धर्म-अध्यात्म आत्मा, अनादि, अविनाशी व जन्म-मरण धर्मा है तथा मोक्ष की कामना से युक्त है October 13, 2020 / October 13, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य संसार में तीन अनादि तथा नित्य पदार्थ हैं। यह पदार्थ हैं ईश्वर, जीवात्मा तथा प्रकृति। ईश्वर सत्य चित्त आनन्दस्वरूप एवं सर्वज्ञ है। आत्मा सत्य, चेतन एवं अल्पज्ञ है। प्रकृति सत्य एवं जड़ सत्ता है। अनादि पदार्थ वह होते हैं जिनका अस्तित्व सदा से है और सदा रहेगा। इन्हें किसी अन्य सत्ता […] Read more » imperishable and birth-born is righteousness and is blessed with salvation The soul is eternal अनादि अविनाशी व जन्म-मरण धर्मा आत्मा मोक्ष की कामना
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर का वेद वर्णित सत्य स्वरूप और उसके गुण-कर्म-स्वभाव” December 15, 2018 / December 15, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार के सभी आस्तिक मत ईश्वर की सत्ता को मानते हैं परन्तु सब ईश्वर के स्वरूप और उसके गुण, कर्म व स्वभाव को लेकर एक मत नहीं हैं। यदि एक मत होते तो फिर संसार में भिन्न-2 मत-मतान्तर न होते। आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द सरस्वती ने ईश्वर के सत्यस्वरूप का अनुसंधान […] Read more » अजन्मा अजर अनन्त अनादि अनुपम अभय अमर दयालु नित्य निर्विकार न्यायकारी सर्वव्यापक सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर
धर्म-अध्यात्म “सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त” November 12, 2018 / November 12, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हम इस विश्व के अनेकानेक प्राणियों में से एक प्राणी हैं। यह विश्व जिसमें असंख्य सूर्य, पृथिवी व चन्द्र आदि लोक लोकान्तर विद्यमान है, इसकी रचना वा उत्पत्ति किस सत्ता ने क्यों की, यह ज्ञान हमें होना चाहिये। महर्षि दयानन्द ने जहां अनेक प्रकार का ज्ञान अपने सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों में दिया […] Read more » “सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त” अखण्डनीय अजन्मा अजर अनन्त अनादि अनुत्पन्न अमर अविनाशी नित्य निराकार सच्चिदानन्दस्वरूप सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वान्तर्यामी
धर्म-अध्यात्म “क्या व्यवहार में हम ईश्वर को अपने सभी कर्मों का साक्षी मानते व बुरे कर्मों से डरते हैं?” October 20, 2018 / October 20, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम यह लेख लिख रहे हैं इसलिये कि हमारे मन में यह विचार आया है। हमने अपने जीवन में इस विषय का लेख नहीं पढ़ा हां वैदिक साहित्य में इससे सम्बन्धित प्रचुर सामग्री अवश्य मिलती है। आर्यसमाज व हम ईश्वर, जीव तथा प्रकृति के नित्यत्व व अनादित्व के सिद्धान्त को मानते हैं। […] Read more » अनादि अविनाशी आधिदैविक आधिभौतिक ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप नित्य निराकार सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान
धर्म-अध्यात्म “हम सभी जीवात्माओं को कुछ समय बाद अपने शरीर व सगे सम्बन्धियों को छोड़कर परलोक जाना है” October 18, 2018 / October 18, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “हम सभी जीवात्माओं को कुछ समय बाद अपने शरीर व सगे सम्बन्धियों को छोड़कर परलोक जाना है” मनमोहन कुमार आर्य, हम संसार में जीवन व मृत्यु का नियम संचालित होता देखते हैं। प्रतिदिन यत्र-तत्र कुछ परिचित व अपरिचित लोगों की मृत्यृ का समाचार सुनते रहते हैं। हम जब जन्में थे तो हमारे माता-पिता, चाचा, चाची, मौसी, मौसा, मामा-मामी व बुआ-फूफा आदि लोग संसार में थे। हमने उनके साथ समय बिताया है। आज […] Read more » अनन्त अनादि धार्मिक गुरुओं नित्य निराकार महात्माओं सच्चिदानन्दस्वरुप सन्त सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर-मनुष्य संबंध व्याप्य-व्यापक, स्वामी-सेवक और पिता-पुत्र का है” October 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, ईश्वर इस संसार की रचना करने वाले, पालन करने वाले तथा सृष्टि की अवधि पूरी होने पर इसकी प्रलय करने वाली सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, अजन्मा, नित्य व अविनाशी सत्ता को कहते हैं। मनुष्य का आत्मा एक अल्प परिमाण, चेतन, अल्पज्ञ, अनुत्पन्न, नित्य, अविनाशी, कर्म-फल के बन्धनों में आबद्ध, कर्मानुसार […] Read more » अजर अनन्त अनादि अनुत्पन्न वा अजन्मा अनुपम अभय दयालु निराकार निर्विकार पवित्र व सृष्टिकर्ता अविनाशी सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर
