लेख धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष- पुरुषार्थचतुष्टय साधक नवनिधियाँ October 27, 2020 / October 27, 2020 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment –अशोक “प्रवृद्ध” आसान व सुलभ ढंग से जीवन -यापन के लिए प्रत्येक व्यक्ति को धन-सम्पदा से सम्पन्न और धन- संपदा के लिए सदैव प्रयत्नशील होना ही चाहिए, और इसमें कोई संदेह नहीं कि निष्ठापूर्वक परिश्रम अथवा साधना करने से मनुष्य को सफलता अर्थात कुछ निधियां अवश्य ही प्राप्त होती हैं। पौराणिक मान्यतानुसार अष्ट सिद्धियों की […] Read more » Meaning Religion Work and Moksha - Purusharthchatushta Sadhak Navnidhi अर्थ काम व मोक्ष धर्म पुरुषार्थचतुष्टय साधक नवनिधियाँ
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द ने अवैदिक मतों की समीक्षा व खण्डन क्यों किया?” November 30, 2018 / November 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द ने योगेश्वर श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा में स्वामी विरजानन्द सरस्वती जी से विद्या प्राप्त की थी। विद्या पूरी होने पर गुरु दक्षिणा के अवसर पर गुरु विरजानन्द जी ने स्वामी दयानन्द को वेद एवं ऋषियों के बनाये सद्ग्रन्थों का प्रचार और सद्ज्ञान विरुद्ध मिथ्या मतों, […] Read more » “ऋषि दयानन्द ने अवैदिक मतों की समीक्षा व खण्डन क्यों किया?” अर्थ धर्म बुद्धि मनुष्यों
धर्म-अध्यात्म ‘नित्य पठनीय एवं आचरणीय सर्वतोमहान धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’ November 28, 2018 / November 28, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, परमात्मा ने इस सृष्टि और मनुष्य आदि प्राणियों को बनाया है। परमात्मा, जीवात्मा और प्रकृति का अखिल विश्व में स्वतन्त्र अस्तित्व है। यह तीनों सत्तायें मौलिक, अनादि, नित्य, अनुत्पन्न, अविनाशी गुणों वाली हैं। परमात्मा ने यह सृष्टि जीवों के कर्मों के सुख व दुःख रूपी फल प्रदान करने के लिये बनाई है। […] Read more » ‘नित्य पठनीय एवं आचरणीय सर्वतोमहान धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’ अध्ययन-अध्यापन अर्थ उपाय काम बन्धन भक्ष्य व अभक्ष्य मनुष्य धर्म मोक्ष शिक्षा
धर्म-अध्यात्म ‘सत्यार्थ-प्रकाश लिखकर ऋषि दयानन्द ने मानव जाति का उपकार किया है’ August 17, 2018 / August 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द वेद, इतिहास एवं संस्कृति के मूर्धन्य विद्वान व प्रचारक थे। उन्होंने सहस्रों की संख्या में संस्कृत भाषा के प्राचीन शास्त्रीय व इतर ग्रन्थों का अध्ययन किया था और लगभग तीन सहस्र ग्रन्थों को प्रामाणिक माना था। वेद सहित ऋषि दयानन्द अष्टाध्यायी-महाभाष्य व्याकरण, निरुक्त, ब्राह्मण ग्रन्थ, दर्शन, उपनिषद, रामायण, महाभारत, चरक, […] Read more » Featured अर्थ उपनिषद ऋषि दयानन्द काम व मोक्ष गुरुमन्त्र व्याख्या दर्शन धर्म पठन-पाठन ब्रह्मचर्योपदेश ब्राह्मण मनुस्मृति रामायण सन्ध्या अग्निहोत्र उपदेश
