धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द लिखित राजा भोज के जीवन की कुछ विशेष बातें” November 20, 2018 / November 20, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) जी ने अपने विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के ग्यारहवें समुल्लास में राजा भोज (1010-1055) के समय पुराणों की रचना एवं महाभारत व इसके प्रक्षेपों की चर्चा की है। उन्होंने राजा भोज के समय में विद्यमान कुछ वैज्ञानिक आविष्कारों व उपकरणों का भी उल्लेख किया है। ऋषि दयानन्द वेद, […] Read more » अन्धविश्वासों ऋषि दयानन्द वेद भेदभाव महर्षि दयानन्द सरस्वती मिथ्यापूजा वैदिक विज्ञान वैदिक साहित्य सामाजिक
समाज सोशल मीडिया : वरदान भी अभिशाप भी November 10, 2018 / November 10, 2018 by अभिलेख यादव | Leave a Comment डॉ जीतेंद्र प्रताप जवाहर नवोदय विद्यालय मुडिपु, दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक, 574153 संपर्क सूत्र 9739198095 मानव ईश्वर का अब तक का सर्वश्रेष्ठ सृजन है जो अन्य प्राणियों की तुलना में सोचने -समझने की असीम शक्ति लेकर पैदा होता है। अपने आदिम समय से लेकर आज तक उसने न जाने कितनी खोजें की हैं जिन्होंने उसके जीवन […] Read more » इंस्टाग्राम ट्विटर देश व समाज को आर्थिक फेसबुक मायस्पेस लिंकडइन व्यक्ति व्हाट्सएप संगठन सामाजिक सांस्कृतिक सोशल मीडिया : वरदान भी अभिशाप भी
राजनीति लोकतांत्रिक मूल्यों को मान देने वाले महानायक October 10, 2018 / October 10, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग – स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर स्वतंत्र भारत की राजनीति में जिन महान नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभायीं, उनमें लोकनायक जयप्रकाश नारायण का नाम प्रमुख है। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान वे ब्रिटिश शासकों की हिरासत में रहे, तो दशकों बाद आजाद हिंदुस्तान की सरकार ने उन्हें आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया। देश और […] Read more » आर्थिक जयप्रकाश नारायण बौद्धिक राजनैतिक शैक्षणिक सामाजिक सांस्कृतिक
धर्म-अध्यात्म “आध्यात्मिकता रहित भौतिक सुखों से युक्त जीवन अधूरा व हानिकारक है” September 28, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “आध्यात्मिकता रहित भौतिक सुखों से युक्त जीवन अधूरा व हानिकारक है” मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य मननशील प्राणी है। मनुष्य अन्नादि से बना भौतिक शरीर मात्र नहीं है अपितु इसमें एक अनादि, नित्य, अविनाशी, अमर, अल्पज्ञ, जन्म-मरण धर्मा, शुभाशुभ कर्मों का कर्ता व भोक्ता जीवात्मा भी है जो इस शरीर का स्वामी है। आश्चर्य है कि अधिकांश शिक्षित व भौतिक विज्ञानी भी अपनी आत्मा के स्वरूप व […] Read more » ईश्वर धार्मिक राजधर्म सच्चिदानन्दस्वरूप सर्वव्यापक सामाजिक
धर्म-अध्यात्म समाज संसार के मार्गदर्शक हैं श्रीकृष्ण September 3, 2018 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment अरविंद जयतिलक श्रीकृष्ण साक्षात परब्रह्म और ईश्वर हैं। संसार के समस्त पदार्थों के बीज उन्हीं में निहित है। वे नित्यों के नित्य और जगत के सूत्रधार हैं। शास्त्रों में उन्हें साक्षात ईश्वर कहा गया है। कुरुक्षेत्र में उन्होंने मोहग्रस्त अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। कर्म का वह महामंत्र प्रदान किया जो मानव जाति के […] Read more » Featured जीवन त्याग ज्ञान दार्शनिक और राजनीतिक धार्मिक प्रेम और समर्पण भक्ति और कर्म राजनीति श्रीकृष्ण सामाजिक साहित्य और कला
राजनीति देश नहीं है तो कुछ नहीं है। कुछ भी नहीं August 7, 2018 / August 7, 2018 by विवेक कुमार पाठक | 1 Comment on देश नहीं है तो कुछ नहीं है। कुछ भी नहीं विवेक पाठक लेखक स्वतंत्र पत्रकार देश में संचार माध्यमों के विस्तार के साथ अब सत्ता विरोधी आंदोलन बहुत तेजी से खड़े होने की प्रवृत्ति दिखी है। तमाम आंदोलनों में कुछ भटके हुए लोगों का आवेश लोकतंत्र की मर्यादा कई बार छलनी कर जाता है। महाराष्ट्र के मराठा आंदोलन में हाल ही में दिखा। मराठाओं के […] Read more » Featured आमसभा जुलूस देश नहीं है तो कुछ नहीं है। कुछ भी नहीं धरना धार्मिक प्रदर्शन राजनैतिक राष्ट्र रैली समाज सामाजिक
