धर्म-अध्यात्म राष्ट्रवाद को चुनौती देता “अल्पसंख्यकवाद” July 2, 2019 / July 2, 2019 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment अल्पसंख्यकवाद या मुस्लिम उन्मुखी राजनीति की विवशता आज राष्ट्रवादियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती बन रही है। जबकि स्वतंत्र भारत के नीति नियंताओं का ध्येय स्वस्थ राष्ट्रवाद की परिकल्पना का अनुगामी था। क्योंकि उन्हें स्मरण था कि अखंड भारत के मुगल व ब्रिटिश शासनों में देश के मूल निवासियों (भूमि पुत्रो) अर्थात् हिन्दुओं के शोषण का […] Read more » Challenges minorityism Nationalism
समाज मुसलमान: राष्ट्रवाद और मुख्य धारा June 17, 2019 / June 17, 2019 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment भारत के अधिकांश भागों पर 700-800 वर्षो तकशासन करने वाले आक्रान्ताओं के वंशजों को भारत की मुख्य धारा से अलग मान कर उन्हें दीन-हीन समझना क्या अनुचित नहीं ? इस्लाम के शासन में प्रायः अधिकांश मुख्य सरकारी पदों पर मुसलमान ही होते थे। हिन्दुओं की ही स्थिति अत्यधिक दयनीय होती थी। इस्लाम से छुटकारा मिला […] Read more » muslims Nationalism
राजनीति राष्ट्रवाद का विजय रथ May 24, 2019 / May 24, 2019 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment विनोद कुमार सर्वोदय 17 वीं लोकसभा के चुनावी निर्णयों से यह स्पष्ट है कि मोदी जी के नेतृत्व में NDA की यह भारी विजय स्वस्थ राष्ट्रवाद की जीत है। सामान्यतः भारतीय जन मानस सहिष्णु व उदार होने के कारण प्रायः हिंसक नही होता। उसको प्रेम, दया व क्षमा में धर्म के दर्शन होते है। अतः […] Read more » chariot of nationalism National Nationalism victory chariot
राजनीति लेख राष्ट्रधर्मिता का पालक May 21, 2019 / May 21, 2019 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment विनोद कुमार सर्वोदय अभिनेता से नेता बने कमल हासन सम्भवतः लिखे हुए ही वाक्य बोलने की कलाकारी के कारण “गोडसे को पहला हिन्दू आतंकवादी बोलने को विवश हुए होंगे”। स्व.बंकिमचन्द्र चटर्जी के कथनानुसार “इतिहास से हमें ज्ञात होता है कि पराधीनता के परिणाम में पराधीन जाति की बौद्धिक रचनाशीलता समाप्त हो जाती है।” यह तथ्य […] Read more » Nationalism saviour of nationalism
राजनीति व्यक्तिवाद , राष्ट्रवाद और राजनीति January 18, 2018 by विनोद कुमार सर्वोदय | 1 Comment on व्यक्तिवाद , राष्ट्रवाद और राजनीति व्यक्तिवाद विश्व के एकमात्र विशाल संगठन “राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ” की राष्ट्रवाद , सनातन वैदिक धर्म व संस्कृति की रक्षार्थ डॉ हेडगेवार जी ने कुछ समर्पित महान विभूतियों के साथ अपने अथक पराक्रम से स्थापना की थी। भारतीय संस्कृति व सभ्यता की रक्षार्थ अपने अनेक आनुषांगिक संस्थाओं द्वारा इस विश्वव्यापी संगठन के दशकों से चल […] Read more » Featured Individualism Nationalism politics राजनीति राष्ट्रवाद व्यक्तिवाद
विविधा राष्ट्रवाद April 18, 2016 / April 18, 2016 by शुभम तिवारी | 2 Comments on राष्ट्रवाद शुभम तिवारी लगभग महीने भर पहले राजधानी के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में घटी देश विरोधी नारेबाजी की घटना ने राष्ट्रवाद बनाम देशद्रोह के बहस को जन्म दिया. जब बहस देशद्रोह बनाम राष्ट्रवाद पर छिड़ी तो देशद्रोह व राष्ट्रवाद के परिभाषा पर बहस छिड़ना भी लाजिमी था और ऐसा ही हुआ. आज देश का बौद्धिक खेमा […] Read more » Featured Nationalism राष्ट्रवाद
राजनीति मैं भी हूँ, तुम भी हो, यह राष्ट्रवाद है। March 25, 2016 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment भारत का आम आदमी आज जिस दौर से गुजर रहा है, वह अचम्भित है कि इतनी विविध प्रकार की जो घटनाएँ घटित हो रही हैं उन्हें वह किस रूप में देखे क्योंकि अचानक आज देश में विवादों की बाढ़ सी आ गई है ।एक ओर विश्व में भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में […] Read more » Featured Nationalism राष्ट्रवाद
सार्थक पहल अज़ीम प्रेमजी का सच्चा राष्ट्रवाद December 9, 2010 / December 19, 2011 by तनवीर जाफरी | 7 Comments on अज़ीम प्रेमजी का सच्चा राष्ट्रवाद -तनवीर जाफ़री विगत् कुछ महीनों से भारतीय मीडिया में रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार तथा घोटालों की ख़बरें प्रमुखता से छाई देखी गई। इन घोटालों में कई शीर्ष राजनेता व अधिकारियों को पदमुक्त होते तथा उनके विरुद्ध जांच पड़ताल होते हुए भी देखा गया। यहां तक कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इन्हीं घोटालों के कारण अपने […] Read more » Nationalism अज़ीम प्रेमजी राष्ट्रवाद
राजनीति राष्ट्रवाद का बदलता स्वरूप December 4, 2010 / December 19, 2011 by राजीव बिश्नोई | 1 Comment on राष्ट्रवाद का बदलता स्वरूप -राजीव बिश्नोई धर्म और राष्ट्र पर बहस करने पर वोल्तेयेर का एक कथन याद आता है …….. “हो सके मैं आपके विचारों से सहमत ना हो पाऊ, फिर भी मैं अपने विचार प्रकट करने के अधिकारों की रक्षा करूगां……।” क्योंकि सभी का राष्ट्रवाद पर एकमत होना नामुमकिन हैं ख़ासकर सामाजिक चिंतकों का साधारण जन मानस […] Read more » Nationalism राष्ट्रवाद
कला-संस्कृति विविधा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद October 20, 2008 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on सांस्कृतिक राष्ट्रवाद भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम समुन्नत संस्कृतियों में से एक है। इसकी सुदीर्घ परंपरा में अनेक मनीषी विद्वानों, मंत्र द्रष्टा ऋषियों तथा तत्ववेत्ता मुनियों के.. Read more » Nationalism सांस्कृतिक राष्ट्रवाद