लेख नहर किनारे विकसित बूंदों की संस्कृति July 3, 2019 / July 3, 2019 by दिलीप बीदावत | Leave a Comment असंतुलित पर्यावरण धीरे धीरे धरती को गर्म भट्टी की तरफ धकेल रहा है। इस साल की गर्मी ने देश के कई शहरों में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। स्वयं देश की राजधानी दिल्ली ने इतिहास का सबसे गर्म दिन भी देखा है। समूचा यूरोप प्रचंड गर्मी का प्रकोप झेल रहा है। ऐसी परिस्थिती में रेगिस्तानी क्षेत्रों का […] Read more » Canal culture Developed drops
व्यंग्य साहित्य कांग्रेसी संस्कृति के नये अध्याय January 1, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment डा. रामधारी सिंह ‘दिनकर’भारत के एक महान साहित्यकार थे। उनकी एक कालजयी पुस्तक है ‘संस्कृति के चार अध्याय’। चार मोटे खंडों वाली इस पुस्तक को पढ़ना और फिर समझना एक बड़ा काम है। जिन्होंने इस पुस्तक से साक्षात्कार किया है, वही इसे जान सकते हैं। लेकिन पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश में संस्कृति का एक नया […] Read more » Congress Congress culture culture New chapters of Congress कांग्रेसी संस्कृति
कला-संस्कृति संस्कृति के हत्यारे August 5, 2011 / December 7, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on संस्कृति के हत्यारे राजेन्द्र जोशी (विनियोग परिवार) पांच सौ साल पहले यह दुनिया आज की तुलना में सुखी और हिंसा रहित थी। लेकिन 1492 में एक ऐसी घटना घटी जिसने सारे विश्व के प्रवाह को मोड़ दिया। पहले देश-विदेश से वस्तु के आयात-निर्यात का काम जहाजों से होता था। ऐसे जहाजों को यूरोप के लुटेरे लूट लेते थे […] Read more » culture संस्कृति
कला-संस्कृति संस्कृति से सर्वनाश की और…………………….. July 1, 2011 / December 9, 2011 by राम नारायण सुथर | 2 Comments on संस्कृति से सर्वनाश की और…………………….. आज विश्वभर में खतरे का बिगुल भयंकर नाद कर रहा है उसका सन्देश है की हम सावधान हो जाये तथा संसार की अनित्यता के पीछे जो महान सत्य अंतर्निहित है उसे पहचान ले आज चारो और अशांति असंतोष स्वार्थ और सकिर्नता का भयंकर रूप प्रकट हो गया है मानव की पाशविक प्रवृत्ति को सिनेमा अखबार […] Read more » culture संस्कृति
साहित्य भाषा और संस्कृति May 27, 2011 / December 12, 2011 by विश्वमोहन तिवारी | 15 Comments on भाषा और संस्कृति जब एक भाषा मरती है तब उसकी संस्कृति भी उसके साथ मर जाती है ’लिविंग टंग्ज़ इंस्टिट्यूट फ़ार एन्डेन्जर्ड लैन्गवेजैज़’ इन सैलम, ओरेगान के भाषा वैज्ञानिक डेविड हैरिसन तथा ग्रैग एन्डरसन कहते हैं कि जब लोग अपने समाज की भाषा में बात करना बन्द कर देते हैं, तब हमें मस्तिष्क के विभिन्न विधियों में कार्य […] Read more » culture जब एक भाषा मरती है तब उसकी संस्कृति भी उसके साथ मर जाती है भाषा और संस्कृति
बच्चों का पन्ना सिर्फ संस्कृति ही नहीं देश के भविष्य का भी संकेतक है बालपन January 8, 2011 / December 16, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on सिर्फ संस्कृति ही नहीं देश के भविष्य का भी संकेतक है बालपन -पंकज किसी भी देश का बच्चा उस देश की वास्तविक स्थिति पेश करता है। वह उसके सभ्यता संस्कृति से ही साक्षात्कार नहीं कराता है बल्कि उसके भविष्य का भी स्पष्ट संकेत देता है। इस स्थापना के आलोक में देखें तो हमारे नौनिहाल जिस हाल में हैं उसे देख कर खासी निराशा होती है। लेकिन यह […] Read more » culture संस्कृति
