खेत-खलिहान विविधा क्यों चुप रही सरकार ? आखिर क्या था दाल का खेल December 21, 2015 by अरूण पाण्डेय | 1 Comment on क्यों चुप रही सरकार ? आखिर क्या था दाल का खेल अरूण पाण्डेय आखिर दाल का खेल क्या था, हर बार, हर साल एक नयी चीज के दाम बढ जाते है, पहले प्याज सरकारों को खून के आंसू रूलाती रही , उसके बाद चाय से मिठास गायब हो गयी, फिर आलू के दाम आसमान छूने लगे और अब तिलहन रूला रही है। हर साल एक रोजमर्रा […] Read more » Featured दाल का खेल
जन-जागरण राजनीति सीबीआई : साख पर सवाल ? December 20, 2015 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on सीबीआई : साख पर सवाल ? प्रमोद भार्गव दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार के कार्यालय एवं घर समेत 14 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापों के बाद एक बार फिर देश की सबसे बड़ी अनुसंधान संस्था ‘केंद्रीय जांच ब्यूरो‘ नेताओं के निशाने पर है। किसी आला षख्सियत पर छापामार कार्रवाही के समय,हमेशा ऐसा होता है,भले ही सीबीआई हो,प्रवर्तन निदेशालय हो या […] Read more » Featured साख पर सवाल ? सीबीआई
विधि-कानून ये क़ानून की समीक्षा का सही समय है December 20, 2015 by राकेश अचल | Leave a Comment देश को हिलाकर रख देने वाले निर्भया कांड में दोषी नाबालिग़ की रिहाई के खिलाफ अगले चौबीस घंटे बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस मुद्दे पर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी।निर्भया काण्ड के सजा याफ्ता आरोपी को अदालत से मिली सजा पूरी होने के बाद तकनीकी आधार पर रिहा किया जा […] Read more » Featured क़ानून की समीक्षा
धर्म-अध्यात्म ईश्वर सबको हर क्षण देखता है और सभी कर्मों का यथोचित फल देता है December 20, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on ईश्वर सबको हर क्षण देखता है और सभी कर्मों का यथोचित फल देता है मनमोहन कुमार आर्य बहुत से अज्ञानियों के लिए यह संसार एक पहेली है। संसार की जनसंख्या लगभग 7 अरब बताई जाती है परन्तु इनमें से अधिकांश लोगों को न तो अपने स्वरुप का और न हि अपने जीवन के उद्देश्य व लक्ष्य का ज्ञान है। उन्हें इस संसार को बनाने वाले व हमें व अन्य […] Read more » Featured ईश्वर सबको हर क्षण देखता है सभी कर्मों का यथोचित फल देता है
आर्थिकी विविधा मानव विकास के आइने में भारत December 19, 2015 by प्रमोद भार्गव | 3 Comments on मानव विकास के आइने में भारत संदर्भः- मानव विकास सूचकांक 2015 की रिपोर्टः- प्रमोद भार्गव संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ;यूएनडीपी, 2015 के मानव विकास सूचकांक में भारत पिछली रिपोर्ट की तुलना में एक सीढ़ी जरूर ऊपर चढ़ा है,बावजूद उसकी कुल स्थिति वैश्विक स्तर की तुलना में बहुत नीचे है। जो देश में विषमता की खाई चौड़ी बनाए रखने का पर्याय बना […] Read more » Featured मानव विकास मानव विकास के आइने में भारत
कविता व्यंग्य प्रेमिका के साइड इफेक्ट्स December 19, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment प्रशांत मिश्रा ओ मेरी प्रिय संगिनी,अष्ट भुजंगिनी,लड़ाकू दंगिनी, नमन करता हूँ तुमको अपने ह्रदय के अंतर्मन से, और खुदको समर्पित करता हूँ तुम्हे अपने तन मन से, मत मारी गयी थी मेरी जब तुम्हे प्रेम का प्रस्ताव दिया था, और किस मनहूस घडी में तुमने वो स्वीकार किया था, मेरे दोस्त मुझे जोरू का […] Read more » Featured प्रेमिका के साइड इफेक्ट्स
कविता साहित्य मै एक महिला हूँ ?? December 19, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment बचपन की आनाकानी में, या हो बेबस जवानी में। लुटती हर वक्त है वो, कश्मीर चाहे कन्याकुमारी में। यूँ तो वह माँ होती हैं, या होती है बहन किसी की, निकलती है जब दुनिया देखने, बन जाती हैं हवस किसी की। पुरुष प्रधान इस देश की, बस इतनी यहीं कहानी हैं, लालन के लिये माँ […] Read more » Featured poem on women मै एक महिला हूँ ??
