स्नेह, त्याग और विश्वास की उजली परंपरा भाई दूज
Updated: October 22, 2025
भाई दूज (23 अक्तूबर) पर विशेष– योगेश कुमार गोयलआमतौर पर दीपावली के दो दिन बाद अर्थात् कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाए जाने वाले भाई दूज…
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बिहार चुनावः मुद्दों एवं मूल्यों से दूर भागती राजनीति
Updated: October 22, 2025
-ललित गर्ग- बिहार में चुनावी रणभेरी बज चुकी है। हर दल अपने-अपने घोषणापत्र, नारों और वादों के साथ जनता को लुभाने में जुटा है। मंचों…
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दीपावली के त्यौहारी मौसम में भारतीय अर्थव्यवस्था को लगे पंख
Updated: October 22, 2025
वैसे तो प्रतिवर्ष ही भारत में धनतेरस एवं दीपावली के शुभ अवसर पर भारतीय नागरिकों द्वारा विभिन्न उत्पादों विशेष रूप से स्वर्ण एवं चांदी के आभूषणों की खरीद को शुभ माना जाता है। अतः इस त्यौहारी मौसम में विभिन्न उत्पादों की भारत में बिक्री बहुत बढ़ जाती है। परंतु, इस वर्ष तो केंद्र सरकार द्वारा लिए गए कुछ निर्णयों के चलते भारतीय बाजार में सोने एवं चांदी सहित विभिन्न उत्पादों की बिक्री में बेतहाशा वृद्धि दर्ज हुई है। केंद्र सरकार द्वारा आयकर योग्य राशि की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख कर दिया गया है। यदि आज किसी नागरिक की आय 12 लाख रुपए तक प्रतिवर्ष है तो उसकी आय पर आयकर नहीं लगने वाला है। साथ ही, वस्तु एवं सेवा कर की दरों को भी तर्कसंगत बनाया गया है जिसे जीएसटी2.0 का नाम दिया जा रहा है। अब 95 प्रतिशत से अधिक उत्पादों पर केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दर से ही वस्तु एवं सेवा कर लागू होगा। पूर्व में, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत एवं 28 प्रतिशत की दरें लागू होती थी। अब 12 प्रतिशत एवं 28 प्रतिशत की दरों को समाप्त कर दिया गया है। इससे उपभोक्ताओं को वस्तु एवं सेवा कर की दरों में लगभग 10 प्रतिशत तक का लाभ मिला है। चार पहिया वाहनों पर तो लगभग 60-70,000 रुपए प्रति वाहन तक की बचत हुई है। इस तरह, इस वर्ष दीपावली के त्यौहारी मौसम में भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़े हुए उपभोग का सहारा मिला है। भारतीय इतिहास में, दीपावली के त्यौहारी मौसम में, इस वर्ष सबसे अधिक रिकार्ड कारोबार सम्पन्न हुआ है। भारत में नागरिक अब बाजार में दुकानों पर आकर उत्पादों की पूछ परख कर ही उत्पादों की खरीद करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसी कारण से इस वर्ष के दीपावली त्यौहारी मौसम में भारतीय बाजारों में दुकानों पर बहुत अधिक भीड़ दिखाई दी है। कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) द्वारा सम्पन्न किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के 35 नगरों के वितरण केंद्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस वर्ष लगभग 5.4 लाख करोड़ रुपए का व्यापार दीपावली के त्यौहारी मौसम में सम्पन्न हुआ है। वर्ष 2021 में इसी त्यौहारी मौसम में 1.25 लाख करोड़ रुपए, वर्ष 2022 में 2.50 लाख करोड़ रुपए, वर्ष 2023 में 3.75 लाख करोड़ रुपए एवं वर्ष 2024 में 4.25 लाख करोड़ रुपए का व्यापार सम्पन्न हुआ था। इस वर्ष अभी आगे आने वाले समय में गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ एवं तुलसी विवाह आदि त्यौहार भी उत्साह पूर्वक मनाए जाने हैं। ऐसा अनुमान किया जा रहा है कि इस वर्ष इस दौरान भी लगभग 80,000 करोड़ रुपए का व्यापार सम्पन्न होने की प्रबल सम्भावना है। इस प्रकार इस वर्ष भारत में त्यौहारी मौसम में कुल व्यापार का आंकड़ा 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने की प्रबल सम्भावना है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में सम्पन्न हुए व्यापार के आंकडें की तुलना में 41 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष भारत के नागरिकों में स्वदेशी उत्पाद खरीदने की होड़ सी रही हैं। इसी प्रकार, एक अनुमान