लेख शरदपूर्णिमा पर्व बने सार्वजनिक महोत्सव October 26, 2023 / October 26, 2023 | Leave a Comment शरद पूर्णिमा अर्थात महासरस्वती व कार्तिक अमावस्या अर्थात महाकाली के बीच की कड़ी हर मनुष्य को एक दूसरे से जोड़ने वाली कड़ी है। जैसे शरद का सौन्दर्य श्री का सौन्दर्य है, राधा का सौन्दर्य है, सीता का सौन्दर्य है, शारदा का सौन्दर्य है, वही अलौकिक सौन्दर्य नवदुर्गा की भूक्ति पूजा अर्चना का भी सौन्दर्य बन […] Read more »
व्यंग्य गपोड़शंख का करामाती जूता October 20, 2023 / October 20, 2023 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव थाने में दरोगा से मिलते ही गपोड़शंख फूटे की तरह फूटने लगा, हुजूर गजब हो गया मेरा एक जूता बिना मुझसे कहे कहीं भाग गया है! जूता भाग गया, क्या गजब ढाते हो, अभी तक लड़के लड़की भागते थे, जूता कैसे भागेगा, दरोगा ने डपट लगाई। गपोडशंख बोला-पता नही, हुजूर, पर ऐसा […] Read more »
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख वर्त-त्यौहार देवी साधना में त्रुटियॉ होती है अमंगलकारी October 18, 2023 / October 18, 2023 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव नवरात्रि में नवदुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को 9 दिनों के लिए हरेक नगर, गाँव, मोहल्ले, कसवे आदि हजारो स्थानों पर प्राणप्रतिष्ठित करने का उत्साह दिखाई देता है, उसे हम सृष्टि का संचालन करने वाली जगन्माता के प्रति अपनी भक्ति का स्वरूप ओर माता के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शन के साथ अभिवांछित […] Read more »
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा और विसर्जन का उत्साह October 16, 2023 / October 16, 2023 | Leave a Comment नवरात्रि पर विशेष ‘ आत्माराम यादव पीव आज के युग में पूजा की प्राणवस्तु अर्थात आध्यात्म साधना तिरोहित होने लगी है और जिन देवी-देवताओं की सत्यप्रतिष्ठा, प्राणप्रतिष्ठा एवं आनन्दप्रतिष्ठा होना चाहिये हम सत्य और आनन्द की प्रतिष्ठा किये बिना सिर्फ मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा कर साधना करते है वह बाहरी […] Read more » durga pooja
कविता जाने क्यों मुझे देवता बनाते है? October 11, 2023 / October 11, 2023 | Leave a Comment जाने क्यों मुझे देवता बनाते है?मैं उन्हें कैसे समझाऊ कि मैं कोई देवता नहीं हॅू एक सीधा-साधा इंसान हॅू जो इंसानियत से जीना चाहता हॅू।पर वे मानते ही नहीं मुझे देवता की तरह पूजे आते हैं, जाने क्यों मुझ इंसान को देवता बताते है?ये दुनिया बड़ी जालिम है जो हम जैसों के पीछे पडी हैकभी ढंग के इंसान तो न बन पाये पर ये देवता बनाने पर अड़ी है।किन्तु मैं देवता नहीं बनना चाहता एक इंसान बनना चाहता हॅू ?इनके लिये किसी को भी देवता बनाना कितना सरल है ये हर सीधे सादे इंसान को पहले पत्थर जड बनाते हैं।उजाडकर दुनिया उसकी ये उसे नीरस बनाते है।जिन्हें ये देवता बनाते है अक्सर वह इनके करीब होता है इनका अपना तो कम उनके अपनों का सपना होता है।दूसरों के सपनों को चुराकर ये अपनी हकीकत बनाते है।प्रेम को जीने वालों को निजी स्वार्थ सिद्धि हेतु ही पीड़ा का ताज पहनाकर बेबसी की माला पहनाते है।उनकी आँखों से जुदाई के आँसू बहाकर उनके हृदय में गर्मी का सैलाव लाते है।दो प्रेम करने वाले इंसानों को ये पहले बिछुडवाते है।प्रेम की लाश ढोने वाले हर इंसान को ये देवता बनाते है। आत्माराम यादव पीव Read more » जाने क्यों मुझे देवता बनाते है?
