धर्म-अध्यात्म शूद्रों को ब्राह्मण बनाने वाले परशुराम April 17, 2018 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on शूद्रों को ब्राह्मण बनाने वाले परशुराम शूद्रों को ब्राह्मण बनाने वाले परशुराम प्रमोद भार्गव समाज को बनाने की जिम्मेदारी उस समाज के ऊपर होती है, जिसके हाथ में सत्ता के तंत्र होते हैं। इसीलिए जब परशुराम के हाथ सत्ता के सूत्र आए तो उन्होंने समाजिक उत्पीड़न झेल रहे शूद्र और वंचितों को मुख्यधारा में लाकर पहले तो उनका यज्ञोपवीत संस्कार कराकर […] Read more » Featured अविस्थान (अफगानिस्तान) मुंजावत ; हिन्दुकुश आर्याण ; (ईरान) देवलोक कान्यकुब्ज ;कन्नौज के गाधि चंद्रवंशी परशुराम मेरु (पामिर) ;सीरिया (परशुपुर) पारस वर्तमान फारस समाज सुसर्तु ;पंजक्षीर उत्तर कुरु सूर्यवंशी और यादववंशी
समाज ये कहा आ गये हम…..लडते लडते……… April 16, 2018 by शादाब जाफर 'शादाब' | 1 Comment on ये कहा आ गये हम…..लडते लडते……… शादाब ज़फ़र शादाब यह कैसा देश और समाज बना दिया है हमने,जहाँ हम हिंदू हैं या मुसलमान!या तो देशभक्त हैं या देशद्रोही!हमारी पीड़ाएँ तक बाँट दी गई हैं।आठ साल की लड़की से एक देवस्थान में बलात्कार होता है,तो मरी हुई बच्ची के साथ बलात्कार करनेवाला पुलिस का आदमी नहीं रह जाता, तुरंत हिंदू बना दिया […] Read more » Featured देश बलात्कार मुसलामन वकील विधायक समाज सरकार हिन्दू
समाज साहित्य साहित्य समाज का दर्पण है April 9, 2018 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on साहित्य समाज का दर्पण है आर के रस्तोगी “साहित्य समाज का दर्पण है” वो कैसे ?जिस तरह से आप दर्पण या शीशे (Miror) में अपने आप को देखते हो या निहारते हो तो आप उसी तरह से दिखाई देते हो जैसे आप हो| ठीक उसी तरह से साहित्य भी ऐसे देखने को मिलेगा जैसा समाज है क्योकि कोई लेखक या […] Read more » "कफ़न" "निर्मला" "मंगल सूत्र" Featured इतिहास गोदान दर्पण समाज साहित्य
समाज संवेदनहीन होता समाज February 1, 2018 by देवेंद्रराज सुथार | Leave a Comment अक्सर बच्चे गलती करते हैं और बच्चों की गलती सुधारने के लिए इस दुनिया में माता-पिता होते हैं, बच्चे की पहली पाठशाला भी माता-पिता ही होते हैं, जहां से बच्चा शिष्टाचार सीखता है। माता-पिता वह तोहफा है जो हमें हर गलत काम करने से रोकते हैं और हमें सही राह दिखाते हैं, लेकिन किसी गलती […] Read more » Featured society getting emotionless समाज संवेदनहीन संवेदनहीन समाज
पुस्तक समीक्षा समाज, प्रकृति और विज्ञान September 18, 2017 by अरुण तिवारी | Leave a Comment समाज का प्रकृति एजेण्डा जगाती एक पुस्तक समीक्षक: अरुण तिवारी पुस्तक का नाम: समाज, प्रकृति और विज्ञान लेखक: श्री विजयदत्त श्रीधर, श्री राजेन्द्र हरदेनिया, श्री कृष्ण गोपाल व्यास, डाॅ. कपूरमल जैन, श्री चण्डी प्रसाद भट्ट संपादक: श्री राजेन्द्र हरदेनिया प्रकाशक: माधवराव सप्रे स्मृति समाचारप संग्रहालय, एवम् शोध संस्थान, माधवराव सप्रे मार्ग (मेन रोड नंबर […] Read more » प्रकृति और विज्ञान समाज
खान-पान समाज जंकफूड से बीमार हो रहा है समाज February 2, 2017 / February 2, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग दुनिया भर में सबसे ज्यादा लोग खानपान की विकृति की वजह से बीमार हो रहे हैं। खानपान की इस विकृति का नाम है जंकफूड और इससे पैदा हुई महामारी का नाम मोटापा है। स्थिति तब और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है, जब हमें पता चलता है कि इनमें चैथाई तो बच्चे हैं। […] Read more » Featured जंकफूड जंकफूड से बीमार बीमार हो रहा है समाज समाज