कला-संस्कृति संस्कृति उद्योग नीति के अभाव में गुलामी का रास्ता September 12, 2010 / December 22, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on संस्कृति उद्योग नीति के अभाव में गुलामी का रास्ता -जगदीश्वर चतुर्वेदी भारत में मौजूदा हालात काफी चिन्ताजनक हैं। हमारे यहां विकासमूलक मीडिया के बारे में तकरीबन चर्चाएं ही बंद हो गई हैं। समूचे मीडिया परिदृश्य देशी इजारेदार मीडिया कंपनियों , बहुराष्ट्रीय मीडिया कंपनियों और विज्ञापन कंपनियों ने वर्चस्व स्थापित कर लिया है। विभिन्न मीडिया मालों की बिक्री के माध्यम से ये कंपनियां दस हजार […] Read more » culture संस्कृति
धर्म-अध्यात्म कृष्ण को कैद से निकालना होगा September 5, 2010 / December 22, 2011 by डॉ. सुभाष राय | 3 Comments on कृष्ण को कैद से निकालना होगा डा. सुभाष राय हम अपने नायकों की शक्ति और क्षमता को पहचान नहीं पाते इसीलिए उनकी बातें भी नहीं समझ पाते। हम उनकी मानवीय छवि को विस्मृत कर उन्हें मानवेतर बना देते हैं, कभी-कभी अतिमानव का रूप दे देते हैं और उनकी पूजा करने लगते हैं। इसी के साथ उनके संदेशों को समझ पाने, उन्हें […] Read more » culture संस्कृति
धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति में राष्ट्रधर्म और विधान का राज्य August 14, 2010 / December 22, 2011 by वी. के. सिंह | 6 Comments on भारतीय संस्कृति में राष्ट्रधर्म और विधान का राज्य -वी. के. सिंह भारतीय संस्कृति में सामाजिक व्यवस्था का संचालन सरकारी कानून से नहीं बल्कि प्रचलित नियमों जिसे ‘धर्म’ के नाम से जाना जाता था, के द्वारा होता था। धर्म ही वह आधार था जो समाज को संयुक्त एवं एक करता था तथा विभिन्न वर्गों में सामंजस्य एवं एकता के लिए कर्तव्य-संहिता का निर्धारण करता […] Read more » culture राष्ट्रधर्म संस्कृति
कला-संस्कृति पेटू की संस्कृति है मासकल्चर May 5, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment -जगदीश्वर चतुर्वेदी लोक संस्कृति और लोक कलाओं का उत्तर-आधुनिक अवस्था में स्वरुप बुनियादी तौर पर बदल जाता है। इन कला रुपों में दैनन्दिन जीवन की गहरी छाप होती है। उत्तर-आधुनिक स्थिति इनका औद्योगिकीकरण कर देती है। उन्हें संस्कृति उद्योग का माल बना देती है। मानकीकरण करती है। उनमें व्याप्त स्थानीयता का एथनिक संस्कृति के नाम […] Read more » culture मासकल्चर संस्कृति
कला-संस्कृति संस्कृति में रीतिवाद के खतरे April 5, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जैसे विज्ञापन में रीतिवाद का महत्व होता है, प्रचार मूल्य होता है। विनिमय मूल्य होता है। उसी तरह लेखक संगठनों के द्वारा आयोजित कार्यक्रम भी होते हैं। उनका विज्ञापनमूल्य से अधिक मूल्य आंकना बेवकूफी है। जिस तरह मध्यकाल में आए बदलावों से संस्कृत के लेखक अनभिज्ञ थे उसी तरह आधुनिकाल में आए बदलावों को लेकर […] Read more » culture संस्कृति