Tag: अर्थ

धर्म-अध्यात्म

‘नित्य पठनीय एवं आचरणीय सर्वतोमहान धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’

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मनमोहन कुमार आर्य,  परमात्मा ने इस सृष्टि और मनुष्य आदि प्राणियों को बनाया है। परमात्मा, जीवात्मा और प्रकृति का अखिल विश्व में स्वतन्त्र अस्तित्व है। यह तीनों सत्तायें मौलिक, अनादि, नित्य, अनुत्पन्न, अविनाशी गुणों वाली हैं। परमात्मा ने यह सृष्टि जीवों के कर्मों के सुख व दुःख रूपी फल प्रदान करने के लिये बनाई है। […]

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धर्म-अध्यात्म

‘सत्यार्थ-प्रकाश लिखकर ऋषि दयानन्द ने मानव जाति का उपकार किया है’

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मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द वेद, इतिहास एवं संस्कृति के मूर्धन्य विद्वान व प्रचारक थे। उन्होंने सहस्रों की संख्या में संस्कृत भाषा के प्राचीन शास्त्रीय व इतर ग्रन्थों का अध्ययन किया था और लगभग तीन सहस्र ग्रन्थों को प्रामाणिक माना था। वेद सहित ऋषि दयानन्द अष्टाध्यायी-महाभाष्य व्याकरण, निरुक्त, ब्राह्मण ग्रन्थ, दर्शन, उपनिषद, रामायण, महाभारत, चरक, […]

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धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर हमें अन्धकार से हटाकर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्राप्त कराये”

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–मनमोहन कुमार आर्य, जीवात्मा और परमात्मा का व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध है। जीवात्मा में ईश्वर व्यापक है और जीवात्मा ईश्वर में व्याप्य है। सर्वव्यापक ईश्वर जीवात्मा से सूक्ष्म है और इसके भीतर भी व्यापक है। मनुष्य जीवन मिलने पर जीवात्मा अन्तःकरण चतुष्टय और ज्ञान व कर्मेन्द्रियों की सहायता से सत्य व असत्य, ज्ञान व अज्ञान, हित व […]

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