लेख एकात्म मानववाद के प्रणेता पं0 दीनदयाल उपाध्याय

एकात्म मानववाद के प्रणेता पं0 दीनदयाल उपाध्याय

बृजनन्दन यादव वे एक ऐसे राजनेता थे जिन्हें सत्ता में कोर्इ आकर्षण नहीं था। फिर भी अपने अनुयायियों के दिलों पर राज करते थे। वे…

Read more
लेख नवजागरण काल में लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रतिष्ठा और हिन्दी पत्रकारिता

नवजागरण काल में लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रतिष्ठा और हिन्दी पत्रकारिता

डा. मयंक चतुर्वेदी नव जागरण से तात्पर्य है भारत में आधुनिकता का प्रवेश, वैज्ञानिक दृषिटकोण का विकसित होना और किसी भी घटना के परिप्रेक्ष्य में…

Read more
राजनीति Default Post Thumbnail

हाजी याक़ूब: बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले!

ऐसे लोग सियासत में अपना कारोबार करने आते हैं! -इक़बाल हिंदुस्तानी पूर्व मंत्री और मेरठ शहर से विधायक हाजी याकूब कुरैशी को सिखों के खिलाफ…

Read more
राजनीति चिटठी की चपेट में चिदंबरम

चिटठी की चपेट में चिदंबरम

प्रमोद भार्गव बहुमूल्य तरंगों ;2 जी स्पेक्टमद्ध के आवंटन से जुड़ी चिटठी की चपेट में पी चिदंबरम भी आ गए हैं। चिटठी के जरिए होने…

Read more
व्यंग्य ये पबिलक है–सब जानती है …..

ये पबिलक है–सब जानती है …..

जग मोहन ठाकन हमारे समय में जब छात्र पढ़ार्इ शुरु करते थे ,तो पहला पाठ अ-अनार और म-मछली का होता था। बाद में जब हम…

Read more
व्यंग्य Default Post Thumbnail

गरीबी के झटके

राजकुमार साहू देखिए, गरीबों को गरीबी के झटके सहने की आदत होती है या कहें कि वे गरीबी को अपने जीवन में अपना लेते हैं।…

Read more
लेख श्रीलाल शुक्ल और रागदरबारी

श्रीलाल शुक्ल और रागदरबारी

वीरेन्द्र जैन इसमें कोई सन्देह नहीं कि हिन्दी व्यंग्य के भीष्मपितामह हरिशंकर परसाई ही माने जाते हैं किंतु गत शताब्दी के सातवें दशक में अपने…

Read more
लेख पत्रकारों की बदलती दिशा और दशा

पत्रकारों की बदलती दिशा और दशा

डॉ. शशि तिवारी शब्दों में वो ताकत होती है जो बन्दूक की गोली, तोप के गोले एवं तलवार में नहीं होती है। अस्त्र-शस्त्र से घायल…

Read more
समाज आधुनिकता बनाम परिवार

आधुनिकता बनाम परिवार

परिवार की हमारी पारम्परिक अवधारणा और संरचना को आधुनिकता के ज्वार के कारण काफी तनाव का सामना करना पड रहा है । मनुष्य एक ही…

Read more
लेख नरेंद्र भाई अभी दिल्ली दूर है…

नरेंद्र भाई अभी दिल्ली दूर है…

श्रीराम तिवारी भारत में राजनीति को कुआँर की कुतिया समझ कर सरे राह लतियाने वालों में दिग्भ्रमित विपक्ष और टी आर पी रोग से पीड़ित…

Read more
आलोचना Default Post Thumbnail

”पिट कर नहीं, पीट कर आओ, लोगों को घेर कर मारो”

गिरीश पंकज ”पिट कर नहीं, पीट कर आओ, लोगों को घेर कर मारो” . यह ”महान” प्रेरक वाक्य किसी तानाशाह का नहीं, लोकशाही के एक…

Read more
लेख बाबा रामदेव की हुंकार में समझदारी

बाबा रामदेव की हुंकार में समझदारी

प्रमोद भार्गव महारानी लक्ष्मीबाई की कर्मस्थली रही झांसी से बाबा रामदेव ने कालाधन वापिस लाने की जो हुंकार भरी है, वह अब समझदारी का पर्याय…

Read more