भारतीय संस्कृति के वाहक चार धाम
Updated: December 22, 2011
-त्रिलोक चन्द्र भट्ट हिमालय की पर्वत शृंखलाओं का धवल क्रम पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। स्वच्छ स्निग्ध पर्वत शृंखलाओं के निचले पर्वतीय व…
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अपहरण पर राष्ट्रीय नीति की जरूरत
Updated: December 22, 2011
जीना है तो मरने के लिए तैयार रहे – पंकज झा बिहार में माओवादियों द्वारा आठ दिन से बंधक बना कर रखे एहसान खान, रूपेश…
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सोनियाःअब सहानुभूति नहीं, बड़ी उम्मीदें
Updated: December 22, 2011
उनका कांग्रेस अध्यक्ष बनना चौंकाने वाली खबर नहीं -संजय द्विवेदी देश की 125 साल पुरानी पार्टी ने एक बार फिर श्रीमती सोनिया गांधी को अपना…
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प्रधानमंत्री की नसीहत : गरीबों की फज़ीहत
Updated: December 22, 2011
सड़ता अनाज और न्यायालय का फैसला प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने सुप्रीमकोर्ट को नीतिगत मामलो में हस्तक्षेप न करने की नसीहत देकर एक नये विवाद…
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मेरा बेटा नहीं… बाकी मरें तो चलेगा – कश्मीर के आज़ादी आंदोलन का पाखण्ड और हकीकत…
Updated: December 22, 2011
सवाल उठता है कि "भारतीय पासपोर्ट" ही क्यों? जवाब एकदम सीधा और आसान है कि यदि असिया अंदराबी के पाकिस्तानी आका उसके बेटे को पाकिस्तान…
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दिल लुभाती रमज़ान की रौनक़
Updated: December 22, 2011
-फ़िरदौस ख़ान मरहबा सद मरहबा आमदे-रमज़ान है खिल उठे मुरझाए दिल, ताज़ा हुआ ईमान है हम गुनाहगारों पे ये कितना बड़ा अहसान है या ख़ुदा…
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परिवर्तन की पटरी पर आ रही माखनलाल विश्वविद्यालय की गाड़ी
Updated: December 22, 2011
‘सिंह इज किंग’ का सिंहासन हिला माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय… एशिया का एक मात्र हिन्दी पत्रकारिता को समर्पित विश्वविद्यालय. इस विश्वविद्यालय को…
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आंतकवाद का रंग, धर्म और मजहब
Updated: December 22, 2011
-विजय कुमार इन दिनों भगवा आतंक के नाम पर आतंकवाद के रंग की चर्चा छिड़ गयी है। चिदम्बरम् के गृह मंत्री बनने से जिनके दिल…
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तुम्हें देश का प्रणाम ‘टाटा’
Updated: December 22, 2011
-राकेश उपाध्याय आफतों और विपदाओं में जो साथ न छोड़े वही सच्चा दोस्त है, यार है। उससे बड़ा हितचिंतक कोई और नहीं हो सकता। कार्पोरेट…
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सखी सइयां कहां कमात हैं!
Updated: December 22, 2011
-राकेश उपाध्याय महंगाई डायन खाय जात है, गीत उनके लिए तो ठीक है जो सचमुच कुछ अच्छा कमाते हैं। उनकी बीवियां तो अपनी पड़ोसन को…
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कसौटी पर है हिन्दी दिवस – सतीश सिंह
Updated: December 22, 2011
औपचारिक समारोह का प्रतीक बनकर रह गया है-हिन्दी दिवस, यानि चौदह सितम्बर का दिन। सरकारी संस्थानों में इस दिन हिन्दी की बदहाली पर मर्सिया पढ़ने…
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इतिहास से भी सबक नहीं लेते…. – पंकज झा.
Updated: December 22, 2011
इस धर्मप्राण देश में ऐसी घटनाएं होती रहती है कि सहसा ही इश्वर पर भरोसा करने का मन हो जाए. कभी किसी सकारात्मक तो बहुधा…
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