विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-39 October 4, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  सिंधु नदी के मुहाने से लेकर कुमारी अंतरीप तक समुद्र के किनारे रहने वाले लोगों के प्रयत्नों का ही प्रभाव था कि उनकी शानदार सभ्यता यहां पुष्पित एवं पल्लिवत हुई। ये लोग समुद्र के किनारे-किनारे चलकर ओमान, यमन होते हुए शक्तिशाली धारा को पार करके मिस्र न्यूकिया एवं अबीसिनिया आये। ये […] Read more » Featured India India as world leader भारत भारतीय संस्कृति विश्वगुरू विश्वगुरू भारत
विविधा 21 जून : भारत वंदन दिवस June 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment जब संसार एक मौन क्रांति से बाहर निकलकर अर्थात अपने 'द्विज' बनने की साधना को पूर्ण करके अपनी साधना (संसार में सात्विक लोगों के संगठनीकरण की प्रक्रिया) से बाहर आएगा तो उस सफलता में भारत की बड़ी भूमिका होगी। निश्चय ही उस समय भारत का अतीत वर्तमान विश्व के मंचों पर विराजमान होगा और सारा संसार उसकी आरती कर रहा होगा। उस भव्य और दिव्य दिवस की आहट 21 जून ने दे दी है। अभी तो शुरूआत है। आने वाला समय निश्चय ही अच्छा होगा। Read more » 21 जून Featured अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ आरती प्रधानमंत्री भारत भारतीय संस्कृति मां भारती संसार
प्रवक्ता न्यूज़ वेद, तंत्र एवं योग की त्रिवेणी है भारतीय संस्कृति January 8, 2017 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment भारतीय ज्ञान-परंपरा के वाहक हैं अभिनवगुप्त : जे. नंदकुमार आचार्य अभिनवगुप्त की सहस्त्राब्दी वर्ष के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय विद्वत संगम’ का आयोजन बेंगलूरु। पिछले वर्ष तक देश में आचार्य अभिनवगुप्त के बारे में शोधार्थियों को भी अधिक जानकारी नहीं थी। परंतु, जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र के प्रयास से देश में एक वातावरण बन गया है। आचार्य अभिनवगुप्त […] Read more » 'राष्ट्रीय विद्वत संगम' का आयोजन भारतीय संस्कृति
कला-संस्कृति जन-जागरण मीडिया हमारी भारतीय संस्कृति खुद उन्नति साधक एवं चरित्र निर्णायक July 23, 2016 / July 24, 2016 by शालिनी तिवारी | Leave a Comment खुला खत देशवासियों के नाम एक ऐसा खुला खत, जो प्रत्येक भारतीय को अपनी भारतीयता से रूबरू कराकर गौरवान्वित कर देगा और साथ ही साथ गर्त की ओर बढ़ रहे कदम पर भी विराम लगाने को मजबूर कर देगा । मेरे प्रिय देशवासियों, हम सबको पता है कि हममें से अधिकतर लोग या तो पाश्चात्य […] Read more » Featured भारतीय संस्कृति
वर्त-त्यौहार समाज भारतीय संस्कृति के उदार सामाजिक बुनावट की पहचान है होली March 21, 2016 by एम. अफसर खां सागर | Leave a Comment एम. अफसर खां सागर सदियों पूराना होली का त्यौहार तन और मन पर पड़े तमाम तरह के बैर, द्वेष और अहंकार को सतरंगी रंगों में सराबोर करके मानव जीवन में उल्लास और उमंग के संचार का प्रतीक है। होली रंगों, गीतों और वसंत के स्वागत का त्यौहार है। होली के दिनों में हुड़दंग, हुल्लड़, रंग […] Read more » Featured festival of colours Holi उदार सामाजिक बुनावट भारतीय संस्कृति सामाजिक बुनावट की पहचान है होली होली
कला-संस्कृति विविधा भारतीय संस्कृति शास्वत है November 30, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी विश्व की सर्वोत्तम बातें, ज्ञान, विचार चिन्तन और आचरणों को जानना , विचार करना, चिन्तन करना तथा अपने जीवन का अंग बनाना ही संस्कृति होती है । इससे शारीरिक,मानसिक वैचारिक एवं अध्यात्मिक शक्तियों का अर्जन, प्रशिक्षण, दृढीकरण , उन्नयन और विकास होता है । मन आचार आचार और रूचियां परिष्कृत होती हैं […] Read more » Featured भारतीय संस्कृति भारतीय संस्कृति शास्वत है
