लेख धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष- पुरुषार्थचतुष्टय साधक नवनिधियाँ October 27, 2020 / October 27, 2020 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment –अशोक “प्रवृद्ध” आसान व सुलभ ढंग से जीवन -यापन के लिए प्रत्येक व्यक्ति को धन-सम्पदा से सम्पन्न और धन- संपदा के लिए सदैव प्रयत्नशील होना ही चाहिए, और इसमें कोई संदेह नहीं कि निष्ठापूर्वक परिश्रम अथवा साधना करने से मनुष्य को सफलता अर्थात कुछ निधियां अवश्य ही प्राप्त होती हैं। पौराणिक मान्यतानुसार अष्ट सिद्धियों की […] Read more » Meaning Religion Work and Moksha - Purusharthchatushta Sadhak Navnidhi अर्थ काम व मोक्ष धर्म पुरुषार्थचतुष्टय साधक नवनिधियाँ
धर्म-अध्यात्म अध्यात्म के महानायक आचार्य महाप्रज्ञ June 28, 2019 / June 28, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- प्राचीन समय से लेकर आधुनिक समय तक अनेकों साधकों, आचार्यों, मनीषियों, दार्शनिकों, ऋषियों ने अपने मूल्यवान अवदानों से भारत की आध्यात्मिक परम्परा को समृद्ध किया है, उनमें प्रमुख नाम रहा है – आचार्य महाप्रज्ञ। उनका जन्म शताब्दी समारोह 30 जून 2019 से प्रारंभ हो रहा है। वे ईश्वर के सच्चे दूत थे, […] Read more » Religion sprituality
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर प्रदत्त सद्धर्म वेद के प्रचार में प्रमुख बाधायें” June 18, 2019 / June 18, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। महाभारत युद्ध के बाद सत्य वैदिक धर्म का प्रचार व प्रसार बाधित हुआ जिससे कालान्तर में अनेकानेक अविद्यायुक्त मत-मतान्तर अस्तित्व में आये। इन अविद्यायुक्त मतों का प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ता गया जिससे इनके अनुयायियों की संख्या में वृद्धि होती गई और सत्य व सनातन वैदिक मत के अनुयायियों की संख्या में […] Read more » God promotion of vedas Religion
चिंतन धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द ने धर्म पालन में वेद-प्रमाण, तर्क एवं युक्तियों को प्रतिष्ठित किया June 17, 2019 / June 17, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध तक विश्व में वेदों की शिक्षाओं के अनुरूप एक ही धर्म ‘‘वैदिक धर्म” प्रचलित था। महाभारत युद्ध के बाद देश में अव्यवस्था का दौर आया। वेदों व विद्या का अध्ययन व अध्यापन कुप्रभावित हुआ जिसके कारण समाज में अज्ञान, अन्धविश्वास, कुरीतियां एवं पाखण्ड ने […] Read more » Religion sage dayanand
विविधा धर्म भारत की आत्मा January 15, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डा.राधेश्याम द्विवेदी धर्म की व्यापकता – जीवन के सभी क्षेत्रों में धर्म व्याप्त है और धर्म के बिना जीवन जिया ही नहीं जा सकता। इसी “धर्म ने हम सबको धारण किया हुआ है और हमने जन्म से मृत्युपर्यन्त धर्म को धारण किया हुआ है। इस धर्म से उसी प्रकार अलग नहीं हुआ जा सकता, जिस […] Read more » Religion Religion is soul of India soul of India धर्म भारत भारत की आत्मा
लेख वर्ण धर्म और भक्ति : हरि को भजे सो हरि का होई December 28, 2017 / December 28, 2017 by डॉ. चंदन कुमारी | Leave a Comment डॉ. चंदन कुमारी क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर– इन पंचभूतों की समनिर्मिति है समग्र सृष्टि फिर भेद-भाव वाली द्वैतबुद्धि का औचित्य कैसा ! गोस्वामी तुलसीदास के काव्य में वर्णाश्रम धर्म की मर्यादा झलकती है | उस वर्णाश्रम धर्म का मूल स्वरूप मानो आज धूमिल हो गया है और उसके भ्रामक संस्करण को गले लगाकर […] Read more » caste caste Religion and Devotion Devotion Religion धर्म भक्ति वर्ण
