लेख साहित्य कर्बला : हुसैन का भारत से दिल और दर्द का सम्बंध October 12, 2016 by शाहिद नकवी | Leave a Comment कर्बला पर गौर करने के बाद ये साफ हो जाता है कि मोहम्मद साहब ने जो इस्लाम दिया था वह ज़ुल्म और दहशतगर्दों का इस्लाम नहीं बल्कि अमन शांति और सब्र का इस्लाम है।आज के दौर मे फिर आतंकवात ने पंख फैला लिये हैं,इस्लाम की नई परिभाषा गढ़ कर बेगुनाहों का कत्ल किया जा रहा है।महिलाओं की आबरू लूटी जा रही है,लोगों को बेघर किया जा रहा है। Read more » Featured कर्बला भारत से दिल और दर्द का सम्बंध हुसैन
शख्सियत समाज लोक नायक जयप्रकाश नारायण October 12, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment “सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है ।’’ यह जयप्रकाश नारायण का विचार व नारा था जिसका आह्वान उन्होने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था।लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है - राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है। Read more » Featured जयप्रकाश नारायण लोक नायक लोक नायक जयप्रकाश नारायण
शख्सियत समाज जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख – एक तुलनात्मक विश्लेषण October 11, 2016 by हरिहर शर्मा | Leave a Comment नानाजी अक्सर राजा राम की तुलना में वनवासी राम की अधिक प्रशंसा करते थे । उनका कहना था कि राजा के रूप में राम इसलिए अधिक सफल हुए, क्योंकि उन्होंने वन में रहते हुए गरीबी को जाना, समझा | इसीलिए नानाजी ने भी राजनीति से विराम लेकर गरीब वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन खपाने का निर्णय लिया । दीन दयाल शोध संस्थान भी बनाया तो चित्रकूट में, जहाँ वनवास के दौरान भगवान राम ने अपना समय व्यतीत किया । अपने चित्रकूट प्रवास के दौरान नानाजी ने वहां के पिछड़ेपन, अशिक्षा और अंधविश्वास में डूबी जनता का मूक रुदन अनुभव किया । Read more » Featured जयप्रकाश नारायण नानाजी देशमुख
विश्ववार्ता हे पाकिस्तान….अब तेरा क्या होगा? October 11, 2016 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment उरी हमले की निन्दा देश के सभी दल एक स्वर में कर रहे हैं। निन्दा करनी भी चाहिए । भारत अपनी बहुत-सी विशेषताओं के लिए सदा प्रसिद्ध रहा है। जिसमें यह भी है कि भारत बहुत ही सोच समझ कर प्रत्येक कदम उठाता है। क्योंकि भारत एक शान्तिप्रिय राष्ट्र है, अतः शान्ति बनाये रखना इसका परम कर्तव्य स्वतः ही बन जाता है किन्तु शान्तिप्रिय होने का तात्पर्य यह भी नहीं है कि कोई हमारे एक गाल पर थप्पड़ मारे और हम दूसरा गाल आगे बढ़ाते हुए यह कहे कि ये भी बाकि है। सहने की भी कोई सीमा होती है, जब सीमा पूर्ण हो जाती है तब कुछ निश्चयात्मक सोचना ही पड़ता है। ऐसा ही कुछ भारत को सोचना और करना पड़ा। Read more » Featured पाकिस्तान
समाज सुधार क्यों नहीं चाहता मुस्लिम समुदाय October 11, 2016 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | 1 Comment on सुधार क्यों नहीं चाहता मुस्लिम समुदाय यह कैसी प्रथा है कि फोन पर, ई-मेल से, एसएमएस से या पत्र से भी तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कह देने भर से संबंध खत्म कर लिया जाता है। मुस्लिम महिला को इसमें समानता का अधिकार कहाँ है? उसके पास तो अपना पक्ष रखने का अवसर भी नहीं है। इस कुरीति का समर्थन करने के लिए यह कहना कि यदि पुरुष के पास तीन तलाक का अधिकार नहीं होगा, तब वह महिला से छुटकारा पाने के लिए उसकी हत्या कर देगा। इसलिए तीन तलाक महिलाओं के हक में है, क्योंकि इससे उनका जीवन सुरक्षित होता है। यह कठमुल्लापन नहीं, तो क्या है? Read more » Featured triple talaq uniform civil code सुधार क्यों नहीं चाहता मुस्लिम समुदाय
