पर्यावरण विविधा वृक्षों में जीव विषयक ऋषि दयानन्द के विचार July 7, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वामी दयानन्द जी इस प्रसंग में आगे लिखते हैं कि वृक्ष आदि के बीजों को जब पृथिवी में बोते हैं तब अंकुर ऊपर आता है और मूल नीचे जाता (रहता) है। जो उन (वृक्षों) को नेत्रेन्द्रिय न होता तो (वह) ऊपर-नीचे को कैसे देखता? इस काम से निश्चित जाना जाता है कि नेत्रेन्द्रिय जड़ वृक्षादिकों में भी हैं। बहुत (प्रकार की) लता होती हैं, जो वृक्ष और भित्ती के ऊपर चढ़ जाती हैं, जो (उनमें) नेत्रेन्द्रिय न होता तो उसको (वृक्ष और भित्ति को) कैसे देखता तथा स्पर्शेन्द्रिय तो वे (जैन) भी मानते हैं। जीभ इन्द्रिय भी वृक्षादिकों में हैं क्योंकि मधुर जल से बाग आदि में जितने वृक्ष होते हैं, उनमें खारा जल देने से सूख जाते हैं। जीभ इन्द्रिय न होता तो खारे वा मीठे का स्वाद (वह वृक्ष) कैसे जानते? श्रोत्रेन्द्रिय भी वृक्षादिकों में हैं, क्योंकि जैसे कोई मनुष्य सोता हो, उसको अत्यन्त शब्द (तेज आवाज, शोर वा धमाका आदि) करने से सुन लेता है तथा तोफ आदिक शब्द से भी वृक्षों में कम्प होता है, जो श्रोत्रेन्द्रिय न होता, तो कम्प क्यों होता क्योंकि अकस्मात् भयंकर शब्द के सुनने से मनुष्य, पशु, पक्षी अधिक कम्प जाते हैं, वैसे वृक्षादिक भी कम्प जाते हैं। जो वह कहें कि वायु के कम्प से वृक्ष में चेष्टा हो जाती है, अच्छा तो मनुष्यादिकों को भी वायु की चेष्टा से शब्द सुन पड़ता है, इससे वृक्षादिकों में भी क्षोत्रेन्द्रिय है। Read more » ऋषि दयानन्द वृक्षों में जीव
लेख साहित्य ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज की देश की आजादी में भूमिका July 4, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द (1825-1883) के समय में देश एक ओर जहां अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, मिथ्या परम्पराओं व अनेकानेक सामाजिक बुराईयों से ग्रस्त था वहीं दूसरी ओर इन्हीं कारणों से वह विगत सात सौ से कुछ अधिक वर्षों से पराधीनता के जाल में भी फंसा हुआ था। ऋषि दयानन्द वेदों के उच्च कोटि विद्वान […] Read more » Featured आर्यसमाज की देश की आजादी में भूमिका ऋषि दयानन्द
समाज गोरक्षा आन्दोलन के आद्य प्रवर्तक ऋषि दयानन्द July 2, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने गोरक्षार्थ गोहत्या बन्द किये जाने के पक्ष में गोकरुणानिधि नामक एक लघु पुस्तिका लिखी है। यह पुस्तक अपने विषय की गागर में सागर के समान पुस्तक है। इस पुस्तक से हम ऋषि दयानन्द के कुछ विचार प्रस्तुत कर रहे है। ऋषि दयानन्द लिखते हैं कि ‘वे धर्मात्मा, विद्वान लोग […] Read more » आद्य प्रवर्तक ऋषि दयानन्द गोरक्षा-आन्दोलन
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द ने संसार को ईश्वर के सच्चे स्वरूप और उसकी उपासना से परिचित कराया June 27, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य हैं और हमारा यह मनुष्य जन्म ईश्वर के नियमों के अनुसार प्रारब्ध के कर्मों के भोग व नये कर्मों को करके विवेक प्राप्ति व जीवन उन्नति के लिए हुआ है। मनुष्य का आत्मा इच्छा, द्वेष, सुख, दुःख, ज्ञानादि गुणयुक्त, अल्पज्ञ और नित्य है। आत्मा अनादि, नित्य, अजर, अमर, एकदेशी, […] Read more » ईश्वर की उपासना से परिचित ईश्वर के सच्चे स्वरूप ऋषि दयानन्द संसार
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज ने विश्व के करोड़ों लोगों को वैदिक धर्म द्वारा सच्चे आध्यात्मिक एवं सांसारिक जीवन जीने का मार्गदर्शन दिया May 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ प्राणी व योनि है। मनुष्य के पास जो मन है वह अन्य प्राणियों की तुलना में विशिष्ट गुणों व शक्तियों से सम्पन्न है। मनुष्य अपने मन से मनन, विचार व चिन्तन कर सकता है जबकि अन्य पशु, पक्षी आदि प्राणी ऐसा नहीं कर सकते। मनुष्य किसी […] Read more » आर्यसमाज ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म श्रेष्ठ एवं आदर्श महापुरुष ऋषि दयानन्द February 17, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द संसार के मनुष्यों व सभी ज्ञात महापुरुषों में सर्वश्रेष्ठ आदर्श महापुरुष हैं। इसके अनेक कारण एवं प्रमाण हैं जिनके आधार यह निष्कर्ष निकलता है। महाभारतकाल वर्तमान से लगभग 5,200 वर्ष पूर्व है। महाभारत काल के बाद ऐसे अनेक पुरुष व महापुरुष हुए जिनके बारे में देश व संसार के लोगों […] Read more » ऋषि दयानन्द श्रेष्ठ एवं आदर्श महापुरुष