धर्म-अध्यात्म धर्म के नाम पर अधर्म January 30, 2012 / January 30, 2012 by आर.एल. फ्रांसिस | 2 Comments on धर्म के नाम पर अधर्म आर.एल.फ्रांसिस केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने दिल्ली में कैथोलिक संगठन ‘कैरिटस इंडिया के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए आर्चबिशपों, बिशपों सहित कैथोलिक ननों, पादरियों और श्रोताओं की सभा में बोलते हुए कहा कि कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित संगठन नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास करने में मदद करें लेकिन ‘लक्ष्मण रेखा का सम्मान करें […] Read more » nonreligious Religion अर्धम धर्म धर्म के नाम पर अर्धम
धर्म-अध्यात्म इंसानियत की राह में धर्म के गतिरोधक. June 29, 2011 / December 9, 2011 by श्रीराम तिवारी | 1 Comment on इंसानियत की राह में धर्म के गतिरोधक. श्रीराम तिवारी इंसान ने अपनी पृकृति प्रदत्त नैसर्गिक वौद्धिक बढ़त से जब पृथ्वी पर थलचरों ,जलचरों और नभचरों पर विजय हासिल की होगी तो उसके सामने नित नई-नई प्राकृतिक ,कबीलाई और पाशविक वृत्तियों की चुनौतियां भी आयीं होगी.पहिये और आग के आविष्कार से लेकर परिवार,कुटुंब,समाज,राष्ट्र और ’वसुधेव कुटुम्बकम’ तक आते -आते इंसान जागतिक स्तर पर […] Read more » Religion इंसानियत गतिरोधक धर्म
धर्म-अध्यात्म धर्म का बाजार या बाजार का धर्म June 22, 2011 / December 11, 2011 by श्यामल सुमन | 3 Comments on धर्म का बाजार या बाजार का धर्म श्यामल सुमन कई वर्षों का अभ्यास है कि रोज सबेरे सबेरे उठकर कुछ पढ़ा लिखा जाय क्योंकि यह समय मुझे सबसे शांत और महफूज लगता है। लेकिन जब कुछ पढ़ने लिखने के लिए तत्पर होता हूँ तो अक्सर मुझे दो अलग अलग स्थितियों का सामना अनिवार्य रूप से करना पड़ता हैं। पहला – टी०वी० के […] Read more » Religion धर्म बाजार
धर्म-अध्यात्म धर्म या व्यापार? June 18, 2011 / December 11, 2011 by आर. सिंह | 13 Comments on धर्म या व्यापार? आर. सिंह ऐसे तो धर्म की आड़ में व्यापार हमेशा होता आया है,अतः यह कोई नयी बात नहीं,पर यहाँ तो धर्म की आड़ में जुर्म हुआ है, अतःइसका शीर्षक होना चाहिये था धर्म और जुर्म.आज मेरे सामने दो समाचार हैं. दोनों धर्म की आड़ में जुर्म से संबंधित हैं. पहला समाचार यों है, १९८७ में जब […] Read more » Religion जुर्म धर्म व्यापार
धर्म-अध्यात्म धर्म के नाम पर जाम का दंश झेलता हमारा देश December 11, 2010 / December 19, 2011 by निर्मल रानी | 11 Comments on धर्म के नाम पर जाम का दंश झेलता हमारा देश निर्मल रानी किसी भी मनुष्य के दैनिक जीवन में आम लोगों की दिनचर्या का सुचारू संचालन काफी महत्वपूर्ण होता है। बावजूद इसके कि हमारे देश की लगभग 60 फीसदी आबादी देश के गांव में बसती है तथा शेष जनसंख्या शहरों व कस्बों का हिस्सा हैं। इसके बावजूद गांवों की तुलना में शहरी जीवन कहीं अधिक […] Read more » Religion जाम धर्म
राजनीति डॉ. लोहिया की धार्मिक दृष्टि December 2, 2010 / December 19, 2011 by डॉ. मनोज चतुर्वेदी | 3 Comments on डॉ. लोहिया की धार्मिक दृष्टि – डॉ. मनोज चतुर्वेदी डॉ. राम मनोहर लोहिया भारतीय संस्कृति के प्रबल पक्षधर थे। उनके साहित्य का अध्ययन करते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि वे तथा उनकी धार्मिक दृष्टि थी। यद्यपि वे स्वयं को नास्तिक कहा करते थे। पर उनकी नास्तिकता यदि देश, समाज, राष्ट्र व मानवजाति के विकास में सहयोगी दिखाई पड़ता है, […] Read more » Religion डॉ. राममनोहर लोहिया धर्म