धर्म-अध्यात्म मनुष्य समाज के लिए हानिकारक फलित ज्योतिष और महर्षि दयानन्द May 31, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- सृष्टि का आधार कर्म है। ईश्वर, जीवात्मा एवं प्रकृति तीन अनादि, नित्य और अविनाशी सत्तायें हैं। सृष्टि प्रवाह से अनादि है परन्तु ईश्वर के नियमों के अनुसार इसकी उत्पत्ति-स्थिति-प्रलय-उत्पत्ति का चक्र चलता रहता है। जीवात्माओं को कर्मानुसार ईश्वर से जन्म मिलता है जिसमें वह पूर्व जन्मों के कर्मों का फल भोगते हैं […] Read more » Featured ज्योतिष मनुष्य महर्षि दयानन्द समाज
विविधा बेशर्म हैं नंगे-भूखे May 23, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on बेशर्म हैं नंगे-भूखे -डॉ. दीपक आचार्य- दुनिया में खूब सारे लोग हैं जिन्हें न किसी की परवाह है, न कोई लाज-शरम। इन लोगों के लिए मर्यादाओं, नियम-कानूनों और अनुशासन से लेकर जीवन के किसी भी क्षेत्र में संस्कारों का कोई महत्त्व नहीं है। हमारे लिए इंसान के रूप में पैदा हो जाना ही काफी नहीं है बल्कि इंसानियत […] Read more » Featured बेशर्म हैं नंगे-भूखे समाज संस्कृति
कविता कैसा ये बन गया समाज July 22, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- कैसा ये बन गया समाज, क्या है इसकी परिभाषा, हर तरफ बढ़ गया अपराध, बन रहा खून का प्यासा। मर्डर चोरी बलात्कार, बन गया है इसका खेल, जो नही खाता है देखो, इक सभ्य समाज से मेल। बदलती लोगों की मानसिकता, टूट रही घर घर की एकता, जिधर भी देखो घूम रही है, […] Read more » कैसा ये बन गया समाज समाज
ज्योतिष तलाक के लिए कौन जिम्मेदार – अभिभावक, समाज या ज्योतिषी ? January 23, 2012 / January 23, 2012 by पंडित दयानंद शास्त्री | 2 Comments on तलाक के लिए कौन जिम्मेदार – अभिभावक, समाज या ज्योतिषी ? पं. दयानन्द शास्त्री आज नवविवाहित जोड़ों में 30 प्रतिशत दम्पति पहले दो साल के अन्दर ही तलाक लेने को क्यों प्रेरित हो जाते हैं। सबसे प्रथम दोष उन परिवारों का होगा जिनके अपने निवास या उनके बच्चों की ससुराल में रसोर्इ या निवास के उत्तर – पूर्व में आग गैस जलेगी। उनकी पुत्र – पुत्रवधु […] Read more » devorse Society अभिभावक ज्योतिषी तलाक के लिए कौन जिम्मेदार समाज
राजनीति सिब्बल साहब!सोशल नेटवर्किंग तो समाज का ‘‘सेफ़टी वाल्व’’है! December 15, 2011 / December 15, 2011 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 2 Comments on सिब्बल साहब!सोशल नेटवर्किंग तो समाज का ‘‘सेफ़टी वाल्व’’है! इक़बाल हिंदुस्तानी आम आदमी और वीआईपी लोगों के लिये अलग अलग कानून? इंटरनेट के भी सदुपयोग के फायदों के साथ साथ दुरुपयोग के नुक़सान भी मौजूद हैं लेकिन केवल इस एक वजह से अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक नहीं लगाई जा सकती। हमारे दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल जी सुना है वकील भी हैं। उनको यह […] Read more » Kapil Sibbal social networking sites समाज सिब्बल साहब सेफ़टी वाल्व सोशल नेटवर्किंग
