टॉप स्टोरी बहन जी को गुस्सा क्यों आता है?

बहन जी को गुस्सा क्यों आता है?

उत्तर प्रदेश में ‘बलात्कार राजनीति’ एक नए मोड़ पर आ गई है। मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी की विवादित…

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लेख The True Beauty : द ट्रुथ इज ब्यूटी

The True Beauty : द ट्रुथ इज ब्यूटी

The True Beauty: ब्यूटी शब्द यानि सुन्दरता यानि आकर्षण से भरा हुवा शब्द.यह वो जादूई (तिलिस्म) शब्द है जिसे सुनते ही इंसान के दिमाग में…

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प्रवक्ता न्यूज़ शहादत व्यर्थ नहीं जायेगी ……..मगर कैसे?

शहादत व्यर्थ नहीं जायेगी ……..मगर कैसे?

दर्जनों सुरक्षाबल समेत जांबाज पुलिस अधिकारी स्व.विनोद चौबे की शहादत पर सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ मर्माहत है। अफसोस कि शोक की इस घड़ी में प्रदेश अकेला है,…

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व्यंग्य व्यंग्य : यार, लौट आओ!! – डॉ. अशोक गौतम

व्यंग्य : यार, लौट आओ!! – डॉ. अशोक गौतम

इस इश्तहार के माध्यम से सर्व साधारण को एक बार फिर सूचित किया जाता है कि हमारे मुहल्ले का पिछले कई महीनों से गुम हुआ…

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समाज पहचान – एक संघर्ष : Pehchaan – Ek Sangharsh

पहचान – एक संघर्ष : Pehchaan – Ek Sangharsh

जब से इस धरती पर चाहे इंसान हो या जानवर आया है वह अपनी पहचान के लिए हमेशा संघर्ष करता रहा है .अगर हम पुराण…

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व्यंग्य/ बिन जूते सब सून/ अशोक गौतम

विश्व आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा हो तो गुजरता रहे भाई साहब! मुझे विश्व की आर्थिक मंदी से कोई लेना देना नहीं। विश्व…

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व्यंग्य चुंबन की आवाज़ और चांटा !

चुंबन की आवाज़ और चांटा !

मुशर्रफ, मनमोहन, ऐश्वर्या राय और सोनिया एक ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं। ट्रेन एक सुरंग से निकलती है ट्रेन में अंधेरा हो जाता है।…

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आर्थिकी मनमोहन को चिठ्ठी

मनमोहन को चिठ्ठी

आजकल भारतीय बाज़ार में जाली नोटों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है । जिधर देखिये उधर से जाली नोट इस कदर घुसा आ रहा…

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प्रवक्ता न्यूज़ एक गुज़ारिश करुं खुदा से, तेरा नाम ना मैं भुला सकूँ !

एक गुज़ारिश करुं खुदा से, तेरा नाम ना मैं भुला सकूँ !

काश ये दूरियाँ कम हो जाएं तुम्हारे पलकों पर मैं छा सकूं कोई जो मुझे अपना समझता है उसी का हूँ अहसास दिला सकूँ जो…

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प्रवक्ता न्यूज़ मोहब्बत की करम से यूं ही सांस- सांस जीते हैं

मोहब्बत की करम से यूं ही सांस- सांस जीते हैं

हर खुशी में गम का पहलू तलाश जीते हैं हर नये गम से खुशी तलाश जीते हैं आहु को तुम्हारे नाम के आंसू अजीज़ थे…

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गाँव तथा गाय को आवश्यकता सुरक्षा की

प्राचीन काल से गाय तथा गाँव इन्हीं दो शब्दों के इर्द-गिर्द भारतीय दर्शन भ्रमण करता रहा है। जिसके बिना भारतीय सभ्यता की परिकल्पना भी नहीं…

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कविता हम जान बुझ कर फिसल गये

हम जान बुझ कर फिसल गये

सभी मिट्टी के घरौंदे टूट गये हाथों से हाथ जब छुट गये तैरने लगे सपने बिखर के नैनों से जो सावन फ़ूट गये तरस गये…

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