कविता नयनों से बात October 6, 2023 / October 6, 2023 | Leave a Comment तेरे मेरे सारे शब्द अब पडते हैं अधूरे हम नयनों से बात करें शब्द हो पूरे। प्रेम भरे शब्दों को हम कह-कह के ऊबे नयनों में नयन ड़ाल आज हम डूबे। सांसों से सॉस चले सहेलियों के साथ चले छेडती है तुमको मेरे प्यार की ये बोलियॉ। थिरकती पवन चले तेरे आँचल को तंग करे […] Read more »
कविता एक छात्र की जिज्ञासा ? October 4, 2023 / October 3, 2023 | Leave a Comment हे आजाद भारत के माता पिताओं क्या है हम ? हमें तुम बताओ ? भेजा है जबसे स्कूल में आपने दबाते है किताबों के बोझ हमें आप में । किकर्तव्यमूढ़ पंक्तिबद्ध प्रार्थनाएँ हम गाते है अनभिज्ञ है हम, कभी समझ नहीं पाते है । स्कूलों में जब भी , हम अव्वल नंबर आते है आदर्श और उसूलों का, तब मेडल हम पाते है […] Read more » एक छात्र की जिज्ञासा ?
कविता मोबाईल बीमारी लाया है October 3, 2023 / October 3, 2023 | Leave a Comment भूल चुके हो भावी चिंताएं, जब से मोबाइल हाथ आया है। घिर चुको हो समस्याओं में, संग ये कई बीमारी लाया है व्हाट्सएप-फेसबुक इंटरनेट ने, लील लिया है तुम्हारा कल।। करों चिंतन बैठ कर देखो, मोबाईल कितनी बीमारी लाया है? गुलाम हुए मोबाइल के इतने, खुमारी में रहते इसके हर पल अपना अमूल्य समय क्यों […] Read more » मोबाईल बीमारी लाया है
व्यंग्य शिलान्यास पत्थर पर नाम चाहिये October 3, 2023 / October 3, 2023 | Leave a Comment आत्माराम यादव मिस्टर प्रश्न कुमार दिखने में साफ-सुथरे है पर विडम्बनाओं और विकृत मानसिकता के मुखौटे बाजी में वे सबके बाप है। अल्पविराम, अर्द्धविराम, कामा, प्रश्नवाचक, प्रश्नचिन्ह, चन्द्रबिन्दु आदि आधे-अधूरे मित्रों से घिरे रहने वाले प्रश्नकुमार सदैव घटिया मानसिकता की बाॅहों […] Read more » शिलान्यास पत्थर पर नाम चाहिये
कविता मौत का अपमान October 3, 2023 / October 3, 2023 | Leave a Comment एक दुधमुंहे शिशु का शव कारूणिक आर्तनाद के बीच सुर्ख लाल कपड़े में लिपटा अपने घर से निकला। जिसे कलेजे पर पत्थर रख उसकी जननी ने लोगों को सौंपा। उस परिवार में छाया रहा मातमी शोक जिसमें घर की दीवारें तक नम थी। ये सुबह उनके परिवार पर बिजली बनकर टूटी। बुझ गया उनके कुल […] Read more »
लेख मनुष्य देह है, त्रिनेत्रधारी शिव ! October 1, 2023 / October 9, 2023 | Leave a Comment शिव ही नहीं अपितु प्रत्येक जीवात्मा त्रिनेत्रधारी होता है जिसमें दो नेत्र खुले होते है और एक नेत्र बंद रहता है। हर मनुष्य के केन्द्र में छिपा होता है त्रिनेत्र, थर्ड आई, जो नेत्र बंद होता है, जिसे गुप्त नेत्र या दिव्य चक्षु कहते है। दिव्यचक्षु को योगीजन शिवनेत्र कहते है और साधकों का वह […] Read more » There is a human body three-headed Shiva!
पर्व - त्यौहार लेख सनातन धर्म की कुंजी है आगम-निगम शास्त्र September 21, 2023 / September 21, 2023 | Leave a Comment देवी दुर्गा और देवी काली की आरति में ’’आगम निगम’’ बखानी तुम शिवपटरानी’’ ये पंक्तियॉ मुझे आन्दोलित करती रही और मेरे बालसुलभ मन में आज तक यह जिज्ञासा बनी रही कि ये आगम और निगम क्या है, कौन है ? मेरे मन में जागृत इस जिज्ञासा के प्रति नर्मदाक्षेत्र के मंदिरों के संतों-महन्तों सहित नर्मदातट […] Read more »