राजनीति लोकतंत्र में लोकलाज July 27, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव लोकतंत्र में लोक-राज की लाज किसने रखी, किसने खोई इसका ताजा उदाहरण बिहार में महागठवंध की पृष्ठभूमि से उभरे नए गठबंधन की छाया में देखा जा सकता है। एक पिता ने पुत्र को सत्ता में बने रहने के लिए धृतराष्ट्र को अनुसरण किया। नतीजतन सत्ता तो खोई ही अपने कुनबे के भविष्यको भी […] Read more » Featured लोकतंत्र
विविधा महंगी न्याय प्रणाली July 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य देश को आजाद हुए 70 वर्ष हो गये, पर दुर्भाग्य है हमारा कि आज भी हमारे देश में लगाया पैंतीस हजार वही कानून लागू हैं, जो अंग्रेजों ने अपने शासनकाल के दौरान लागू किये गये थे। कानूनी प्रक्रिया भी वही है, जो अंग्रेजों ने यहां चलायी थी। अंग्रेजों की न्यायप्रणाली में दोष […] Read more » Featured Indian judiciary getting costlier justice delay justice denied लोकतंत्र
राजनीति राजनीति में एक ‘नचकैंया भालू’ July 11, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य भारत लोकतंत्र की जन्मस्थली है। आज का ब्रिटेन और अमेरीका तो भारत के लोकतंत्र की परछाईं मात्र भी नहीं है। हमारे ‘शतपथ ब्राह्मणादि ग्रंथों’ में राजनीतिशास्त्रियों के लिए कई बातें अनुकरणीय रूप से उपलब्ध हैं। ‘शतपथ ब्राह्मण’ में राजकीय परिवार के लोगों के राजनीतिक अनुभवों से देश को लाभान्वित करने के उद्देश्य […] Read more » Featured भारत राजनीति लालू लोकतंत्र
विविधा दूषित सोच से लोकतंत्र का कमजोर होना July 1, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment हमारी विरोध की ताकत भी किन्हीं संकीर्णताओं की शिकार है। यही कारण है कि इन स्थितियों से गुरजते हुए, विश्व का अव्वल दर्जे का लोकतंत्र कहलाने वाला भारत आज अराजकता के चैराहे पर है। जहां से जाने वाला कोई भी रास्ता निष्कंटक नहीं दिखाई देता। इसे चैराहे पर खडे़ करने का दोष जितना जनता का है उससे कई गुना अधिक राजनैतिक दलों व नेताओं का है जिन्होंने निजी व दलों के स्वार्थों की पूर्ति को माध्यम बनाकर इसे बहुत कमजोर कर दिया है। Read more » Featured Tylene Lyngdoh ताइलिन लिंगदोह लोकतंत्र लोकतंत्र में गरीब
राजनीति लोकतंत्र में गरीब को क्या मिलता है ? April 28, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on लोकतंत्र में गरीब को क्या मिलता है ? भारत में कुल 4120 विधायक और 462 विधान परिषद सदस्य हैं अर्थात कुल 4,582 विधायक। प्रति विधायक वेतन भत्ता मिला कर प्रति माह 2 लाख का खर्च होता है। अर्थात 91 करोड़ 64 लाख रुपया प्रति माह। इस हिसाब से प्रति वर्ष लगभ 1100 करोड़ रूपये। भारत में लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 776 सांसद हैं। इन सांसदों को वेतन भत्ता मिला कर प्रति माह 5 लाख दिया जाता है। अर्थात कुल सांसदों का वेतन प्रति माह 38 करोड़ 80 लाख है। और हर वर्ष इन सांसदों को 465 करोड़ 60 लाख रुपया वेतन भत्ता में दिया जाता है। अर्थात भारत के विधायकों और सांसदों के पीछे भारत का प्रति वर्ष 15 अरब 65 करोड़ 60 लाख रूपये खर्च होता है। ये तो सिर्फ इनके मूल वेतन भत्ते की बात हुई। इनके आवास, रहने, खाने, यात्रा भत्ता, इलाज, विदेशी सैर सपाटा आदि का का खर्च भी लगभग इतना ही है। अर्थात लगभग 30 अरब रूपये खर्च होता है इन विधायकों और सांसदों पर। Read more » गरीब लोकतंत्र लोकतंत्र में गरीब
विविधा गांधीवाद की परिकल्पना- 5 April 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गांधीजी को लोकतंत्र का प्रबल समर्थक भी कहा जाता है। उनके चहेते शिष्य जवाहरलाल ने इस बात का बहुत बढ़-चढक़र प्रचार किया। जबकि उस समय की परिस्थिति गत साक्ष्य यह सिद्घ कर रहे हैं कि गांधीजी का लोकतंत्र में नही अपितु अधिनायकवाद में दृढ़ विश्वास था। अब संक्षिप्त चर्चा इस पर करते हैं। भारतीय समाज में ऐसे व्यक्ति को बुद्घिमान माना जाता है जो देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार उचित निर्णय लेने में सक्षम और समर्थ होता है तथा अपने कार्य को निकालने में सफल होता है। गांधीजी भारतीय समाज व संस्कृति के इस तात्विक सिद्घांत को पलट देना चाहते थे। Read more » Featured असहयोग आंदोलन गाँधीजी गाँधीवाद लोकतंत्र सदगुरू रामसिंह ने प्रारंभ किया असहयोग आंदोलन
