विविधा हिंदी दिवस हिन्दी दिवस पर आम भारतीय भी जानें क्या है भारत की राजभाषा नीति September 13, 2016 by डॉ. शुभ्रता मिश्रा | Leave a Comment डॉ. शुभ्रता मिश्रा हम प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाते हैं। सरकारी स्तर पर काम करने वालों को भारत की राजभाषा नीति के बारे में फिर भी काफी जानकारी काम करते करते हो जाती है। परन्तु गैर सरकारी विशुद्ध रुप से आम भारतीय जनता को प्रायः ही राजभाषा नीति के बारे में कोई विस्तृत […] Read more » Featured भारत भारतीय राजभाषा नीति हिन्दी हिन्दी दिवस
विविधा हिंदी दिवस हिन्दी का वैश्विक फलक September 9, 2016 by पवन तिवारी | Leave a Comment पवन तिवारी हिन्दी आज भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के विराट फलक पर अपने अस्तित्व को आकार दे रही है। आज हिन्दी विश्व भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। अब तक भारत और भारत के बाहर सात विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं। पिछले सात सम्मेलन क्रमश: नागपुर […] Read more » Featured वैश्विक फलक हिन्दी हिन्दी का वैश्विक फलक
हिंदी दिवस भारत की प्रथम धार्मिक व सामाजिक संस्था जिसने हिन्दी को धर्मभाषा के रूप में अपनाकर प्रचार किया। September 14, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्य समाज की स्थापना गुजरात में जन्में स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई नगरी में की थी। आर्यसमाज क्या है? यह एक धार्मिक संस्था है जिसका उद्देश्य धर्म, समाज व राजनीति के क्षेत्र से असत्य को दूर करना व उसके स्थान पर सत्य को स्थापित करना है। क्या धर्म, समाज […] Read more » Featured हिन्दी
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द और हिन्दी September 10, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment भारतवर्ष के इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पराधीन भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए हिन्दी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकर मन, वचन व कर्म से इसका प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि हिन्दी शीघ्र लोकप्रिय हो गई। यह ज्ञातव्य है कि हिन्दी को स्वामी दयानन्द जी […] Read more » स्वामी दयानन्द स्वामी दयानन्द और हिन्दी हिन्दी
कला-संस्कृति विश्व में भारत की पहचान – संस्कृत एवं हिन्दी June 16, 2015 / June 16, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on विश्व में भारत की पहचान – संस्कृत एवं हिन्दी –मनमोहन कुमार आर्य- हमारे देश की वास्तविक पहचान क्या है? विचार करने का हमें इसका एक यह उत्तर मिलता है कि संसार की प्राचीनतम भाषा संस्कृत व आधुनिक भारत की सबसे अधिक बोली व समझी जाने वाली भाषा आर्यभाषा-हिन्दी है। हिन्दी को एक प्रकार से संस्कृत की पुत्री कह सकते हैं। इसका कारण हिन्दी में […] Read more » Featured भारत विश्व संस्कृत हिन्दी
साहित्य भाषा और समाज June 6, 2015 / June 6, 2015 by गंगानन्द झा | 1 Comment on भाषा और समाज -गंगानंद झा- बात सन् 1989 की है, ‘बाबरी मस्जिद-राम मन्दिर’ का हंगामा चल रहा था, तभी कुछ दोस्तों ने शहर की दीवालों पर जगह-जगह चिपके बहुत सारे पोस्टर्स की ओर ध्यान दिलाया । ये पोस्टर्स उर्दू में थे, इनके मज़मून के बारे में कहा जा रहा था कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के नाम पर […] Read more » Featured उर्दू देश भाषा भाषा और समाज समाज हिन्दी