मीडिया राजनीति संतुलन खोते लोकतंत्र के स्तंभ December 19, 2015 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक हमारी लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के चार स्तंभ हैं। विधानपालिका यानी संसद, कार्यपालिका यानी सरकार, न्यायपालिका यानी अदालत और खबरपालिका यानी अखबार और टीवी-रेडियो चैनल! क्या ये चारों स्तंभ अपना-अपना काम सही-सही कर रहे हैं? ये सब काम तो कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके काम-काज में कोई बुनियादी कमी […] Read more » Featured संतुलन खोते लोकतंत्र के स्तंभ
विविधा साहित्य हमारी शब्द रचना का समृद्ध आधार December 19, 2015 by डॉ. मधुसूदन | 9 Comments on हमारी शब्द रचना का समृद्ध आधार डॉ. मधुसूदन (एक)प्रवेश: २,३,४ अक्तुबर-२०१५ को वॉशिंग्टन डी. सी. में अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति के सम्मेलन में डॉ. मधुसूदन के प्रमुख वक्तव्य का पहला भाग। (दो) चिडिया की चीं-चीं और कौवे की का-का चीं-चीं करती चिडिया आप ने सुनी होगी; और का-का करता कौवा भी। वैसे कौआ काँव-काँव या काँय-काँय भी सुनाई दे सकता है। पर […] Read more » Featured शब्द रचना हमारी शब्द रचना का समृद्ध आधार
राजनीति उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार की नाकामयाबियां, विवाद एव फज़ीहतें December 18, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा.राधेश्याम द्विवेदी उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के दो कार्यकालों को पूरा कर लेने के बाद समाजवादी पार्टी के युवा नेता मा. अखिलेश यादव के अथक प्रचार तथा इसी पार्टी के तीन बार मुख्य मंत्री रहे धरती पुत्र मा. मुलायम सिंह यादव के पुराने कार्यों पर यकीन करते हुए प्रदेश की जनता ने मार्च […] Read more » Featured उत्तर प्रदेश फज़ीहतें विवाद समाजवादी सरकार की नाकामयाबियां
जन-जागरण विविधा औचित्य विद्यालयों में धर्मग्रंथों की शिक्षा का? December 18, 2015 by निर्मल रानी | 1 Comment on औचित्य विद्यालयों में धर्मग्रंथों की शिक्षा का? निर्मल रानी हालांकि हमारे देश के कई प्रखर विचारक तथा बुद्धिजीवी अक्सर यह सचेत करते रहे हैं कि धर्म और राजनीति का रिश्ता किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। लिहाजा इनका आपस में रिश्ता जोड़ने के बजाए इनका आपसी तलाक किया जाना चाहिए। परंतु बड़े दुःख की बात है कि विभिन्न राजनैतिक दलों के […] Read more » Featured importance of religious education in schools धर्मग्रंथों की शिक्षा
धर्म-अध्यात्म मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विश्व के महापुरुषों में सर्वोत्तम स्मरणीय चरित्र December 18, 2015 / December 18, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य यदि किसी मनुष्य को धर्म का साक्षात् स्वरुप देखना हो तो उसे वाल्मीकि रामायण का अध्ययन करना चाहिये। श्री राम का चरित्र वस्तुतः आदर्श धर्मात्मा का जीवन चरित्र है। महर्षि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना करके वस्तुतः श्री रामचन्द्र जी के काल में प्रचलित धर्म व संस्कृति को ही प्रचारित व प्रसारित […] Read more » Featured मर्यादा पुरुषोत्तम राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विश्व के महापुरुषों में सर्वोत्तम स्मरणीय चरित्र