समाज ऐसे निर्दयी रिश्तों और समाज का मूल्य क्या है? October 5, 2016 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment कितने ही पुत्र, पिता और भाई आत्मग्लानी, तनाव, रुदन और आत्मघात के शिकार हो रहे हैं। बावजूद इसके ऐसे मामले सूचना क्रान्ति के वर्तमान युग में भी दबे-छिपे रहते हैं, क्योंकि आत्मीय रिश्तों को किसी भी तरह से बचाने की जद्दो-जहद में इस प्रकार की अन्यायपूर्ण घटनाएं चाहकर भी व्यथित पक्ष द्वारा औपचारिक तौर पर सार्वजनिक रूप उजागर नहीं की जाती हैं Read more » Featured निर्दयी रिश्तों और समाज का मूल्य समाज
विविधा जल संरक्षण के लिए समाज को जागृत करने का एक सार्थक प्रयास…. June 2, 2016 / June 2, 2016 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment *नवीन सविता बीते दिनो ड्रीम वैली कॉलेज द्वारा कला वीथिका, ग्वालियर में जल संरक्षण पर चित्रकला का आयोजन किया गया, आयोजन में विद्यार्थियों एवं पेशेवर चित्रकारों ने पेंटिंग के माध्यम से पानी की कमी होने पर क्या स्थिति निर्मित हो सकती है इसको चित्रों के माध्यम से समाज के बीच दर्शाया गया, इस आयोजन में […] Read more » Featured tips for water conservation Water Conservation जल संरक्षण जागृत समाज सार्थक प्रयास सार्थक प्रयास जल संरक्षण
समाज समाज को खोखला करता तलाक का फैशन March 21, 2016 by अश्वनी कुमार, पटना | 1 Comment on समाज को खोखला करता तलाक का फैशन एक अनजानी मासूम अजनबी सी लाडली अपनी जन्मभूमि को छोड़ किसी पराये घर में पराये व्यक्ति के साथ रहने जाती है, जहाँ उसका अपना कोई नहीं होता सिवाय रिश्तों के| लेकिन हम मर्द उस एहसास को कभी महसूस नहीं कर पाते चाहे वो कितना भी पढ़ा-लिखा हो, कितना भी समझदार क्यूँ न हो? एक रिपोर्ट […] Read more » Featured increasing divorce cases in India खोखला करता तलाक तलाक तलाक का फैशन तलाक का बढ़ता प्रचलन समाज
परिचर्चा समाज और धर्म की समापन किस्त June 17, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -गंगानंद झा- जब अपने बड़े बेटे के हाई स्कूल में नामांकन का अवसर उपस्थित हुआ तो मेरे सामने चुनाव की समस्या आई, किस स्कूल में नामांकन कराया जाए? तब सीवान में लड़कों के तीन और लड़कियों के दो हाई स्कूल हुआ करते थे । लड़कों के स्कूलों के नाम थे डी.ए. वी. हाई स्कूल, इस्लामिया […] Read more » Featured धर्म समाज समाज और धर्म की समापन किस्त
कला-संस्कृति समाज और धर्मः एक June 13, 2015 by गंगानन्द झा | Leave a Comment -गंगानंद झा- हम अपने को औसत लोगों से भिन्न इस अर्थ में समझते रहे कि‘ विरासत से पाई गई प्रज्ञा‘(received wisdom) के प्रति असहमति को हमने अपनी चेतना में सम्मिलित किया है। सीवान में हमने अपने इस मूल्यांकन को आईना में देखा। धर्म की बात उठाकर राजनैतिक बुद्धि चाहे जितना फायदा उठा ले— वह सत्य […] Read more » Featured धर्म समाज
साहित्य भाषा और समाज June 6, 2015 / June 6, 2015 by गंगानन्द झा | 1 Comment on भाषा और समाज -गंगानंद झा- बात सन् 1989 की है, ‘बाबरी मस्जिद-राम मन्दिर’ का हंगामा चल रहा था, तभी कुछ दोस्तों ने शहर की दीवालों पर जगह-जगह चिपके बहुत सारे पोस्टर्स की ओर ध्यान दिलाया । ये पोस्टर्स उर्दू में थे, इनके मज़मून के बारे में कहा जा रहा था कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के नाम पर […] Read more » Featured उर्दू देश भाषा भाषा और समाज समाज हिन्दी