के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस त्यौहार के दौरान सोने चांदी के गहनों, सिक्कों एवं अन्य वस्तुओं के कारोबार का स्तर भी 60,000 करोड़ रुपए के आसपास रहा है। बाजार में हालांकि इस वर्ष सोने एवं चांदी के भाव आसमान छू रहे हैं। वर्ष 2024 की दीपावली पर सोने का भाव लगभग 80,000 रुपए प्रति 10 ग्राम था, जो इस वर्ष बढ़कर 130,000 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है, अर्थात लगभग 62 प्रतिशत अधिक। चांदी का भाव भी वर्ष 2024 में 98,000 रुपए प्रति किलोग्राम था जो इस वर्ष बढ़कर 180,000 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है, अर्थात लगभग 83 प्रतिशत अधिक। एक अन्य अनुमान के अनुसार, दीपावली के इस त्यौहारी मौसम में भारत में स्वर्ण एवं चांदी के आभूषणों की कुल मिलाकर 1.35 लाख करोड़ रुपए की बिक्री हुई है। भारतीय बाजारों में लगभग 46 टन सोने की बिक्री हुई है। दीपावली के पावन पर्व पर इस वर्ष 600,000 वाहन एक दिन में बिके हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शा रहा है। इससे यह भी सिद्ध हो रहा है कि है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत ही तेज गति से आगे बढ़ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति श्री डॉनल्ड ट्रम्प कह रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था डेड है, भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार तेज हो रही विकास दर अमेरिकी राष्ट्रपति के बयानों को झुठला रही है। वित्तीय वर्ष 2025-26 की प्रथम तिमाही, अप्रेल-जून 2025, में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 7.3 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल की है। जबकि, द्वितीय तिमाही जुलाई-सितम्बर 2025 में एवं तृतीय तिमाही अक्टोबर-दिसम्बर 2025 में भी भारतीय अर्थव्यवस्था के रिकार्ड स्तर पर आर्थिक विकास दर हासिल करने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। भारत में द्वितीय तिमाही में प्रारम्भ हुए त्यौहारी मौसम (दुर्गा उत्सव, दशहरा, धनतेरस एवं दीपावली, आदि) में विभिन्न उत्पादों की रिकार्ड वृद्धि दर्ज होती हुई दिखाई दी है। यह प्रवाह तीसरी तिमाही में भी जारी रहने की प्रबल सम्भावना दिखाई दे रही है क्योंकि त्यौहारी मौसम अभी इस अवधि में भी जारी रहेगा जो 25 दिसम्बर (क्रिसमस) एवं 31 दिसम्बर (नव वर्ष) तक जारी रहेगा। साथ ही, शादियों का मौसम भी आने वाला है, इस मौसम में भारत में लाखों की संख्या में शादियां सम्पन्न होती हैं, और शादियों के इस मौसम में विभिन्न उत्पादों (स्वर्ण, चांदी, कार, टीवी, रेफ्रीजरेटर, एसी, आदि) की मांग में बेतहाशा वृद्धि दर्ज होती है। इस बीच भारत में धार्मिक पर्यटन भी अपने उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गया है। अयोध्या, वाराणसी, चार धाम, वैष्णो देवी, महाकाल मंदिर, तिरुपति बालाजी, मीनाक्षी मंदिर आदि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भारत में लगातार बढ़ रहे धार्मिक पर्यटन से भी उत्पादों का उपभोग बढ़ रहा है, जो अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक हो रहा है एवं रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित कर रहा है। भारत में अब देश में ही निर्मित उत्पादों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, इस कार्य में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वदेशी अपनाने की अपील पर भारतीय नागरिक अपना भरपूर सहयोग कर रहे हैं। भारत में ही निर्मित उत्पादों के उपभोग का स्तर सकल घरेलू उत्पाद के 60-70 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसी कारण से भारत को देशीय उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था कहा जा रहा है। भारत में आंतरिक उपभोग के लगातार मजबूत होने के चलते भारत अब दुनिया के कई देशों के निवेशकों के लिए निवेश के केंद्र के रूप में उभर रहा है, क्योंकि भारत की 140 करोड़ आबादी इन निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। भारत में ही निर्मित किए जाने वाले उत्पादों