
सड़क किनारे खिले कमल में उगने लगे हैं कांटे!
Updated: December 23, 2011
-लिमटी खरे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में राजग सरकार की महत्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुर्भज योजना के अभिन्न अंग बन चुके उत्तर दक्षिण गलियारे…
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हिंदी पत्रकारिता के शीर्ष पुरुष थे प्रभाष जोशी
Updated: December 23, 2011
– अरुण माहेश्वरी प्रभाष जोशी का निधन 5 नवंबर 2009 के दिन उस समय दिल का दौरा पड़ने से हुआ था जब वे अपने गाजियाबाद…
Read moreअल्पसंख्यक अधिकारों की आड़ में व्यापार!
Updated: December 23, 2011
-आर. एल. फ्रांसिस केन्द्र सरकार का पूरा तंत्र भारतीय चर्च को खुश करने में लगा हुआ है चाहे उसके ऐसे फैसलों से ईसाई समुदाय को…
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यदि अफजल गुरु कांग्रेस का ‘दामाद’ होता…
Updated: December 23, 2011
– निर्मल रानी भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का दम भरने वाली भारतीय जनता पार्टी इन दिनों पार्टी से बाहर जा चुके अपने कई प्रमुख नेताओं को…
Read moreऐलोपैथिक दवाओं की विषाक्तता का सिद्धान्त
Updated: December 23, 2011
-डॉ राजेश कपूर यद्यपि ऐलोपैथी का एकछत्र साम्राज्य दुनियाभर के देशों पर नजर आता है पर इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि यह औषधि सिद्धांत…
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रेड्डी बन्धुओं का वीभत्स भ्रष्टाचार : मजबूर येदियुरप्पा, बेबस मनमोहन सिंह
Updated: December 23, 2011
35 लाख टन का लौह अयस्क कैसे गायब हो सकता है? लेकिन ऐसा हुआ है और भारत जैसे महाभ्रष्ट देश में कुछ भी सम्भव है।…
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अरुणा की चार प्रेम कविताएं
Updated: December 23, 2011
(1) हर मुलाकात के बाद जो चीज हममें कामन थी वो था हमारा भोलापन और बढता गया वह हर मुलाकात के बाद पर दुनिया हमेशा…
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प्रभाष जोशी के जन्म दिन (15 जुलाई) पर विशेष
Updated: December 23, 2011
-संजय कुमार जिनकी ओर प्रभाष जोशी आगाह करते रहे उन खतरों का परिणाम आज साफ नजर आ रहा है यही नहीं वे चिंताएं आज भी…
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लोकतंत्र की रक्षा के लिए नक्सलियों से आर-पार की लड़ाई अनिवार्य: डॉ. रमन सिंह
Updated: December 23, 2011
हथियार छोड़े बिना उनसे बातचीत निरर्थक प्रधानमंत्री की बैठक में मुख्यमंत्री ने नक्सल क्षेत्रों के नये जिलों के लिए मांगा विशेष पैकेज रायपुर, 14 जुलाई…
Read moreअमरीकीकरण और फंडामेंटलिज्म की क्रीडाएं
Updated: December 23, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी अमरीकीकरण का एक अन्य प्रमुख तत्व है उपभोक्तावाद। यह पश्चिमीकरण की धुरी है। उपभोक्तावाद के बारे में अमूमन काफी कुछ कहा गया है।…
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मेरे शहर का मॉल कल्चर
Updated: December 23, 2011
-मनोज लिमये पश्चिमी ऑंधी ऐसी चली कि गाँव में लगने वाले स्वदेशी हाट धीरे-धीरे मेलों में बदले और अब देखते ही देखते ये मेले मॉल…
Read moreभ्रष्टाचार एवं अत्याचार की खिलाफत क्यों जरूरी?
Updated: December 23, 2011
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश‘ आज जबकि कदम-कदम पर लोगों के मान-सम्मान को बेरहमी से कुचला जा रहा है। अधिकतर लोगों के कानूनी, संवैधानिक, प्राकृतिक एवं…
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