कविता : खुद को जानो
मिलन सिन्हा कोई बोले न बोले खुद से तू बोल अपने तराजू में खुद को
मिलन सिन्हा कोई बोले न बोले खुद से तू बोल अपने तराजू में खुद को
मिलन सिन्हा यह है आम का पेड़ इसमें आम लगे हैं ढेर। बच्चे
मिलन सिन्हा दुःख में भी सुख से रह सको तो कुछ बात बने। पहले खुद
मिलन सिन्हा न जाने कितनी रातें आखों में काटी हमने प्रेम में नहीं, मुफलिसी
मिलन सिन्हा संकट नेताजी से जब एक पत्रकार ने पूछा , महाशय, तेल संकट
मिलन सिन्हा पहले खुद पर ऊँगली उठा सको तो जानें पहले गैर के आंसू
मिलन सिन्हा सोचनीय विषयों पर सोचते नहीं वादा जो करते हैं वह करते नहीं अच्छे
मिलन सिन्हा
मिलन सिन्हा मजाक मंत्री जी ने कहा, “पांच वर्ष के बाद देश में कोई भी
मिलन सिन्हा बच्चों की कल्पना यही वह अपना गाँव है हम बच्चों का गाँव है।
मिलन सिन्हा तुम जो चाहो सब मिल जाये, जरूरी तो नहीं तुम जो कहो सब
मिलन सिन्हा