जरूर पढ़ें लेख व्यंग्य क्रिकेट में स्विंग तो राजनीति में स्टिंग March 16, 2015 / March 16, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा जीवन में पहली बार स्टिंग की चर्चा सुनी तो मुझे लगा कि यह देश में धर्म का रूप ले चुके क्रिकेट की कोई नई विद्या होगी। क्योंकि क्रिकेट की कमेंटरी के दौरान मैं अक्सर सुनता था कि फलां गेंदबाज गेंद को अच्छी तरह से स्विंग करा रहा है या पिच पर गेंद […] Read more » स्टिंग cricekt politics sting क्रिकेट में स्विंग क्रिकेट में स्विंग तो राजनीति में स्टिंग राजनीति में स्टिंग
चुनाव राजनीति सत्ता चाहिए? औरंगजेब बनना पड़ेगा April 26, 2014 by गुलशन कुमार गुप्ता | Leave a Comment -गुलशन कुमार गुप्ता- ‘अ’ से अन्ना, ‘अ’ से औरंगजेब। चूंकि दोनों की राशि एक है शायद, इसलिए गांधी जी के सिद्धांतों पर चलने वाले अन्ना और मुहम्मद की नसीहतों को मानने वाले औरंगजेब के कारनामों में आज कुछ समानता प्रतीत हो रही है, हालांकि उद्देश्य में भिन्नता है। ऐसा नहीं है कि भारत में आन्दोलानों […] Read more » politics राजनीति सत्ता सत्ता की राजनीति
राजनीति यह नेता हैं या गुंडे ? April 23, 2014 / April 25, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on यह नेता हैं या गुंडे ? -अब्दुल नूर शिबली- जिन-जिन लोगों को हिंदी फिल्में देखने का शौक़ है वह सब अमरीश पूरी, प्रेम चोपड़ा, गुलशन ग्रोवर, शक्ति कपूर, सदाशिव अमरापुरकर, प्राण और इसी प्रकार के दुसरे विलन को अच्छी तरह जानते हैं जो फिल्मों में गांव वालों को या आम जनता को धमकी देते रहते हैं कि यदि तुमने हमारा काम […] Read more » criminal politics politics problem गुंडे नेता राजनीति की समस्या
राजनीति देश किधर जा रहा है? April 23, 2014 / April 25, 2014 by आर. के. गुप्ता | Leave a Comment -आरके गुप्ता- देश में चारों ओर चुनावी वातावरण है ऐसे में प्रत्येक राजनैतिक दल वोट पाने के लिये जनता से लोकलुभावने वादे कर रहा है। परन्तु एक विशेष सम्प्रदाय (मुस्लिम) के वोट पाने के लिये तो कुछ दल संविधान की भावनाओं का भी उल्लंघन कर रहे हैं। मुस्लिम समाज अपनी एकजुट वोटों का दबाव बनाकर […] Read more » Country politics देश देश की समस्या राजनीति
राजनीति जनता को ज्यादा दिनों तक बरगलाया नहीं जा सकता January 27, 2014 / January 27, 2014 by आलोक कुमार | 2 Comments on जनता को ज्यादा दिनों तक बरगलाया नहीं जा सकता -आलोक कुमार- दिल्ली का विधानसभा चुनाव इस बार पूरी तरह से चौंकाने वाले परिणामों से भरा रहा। यहां दो परम्परागत राजनैतिक दलों को सबसे बड़ी चुनावी चुनौती मिली वो भी एक ऐसी पार्टी से जो मात्र एक वर्ष पुरानी है। जनता ने ‘‘भाजपा’’ और ‘‘आप’’ को मिश्रित समर्थन दिया। भाजपा को 32 सीटें, ‘‘आप’’ […] Read more » AAP Arvind Kejrival politics जनता को ज्यादा दिनों तक बरगलाया नहीं जा सकता
चिंतन देश को चलाने के लिये शायद अनुभव की जरूरत नहीं January 15, 2014 / January 15, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 2 Comments on देश को चलाने के लिये शायद अनुभव की जरूरत नहीं -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- पेशे से अध्यापक हूं। भावुकता से नहीं तर्क के माध्यम से सोचने का प्रयास करता हूं। झूठ नहीं बोलूंगा, कई बार मेरी सोच पर भावुकता हावी जरूर होती है। पर सच तो ये है जिन्दगी के फैसले भावुकता की बुनियाद पर नहीं रखे जा सकते हैं। मन कभी सच बोलता नहीं […] Read more » politics देश को चलाने के लिये शायद अनुभव की जरूरत नहीं