समाज शिक्षा, संस्कृति और समाज… September 15, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on शिक्षा, संस्कृति और समाज… -राजीव बिश्नोई प्रेम को परिभाषित करना वर्तमान परिदृश्य में मुश्किल है। चूँकि हर रोज इस बात पर बहस ज्यादा हो रही है कि क्या प्रेम करने वालों को सामाजिक मान्यता मिलनी चाहिए विशेषकर उस समाज में जिसकी बुनियाद मनु, अरुस्तु या ओशो का मिला-जुला रूप हो सकती हैं। जबकि प्रेम का आंकलन उन लोगों के […] Read more » Education शिक्षा समाज संस्कृति
समाज शादी, समाज और महिलाएं June 6, 2010 / December 23, 2011 by केशव आचार्य | 11 Comments on शादी, समाज और महिलाएं -केशव आचार्य इन दो घटनाओं पर नजर डाले पहली घटना है खास समुदाय द्वारा जारी फरमान जिसमें गोत्र में शादी करने के बाद पति पत्नी को अगर जिंदा रहना है तो उन्हें भाई बहन बनना होगा। दूसरी घटना बुलंदशहर की जहां अपनी मर्जी से शादी करने वाले लड़की के खिलाफ समाज ने सजाए मौत का […] Read more » Marrige महिला शादी समाज
समाज रंभाती संस्कृति को भूलता समाज December 17, 2009 / December 25, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on रंभाती संस्कृति को भूलता समाज गो-माता के विषय में यह तर्क देने की आवश्यकता हिन्दू समाज को नहीं है कि उससे हमको क्या-क्या फायदे हैं। समाचार-पत्र और पत्रिकाएं संभवतः स्मृतिहीन नई-पीढ़ी के लिये ही खनिज-लवण और पौष्टिक तत्वों की लिस्ट छापकर गाय के पक्ष में नारेबाजी करती रही हैं, और निष्कर्ष निकाले जाते हैं कि गाय क्योंकि हमारी आर्थिकी का […] Read more » Society समाज
प्रवक्ता न्यूज़ दो बातें कचोटती हैं September 1, 2009 / December 26, 2011 by अनिका अरोड़ा | Leave a Comment पहली बात यह कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बालकृष्णन ने कहा कि जनभावनाओं के मद्देनजर हमने निर्णय किया कि अपनी संपत्ति जनता के लिए सार्वजनिक करेंगे। शायद आज-कल में सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर यह जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी। दूसरी बात यह कि दिल्ली के सिविल जज राजकुमार अग्रवाल और उनके दो […] Read more » social Talks समाज
समाज वैयक्तिक अधिकार व पब कल्चर के बीच पिसता समाज व शालीनता February 3, 2009 / December 22, 2011 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 3 Comments on वैयक्तिक अधिकार व पब कल्चर के बीच पिसता समाज व शालीनता भारतीय संस्कृति के समुद्र में अनेक संस्कृतियां समाहित हैं। भारत की धरती पर अब एक नई संस्कृति उभर रही है पब कलचर। इस नई संस्कृति के उदगम में समाज नहीं वाणिज्य और बाज़ारभाव का योगदान अमूल्य है। पर मंगलौर में एक पब में जिस प्रकार से महिलाओं और लड़कियों पर हाथ उठाया गया वह तो […] Read more » pub culture पब कल्चर वैयक्तिक अधिकार शालीनता समाज
समाज सब ‘सभ्य’ – हम, हमारा समाज और मीडिया November 12, 2008 / December 22, 2011 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 2 Comments on सब ‘सभ्य’ – हम, हमारा समाज और मीडिया लेखक- अम्बा चरण वशिष्ठ ठीक ही तो कहते हैं कि किसी सभ्य समाज में फांसी की सज़ा उस समाज के नाम पर एक कलंक है। पर साथ ही यह कोई नहीं कहता कि यदि वह समाज सभ्य है तो उस में हत्या केलिये भी कोई स्थान नहीं है। जब हत्या नहीं होगी तो फांसी की […] Read more » media terrorism आतंकवाद मीडिया समाज