महत्वपूर्ण लेख संविधान में अपरिभाषित है, धर्मनिरपेक्षता August 13, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment -प्रमोद भार्गव- गीता या रामायण के नैतिक मूल्यों और चारित्रिक शुचिता से जुड़े अंशों को जब भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात आती है तो वामपंथी दल व बुद्धिजीवी इन पहलों को लोकतंत्र के मूलभूत संवैधानिक धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के विरूद्ध बताने लगते हैं। यह सही है कि भारत का धर्मरिपेक्षस्वरूप भारतीय संविधान का बुनियादी […] Read more » धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान संविधान संविधान में अपरिभाषित है धर्मनिरपेक्षता
विविधा संगठन के नीचे दबता जा रहा है संविधान December 1, 2012 / December 1, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on संगठन के नीचे दबता जा रहा है संविधान बीपी गौतम बचपन में कहानियों के माध्यम से सिखाया जाता रहा है कि संगठन में बहुत बड़ी शक्ति होती है। एक लकड़ी को सामान्य व्यक्ति भी तोड़ सकता है, पर इकट्ठी लकड़ियों को शक्तिशाली व्यक्ति भी नहीं तोड़ सकता। धागे को बच्चा भी तोड़ सकता है और कई धागों से मिल कर बनी रस्सी से […] Read more » संगठन संविधान
समाज समानता का मूल अधिकार विभेद की मनाही नहीं करता! September 4, 2012 / September 4, 2012 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 2 Comments on समानता का मूल अधिकार विभेद की मनाही नहीं करता! समानता का मतलब सबको आँख बंद करके एक समान मानना नहीं है, बल्कि सरकार के द्वारा समान लोगों के साथ समान व्यवहार करना है, जिसके लिए एक समान लोगों, समूहों और जातिओं का वर्गीकरण करना समानता के मूल अधिकार को लागू करने के लिए अत्यंत जरूरी है! अत: अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता के मूल […] Read more » आरक्षण समानता संविधान
विविधा अन्ना का आंदोलन और संविधान August 22, 2011 / December 7, 2011 by श्याम नारायण रंगा | 2 Comments on अन्ना का आंदोलन और संविधान श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’ पूरे देश में अभी अन्ना के आंदोलन की गूंज है। जिसे देखो वो अन्ना के समर्थन में नारे लगाता दिखाई दे रहा है। जनाब ये लोकतंत्र है यहॉं जनता का राज है सो आंदोलन होना और उसमें लोगों का जुड़ना लोकशाही का एक तरीका है। तंत्र की कोई व्यवस्था अगर लोक […] Read more » Constitution अन्ना हजारे संविधान
विधि-कानून आरक्षण – संविधान की मूल प्रस्तावना का अपमान है August 12, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 3 Comments on आरक्षण – संविधान की मूल प्रस्तावना का अपमान है विपिन किशोर सिन्हा भारत के मूल संविधान की प्रस्तावना मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है। उसका हिन्दी अनुवाद भी उपलब्ध है, लेकिन विश्वसनीय संदर्भ के लिए अंग्रेजी प्रस्तावना ही दी जा रही है — WE THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a SOVEREIGN SOCIALIST DEMOCRATIC REPUBLIC and to […] Read more » Reservation आरक्षण संविधान
राजनीति संविधान या अन्ना का विधान July 5, 2011 / December 9, 2011 by डॉ. सी. पी. राय | 4 Comments on संविधान या अन्ना का विधान डॉ. सी. पी. राय ना संसद ना संविधान से, अब देश चलेगा अन्ना के विधान से और देश में केवल नकारात्मक बात करने वाले और भोजपुरी में कहे तो गलचौरी करने वाले इस विधान के लागू होने से पहले तक ताली बजायेंगे, लेख लिखेंगे, फेसबुक सहित सभी ऐसे स्थानों पर नयी आजादी की कहानियां लिखेंगे| […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे संविधान
विधि-कानून एक संविधान, फिर दो विधान क्यों? July 28, 2010 / December 23, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 8 Comments on एक संविधान, फिर दो विधान क्यों? -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 चीख चीख कर कहता है कि भारत में सभी लोगों को कानून के समझ समान समझा जायेगा और सभी लोगों को कानून का समान संरक्षण प्राप्त होगा। अनुच्छेद13 में यह भी कहा गया है कि यदि उक्त प्रावधान का उल्लंघन करने वाला या कम करने वाला […] Read more » Constitution संविधान
प्रवक्ता न्यूज़ जिन्ना ने संविधान सभा में दिए सेकुलर भाषण को खुद ही नकार दिया था – वर्गीज August 19, 2009 / December 27, 2011 by राकेश उपाध्याय | Leave a Comment नई दिल्ली: प्रख्यात पत्रकार बीजी वर्गीज ने मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा पाकिस्तान की संविधान सभा के समक्ष 11 अगस्त, 1947 को दिए गए भाषण को अमान्य कर दिया है। जसवंत सिंह की जिन्ना की जीवनी पर आधारित पुस्तक के लोकार्पण समारोह के पश्चात हिंदुस्थान समाचार से एक विशष बातचीत में उन्होंने कहा कि विभाजन के […] Read more » Jinna मोहम्मद अली जिन्ना संविधान