के लिए भारत में ही बहुत बड़ा बाजार उन्हें उपलब्ध है। आगे आने वाले समय में भारत के वित्तीय एवं बैंकिंग क्षेत्र में 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का विदेशी निवेश भारत में आने जा रहा है। अमेरिकी कम्पनी ऐपल अपना पूरा उत्पादन सिस्टम भारत में ला रहा है एवं स्मार्ट मोबाइल फोन का भारत में उत्पादन कर उसे विश्व के अन्य देशों को भारत से निर्यात किया जाएगा। भारत के विशाल बाजार को देखते हुए आज विश्व के कई देश भारत के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता सम्पन्न करने के लिए लालायित दिखाई दे रहे हैं। भारत का अभी हाल ही में ओमान, कतर, यूनाइटेड किंगडम और यूरोप के चार देशों के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता सम्पन्न हुआ है। यूरोपीयन यूनियन के साथ भी द्विपक्षीय व्यापार समझौता के सम्बंध में वार्ताएं सफलता पूर्वक आगे बढ़ रही हैं एवं इसके शीघ्र ही सम्पन्न होने की सम्भावना है। साथ ही, भारत और अमेरिका के बीच भी द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता नवम्बर 2025 तक सम्पन्न होने की सम्भावनाएं अब दिखाई देने लगी है। सम्भव है कि नवम्बर 2025 माह में अमेरिका के राष्ट्रपति डानल्ड ट्रम्प भारत आकार इस समझौते की घोषणा करें। रूस के राष्ट्रपति श्री बलादिमिर पुतिन भी शीघ्र भारत आ रहे हैं और रूस के भारत के साथ व्यापार बढ़ाने पर जोर दिए जाने की प्रबल सम्भावना है। भारत अभी रूस से भारी मात्रा में कच्चे तेल का आयात कर रहा है एवं रूस को भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों की मात्रा अभी बहुत कम है। इस तरह भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा बहुत अधिक हो गया है। चीन के साथ भी भारत का व्यापार घाटा बहुत अधिक मात्रा में है, जिसे कम करने के लिए चीन के साथ भी भारत की बातचीत चल रही है। कुल मिलाकर आगे आने वाले समय में भारत की आर्थिक विकास दर के तेज होने की प्रबल सम्भावना है, जो 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष तक के आंकडें को भी छू सकती है। प्रहलाद सबनानी
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धरती के माथे का तिलक गोवर्धन, जहाँ ईश्वर ने विनम्रता सिखाई
Updated: October 21, 2025
भारतीय संस्कृति में पर्व केवल तिथियों के अनुसार मनाए जाने वाले उत्सव नहीं, बल्कि जीवन और प्रकृति के संतुलन को समझाने वाले अध्याय हैं। ऐसा ही एक दिव्य पर्व है – गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है। यह दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है, जब सम्पूर्ण व्रज भूमि में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम दिखाई देता है। परंतु इस पर्व का रहस्य केवल पूजा या परंपरा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव-जीवन के अहंकार, विनम्रता, प्रकृति और भगवान के साथ सामंजस्य का गूढ़ संदेश देता है। अहंकार के गर्व को तोड़ने वाली लीला प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, जब इंद्र के मन में अपनी देवत्व-शक्ति का अहंकार अत्यधिक बढ़ गया, तो उन्होंने वर्षा के नियंत्रण को अपनी व्यक्तिगत सत्ता समझ लिया। वे भूल गए कि वर्षा भी उसी परम ब्रह्म की व्यवस्था का एक अंश है। उसी समय बालरूप श्रीकृष्ण ने व्रजवासियों को समझाया कि “हम सबका पोषण इंद्र नहीं, प्रकृति करती है – यह गोवर्धन पर्वत, यह गायें, यह वन-भूमि।” इंद्र-यज्ञ को रोककर उन्होंने व्रजवासियों से कहा कि वे इस पर्वत का पूजन करें, क्योंकि यह हमारी अन्नदात्री धरती का प्रतीक है। जब इंद्र को यह बात अहंकारजन्य लगी, तो उन्होंने प्रलयकारी वर्षा से गोकुल को डुबाने का प्रयास किया। परंतु वही बालक श्रीकृष्ण सात दिनों तक अपनी कनिष्ठा अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाए खड़े रहे, और समस्त व्रज की रक्षा की। यह केवल चमत्कार नहीं था, बल्कि एक प्रतीकात्मक शिक्षा थी – जिसके भीतर श्रद्धा और करुणा का बल हो, उसके लिए प्रकृति भी सहायक बन जाती है। गोवर्धन की दिव्यता और प्रतीकात्मकता गोवर्धन