Tag: अनादि

धर्म-अध्यात्म

“सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त”

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–मनमोहन कुमार आर्य हम इस विश्व के अनेकानेक प्राणियों में से एक प्राणी हैं। यह विश्व जिसमें असंख्य सूर्य, पृथिवी व चन्द्र आदि लोक लोकान्तर विद्यमान है, इसकी रचना वा उत्पत्ति किस सत्ता ने क्यों की, यह ज्ञान हमें होना चाहिये। महर्षि दयानन्द ने जहां अनेक प्रकार का ज्ञान अपने सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों में दिया […]

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धर्म-अध्यात्म

“हम सभी जीवात्माओं को कुछ समय बाद अपने शरीर व सगे सम्बन्धियों को छोड़कर परलोक जाना है”

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मनमोहन कुमार आर्य,  हम संसार में जीवन व मृत्यु का नियम संचालित होता देखते हैं। प्रतिदिन यत्र-तत्र कुछ परिचित व अपरिचित लोगों की मृत्यृ का समाचार सुनते रहते हैं। हम जब जन्में थे तो हमारे माता-पिता, चाचा, चाची, मौसी, मौसा, मामा-मामी व बुआ-फूफा आदि लोग संसार में थे। हमने उनके साथ समय बिताया है। आज […]

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धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर-मनुष्य संबंध व्याप्य-व्यापक, स्वामी-सेवक और पिता-पुत्र का है”

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मनमोहन कुमार आर्य, ईश्वर इस संसार की रचना करने वाले, पालन करने वाले तथा सृष्टि की अवधि पूरी होने पर इसकी प्रलय करने वाली सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, अजन्मा, नित्य व अविनाशी सत्ता को कहते हैं। मनुष्य का आत्मा एक अल्प परिमाण, चेतन, अल्पज्ञ, अनुत्पन्न,  नित्य, अविनाशी, कर्म-फल के बन्धनों में आबद्ध, कर्मानुसार […]

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धर्म-अध्यात्म

“भौतिकवाद से हमारी मानवीय संवेदनायें घटती हैं जिन्हें आध्यात्मिकता से सन्तुलित कर जीवन को सुखी बना सकते हैं”

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मनमोहन कुमार आर्य, भौतिकवाद आध्यात्मवाद का विलोम शब्द है। पृथिवी, अग्नि, जल, वायु और आकाश को भौतिक पदार्थ कहते हैं। इसमें ईश्वर व जीवात्मा सम्मिलित नहीं हैं। यह दोनों पदार्थ भौतिक न होकर चेतन वा आत्मतत्व हैं जो ज्ञान व कर्म गुणों वाले होते हैं। भौतिक पदार्थ ज्ञान व सम्वेदनाशून्य होते हैं। इनकी अधिक संगति […]

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धर्म-अध्यात्म

समय-समय पर आर्यसमाज के नियम पढ़ना व समझना तथा उन्हें जीवन उतारना आवश्यक’

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-मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज की स्थापना महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में की थी। स्थापना का मुख्य उद्देश्य वेदों, वैदिक धर्म व संस्कृति का प्रचार व प्रसार करना था। आर्यसमाज के 10 नियम हैं जिन्हें आसानी से कुछ घंटे के परिश्रम से स्मरण किया जा सकता है। आर्यसमाज में […]

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धर्म-अध्यात्म

“देश व विश्व से क्या कभी धर्म विषयक अविद्या दूर होगी?”

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मनमोहन कुमार आर्य,  आज का युग ज्ञान व विज्ञान का युग है। ज्ञान व विज्ञान दिन प्रतिदिन उन्नति कर रहे हैं। मनुष्यों का ज्ञान निरन्तर बढ़ रहा है परन्तु जब सत्य धर्म की बात करते हैं तो हमें दो प्रकार के मत मुख्यतः ज्ञात होते हैं। एक ईश्वर व आत्मा नामी चेतन पदार्थों को मानने […]

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धर्म-अध्यात्म

“सृष्टिकर्ता ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है वेद और संस्कृत भाषा”

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–मनमोहन कुमार आर्य, संसार में दो प्रकार की रचनायें देखने को मिलती है। एक अपौरूषेय और दूसरी पौरूषेय रचनायें। अपौरूषेय रचनायें वह होती हैं जो मनुष्यों के द्वारा असम्भव होने से नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए सूर्य, चन्द्र व पृथिवी सहित पृथिवी पर वायु, जल, अग्नि आदि की उत्पत्ति मनुष्य कदापि नहीं कर […]

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धर्म-अध्यात्म

“धार्मिक व सामाजिक अंधविश्वास व पाखण्डों का कारण अविद्या है”

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–मनमोहन कुमार आर्य,  हमारे देश में अनेक प्रकार के धार्मिक व सामाजिक अन्धविश्वास एवं पाखण्ड प्रचलित हैं। इन अन्धविश्वास एवं पाखण्डों का कारण देश में प्रचलित सभी मत-मतान्तरों की अविद्या है। इस अविद्या के कारण अनेक प्रकार की कुरीतियां भी प्रचलित हैं और सामाजिक विद्वेष उत्पन्न होने सहित किन्हीं दो समुदायों में हिंसा भी होती […]

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