लेख देश की आजादी और आर्यसमाज August 16, 2019 / August 16, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सृष्टि के आदि काल से महाभारत काल तक भारत का सारी दुनिया पर चक्रवर्ती राज्य रहा है। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी प्रायः पूरे विश्व के राजा आये थे और उन्होंने युधिष्ठिर को अपना नेता व चक्रवर्ती राजा स्वीकार किया था और उनको अपने अपने देश की मूल्यवान वस्तुयें भेंट […] Read more » Aryasamaj Country independence
समाज आजादी अपनी सोच में लायें August 1, 2017 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment भारत हर साल 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। यह दिन जहां हमारे आजाद होने की खुशी लेकर आता है वहीं इसमें भारत के खण्ड खण्ड होने का दर्द भी छिपा होता है। वक्त के गुजरे पन्नों में भारत से ज्यादा गौरवशाली इतिहास किसी भी देश का नहीं हुआ। लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप से […] Read more » independence independence in thoughts आजादी
लेख नये सपने बुनकर स्वतंत्रता को सार्थक दिशा दें August 6, 2016 / August 6, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग पन्द्रह अगस्त हमारे राष्ट्र का गौरवशाली दिन है, इसी दिन स्वतंत्रता के बुनियादी पत्थर पर नव-निर्माण का सुनहला भविष्य लिखा गया था। इस लिखावट का हार्द था कि हमारा भारत एक ऐसा राष्ट्र होगा जहां न शोषक होगा, न कोई शोषित, न मालिक होगा, न कोई मजदूर, न अमीर होगा, न कोई गरीब। […] Read more » independence आजादी के 69 वर्ष स्वतंत्रता
समाज बेकार है ऐसी आज़ादी August 15, 2011 / December 7, 2011 by ए.एन. शिबली | 1 Comment on बेकार है ऐसी आज़ादी ए एन शिबली हर साल 15 अगस्त आते ही एक अजब सी खुशी सा अहसास होता है। हर तरफ राष्ट्रिए गीत बजते रहते हैं। स्कूलों में बच्चे रंगबिरंगे प्रोग्राम पेश करते हैं। हर किसी के हाथ में झण्डा होता है। लोग अपने उन मासूम बच्चों के हाथ में भी तिरंगा थमा कर खुद भी खुश […] Read more » independence आज़ादी
विविधा ये कैसी आजादी August 8, 2011 / December 7, 2011 by पंकज व्यास | 6 Comments on ये कैसी आजादी पंकज व्यास चाहे लोकपाल बिल हो, या काला धन भारत में लाने की मांग, इस आजाद (?)देश में विरोध के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। अन्ना हजारे से लेकर बाबाराम देव तक जो घटनाक्रम चला, व चल रहा है, उससे यह सवाल सहज ही उठ जाता है कि क्या आजादी का पंछी […] Read more » independence आजादी
आलोचना असमानता की आजादी का जश्न! August 7, 2011 / December 7, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 5 Comments on असमानता की आजादी का जश्न! डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ 15 अगस्त, 2011 को हम आजादी की 65वीं सालगिरह मनाने जा रहे भारत में कौन कितना-कितना और किस-किस बात के लिये आजाद है? यह बात अब आम व्यक्ति भी समझने लगा है| इसके बावजूद भी हम बड़े फक्र से देशभर में आजादी का जश्न मनाते हैं| हर वर्ष आजादी के जश्न […] Read more » independence आजादी आजादी का जश्न
लेख गणतंत्र पर हावी होता भ्रष्टतंत्र August 5, 2011 / December 7, 2011 by शादाब जाफर 'शादाब' | 2 Comments on गणतंत्र पर हावी होता भ्रष्टतंत्र शादाब जफर “शादाब’’ 15 अगस्त बहुत ही करीब है। में सोच रहा हॅू कि आखिर हमारे भोले भाले नादान प्रधानमंत्री जी लाल किले की प्राचीर से गणतंत्र का झंडा फहरायेगे या भ्रष्टतंत्र का कहना मुश्किल है। आईपीएल घोटाला, राष्ट्रमंडल खेलो में घोटाला, मुंबई के आदशर आवास सोसायटी घोटाला, टुजी स्पेक्ट्रस आवंटन घोटाला, सतर्कता अधिष्ठान में […] Read more » independence गणतंत्र गणतंत्र पर हावी होता भ्रष्टतंत्र भ्रष्टतंत्र
लेख हम किस आजादी की बात करते हैं? July 27, 2011 / December 8, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on हम किस आजादी की बात करते हैं? बरुण कुमार सिंह आजादी के 65 साल बाद भी मुल्क का जनमानस अपने ही द्वारा चुने गये राजनेताओं की काली करतूतों से शमिरंदा है। सब जानते हैं कि तमाम बड़े नेता ऐसे हैं, जो भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं। कोई मुख्यमंत्रा हैं, तो कोई केन्द्रीय सरकार के कैबिनेट का सम्मानित सदस्य रह […] Read more » independence राजनेताओं की काली करतूतों
समाज स्वतंत्रता बनाम उच्छृंखलता August 5, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 5 Comments on स्वतंत्रता बनाम उच्छृंखलता -प्रवीण कुमार किसी भी सभ्य समाज में जिसको किसी भी प्रकार के मसल पवार का उपयोग निंदनीय है खासकर यदि वह महिलाओं के विरोध में हो तो शर्मनाक भी है। परन्तु सामाजिक मापदण्डों को स्वतंत्रता के नाम पर तोड़ना भी निंदनीय है। बेलेटाईन डे या फ्रेडशिप डे के नाम पर हम जिस समाज की रचना […] Read more » independence उच्छृंखलता
विविधा विचार स्वातन्त्र्य की मर्यादा July 1, 2010 / December 23, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment -विजय कुमार किसी भी लोकतान्त्रिक देश में विचार स्वातन्त्र्य होना ही चाहिए। फिर भी इस विषय पर बार-बार विवाद खड़े होते हैं। प्राय: लोग इसे राजनीति में घसीटकर इस या उस दल को कटघरे में खड़ा कर देते हैं। इस संदर्भ में कानून भी अस्पष्ट और ढीले हैं। कुछ समय पूर्व भाजपा नेता जसवंत सिंह […] Read more » independence विचार स्वातन्त्र्य