परिचर्चा समाज और धर्म की समापन किस्त June 17, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -गंगानंद झा- जब अपने बड़े बेटे के हाई स्कूल में नामांकन का अवसर उपस्थित हुआ तो मेरे सामने चुनाव की समस्या आई, किस स्कूल में नामांकन कराया जाए? तब सीवान में लड़कों के तीन और लड़कियों के दो हाई स्कूल हुआ करते थे । लड़कों के स्कूलों के नाम थे डी.ए. वी. हाई स्कूल, इस्लामिया […] Read more » Featured धर्म समाज समाज और धर्म की समापन किस्त
कला-संस्कृति समाज और धर्मः एक June 13, 2015 by गंगानन्द झा | Leave a Comment -गंगानंद झा- हम अपने को औसत लोगों से भिन्न इस अर्थ में समझते रहे कि‘ विरासत से पाई गई प्रज्ञा‘(received wisdom) के प्रति असहमति को हमने अपनी चेतना में सम्मिलित किया है। सीवान में हमने अपने इस मूल्यांकन को आईना में देखा। धर्म की बात उठाकर राजनैतिक बुद्धि चाहे जितना फायदा उठा ले— वह सत्य […] Read more » Featured धर्म समाज
जरूर पढ़ें विविधा धुंआ, धर्म और धरती… May 29, 2015 by निर्मल रानी | Leave a Comment -निर्मल रानी- पूरा विश्व ही नहीं बल्कि संपूर्ण पृथ्वी तथा ब्रह्मांड का एक बड़ा हिस्सा इस समय ग्लोबल वार्मिंग का शिकार है। सहस्त्राब्दियों पुराने गलेशियर व हिमखंड पिघल चुुके हैं। दुनिया की कई बर्फ़ीली पहाड़ी चोटियां इतिहास बन चुकी हैं। इनका एकमात्र कारण वैज्ञानिकों द्वारा यही बताया जा रहा है कि विकास के नाम पर […] Read more » Featured धरती धर्म धुंआ ब्रह्मांड विश्व
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (10) सन्त नम्मालवार (शठकोप) May 29, 2015 by बी एन गोयल | 1 Comment on दक्षिण भारत के संत (10) सन्त नम्मालवार (शठकोप) -बीएन गोयल- रक्ताभ कान्ति युक्त अरुणिम मरकत उपगिरि के समान रक्तिम मेघाम्बर तेजपुंज सूर्य शीतल श्वेत चन्द्र और नक्षत्रों को धारण किए समुद्र तरंगों पर विश्रांत, हे प्रबुद्ध अप्रतिम सर्वोच्च प्रभु । ये पंक्तियाँ प्रसिद्ध आलवार संत नम्मालवार की कृति तिरुवाशिरीयम से हैं। इन पंक्तियों में आदिशेष की शय्या पर शयन करने वाले भगवान […] Read more » Featured दक्षिण भारत के संत (10) सन्त नम्मालवार (शठकोप) धर्म प्रभु
धर्म-अध्यात्म अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना May 14, 2015 / May 14, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना -अशोक “प्रवृद्ध”- अवतार यानि अवतरित होना न कि जन्म लेना, प्रकट होना जिस प्रकार क्रोध प्रकट होता है वह अवतरित नहीं होता उसे तो अहंकार जन्म देता है परन्तु अवतार का जन्म नहीं होता जन्म दो के संयोग से प्राप्त होता है, जैसे अहंकार और इर्ष्या का संयोग क्रोध जन्मता है | लोक मान्यता है […] Read more » Featured अवतार अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना धर्म महर्षि महापुराण
टॉप स्टोरी धर्म, मत-मतान्तर और भूख February 4, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment धर्म और भूख में क्या परस्पर कोई सम्बन्ध है? हां, अवश्य है, कम से कम भारत में तो रहा है और अब भी है, ऐसा स्पष्ट प्रतीत होता है। धर्म दो प्रकार के हैं एक तो वास्तविक, यथार्थ या सत्य धर्म है जो संसार के सभी लोगों के लिए एक समान है, इसलिए वह सबका […] Read more » धर्म भूख मत-मतान्तर मत-मतान्तर और भूख’