धर्म-अध्यात्म शिवरात्रि को ऋषि दयानन्द को हुए बोध से देश व विश्व का अपूर्व कल्याण हुआ February 8, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वेदों के अपूर्व ऋषि और आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द सरस्वती को मंगलवार 12 फरवरी, सन् 1839 को शिवरात्रि के दिन बोध हुआ था। क्या बोध हुआ था, यह कि उनके पिता व परिवार जन जिस शिव मूर्ति के रूप में शिव लिंग की पूजा करते थे वह सच्चा व यथार्थ ईश्वर […] Read more » ऋषि दयानन्द शिवरात्रि
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज के वेदसम्मत 10 नियमों के आदर्श पालक ऋषि दयानन्द January 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आर्यसमाज की स्थापना 10 अप्रैल, सन् 1875 को ऋषि दयानन्द सरस्वती ने मुम्बई में की थी। इसका उद्देश्य था विलुप्त वेदों की यथार्थ शिक्षाओं का जन-जन में प्रचार और उसके अनुरूप समाज व देश का निर्माण। महर्षि ने आर्यसमाज की स्थापना उनके वेद विषयक विचारों के प्रशंसकों वा अनुयायियों के अनुरोध पर […] Read more » 10 disciples of Arya Samaj आर्यसमाज आर्यसमाज के 10 नियम आर्यसमाज के वेदसम्मत 10 नियमों के आदर्श पालक ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के दो मुख्य मन्तव्य और उनके अनुसार मनुष्य का कर्तव्य November 18, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने अपने विश्व विख्यात ग्रन्थ ‘सत्यार्थप्रकाश’ के अन्त में ‘स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश’ के अन्तर्गत अपने निजी मन्तव्यों का प्रकाश किया है। अपना निजी मन्तव्य बताते हुए वह लिखते हैं कि ‘मैं अपना मन्तव्य उसी को जानता हूं कि जो तीन काल में सबको एक सा मानने योग्य है। मेरा कोई नवीन […] Read more » ऋषि दयानन्द ऋषि दयानन्द के अनुसार मनुष्य का कर्तव्य ऋषि दयानन्द के दो मुख्य मन्तव्य
चिंतन धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के जीवन के अन्तिम प्रेरक शिक्षाप्रद क्षण November 15, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वामी दयानन्द जी का जीवन आदर्श मनुष्य, महापुरुष व महात्मा का जीवन था। उन्होने अपने पुरुषार्थ से ऋषित्व प्राप्त किया और अपने अनुयायियों के ऋषित्व प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त किया। एक ऋषि का जीवन कैसा होता है और ऋषि की मृत्यु किस प्रकार होती है, ऋषि दयानन्द का जीवनचरित उसका प्रमाणिक दस्तावेज हैं जिसका अध्ययन व मनन कर सभी अपने जीवन व मृत्यु का तदनुकूल वरण व अनुकरण कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि पूर्व अध्ययन किये हुए ऋषि भक्तों को इसे पढ़कर मृत्यु वरण के संस्कार प्राप्त होंगे। इसी के साथ यह चर्चा समाप्त करते हैं। ओ३म् शम्। Read more » death of Swami dayanand Featured ऋषि दयानन्द ऋषि दयानन्द के भक्तों की प्रशंसा पुराणों की आलोचना पौराणिक छात्र को फटकार
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द का बलिदान सत्य की विजय व असत्य की पराजय November 1, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment 30 अक्तूबर, 1883 दीपावली के दिन ऋषि दयानन्द ने अपने देह का भले ही त्याग कर दिया परन्तु उनकी आत्मा आज भी ईश्वर के सान्निध्य में रहकर ईश्वरीय आनन्द वा मोक्ष का अनुभव कर रही है। सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, ऋग्वेदभाष्य, यजुर्वेदभाष्य,, संस्कारविधि, आर्याभिविनय और अपने अन्य ग्रन्थों के कारण आज भी वह अपने अनुयायियों के मध्य विद्यमान हैं और अपने ग्रन्थों व जीवन चरित तथा पत्रव्यवहार आदि के द्वारा उनका मार्गदर्शन करते हैं। उनके मानव सर्वहितकारी कार्यों से सारा संसार लाभान्वित हुआ है। Read more » ऋषि दयानन्द
लेख ऋषि दयानन्द के भक्तों की प्रशंसा और पौराणिक छात्र को फटकार और पुराणों की आलोचना October 25, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्यजगत के विख्यात विद्वान और राष्ट्रपति से सम्मानित संस्कृत के विद्वान पं. युधिष्ठिर मीमांसक जी जिज्ञासु जी के साथ तिवारी जी से पढ़ने जाते थे। यह संस्मरण उन्होंने अपनी आत्म-कथा में दिया है। ऐसे अनेक प्रेरणाप्रद संस्मरण उनकी आत्म कथा में और भी हैं। Read more » ऋषि दयानन्द