राजनीति गलती कांग्रेस की, ठीकरा राज्यपाल पर March 18, 2017 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद महात्मा गांधी ने कहा था कि देश को अब कांग्रेस की आवश्यकता नहीं है। इसलिए कांग्रेस को समाप्त कर देना चाहिए। पांच राज्यों के चुनाव परिणामों पर नजर डाली जाए तो यही परिलक्षित होता दिखाई देता है कि देश की जनता ने महात्मा गांधी की बात पर अमल करना प्रारंभ कर दिया है। क्योंकि इन पांच राज्यों में से चार राज्यों में भाजपा की सरकार बन चुकी है या बनने वाली है। वर्तमान में पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के सपने को साकार करने के लिए अपने कदम बढ़ाता हुआ दिखाई दे रहा है। Read more » Featured कांग्रेस मुक्त भारत गोवा में राज्यपाल की भूमिका को लोकतंत्र की हत्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकतंत्र लोकतंत्र की हत्या लोकतांत्रिक प्रक्रिया
विविधा लोकतंत्र के दुर्ग में अनैतिक मूल्यों के छिद्र January 25, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग इन दिनों सभी दलों द्वारा विभिन्न जातियों में समीकरण बैठाने की कोशिशें की जा रही हैं। पंजाब में तो धार्मिक स्थान राजनीतिक मंच बने हुए हैं। हर कोई डेरों की तरफ दौड़ रहा है। किसी नेता को अर्जुन के रूप में पेश किया जा रहा है तो किसी को भगवान श्रीकृष्ण। कुछ राजनीतिक […] Read more » अनैतिक मूल्यों के छिद्र लोकतंत्र
राजनीति संसदीय गरिमा के समक्ष पस्त होते लोकतंत्र का दर्द! December 9, 2016 by निरंजन परिहार | Leave a Comment लोकसभा ठप है। चल नहीं रही है। हंगामा हो रहा है। सरकार सदन चलाना चाहती है। लेकिन विपक्ष अड़ा हुआ है। सरकार के आगे खड़ा हुआ है। जनता के लिए भिड़ा हुआ है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तरीके से चल रहे हैं। कहावतें भले ही सौ दिन में अढाई कोस चलने की हो। लेकिन पंद्रह दिन से ज्यादा वक्त हो गया हैं। सदन कुछ घंटे भी नहीं चला है। देश कतार में खड़ा है Read more » adjournament of parliament Featured पस्त होते लोकतंत्र का दर्द लोकतंत्र लोकतंत्र का दर्द संसदीय गरिमा
राजनीति आग मांगता फिर रहा-लोकतंत्र July 24, 2016 / July 24, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment उत्तर प्रदेश भाजपा के एक उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की ओर से उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री रहीं कुमारी मायावती को लेकर की गयी एक अभद्र टिप्पणी के पश्चात देश की राजनीति गरमा गयी है। 20 जुलाई को इस अभद्र टिप्पणी को लेकर देश की संसद में भी ‘गरमी’ बनी रही। राज्यसभा में बसपा सुप्रीमो ने […] Read more » bjp BSP Dayashankar Singh Featured Mayawati अभद्र टिप्पणी मायावती आग भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह लोकतंत्र
राजनीति भारत में लोकतंत्र और मनुवाद का समन्वय July 24, 2016 / July 24, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment भाजपा ने बसपा सुप्रीमो कुमारी मायावती के विरूद्घ अभद्र टिप्पणी करने वाले अपने पार्टी नेता दयाशंकर सिंह को पार्टी से निकाल दिया है। पर उसके उपरांत भी बसपा कार्यकर्ताओं ने अपने प्रदर्शनों में अशोभनीय और अभद्र भाषा का प्रयोग निरंतर जारी रखा हुआ है। ऐसे में प्रश्न है कि दयाशंकर सिंह पर तो कार्यवाही हो […] Read more » Featured दयाशंकर सिंह बसपा भाजपा भारत मनुवाद मायावती लोकतंत्र
राजनीति मजबूत लोकतंत्र के लिये नये लीडर तलाशने होंगे July 21, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग वर्तमान में भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र एक जीवित तंत्र है, जिसमें सबको समान रूप से अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार चलने की पूरी स्वतंत्रता होती है। लोकतंत्र की नींव जनता के मतों पर टिकी होती है। नागरिकों की आशा-आकांक्षाओं के अनुरूप प्रशासन देने वाला, संसदीय प्रणाली पर आधारित इसका […] Read more » new leaders for strong democracy नये लीडर तलाशने होंगे मजबूत लोकतंत्र लोकतंत्र