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शख्सियत समाज

जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख – एक तुलनात्मक विश्लेषण

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नानाजी अक्सर राजा राम की तुलना में वनवासी राम की अधिक प्रशंसा करते थे । उनका कहना था कि राजा के रूप में राम इसलिए अधिक सफल हुए, क्योंकि उन्होंने वन में रहते हुए गरीबी को जाना, समझा | इसीलिए नानाजी ने भी राजनीति से विराम लेकर गरीब वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन खपाने का निर्णय लिया । दीन दयाल शोध संस्थान भी बनाया तो चित्रकूट में, जहाँ वनवास के दौरान भगवान राम ने अपना समय व्यतीत किया । अपने चित्रकूट प्रवास के दौरान नानाजी ने वहां के पिछड़ेपन, अशिक्षा और अंधविश्वास में डूबी जनता का मूक रुदन अनुभव किया ।

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विश्ववार्ता

हे पाकिस्तान….अब तेरा क्या होगा?

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उरी हमले की निन्दा देश के सभी दल एक स्वर में कर रहे हैं। निन्दा करनी भी चाहिए । भारत अपनी बहुत-सी विशेषताओं के लिए सदा प्रसिद्ध रहा है। जिसमें यह भी है कि भारत बहुत ही सोच समझ कर प्रत्येक कदम उठाता है। क्योंकि भारत एक शान्तिप्रिय राष्ट्र है, अतः शान्ति बनाये रखना इसका परम कर्तव्य स्वतः ही बन जाता है किन्तु शान्तिप्रिय होने का तात्पर्य यह भी नहीं है कि कोई हमारे एक गाल पर थप्पड़ मारे और हम दूसरा गाल आगे बढ़ाते हुए यह कहे कि ये भी बाकि है। सहने की भी कोई सीमा होती है, जब सीमा पूर्ण हो जाती है तब कुछ निश्चयात्मक सोचना ही पड़ता है। ऐसा ही कुछ भारत को सोचना और करना पड़ा।

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समाज

सुधार क्यों नहीं चाहता मुस्लिम समुदाय

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यह कैसी प्रथा है कि फोन पर, ई-मेल से, एसएमएस से या पत्र से भी तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कह देने भर से संबंध खत्म कर लिया जाता है। मुस्लिम महिला को इसमें समानता का अधिकार कहाँ है? उसके पास तो अपना पक्ष रखने का अवसर भी नहीं है। इस कुरीति का समर्थन करने के लिए यह कहना कि यदि पुरुष के पास तीन तलाक का अधिकार नहीं होगा, तब वह महिला से छुटकारा पाने के लिए उसकी हत्या कर देगा। इसलिए तीन तलाक महिलाओं के हक में है, क्योंकि इससे उनका जीवन सुरक्षित होता है। यह कठमुल्लापन नहीं, तो क्या है?

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मीडिया विविधा सार्थक पहल

एक पाती आदरणीय रविश जी के नाम डॉ नीलम महेंद्र की कलम से

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अफसोस है कि आप इस देश की मिट्टी से पैदा होने वाले आम आदमी को पहचान नहीं पाए । यह आदमी न तो अमीर होता है न गरीब होता है जब अपनी पर आ जाए तो केवल भारतीय होता है । इनका डीएनए गुरु गोविंद सिंह जी जैसे वीरों का डीएनए है जो इस देश पर एक नहीं अपने चारों पुत्र हंसते हंसते कुर्बान कर देते हैं।इस देश की महिलाओं के डीएनए में रानी लक्ष्मी बाई रानी पद्मिनी का डिएनए है कि देश के लिए स्वयं अपनी जान न्यौछावर कर देती हैं ।

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