध्यात्म “चलो, स्वाध्याय करें” July 30, 2018 / July 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हमारा जहां तक ज्ञान है उसके अनुसार संसार में केवल वैदिक मत ही एकमात्र ऐसा धर्म वा मत है जहां प्रत्येक मनुष्य को वेद आदि सद्ग्रन्थों के स्वाध्याय को नित्य कर्तव्य कर्मों से जोड़ा गया है। वैदिक काल में प्रमुख ग्रन्थ ‘चार वेद’ थे और आज भी संसार के साहित्य में चार […] Read more » Featured अनेक वैदिक अपूर्व ग्रन्थों सत्यार्थप्रकाश आर्याभिविनय उपनिषद ऋग्वेदादिभाष्य ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ऋषि दयानन्द चलो दर्शन भाष्यकार मनुस्मृति महाभारत रामायण वेदभाष्य सत्यार्थप्रकाश संस्कारविधि स्वाध्याय करें”
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म को यदि बचाना है तो अपने मन से सभी प्रकार के भेदभाव को दूर करना होगा May 29, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महाभारत काल के बाद से वेद और वैदिक धर्म का निरन्तर पतन देखने को मिल रहा है। ऋषि दयानन्द के जीवन में ऐसा भी समय आया जब वेद लुप्त-प्रायः हो गये थे। महाभारत काल के बाद वेदों के सत्य अर्थों का देश व समाज में प्रचार रहा हो, इसका प्रमाणित विवरण […] Read more » Featured ईश्वर ऋषि दयानन्द ऋषि मुनियों चित्त जातिवाद ज्ञानेन्द्रिय पांच कर्मेन्द्रिय बुद्धि मन मनुस्मृति महाभारत व ब्राह्मण रामायण वैदिक साहित्य
व्यंग्य साहित्य रामायण और मीडिया ट्रायल October 12, 2016 by दीपक शर्मा 'आज़ाद' | Leave a Comment मीटिंग समाप्त होने के अगले कुछ दिनों में लंका में जो हुआ उससे राम और लक्ष्मण एक बड़ी प्रोब्लम में फंस गये। पत्रकारों और मानवाधिकारवादियों ने गुस्सैल लक्ष्मण को अपने सवालों में जकड़ लिया। आम जनता के बीच अपनी न्यूज सेंस टैक्निक की बदौलत यह बात फैला दी कि लक्ष्मण के पास ब्रह्मास्त्र था जबकि मेधनाद निहत्था था। बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान ढ़ूंढ़ने वाले राम इस आधुनिक समस्या का समाधान ढूंढ़ने में असफल दिखाई दिये। Read more » मीडिया ट्रायल रामायण
विविधा हिन्दू महाकाव्य और सत्यान्वेषी-1 September 15, 2012 / September 15, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on हिन्दू महाकाव्य और सत्यान्वेषी-1 ऐसे हुआ ह्रदय परिवर्तन हो.वे. शेषाद्रि कुछ साल पहले श्री सुनील मुखर्जी नामक सज्जन कलकत्ता के निकट बेरहामपुर में मुझसे मिलने आए थे। उनके एक निकट के रिश्तेदार श्री दिलीप दा, जो हमारे स्वयंसेवक थे, उन्हें लेकर आए थे। श्री मुखर्जी की पृष्ठभूमि दिलीप दा मुझे पहले ही बता चुके थे। वे बंगाल में नक्सलवादी […] Read more » नक्सलवाद रामायण