मीडिया विविधा सार्थक पहल एक पाती आदरणीय रविश जी के नाम डॉ नीलम महेंद्र की कलम से October 11, 2016 by डॉ नीलम महेन्द्रा | 3 Comments on एक पाती आदरणीय रविश जी के नाम डॉ नीलम महेंद्र की कलम से अफसोस है कि आप इस देश की मिट्टी से पैदा होने वाले आम आदमी को पहचान नहीं पाए । यह आदमी न तो अमीर होता है न गरीब होता है जब अपनी पर आ जाए तो केवल भारतीय होता है । इनका डीएनए गुरु गोविंद सिंह जी जैसे वीरों का डीएनए है जो इस देश पर एक नहीं अपने चारों पुत्र हंसते हंसते कुर्बान कर देते हैं।इस देश की महिलाओं के डीएनए में रानी लक्ष्मी बाई रानी पद्मिनी का डिएनए है कि देश के लिए स्वयं अपनी जान न्यौछावर कर देती हैं । Read more » Featured
राजनीति राष्ट्रवाद के ज्वार में खून की दलाली का खलल October 11, 2016 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment इस मध्य जो सबसे लाभकारी पक्ष रहा वह यह कि देश ने राष्ट्रवाद का एक नया ज्वार देखा जो लम्बे समय तक टिकने वाला प्रतीत होता है. अब देखना यह है कि देश में उभरे इस राष्ट्रवाद के नए ज्वार को नरेंद्र मोदी और उनकी टीम अन्तराष्ट्रीय मंचों पर चीन पाकिस्तान सीमा पर कितना स्वर दे पाती है?! Read more » Featured खून की दलाली का खलल राष्ट्रवाद के ज्वार में
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक का विजयादशमी October 11, 2016 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment अपने देश में आज भी आसुरी शक्तियां सक्रिय हैं जो देशविरोधी गतिविधियां चला रही हैं। इन सभी प्रकार की शक्तियों का विनाश करने के लिए प्रत्येक को अपने अंदर की बुद्धि, भावना एवं शक्ति को केंद्रित करना होगा ताकि अपने समाज और देश को सुखी ,वैभवशाली और विजयी जीवन प्राप्त हो सके। विजयदशमी के पर्व से विजय की अदम्य प्रेरणा उत्पन्न होती है। Read more » Featured विजयादशमी
विश्ववार्ता ब्रिक्स से पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने की जरूरत October 11, 2016 / October 11, 2016 by केशव झा | Leave a Comment भारत की ताजा फैसलों से पाकिस्तान घबराया-बौखलाया हुआ है। जिसका परिणाम यह हुआ है कि वहाँ के आईएसआई प्रमुख कि छुट्टी कर दी गयी है। पाकिस्तान के साथ 46 अरब डालर कि सीपेक( चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) को लेकर चीन चिंतित है। Read more » Featured पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने की जरूरत ब्रिक्स
राजनीति बहुत हुई राजनीतिक जाग्रति, अब कुछ कर्तव्य की बात हो जाए October 9, 2016 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment वस्तुत: यहां कर्तव्य चेतना से तात्पर्य अपने राष्ट्र और राज्य के प्रति राजनीतिक अधिकारों से ऊपर उठकर स्वप्रेरित हो विकास के लिए कार्य करने से है। इन दिनों जहां देखो वहां अधिकारों की बाते हो रही हैं। केंद्र से लेकर समस्त राज्य सरकारें, एक रुपए किलो गेहूं से लेकर शादी और भगवान के दर्शन तक करा रही हैं। भले ही आज सुविधाभोगी विश्व में लोग इसे सही ठहराएं लेकिन क्या यह वाकई सही है Read more » Featured increasing political awareness political awareness राजनीतिक जाग्रति
राजनीति सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत जरूरी क्यों हैं? October 9, 2016 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment असल बात तो यह है कि उड़ी में हुआ हमला पाकिस्तान को बहुत महंगा पड़ गया है। उड़ी-जैसे आतंकी हमले कई हो चुके हैं। भारत ने कई बार जवाबी कार्रवाई भी डटकर की है, लेकिन इन छुट-पुट मुठभेड़ों का जैसा प्रचार इन दिनों हुआ है, पहले कभी नहीं हुआ। हमारी सरकार बधाई की पात्र है, जिसने सारी दुनिया में पाकिस्तान की दाल पतली कर दी है। Read more » Featured सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत
राजनीति खून की दलाली बनाम राजनीतिक स्यापा October 9, 2016 by अर्पण जैन "अविचल" | 1 Comment on खून की दलाली बनाम राजनीतिक स्यापा जिसे इस राष्ट्र का भूगोल, इतिहास नहीं मालूम, जो किसानों के हितार्थ यात्रा निकालने का ड्रामा कर रहा हो और आलू की फैक्ट्री लगाने की बात करता हो उससे इससे ज़्यादा उम्मीद भी क्या की जा सकती है | समय परिवर्तन का हैं किंतु परिवर्तन कांग्रेस में इस तरह से आएगा सियासी पंडितों के भी समझ से परे है | Read more » Featured खून की दलाली राजनीतिक स्यापा