धर्म-अध्यात्म “वेदमार्ग ही मनुष्य को ईश्वर, जीवात्मा व संसार का ज्ञान कराकर मोक्ष में प्रवृत्त कराता है” September 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में मुख्यतः दो प्रकार की जीवन शैली एवं संस्कृतियां हैं। एक त्याग की ओर प्रवृत्त करती हैं तो दूसरी भोग की ओर। वैदिक धर्म व संस्कृति मनुष्य को त्यागपूर्वक जीवन व्यतीत करने का सन्देश देती है। पाश्चात्य एवं अन्य विदेशी संस्कृतियां प्रायः अपने अनुयायियों को भोग करने का संकेत देती हैं। […] Read more » अजर अनादि अमर अविनाशी आत्मा आत्मोन्नति जन्म-मरण धर्मा नित्य पुनर्जन्म पूर्वजन्म शाश्वत् सनातन ससीम
धर्म-अध्यात्म “भौतिकवाद से हमारी मानवीय संवेदनायें घटती हैं जिन्हें आध्यात्मिकता से सन्तुलित कर जीवन को सुखी बना सकते हैं” September 10, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, भौतिकवाद आध्यात्मवाद का विलोम शब्द है। पृथिवी, अग्नि, जल, वायु और आकाश को भौतिक पदार्थ कहते हैं। इसमें ईश्वर व जीवात्मा सम्मिलित नहीं हैं। यह दोनों पदार्थ भौतिक न होकर चेतन वा आत्मतत्व हैं जो ज्ञान व कर्म गुणों वाले होते हैं। भौतिक पदार्थ ज्ञान व सम्वेदनाशून्य होते हैं। इनकी अधिक संगति […] Read more » “भौतिकवाद अनादि अविनाशी से सन्तुलित आध्यात्मिकता आनन्द-स्वरूप मानवीय संवेदनायें सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान
धर्म-अध्यात्म समय-समय पर आर्यसमाज के नियम पढ़ना व समझना तथा उन्हें जीवन उतारना आवश्यक’ August 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज की स्थापना महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में की थी। स्थापना का मुख्य उद्देश्य वेदों, वैदिक धर्म व संस्कृति का प्रचार व प्रसार करना था। आर्यसमाज के 10 नियम हैं जिन्हें आसानी से कुछ घंटे के परिश्रम से स्मरण किया जा सकता है। आर्यसमाज में […] Read more » Featured अजन्मा अजर अनन्त अनादि अनुपम अभय अमर आर्यसमाज ईश्वर सच्चिदानन्द-स्वरूप दयालु नित्य निराकार निर्विकार न्यायकारी पवित्र महर्षि दयानन्द सरस्वती श्री कृष्ण सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर
धर्म-अध्यात्म “देश व विश्व से क्या कभी धर्म विषयक अविद्या दूर होगी?” August 16, 2018 / August 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आज का युग ज्ञान व विज्ञान का युग है। ज्ञान व विज्ञान दिन प्रतिदिन उन्नति कर रहे हैं। मनुष्यों का ज्ञान निरन्तर बढ़ रहा है परन्तु जब सत्य धर्म की बात करते हैं तो हमें दो प्रकार के मत मुख्यतः ज्ञात होते हैं। एक ईश्वर व आत्मा नामी चेतन पदार्थों को मानने […] Read more » Featured अजन्मा अजर अनादि अनुपम अभय अमर ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरुप घ्राण जिह्वा त्वचा दयालु नित्य निराकार निर्विकार नेत्र न्यायकारी पवित्र पांच ज्ञानेन्द्रियां वाक् पांद श्रोत्र सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर सूक्ष्मभूत हस्त
धर्म-अध्यात्म “सृष्टिकर्ता ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है वेद और संस्कृत भाषा” August 1, 2018 / August 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, संसार में दो प्रकार की रचनायें देखने को मिलती है। एक अपौरूषेय और दूसरी पौरूषेय रचनायें। अपौरूषेय रचनायें वह होती हैं जो मनुष्यों के द्वारा असम्भव होने से नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए सूर्य, चन्द्र व पृथिवी सहित पृथिवी पर वायु, जल, अग्नि आदि की उत्पत्ति मनुष्य कदापि नहीं कर […] Read more » “सृष्टिकर्ता ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है वेद और संस्कृत भाषा” Featured अनादि अमर अविनाशी आचार्य नित्य पिता माता राजा व न्यायाधीश सर्वान्तर्यामी ईश्वर सर्वाव्यापक संसार संस्कृत सच्चिदानन्दस्वरूप
धर्म-अध्यात्म “धार्मिक व सामाजिक अंधविश्वास व पाखण्डों का कारण अविद्या है” July 26, 2018 / July 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, हमारे देश में अनेक प्रकार के धार्मिक व सामाजिक अन्धविश्वास एवं पाखण्ड प्रचलित हैं। इन अन्धविश्वास एवं पाखण्डों का कारण देश में प्रचलित सभी मत-मतान्तरों की अविद्या है। इस अविद्या के कारण अनेक प्रकार की कुरीतियां भी प्रचलित हैं और सामाजिक विद्वेष उत्पन्न होने सहित किन्हीं दो समुदायों में हिंसा भी होती […] Read more » ‘‘ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरुप “धार्मिक व सामाजिक अंधविश्वास Featured अजन्मा अजर अनादि अनुपम अभय अमर ईसाई व मुसलमानों जैन दयालु नित्य निराकार निर्विकार न्यायकारी पवित्र पाखण्डों का कारण अविद्या है बौद्ध सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर