कविता तुमने मुझे जीना सीखा दिया July 9, 2019 / July 9, 2019 | Leave a Comment डॉ. सतीश कुमार तुमने बुझते दीयों को , फिर से जला, उन्हें गर्विला बना, इठलाना सिखा दिया। निराशा को आशा में, दुख को सुख में, कल्पना को हकीकत में, परिवर्तित कर, उखड़ती हुई सांसों को, संयत होना सीखा दिया। रखा जो कंधे पर हाथ पस्त हौंसले को, नयी उमंग, नया जोश भर, आंखों में नयी […] Read more » learning poem poem on life poetry taught
कविता तुम ऐसे न थे July 9, 2019 / July 9, 2019 | Leave a Comment तुम तो ऐसे न थे , ऐसे कैसे हो गए हो , तड़प रहे हैं हम , तुम कुछ नहीं कर , कह रहे हो। तुम सोच तो रहे हो, कुछ करना भी चाह रहे हो, पर, ऐसा कुछ, जिसमें तुम ही तुम हो, हम कहीं नहीं हैं। कभी-कभी हम, आत्म पीड़ा में भी, परपीड़ा […] Read more » poem poetry you were not like this
कविता मौसम July 5, 2019 / July 5, 2019 | Leave a Comment यही नहीं है जीवन , सर्दी में गर्मी, गर्मी में सर्दी का प्रबंध। गर्मियों में , झुलसना बदन, मिचमिचाती आंखें, भन्नाता दिमाग, कभी चक्कर खा , जमीन पर गिरता, गर्द से लथपथ हो, लहुलुहान होता शरीर। सर्दियों में , ठिठुरता शरीर , हड्डियों को चीरती , दांतों को किटकिटाती, देह को कंपकंपाती , सर्दी की […] Read more » summer weather winter
साहित्य कुछ पंक्तियाँ July 3, 2019 / July 3, 2019 | Leave a Comment उनका झूठ भी, हमारे लिए सच हो गया । लेकिन झूठ उन्होंने, इतना बोला,उनका सच भी, हमारे लिए अब झूठ हो गया । छोटे भी बड़ों के प्रेरक बन जाते हैं , पता ही नहीं चलता, कब छोटे बड़ों से बहुत बड़े हो जाते हैं। न सोच कि तेरे सामने जो खड़ा है ,वह चींटी […] Read more » few lines motivational
कविता किताबें June 29, 2019 / June 29, 2019 | Leave a Comment डॉ. सतीश कुमार किताबें ज्ञान ,समझ देती हैं अच्छे बुरे ,सत्य असत्य में फर्क करने की । किताबें राह दिखाती हैं सत् पथ पर चलने की । किताबें बन्दूक, गोली, तलवार, तोप तीर कमान नहीं हैं पर, इन सब को चलाने का सही तरीका सीखाती हैं । किताबें क्या है, क्या होना चाहिए, कैसे करना, […] Read more » Books POEM ON BOOKS poetry
लेख स्वाभिमान पर्व- दलित चेतना June 29, 2019 / June 29, 2019 | Leave a Comment 21वीं सदी के अभी दो दशक भी नहीं बीतें कि देश के पूर्व,पश्चिम उत्तर, दक्षिण देश के हर कोने से मांगों की आवाजें कभी मौन जुलूस के रूप में तो कभी आक्रामक हल्ले या फिर धरती कँपाती चीत्कारों के रूप में दिशाओं को बहरा बनाती दिखती हैं। अपनी सधी सी ठहरी सी जिन्दगी में शांति […] Read more » dalit Consciousness selfrespect
कविता तुम और मैं June 19, 2019 / June 19, 2019 | 1 Comment on तुम और मैं तेरा रूठना, मनना, मनाना, मनुहार करना, तेरे-मेरे रहने तक यूँ ही चलता जाए। ये हँसी-ठिठोली, तेरी सुमधुर बोली, तेरी ऐसी अदाएँ, मेरा मन-बदन सिहर जाए। तेरा आज भी मुझे कनखियों से यूँ देखना, मेरे देखते ही यूँ फेरना, मेरे गाल-कान सब लाल कर जाए। शरीर बूढ़ा भी हो पर मन नित-नूतन, जवान। तू प्रतिक्षण मेरे […] Read more » poem poetry for wife poetry on relationship relationship
कविता कुछ ऐसा काम करें ! June 19, 2019 / June 19, 2019 | Leave a Comment डॉ.सतीश कुमार आओ बैठें मिल जुलकर हम, प्रेम-प्यार की बात करें। कुछ कहें-सुने हम सब की, अपना भी इजहार करें। ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा, सब कुछ हो हमारा, आओ कुछ ऐसा काम करें। देखे जो सपने सुनहरे भविष्य के, उन्हें हकीकत में बदल, सफलता की निरंतर सीढ़ियां चढ़, अपने, सबके जीवन को खुशियों […] Read more » do someting poem poem on life poetry
कविता रावण वध June 15, 2019 / June 15, 2019 | 1 Comment on रावण वध डॉ.सतीश कुमार किसी ने श्री राम से पूछा, आपने रावण को मारा? श्री राम ने कहा , मैंने नहीं “मैं ” ने रावण को मारा। खा जाता है अहंकार विवेक को, समझने लगते हैं श्रेष्ठ, हम अपने आप को ही, नीचा दिखाने के लिए दूसरों को , गाहे बगाहे करते हैं , ओछी हरकतें, सोच […] Read more » lord rama poetry rama ravana ravana slaughter
कविता साहित्य मंजिल June 14, 2019 / June 14, 2019 | Leave a Comment डॉ. सतीश कुमार मंजिल मिलेगी ही, चाहे कितनी ही दूर हो। शारीरिक, मानसिक थकावट, हताशा, निराशा । हैं ये रूकावटें, लक्ष्य तक पहुंचने के सफर में। सीना तान जिसने सहा है, मंजिल तक वही गया है। जूझना है जीवन की, प्रत्येक उस चुनौती से, रोकती हैं जो, व्यक्ति को बहुमुखी व्यक्तित्व बनने से। विकास एकांगी […] Read more » poetry poetry of life poetry on destination poetry on motivation words of wisdom
कविता धर्मपत्नी के लिए June 8, 2019 / June 8, 2019 | Leave a Comment डॉ. सतीश कुमार तुम कुछ नहीं भी कहती, मैं बहुत कुछ सुन लेता हूँ। सब कुछ समझ भी लेता हूँ, कह नहीं सकता। पर, मेरा अनकहा तुम सुन भी लेती हो, तुम गुन भी लेती हो। तुमने संभाला है जैसे अब तक, बस यूँ ही संभाले रहना। तुम नहीं तो मैं कुछ नहीं। मेरे सुख-दुःख, […] Read more » express love expressive poem Love poem poem poem for wife poetry of gratitude poetry on soulmate
कविता ऐ लड़की ! June 7, 2019 / June 8, 2019 | Leave a Comment सतीश कुमार ऐ लड़की ! तुम हो बड़ी ज़िद्दी , अपनी ही कहती रहती हो, सुनती नहीं कभी किसी की, हर बात में तर्क- वितर्क , हर बात में लॉजिक , हर बात में टांग अड़ाना, बड़ों की बातें काटना , अपने सुर को ऊंचा रखना, किसी की बात न मानना , अपनी ही बातें […] Read more »