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों में देश को आजादी दिलाने की भावना व प्रेरणा विद्यमान है” July 4, 2018 / July 4, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, पांच हजार से कुछ अधिक वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद से देश का तेजी से राजनैतिक, शैक्षिक व सामाजिक पतन होना आरम्भ हो गया था। महाभारत के बाद देश छोटे छोटे राज्यों में विभक्त होता गया। आचार्य चाणक्य और सम्राट विक्रमादित्य के काल में देश में छोटे राज्यों को मिलाकर […] Read more » Featured अंग्रेजों ऋषि दयानन्द गांधी जी गोपाल कृष्ण धर्म शास्त्रों फलित ज्योतिष मूर्तिपूजा सामाजिक स्वामी दयानन्द
राजनीति नेतृत्व के प्रश्न पर गहराता धुंधलका June 2, 2018 by ललित गर्ग | 1 Comment on नेतृत्व के प्रश्न पर गहराता धुंधलका ललित गर्ग- आज जबकि देश और दुनिया में सर्वत्र नेतृत्व के प्रश्न पर एक घना अंधेरा छाया हुआ है, निराशा और दायित्वहीनता की चरम पराकाष्ठा ने वैश्विक, राजनीति, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक नेतृत्व को जटिल दौर में लाकर खड़ा कर दिया है। समाज और राष्ट्र के समुचे परिदृश्य पर जब हम दृष्टि डालते हैं तो हमें […] Read more » Featured आध्यात्मिक और राष्ट्रीय नेतृत्व आर्थिक धार्मिक नये राष्ट्र नये समाज नेतृत्व के प्रश्न पर गहराता धुंधलका राजनैतिक सामाजिक
समाज डॉ॰ भीमराव आंबेडकर और उनकी धर्म विषयक अवधारणा May 29, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विवेकानंद तिवारी डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को हम संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं,हालांकि विधि विशेषज्ञ होने के साथ-साथ डॉ॰ भीमराव आंबेडकर एक प्रख्यात अर्थशास्त्री ,शिक्षा शास्त्री और सबसे बढ़कर मानवतावाद की पोषक थे. भारतीय समाज व्यवस्था में सामाजिक न्याय के योद्धा के रूप में भीमराव अंबेडकर का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है. डॉ॰ भीमराव आंबेडकर का एक […] Read more » Featured उनकी धर्म विषयक अवधारणा जमीदारों डॉ॰ भीमराव आंबेडकर पंडा- पुरोहितों बुद्धत्व और साम्यवाद बौद्ध सामाजिक साम्यवाद साहूकारों
धर्म-अध्यात्म आदर्श गुरु स्वामी विरजानन्द और आदर्श शिष्य स्वामी दयानन्द April 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आदर्श मनुष्य का निर्माण आदर्श माता, पिता और आचार्य करते हैं। ऋषि दयानन्द ने लिखा है कि वह सन्तान भाग्यशाली होती है जिसके माता, पिता और आचार्य धार्मिक होते हैं। धार्मिक होने का अर्थ है कि जिन्हें वेद व वेद परम्पराओं का ज्ञान होता है। ऋषि दयानन्द भाग्यशाली थे कि उन्हें […] Read more » Featured असमानता आदर्श ऋषि दयानन्द छूआछूत ज्योतिष पिता . आचार्य माता सामाजिक स्वामी विरजानन्द
चिंतन धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज का देश की धार्मिक, सामाजिक, शिक्षा व स्वतन्त्रता सहित सभी क्षेत्रों में प्रमुख योगदान April 10, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्यसमाज के 141 वें स्थापनादिवस 10 अप्रैल, 2016 पर मनमोहन कुमार आर्य विश्व में अनेक धार्मिक व सामाजिक संगठन हैं जिनमें आर्यसमाज एक प्रमुख व अग्रणीय संगठन है। यदि इतिहास व अवधि के आधार पर देखें तो आर्यसमाज अन्य संगठनों की तुलना में अर्वाचीन है। आर्यसमाज की स्थापना 141 वर्ष पूर्व गुजरात के टंकारा […] Read more » आर्यसमाज आर्यसमाज के 141 वें स्थापनादिवस देश धार्मिक योगदान शिक्षा सामाजिक स्वतन्त्रता
समाज मानव मात्र को बांटने की नायाब कोशिश March 4, 2011 / December 15, 2011 by इफ्तेख़ार अहमद | Leave a Comment मो. इफ्तेख़ार अहमद, यूरोपियन अब तक अपने आपको दुनिया के सबसे स्मार्ट, सभ्य और दुनियाभर को सभ्य बनाने का ठेकेदार मानते रहे हैं। इनके इस सिध्दांत को दुनियाभर से चुनौती मिली। 21वीं सदी में एशिया के उभार ने तो इसे पूरी तरह ख्वारिज कर दिया। अब ये जग जाहिर हो चुका है कि 21वीं सदी […] Read more » social सामाजिक