प्रवक्ता न्यूज़ समाज गीता की हत्या ! क्या कुंठित मानसिकता से ग्रस्त समाज लेगा सबक April 6, 2015 / April 11, 2015 by लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार | 1 Comment on गीता की हत्या ! क्या कुंठित मानसिकता से ग्रस्त समाज लेगा सबक सदियों से महिलाओं की स्थिति निम्न रही है यातनाएं भरी जीवन आज भी जी रही है। नारी की महत्वकांक्षा कहें या महत्ता पुरूष के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं फिर भी अपेक्षाओं के अनुरूप नारी जाति का सम्मान समाज में नही मिल पा रही है आज आजादी के बाद भी उपेक्षित का […] Read more » Featured गीता की हत्या ! क्या कुंठित मानसिकता से ग्रस्त समाज लेगा सबक भारतीय संस्कृति महिलाओं की स्थिति मुखाग्नि लक्ष्मी नारायण लहरे
कला-संस्कृति भारत July 28, 2014 / September 18, 2014 by राम सिंह यादव | 1 Comment on भारत -राम सिंह यादव- आज जब सारी मानवता पर विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है तब चिर युवा भारत एक नए जोश के साथ अंगड़ाई ले रहा है। शताब्दियों की परतंत्रता के बाद एक साधु ने राजनीति की कमान संभाली है। अद्भुत ब्रह्मांड की सजीव संरचना पृथ्वी के ठीक मध्य में स्थित भारत की पारलौकिकता […] Read more » भारत भारतीय संस्कृति
विविधा राष्ट्राभिमान का जागरण June 27, 2014 by प्रवीण दुबे | 2 Comments on राष्ट्राभिमान का जागरण -प्रवीण दुबे- अपनी संस्कृति, परम्परा और राष्ट्र पर अभिमान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। जो लोग या राष्ट्र ऐसा नहीं करते वे नष्ट हो जाते हैं। इस दृष्टि से भारत का विचार किया जाए तो किसी ने ठीक ही कहा है- ‘यूनान मिश्र रोमां सब मिट गए जहां से कुछ बात है कि हस्ती […] Read more » देशभक्ति भारतीय संस्कृति राष्ट्राभिमान राष्ट्राभिमान का जागरण
व्यंग्य दान वही जो दाता बनाए …! June 13, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment -तारकेश कुमार ओझा- भारतीय संस्कृति में दान का चाहे जितना ही महत्व हो, लेकिन यह विडंबना ही है कि दान समर्थ की ही शोभा पाती है। मैं जिस जिले में रहता हूं, वहां एक शिक्षक महोदय एेसे थे, जिन्होंने अपने सेवा काल में एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली, औऱ रिटायर होने पर जीवनभर […] Read more » दान वही जो दाता बनाए बाबा रामदेव भारतीय संस्कृति व्यंग्य शिल्पा शेट्टी
कला-संस्कृति वर्तमान में भारतीय संस्कृति पर हिन्दी फिल्मों का बुरा प्रभाव June 12, 2014 by विकास कुमार | 1 Comment on वर्तमान में भारतीय संस्कृति पर हिन्दी फिल्मों का बुरा प्रभाव -विकास कुमार- भारतीय संस्कृति पर वर्तमान समय में हिन्दी फिल्मों का बुरा प्रभाव पढ़ रहा हैं| आजकल आने वाली लगभग सभी फिल्मों में हिन्दी फिल्मों में अश्लीलता, चरित्रहीनता आदि बातो को दर्शाया जा रहा है| जिसका हमारे देश के युवाओं पर बुरा प्रभाव पढ़ रहा है| फ़िल्म निर्माता अपने लाभ के लिये फिल्मो में अश्लीलता […] Read more » फिल्म का प्रभाव भारतीय संस्कृति संस्कृति प्रभाव हिन्दी फिल्म
कला-संस्कृति विराट भारत – समाज अपना May 8, 2014 by कन्हैया झा | Leave a Comment -कन्हैया झा- संस्कृत के शब्द विराट का अर्थ है “एक ऐसा विशाल जिसमें सब चमकते हैं”. इसी शब्द से जुड़े अन्य शब्द सम्राट, एकराट (मनुष्य), राष्ट्र आदि हैं. अर्थात विराट भारत की कल्पना एक ऐसे राष्ट्र की है जिसका तंत्र सभी को सुख देने में समर्थ है. “सर्वे भवन्तु सुखिनः” श्रृंखला के पिछले ९ लेखों […] Read more » इंडिया भारत भारतीय समाज भारतीय संस्कृति विराट भारत