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर हमें अन्धकार से हटाकर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्राप्त कराये” July 24, 2018 / July 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, जीवात्मा और परमात्मा का व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध है। जीवात्मा में ईश्वर व्यापक है और जीवात्मा ईश्वर में व्याप्य है। सर्वव्यापक ईश्वर जीवात्मा से सूक्ष्म है और इसके भीतर भी व्यापक है। मनुष्य जीवन मिलने पर जीवात्मा अन्तःकरण चतुष्टय और ज्ञान व कर्मेन्द्रियों की सहायता से सत्य व असत्य, ज्ञान व अज्ञान, हित व […] Read more » “ईश्वर हमें अन्धकार से हटाकर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्राप्त कराये” Featured अर्थ अहंकार ईश्वर ऋषि दयानन्द काम व मोक्ष क्रोध धर्म महर्षि दयानन्द मोह लोभ
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर के उपकारों के लिए सन्ध्या द्वारा धन्यवाद करना मनुष्य का मुख्य कर्तव्य” June 26, 2018 / June 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम मनुष्य हैं। हमारा अस्तित्व सत्य व यथार्थ है। हमारी आत्मा अनादि, अनुत्पन्न, अल्पज्ञ, एकदेशी, ससीम, जन्म-मरण धर्मा और शुभ व अशुभ करने वाली व ईश्वरीय व्यवस्था से उसका फल भोगने वाली है। आत्मा की दो अवस्थायें कह सकते हैं जो बन्धन व मोक्ष हैं। बन्धन का तात्पर्य है कि आत्मा के […] Read more » “ईश्वर के उपकारों के लिए सन्ध्या द्वारा धन्यवाद करना Featured अर्थ ओ३म् व गायत्री काम धर्म मनुष्य मनुष्य का मुख्य कर्तव्य”
धर्म-अध्यात्म मनुष्य का धर्म सद्ज्ञान व विवेक की प्राप्ति और उसके अनुसार आचरण कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति है’ February 4, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्यों को अपने कर्तव्यों का ज्ञान कहां से प्राप्त हो सकता है? क्या मत-मतान्तरों की शिक्षा से कर्तव्यों का यथार्थ ज्ञान मिलता है कि जिससे मनुष्य जीवन का उद्देश्य पूरा होता हो? ऐसा नहीं है। यदि ऐसा होता तो फिर सभी मनुष्य आपस में प्रेम से रहते और उनकी धार्मिक, आत्मिक, मानसिक, […] Read more » अर्थ आचरण कर धर्म काम मनुष्य का धर्म मनुष्य का धर्म विवेक की प्राप्ति मनुष्य का धर्म सद्ज्ञान मोक्ष की प्राप्ति
जरूर पढ़ें समाज इसलिए भी पृथ्वी दिवस मनायें भारतीय April 22, 2015 / April 22, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment -अरुण तिवारी- -22 अप्रैल-पृथ्वी दिवस पर विशेष- यूं तो मैं सीधे-सीधे कह सकता हूं कि 22 अप्रैल-पृथ्वी दिवस, सिर्फ संयुक्त राष्ट्र संघ अथवा संयुक्त राज्य अमेरिका से जुङे संगठनों व देशों को पृथ्वी के प्रति दायित्व निर्वाह की याद दिलाने का मौका नहीं है; यह प्रत्येक जीव के याद करने का मौका है कि पृथ्वी […] Read more » Featured अर्थ इसलिए भी पृथ्वी दिवस मनायें भारतीय पृथ्वी पृथ्वी दिवस
जरूर पढ़ें विविधा कैसे बना पृथ्वी दिवस ? April 22, 2015 / April 22, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment -अरुण तिवारी- -22 अप्रैल-पृथ्वी दिवस पर विशेष- भारतीय कालगणना दुनिया में सबसे पुरानी है। इसके अनुसार, भारतीय नववर्ष का पहला दिन, सृष्टि रचना की शुरुआत का दिन है। आईआईटी, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ. बिशन किशोर कहते हैं कि यह एक तरह से पृथ्वी का जन्मदिन की तिथि है। तद्नुसार इस भारतीय नववर्ष पर […] Read more » 22 अप्रैल Featured अर्थ पृथ्वी पृथ्वी दिवस