कविता रात के ख्वाब जो दिन में देखने लगे है August 26, 2019 / August 26, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment रात के ख्वाब जो दिन में देखने लगे |उन्ही को दिन में अब तारे दिखने लगे || खता करके पूछती हो,ऐसा मैंने क्या किया ?नयनो से तीर चलाये थे,आशिक मरने लगे || तुम्हारा चेहरा आईने में कैसे दिखाई देता ?चेहरा देखते ही,आयने के अंग फडकने लगे || हटाये जो गेसू,उसने अपने खूबसूरत चेहरे से |लगा […] Read more » night night dreams poem poetry
कविता सागर August 26, 2019 / August 26, 2019 by बीनू भटनागर | Leave a Comment सागर मौला मस्त सा ख़ुद से ही अंजान, वाष्प बना उड़ता गया बादल बन बरस गया। कौन तूफ़ानों में घिरा, कब सुनामी आई, वो तो मौला मस्त सा वहीं का वहीं रहा। सागर सारे जुडे हुए हैं, सागर को पता नहीं, कहीं कोई सीमा नहीं। कहाँ प्रशांत ख़त्म हुआ, और हिंद शुरू हुआ। सागर तट […] Read more » Hindi Poem poetry
कविता दिल को भी करार तुम्हे आने लगेगा August 23, 2019 / August 23, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment दिल को भी करार तुम्हे आने लगेगा |जब कोई प्यार से तुम्हे बुलाने लगेगा || दिल की दवा भी तुम्हे मिल जायेगी |जब कोई दर्द तुम्हारा समझने लगेगा || भेज दो ऐसी खबर उसके घर पर तुम |तुम्हारा दिल,उनके दिल को सताने लगेगा || जब लगी है आग दिल में दोनों तरफ से |फिर तुममें […] Read more » poem poetry
कविता बैसाखी August 21, 2019 / August 21, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अवधेश सिंह विरासत में मिली है मुझे सोने के फ्रेम में मढ़ी वंचित – निषिद्ध तमाम अमानुषिक पीड़ाओं और जख्मों से कराहती , आज भी भय से थरथराती … टूटे सपनों , लुटे अरमानों व आसुओं की एक तस्वीर जिसमें हमारे पूर्वज रोज माला देते हैं विरासत में मिली हैं कुछ किताबें जो बताती हैं पता हमारे शत्रुओं […] Read more » baishakhi poetry
कविता तन्हाइयां August 19, 2019 / August 19, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment चाहूं मैं तुम साथ हो, जब पास हो तन्हाइयां कोई भी न साथ दे तब साथ हो तन्हाइयां मेरी हस्ती देख करके सब बिषैले हो गये हम जहां पहुंचे वहां कितने झमेले हो गये दुनिया के मेले मे देखो हम अकेले हो गये पल में ही मिट जाती चाहें कितनी हों अच्छाइयां चाहूं मैं तुम […] Read more » Hindi Poem poem poetry
कविता दहेज दानव August 16, 2019 / August 16, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विनोद सिल्ला ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया। ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है, ससुराल जाने से कन्या का इंकार है, क्यों नवविवाहितों को स्टोव जला गया।। बिकने को तैयार लङके हर तरह से, मांगें मोटर कार अङके हर तरह से, हर नौजवान अपना मोल लिखा […] Read more » dowry dowry monster poem poetry
कविता क्योंकि वे लौट आए हैं August 5, 2019 / August 5, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विवेक पाठक तुम सब क्या आ गए दोस्तों खोया बचपन लौटा लाए हो पहले क्यों नहीं आए बहुत कुछ लौट आता वो पिता वो मां वो स्कूल की घंटी वो संडे की छुट्टी जो अब पहले जैसा नहीं रहा मगर तुम आ गयो हो तो वो सब आया आया लगता है तुम बस आते रहो […] Read more » poem poetry they arrived
कविता कही फिसल न जाऊ,तेरे ख्यालो में चलता चलते August 1, 2019 / August 1, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कही फिसल न जाऊ,तेरे ख्यालो में चलते चलते |अपनी यादो को रोको,कही मर न जाऊ रोते रोते || मत आया करो मेरे ख्यालो में,ये बारिश का मौसम है | |हर बूँद में तुझको ही पाता हूँ,इस बारिश के होते होते || बारिश हो रही थी बाहर,वह भीग रही थी मुझमे |मैंने भी दिल दे दिया […] Read more » poem poetry
कविता हिंदी ग़ज़ल July 30, 2019 / July 30, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार गरज गरज कर अंबुद बरसे। औ सावन प्यासा ही तरसे।। अषाढ़-सावन-भादों में है, हरीतिमा के खुले मदरसे। याद आते त्यौहार में अब, माँ के हाँथों बने अँदरसे। घटाटोप बादल को देखा, मोर, पपीहा, दादुर हरषे। भूख पेट में मचल रही है, सूखी रोटी भी है सरसे। अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट कटंगी रोड जबलपुर Read more » hindi hindi gazal poetry
लेख बुराई July 29, 2019 / July 29, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment जो गाकर बेचें अपने गम, कमाई हो ही जाती है निकलो जैसे ही महफिल से बुराई हो ही जाती है।। किसी के कान में है झूठ, कोई वादों का झूठा है कभी चक्कर में झूठों के, बुराई हो ही जाती है। बनाते हैं सभी रिश्ते, बहुत नजदीक आ करके हो गर ज्यादा मिठाई तो बुराई […] Read more » evil poem poetry
कविता कैसे करू उनसे बात ? July 29, 2019 / July 29, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी घन घोर घटाये घिर रही ,रुक रुक हो रही बरसात |साजन है मेरे परदेश में ,कैसे करू, उनसे बात ? दम दम बिजली दमक रही ,अब दिन भी हो गया रात |दिन तो कैसे तैसे कट गया ,कैसे कटेगी ये अँधेरी रात ? ठंडी ठंडी हवा है चल रही,ठण्ड से ठिठुर गया […] Read more » how can i how i talk poem poetry
कविता साहित्य हिन्दी- महिमा July 26, 2019 / July 26, 2019 by शकुन्तला बहादुर | 1 Comment on हिन्दी- महिमा भारत में जो रची बसी है , वह जनभाषा है हिन्दी। भारतमाँ के माथे की है , वह प्यारी सी बिन्दी ।। * उत्तरदिशि केदारनाथ में , गूँज रही है ये हिन्दी। दक्षिण में रामेश्वरम तक, व्याप रही अपनी हिन्दी।। * पूर्वदिशा में जगन्नाथपुरि , में भी तो छाई हिन्दी। पश्चिम में है बसी द्वारिका,वहाँ […] Read more » hindi Hindi Poem hindi poetry poetry