जन-जागरण युग धर्म में आया परिवर्तन September 7, 2014 / September 7, 2014 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment -राकेश कुमार आर्य- धर्म बन जाया करता है। जब भारत वर्ष में शांति का काल था, सर्वत्र उन्नति और आत्मविकास की बातें होती थीं तो यही देश जीवेम् शरद: शतं-का उपासक था। तब यहां शतायु होने का आशीर्वाद मिलता भी था और दिया भी जाता था। परंतु जब परिस्थितियों ने करवट ली और हर क्षण […] Read more » धर्म भारत युग युग धर्म में आया परिवर्तन
परिचर्चा धर्म, हिंसा और आतंक June 9, 2014 / June 9, 2014 by बीनू भटनागर | 3 Comments on धर्म, हिंसा और आतंक -बीनू भटनागर- मैंने पुणे के एक युवक की पीट-पीट कर हत्या होने पर आक्रोश प्रकट किया, तो मुझे याद दिलाया गया कि कश्मीर से पंडितों के विस्थापित होने पर या हिंदुओं पर मुसलमानों द्वारा हिंसा होने पर मुझे ये आक्रोश क्यों नहीं आया था। यदि पुणे का युवक मोहसिन न होकर मुद्रित होता तो भी […] Read more » आतंक धर्म भारतीय राजनीति हिंसा
कविता धर्म क्या है? May 15, 2014 / May 15, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- धर्म क्या है? केवल संस्कृति! या फिर एक नज़रिया! या फिर जीने की कला! जो है जन्म से मिला। धर्म जो बांट दे, धर्म जो असहिष्णु हो, तो क्या होगा किसी का भला! व्रत उपवास ना करूं, मंदिरों में ना फिरूं, या पूजा पाठ ना करूं, तो क्या मैं हिंदू नहीं? रोज़ा नमाज़ […] Read more » धर्म धर्म कहता है धर्म पर कविता
विविधा धर्म से जुड़ी कुछ विसंगतियां July 17, 2012 by बीनू भटनागर | 1 Comment on धर्म से जुड़ी कुछ विसंगतियां बीनू भटनागर आस्था, विश्वास ,अंधविश्वास ,संस्कार, संसकृति ,परम्परा, आध्यात्म और धर्म तथा ऐसे ही कुछ और शब्द आपस मे बहुत उलझे हुए हैं। मै इन शब्दों की परिभाषा नहीं कर रही हूँ बल्कि इन उलझे हुए शब्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहती हूँ। इन शब्दों में कुछ समानताएं होते हुए भी ये व्यापक अर्थ […] Read more » धर्म
धर्म-अध्यात्म धर्म-कर्म में दिखावे से बचें June 24, 2012 / June 24, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on धर्म-कर्म में दिखावे से बचें पब्लिसिटी से क्षीण होता है पुण्य डॉ. दीपक आचार्य धर्म धारण करने का विषय है, प्रचार-प्रसार का नहीं। धर्म का मूल मर्म लोकोपकारी जीवनयापन और ऊर्ध्वगामी यात्रा से पूर्व अधिकाधिक पुण्य संचय का है। आजकल धर्म और पुण्य के नाम पर कई प्रकार के आडम्बरों और धूर्त्तताओं का जमाना है। पहले धर्म का नाम सुनते […] Read more » धर्म
टॉप स्टोरी धर्म-अध्यात्म क्या लोगों की धार्मिक आस्था एवं विश्वास पर कुठाराघात ‘देशद्रोह’ नहीं है? April 17, 2012 by राजेश कश्यप | 2 Comments on क्या लोगों की धार्मिक आस्था एवं विश्वास पर कुठाराघात ‘देशद्रोह’ नहीं है? राजेश कश्यप देश में पाखण्डी बाबाओं, गुरूओं, योगियों और धर्मोपदेशकों की बाढ़ आई हुई है। लगभग सभी धर्म के नाम पर गोरखधंधा कर रहे हैं। जो जितना बड़ा संत, बाबा, गुरू अथवा योगी के रूप में उभरता है, थोड़े दिन बाद उसकी काली कारतूतों का लंबा चौड़ा पिटारा खुलकर सामने आ जाता है। इस समय […] Read more » अंधविश्वास धर्म