जरूर पढ़ें भारत की शिक्षा नीति और राजभाषा नीति June 5, 2015 / June 5, 2015 by राहुल खटे | Leave a Comment -राहुल खटे- जैसा कि सभी जानते हैं भारत 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ। सभी यही समझते हैं कि हम उस दिन स्वतंत्र हुए। लेकिन यह एक बहुत बड़ा धोखा था। महात्मा गांधी ने अंग्रेजों से सामने बिना किसी शर्त के पूर्ण स्वतंत्रता की मांग रखी थी। लेकिन भारत के ही […] Read more » Featured भारत की शिक्षा नीति और राजभाषा नीति राजभाषा नीति शिक्षा नीति हिन्दी
परिचर्चा लगा दो आग इस चीलमन में ! August 28, 2014 by फखरे आलम | 3 Comments on लगा दो आग इस चीलमन में ! -फखरे आलम- लगा दो आग इस चीलमन में, के न तुम झांको, न में झांकूं! हिन्दी हैं हम वतन हैं हिन्दुस्तान हमारा। हम हिन्दी हैं। हम हिन्दु हैं। सभ्यता और संस्कृति हमारी है इसी से हम जाने और पहचाने जाते हैं। हमारी पहचान ही भारतीयता है हमारा संस्कार। आज हम इसी चीलमन में आग लगा […] Read more » लगा दो आग इस चीलमन में हिन्दी हिन्दू
शख्सियत पूर्वोत्तर में हिन्दी की अलख जगाई थी भगवती प्रसाद ने August 23, 2014 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 1 Comment on पूर्वोत्तर में हिन्दी की अलख जगाई थी भगवती प्रसाद ने -डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री- पूर्वोत्तर भारत का ह्रदय स्थल गुवाहाटी है । गुवाहाटी की अपनी पहचान के दो प्रतीक हैं । नीलाचल पर स्थित माँ कामाख्या देवी और उनके चरण पखारता विराट ब्रह्मपुत्र । पूजा के लिये माँ कामाख्या को किसी भाषा की दरकार नहीं है और हर रोज़ अपनी लहरों से संगीत रचना कर […] Read more » पूर्वोत्तर में हिन्दी की अलख जगाई थी भगवती प्रसाद ने भगवती प्रसाद हिन्दी
हिंद स्वराज देवनागरी रोमन विवाद भाग ३ August 22, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 9 Comments on देवनागरी रोमन विवाद भाग ३ -डॉ. मधुसूदन- (एक) सारांश ॐ — देवनागरी लेखन का अभ्यास, उंगलियों की लचक बढ़ाता है, रोमन लिपि में लेखन उंगलियों की लचक नहीं बढ़ाता। ॐ –देवनागरी लिपि नें ध्वनि को ही अमर कर दिया है । इस के कारण, परम्परित उच्चारण निरन्तर शुद्ध और सुरक्षित है। रोमन में लिखे उच्चारण अलग-अलग देशों में एक समय […] Read more » देवनागरी देवनागरी रोमन विवाद भाग ३ रोमन हिन्दी
लेख साहित्य हिन्दी को न्याय और भारत को स्वत्व की पहचान मिले August 2, 2014 / October 8, 2014 by नरेश भारतीय | Leave a Comment -नरेश भारतीय- हाल में भारत के गृह मंत्रालय ने सरकार और समाज के बीच दूरी को पाटने की क्षमता रखने वाले सामाजिक माध्यम या कथित ‘सोशल मीडिया’ के उपयोग और भारत की राजभाषा हिन्दी के महत्व को रेखांकित करते हुए शासकीय कामकाज में हिन्दी का उपयोग करने के निर्देश जारी किए थे. मेरे जैसे विदेशस्थ […] Read more » भारत की स्वत्व पहचान हिन्दी हिन्दी का न्याय
लेख देवनागरी और रोमन लिपि विवाद -2 July 25, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 13 Comments on देवनागरी और रोमन लिपि विवाद -2 -डॉ. मधुसूदन- -भाग दो- (आठ) हिंदी की अक्षरांकित देवनागरी ध्वनिलिपि ध्वनि की लघुतम इकाई के चिह्न, अक्षर ही हैं। इन अक्षरों के समूह को जब अर्थ भी होता है, तो शब्द माने जाते हैं। यह हिन्दी की परम्परागत लिपि होने के कारण, आप इससे परिचित ही है। पर इस लिपिका गुणगान एक संस्कृतज्ञ के अनुवादित […] Read more » देवनागरी भाषा विवाद रोमन लिपि विवाद हिन्दी