कविता व्यंग्य साहित्य व्यंग्य कविता ; काम वालियां – प्रभुदयाल श्रीवास्तव January 30, 2012 / January 29, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment काम वालियां नहीं कामपर बर्तन वाली दो दिन से आई इसी बात पर पति देव पर पत्नि चिल्लाई काम वालियां कभी समय पर अब न आ पातीं न ही ना आने का कारण खुलकर बतलातीं बिना बाइयों के घर तो कूड़ाघर हो जाता बड़ी देर से कठिनाई से सूर्य निकल पाता छोटी बच्ची गिरी फिसल […] Read more » poem vyangya काम वालियां व्यंग्य कविता
कविता साहित्य कविता : “विद्या बालन के लिए गीतों को गाना चाहती हूँ” – कृष्णमूर्ति January 28, 2012 / January 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment कविता कृष्णमूर्ति की आवाज में ऐसी कशिश है कि उसे सुन कर कोई भी उनकी आवाज का दीवाना बने हुए नही रह सकता. आज कल कविता फिल्मों में न के बराबर ही गा रही हैं. बहुत दिनों के बाद उनकी आवाज फिल्म “रॉक स्टार” के गीत “तुम हो पास मेरे” में सुनाई दी. पिछले दिनों […] Read more » poem Vidya Balan कविता विद्या बालन
कविता कविता-सुदर्शन प्रियदर्शिनी June 29, 2011 / December 9, 2011 by सुदर्शन प्रियदर्शनी | Leave a Comment सुदर्शन प्रियदर्शिनी चेहरा इस धुन्धिआये खंडित सहस्त्र दरारों वाले दर्पण में मुझे अपना चेहरा साफ़ नही दीखता . . . जब कभी अखंडित कोने से दीख जाता है तो ….. कहीं अहम तो कहीं स्वार्थ की बेतरतीब लकीरों से कटा- पिटा होता है . . . चलचित्र चलचित्र तेरे हवा में छल्लेदार धुएं […] Read more » poem कविता
कविता कविता/जनता सब जानती है June 23, 2011 / December 11, 2011 by शास्त्री नित्यगोपाल कटारे | 1 Comment on कविता/जनता सब जानती है जिसको पुलिस नहीं पहिचाने जिसको न्यायाधीश न जानें चोर लुटेरे भ्रष्टाचारी घूम रहे हैं सीना ताने गफलत में मत रहना ये सबकी रग रग पहिचानती है जनता है ये सब जानती है।। किसने है यह सड़क बनाई किसने कितनी करी कमाई किसने कितना डामर खाया किसने कितनी गिट्टी खायी किसको कितना मिला कमीशन किसने कैसे […] Read more » poem
कविता कविता/ पुष्प और इंसान June 22, 2011 / December 11, 2011 by आर. सिंह | Leave a Comment पुष्प शोभा है उपवन का. कली का जीवन है प्रस्फुटित होकर, पुष्प बनने में. खिल कर अपनी बहार लुटाने में. तुम बनने कहाँ देते हो पुष्प को, बहार उपवन का. खिलने कहाँ देते हो कली को? तुम तो तोड़ डालते हो पुष्प को शोभा बनने से पहले. मसल डालते हो कली को असमय ही. मत […] Read more » poem कविता
कविता कविता/फादर डे पर June 20, 2011 / December 11, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment पिता का प्यार मां के बाद ही आंका जाता है पिता का स्थान भी मां के बाद ही आता है। मां के पैरों तले ही तो जन्नत भी होती है बाप के दिल से होके उसका रस्ता जाता है। माना कि मां का प्यार सबसे उंचा होता है बाप का रिश्ता भी तो बेटे से […] Read more » poem बाबू जी
प्रवक्ता न्यूज़ आदेश समझ लो ! March 5, 2011 / December 15, 2011 by राजीव दुबे | 6 Comments on आदेश समझ लो ! सुनो थोड़ी मेरे मन की भी ओ सरकार मेरे … भटक रहे हैं हम कबसे गुहार लिए । थोड़ी हमारी जरूरत है फिर भी इतनी तकलीफ ! बड़ा बहुत प्रताप तुम्हारा तुम सरकार बड़े । हमको थोड़ी रोटी दे दो मेहनत हम कर लेंगे थोड़ा हमको पानी दे दो हम खुद भर लेंगे । […] Read more » poem कविता
साहित्य जनता के ज्यादा निकट होती है मंचीय कविता February 22, 2011 / December 15, 2011 by आशीष कुमार ‘अंशु’ | Leave a Comment आशीष कुमार ‘अंशु’ बात अधिक पुरानी नहीं है, मंचीय कवि अशोक चक्रधर जब हिन्दी अकादमी दिल्ली के उपाध्यक्ष तय हुए, उस वक्त हिन्दी साहित्य समाज इसलिए उन्हें गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हुआ क्योंकि वे एक मंचीय कवि थे। उस वक्त की मंचीय कवियों की एकता उल्लेखनीय है। कवि जो मंच के गणित में […] Read more » poem कविता
कविता कविता / गुस्सा गधे को आ गया February 20, 2011 / December 15, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 3 Comments on कविता / गुस्सा गधे को आ गया कौन है जो फस्ल सारी इस चमन की खा गया बात उल्लू ने कही गुस्सा गधे को आ गया प्यार कहते हैं किसे है कौन से जादू का नाम आंख करती है इशारे दिल का हो जाता है काम बारहवें बच्चे से अपनी तेरहवीं करवा गया बात उल्लू ने कही गुस्सा गधे को आ गया […] Read more » poem कविता
कविता अनामिका घटक की कविता – नि:शब्द February 13, 2011 / December 15, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on अनामिका घटक की कविता – नि:शब्द खामोश हम तुम बात ज़िन्दगी से आँखों ने कुछ कहा धड़कन सुन रही है धरती से अम्बर तक नि:शब्द संगीत है मौसम की शोखियाँ भी आज चुप-चुप सी है गीत भी दिल से होंठ तक न आ पाए बात दिल की दिल में ही रह जाए जिस्मों की खुशबू ने पवन महकाया है खामोशी को […] Read more » poem नि:शब्द
कविता कविता/ तलाश February 5, 2011 / December 15, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on कविता/ तलाश पाकिस्तान व चीन का हर बड़ा शहर अब हमारी तरकश की मार की पहुंच में है हमारे देश में हर साल उग आते हैं अनेकों अरबपति सासंदों की आय हो जाती है हर साल दोगुना एक अम्बानी अपनी पत्नी को उसके जन्म दिन पर भेंट दे देता है एक उड़नखटोला…….. चन्द्रमा पर पानी की गम्भीर […] Read more » poem कविता/ तलाश
कविता कविता/याचना January 26, 2011 / December 16, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on कविता/याचना मेरी ख़ामोशी का ये अर्थ नहीं कि तुम सताओगी तुम्हारी जुस्तजू या फिर तुम ही तुम याद आओगी वो तो मैं था कि जब तुम थी खड़ी मेरे ही आंगन में मैं पहचाना नहीं कि तुम ही जो आती हो सपनों में खता मेरी बस इतनी थी कि रोका था नहीं तुमको समझ मेरी न […] Read more » poem कविता