राजनीति तार-तार होती राजनीति April 28, 2012 / April 28, 2012 by शशांक शेखर | 1 Comment on तार-तार होती राजनीति शशांक शेखर भारतीय राजनीतिक इतिहास में इससे बुड़ी बात क्या होगी जब कहे जाने वाले स्टाम्प को वास्तविक रॉबोट की तरह खुद सरकार ने दिखाया है। मामला सचिन तेंदूलकर के राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनित होने पर है। फिलहाल, भारतीय संविधान के अनु. 80 (3) के तहत राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा […] Read more » politics राजनीति
राजनीति वजूद खोती राजनीति February 21, 2012 / February 21, 2012 by अब्दुल रशीद | 2 Comments on वजूद खोती राजनीति अब्दुल रशीद सियासत में जीत सबसे अहम होता है। और लोक तन्त्र के लिए लोक और तन्त्र अहम होता है। दुर्भाग्य से दुनिया के सबसे बड़े लोक तन्त्र में आज लोक कि स्थिति इतनी प्रभावशाली नही दिखती कि वह तन्त्र को चलाने वाले सियासतदां पर अंकुश लगा सके, नतीजा तन्त्र भ्रष्ट होता जा रहा है, […] Read more » politics वजूद खोती राजनीति
कविता कुछ कविताये….खुशबू सिंह December 31, 2011 / December 31, 2011 by खुशबू सिंह | 2 Comments on कुछ कविताये….खुशबू सिंह खुशबू सिंह 1. बैरी अस्तित्व मिटा गया .. निज आवास में घुस बैरी अस्तित्व मिटा गया आवासीय चोकिदारों को धूली चटा गया … सुशांत सयुंक्त परिवार में बन मेहमान ठहरे थे वे कुटिल!! मित्रता के नाम पर यूँ बरपाया कहर की सयुंक्त की सारी सयुंक्ता ही मिटा गया जाने किस-किस के नाम पर सबको […] Read more » Poems politics कुछ कविताये
विविधा राजनीति पर गैर सरकारी स्वैच्छिक संगठनों का विदेशी नागपाश October 9, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment हरिकृष्ण निगम क्या आज का भारत स्वैच्छिक और गैर-सरकारी संगठनों अथवा सिविल सोसायटी कहलाने वाले संगठनों के नागपाश द्वारा विदेशी सूत्रधारों या कुछ देशविरोधी अंतर्राष्ट्रीय लॉबियों का अखाड़ा बन चुका है? देश में सक्रिय इन एन.जी.ओ. अथवा सी. एस. ओ. ने अपनी अंदरूनी प्रतिद्वंदिता और राजनीति द्वारा वर्तमान व्यवस्था को गंभीर चुनौति ही नहीं दी […] Read more » non government politics गैर सरकारी राजनीति
राजनीति माओवाद-ममता-महाश्वेता की दोगली राजनीति August 11, 2011 / December 7, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी माओवाद और कारपोरेट मीडिया का रोमैंटिक संबंध है। भारतीय बुर्जुआजी और माओवाद में सतह पर वर्गयुद्ध दिखाई देता है लेकिन व्यवहार में माओवादी संगठन और उनकी विचारधारा बुर्जुआजी की सेवा करते हैं। जो लोग यह सोचते हैं कि माओवादी क्रांतिकारी हैं और क्रांति के बिना नहीं रह सकते , वेमुगालते में हैं। माओवादियों […] Read more » politics ममता महाश्वेता माओवाद
प्रवक्ता न्यूज़ राजनीति इंडिया यंग, लीडरशिप ओल्ड! July 29, 2011 / December 7, 2011 by लिमटी खरे | Leave a Comment कांग्रेस में ‘प्रजातांत्रिक राजशाही‘ लिमटी खरे कांग्रेस में भविष्यदृष्टा रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इक्कीसवीं सदी को युवाओं की सदी घोषित किया था। उनका मानना था कि इक्कीसवीं सदी में युवाओं के मजबूत कांधों पर भारत गणराज्य उत्तरोत्तर प्रगति कर सकता है। आज सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र की बागडोर उनकी अर्धांग्नी श्रीमति […] Read more » politics युवा राजनीति