केवल एक पर्वत नहीं, बल्कि जीवित चेतना का प्रतीक माना गया है। यह पर्वत धरती, जल, वायु और जीवन के संरक्षण का साक्षात् प्रतीक है। पुराणों में कहा गया है कि श्रीकृष्ण ने स्वयं को गोवर्धन के रूप में प्रकट कर यह दर्शाया कि ईश्वर प्रकृति में ही बसते हैं। गोवर्धन पूजा का अर्थ केवल पहाड़ की आराधना नहीं है, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है। यह पर्व हमें यह स्मरण कराता है कि मनुष्य का अस्तित्व पृथ्वी और पर्यावरण के संरक्षण से ही संभव है। जब हम गोवर्धन की पूजा करते हैं, तो वस्तुतः हम अपने अन्न, जल, पशु, वनस्पति और पर्यावरण का सम्मान करते हैं। अन्नकूट का दार्शनिक अर्थ गोवर्धन पूजा के दिन व्रजवासी तरह-तरह के अन्न और पकवान बनाकर उन्हें पर्वत के प्रतीक रूप में सजाते हैं, इसे अन्नकूट कहा जाता है। यह केवल भोग नहीं, बल्कि “अन्न ही ब्रह्म है” की वेदवाणी का प्रत्यक्ष प्रदर्शन है। इस दिन मनुष्य अपने श्रम और प्रकृति की देन के प्रति आभार प्रकट करता है। अन्नकूट यह सिखाता है कि समृद्धि तब तक अर्थहीन है जब तक उसमें बाँटने की भावना न हो। श्रीकृष्ण ने जब सबके साथ बैठकर अन्न का सेवन किया, तो यह सामाजिक समरसता और समानता का अद्भुत उदाहरण बना। विनम्रता का पाठ इंद्र का अहंकार तब शांत हुआ जब उन्होंने देखा कि जिस ‘बालक’ को वे साधारण मानव समझते थे, वही परमात्मा स्वयं हैं। वे पश्चाताप से भर उठे और श्रीकृष्ण के चरणों में नतमस्तक हो गए। इस क्षण में देवता से भी बड़ा दर्शन छिपा है – जिस क्षण अहंकार मिटता है, वहीं सच्चा देवत्व प्रकट होता है। आज जब मानव अपने विज्ञान, सत्ता और संपत्ति के बल पर स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानने लगा है, तब गोवर्धन लीला यह याद दिलाती है कि अहंकार चाहे देवों में भी क्यों न हो, उसका पतन निश्चित है। गोवर्धन और आधुनिक संदर्भ यदि हम इस पर्व को आधुनिक दृष्टि से देखें, तो यह पर्यावरण चेतना का सबसे प्राचीन संदेश देता है। गोवर्धन पूजा बताती है कि मानव को केवल उपभोग नहीं, बल्कि संरक्षण का भाव रखना चाहिए। आज जब धरती जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और अंधाधुंध उपभोग से कराह रही है, तब श्रीकृष्ण की यह लीला हमें पुनः सिखाती है कि — “धरती की पूजा करना ही सबसे श्रेष्ठ धर्म है।” गोवर्धन पूजा में गायों की सेवा, अन्न का दान, वृक्षों का पूजन और पशुधन की रक्षा, ये सब प्रतीक हैं संतुलित जीवन के। गोप और गोकुल की आत्मा गोवर्धन पूजा केवल धर्म का पालन नहीं, बल्कि प्रेम और समुदाय की अभिव्यक्ति भी है। जिस प्रकार सभी व्रजवासी बच्चे, वृद्ध, नारी, पुरुष एक साथ खड़े होकर संकट का सामना करते हैं, वही समाज की एकता का सबसे सुंदर उदाहरण है। आज जब समाज में विभाजन और स्वार्थ की दीवारें ऊँची हो रही हैं, तब गोवर्धन पर्व यह संदेश देता है कि “एकता और सहयोग से ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।” गिरिराज की पावन स्मृति व्रजभूमि में आज भी गोवर्धन पर्वत के परिक्रमा-पथ पर लाखों श्रद्धालु जाते हैं। कहा जाता है कि जहाँ-जहाँ श्रीकृष्ण का चरण पड़ा, वहाँ की मिट्टी भी तिलक बन जाती है। गिरिराज के चरणों में झुकना, वास्तव में स्वयं के अहंकार को मिटाना है। गोवर्धन का प्रत्येक कंकड़ हमें यह सिखाता है कि जो झुकता है, वही ऊँचा उठता है।…
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भाई-बहन को समर्पित अनूठा, ऐतिहासिक एवं संवेदनात्मक त्यौहार
Updated: October 21, 2025
भाई दूज- 23 अक्टूूबर, 2025-ललित गर्ग-भ्रातृ द्वितीया (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का एक…
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दीपावली : सभ्यता की स्मृति में जलता हुआ ज्ञानदीप
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Updated: October 19, 2025
डा. विनोद बब्बर प्रकाश पर्व है पर न जाने कब से लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती की पूजा का प्रचलन है। हम सभी ने हजारों बार उस…
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