बड़ा लेखक बनने के गुर
Updated: December 22, 2011
-विजय कुमार छुटपन से ही मेरी इच्छा थी कि मैं बड़ा लेखक बनूं। बड़े प्रयास किये; पर रहा छोटा ही। कभी पढ़ा था कि चोटी…
Read moreशठे शाठ्यम समाचरेत्
Updated: December 22, 2011
-विजय कुमार ममता बनर्जी बंगाल में सत्ता पाने को इतनी आतुर हैं कि उन्होंने अपनी बुद्धि और विवेक खो दिया है। ज्ञानेश्वरी रेल दुर्घटना के…
Read moreहम कितने मूर्ख हैं?
Updated: December 22, 2011
-विजय कुमार पाकिस्तान इस समय भीषण बाढ़ के संकट से जूझ रहा है। भारत ने मानवता के नाते उसे अरबों रुपये की सहायता दी है;…
Read moreवेतन वृद्धि और वामपंथी सांसदों का विधवा विलाप
Updated: December 22, 2011
-विजय कुमार पिछले दिनों जब सांसदों ने वेतन वृद्धि के लिए शोर किया, तो प्रायः सभी दलों के सांसद इस बहती गंगा में हाथ धोने…
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चे ग्वेवारा पूजनीय हैं, लेकिन भारत माता और सरस्वती नहीं???
Updated: December 22, 2011
पाखण्ड और सत्ता के अभिमान से भरे हुए वामपंथी कार्यकर्ताओं ने सभी जूतों को नष्ट कर दिया और दुकान से बाकी का माल दिल्ली वापस…
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झारखंड: इस (कुर्सी) प्यार को मैं क्या नाम दूं
Updated: December 22, 2011
-पंकज झा फिर छिड़ी रात बात कुर्सी की. फिर मलाई के लिए लार टपकाने का दौर शुरू. फिर खंड-खंड झारखण्ड के टुकड़े में हिस्सेदारी के…
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अमेरिका में बाबरी मस्जिद को लेकर उठा तूफान
Updated: December 22, 2011
-डॉ0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री भारत में एक बाबरी ढांचे को लेकर तूफान शांत नहीं हो रहा कि उधर अमेरिका में एक बाबरी मस्जिद किस्म की…
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भारत में यूरोपीय निरंकुशशाही के प्रतिवाद में कार्ल मार्क्स
Updated: December 22, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी भारत में इन दिनों एक ऐसा प्रचारकवर्ग पैदा हुआ है जो आए दिन मार्क्स -एंगेल्स और समाजवाद को गाली देता रहता है। मार्क्स…
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राहुल गांधी का माओवादी प्रेम
Updated: December 22, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी राहुल गांधी इन दिनों राजनीति नहीं वर्चुअल राजनीति कर रहे हैं। वे ऐसे नेता हैं जो बीच-बीच में गांवों में जाते हैं,आदिवासियों में…
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‘भोले’ राहुल गांधी की मीठी-मीठी बातें
Updated: December 22, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी पिछले दिनों राहुल गांधी कोलकाता आए और उनका युवा कांग्रेस के लोगों ने जमकर स्वागत किया। वे इसके लायक भी हैं। राहुल गांधी…
Read moreइंटरनेट पर हिन्दी वालों में भाषायी विभ्रम
Updated: December 22, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी समझ में नहीं आता कहां से बात शुरू करूँ,शर्म भी आती है और गुस्सा भी आ रहा है। वे चाहते हैं संवाद करना…
Read moreसाइबरयुग में प्रतिक्रांति के नए रूप
Updated: December 22, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी साइबरयुग में प्रतिक्रांति के तरीके वे ही नहीं हैं जो शीतयुद्ध के जमाने में थे। साइबरयुग की केन्द्रीय उपलब्धि है समाजवाद का अंत।…
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