समाज निष्ठावान स्वयंसेवक: बंसीलाल सोनी September 29, 2010 / December 22, 2011 | Leave a Comment -विजय कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री बंसीलाल सोनी का जन्म एक मई, 1930 को वर्तमान झारखंड राज्य के सिंहभूम जिले में चाईबासा नामक स्थान पर अपने नाना जी के घर में हुआ था। इनके पिता श्री नारायण सोनी तथा माता श्रीमती मोहिनी देवी थीं। इनके पुरखे मूलतः राजस्थान के थे, जो व्यापार […] Read more » Bansilal Soni बंसीलाल सोनी
खेल जगत खेल के माध्यम से बढ़ता शब्दज्ञान September 29, 2010 / December 22, 2011 | Leave a Comment -विजय कुमार कहते हैं कि यदि व्यक्ति में सीखने की इच्छा हो, तो वह जीवन भर जिज्ञासु छात्र की तरह कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। दिल्ली में होने जा रहे खेलों के बारे में पुलिस-प्रशासन वाले कई दिन से समाचार पत्रों में विज्ञापन छपवा रहे हैं कि आप हमारे आंख और कान बनें। […] Read more » Sport खेल शब्द ज्ञान
व्यंग्य फिसलन का मौसम September 25, 2010 / December 22, 2011 | 1 Comment on फिसलन का मौसम -विजय कुमार इन दिनों देश में सावन और भादों का मौसम चल रहा है। इस मौसम की बहुत सी अच्छाईयां हैं, तो कुछ कमियां भी हैं। वर्षा कम हो या अधिक, परेशानी आम जनता को ही होती है। इन दिनों वर्षा के न होने से, न तो धरती की प्यास बुझेगी और न ही खेत-खलिहान […] Read more » Season मौसम
साहित्य हिन्दुस्थान और हिन्दू के बाद अब हिन्दी को बांटने का षड्यंत्र September 14, 2010 / December 22, 2011 | 2 Comments on हिन्दुस्थान और हिन्दू के बाद अब हिन्दी को बांटने का षड्यंत्र -विजय कुमार सितम्बर हिन्दी के वार्षिक श्राद्ध का महीना है। हर संस्था और संस्थान इस महीने में हिन्दी दिवस, सप्ताह या पखवाड़ा मनाते हैं और इसके लिए मिले बजट को खा पी डालते हैं। इस मौसम में कवियों, लेखकों व साहित्यकारों को मंच मिलते हैं और कुछ को लिफाफे भी। इसलिए सब इस दिन की […] Read more » hindi हिंदी
साहित्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिन्दी September 14, 2010 / December 22, 2011 | 3 Comments on राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिन्दी -विजय कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सदा से सब भारतीय भाषाओं तथा बोलियों का समर्थक रहा है। संघ की मान्यता है कि भारत में उपजी तथा विकसित हुई सभी भाषाएं राष्ट्रभाषा हैं और सबको भरपूर सम्मान मिलना चाहिए। जो प्रचारक या पूर्णकालिक कार्यकर्ता अपने प्रांत से दूसरे प्रांतों में भेजे जाते हैं, वे कुछ समय में […] Read more » RSS राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदी
साहित्य बड़ा लेखक बनने के गुर September 10, 2010 / December 22, 2011 | 6 Comments on बड़ा लेखक बनने के गुर -विजय कुमार छुटपन से ही मेरी इच्छा थी कि मैं बड़ा लेखक बनूं। बड़े प्रयास किये; पर रहा छोटा ही। कभी पढ़ा था कि चोटी के लेखक बड़ी गहरी कविताएं लिखते हैं। इस चक्कर में कई दिन कुएं में जाकर बैठा। लोग कुएं का मेढक तक कहने लगे। वह अपमान भी सहा; पर रहे वही […] Read more » Writer लेखक
विविधा शठे शाठ्यम समाचरेत् September 10, 2010 / December 22, 2011 | 8 Comments on शठे शाठ्यम समाचरेत् -विजय कुमार ममता बनर्जी बंगाल में सत्ता पाने को इतनी आतुर हैं कि उन्होंने अपनी बुद्धि और विवेक खो दिया है। ज्ञानेश्वरी रेल दुर्घटना के आरोपी उमाकांत महतो और उससे पूर्व आंध्र के एक कुख्यात नक्सली आजाद की पुलिस मुठभेड़ में हुई मृत्यु पर भी वे प्रश्न उठा रही हैं। आश्चर्य तो यह है कि […] Read more » News समाचर
साहित्य हम कितने मूर्ख हैं? September 10, 2010 / December 22, 2011 | 4 Comments on हम कितने मूर्ख हैं? -विजय कुमार पाकिस्तान इस समय भीषण बाढ़ के संकट से जूझ रहा है। भारत ने मानवता के नाते उसे अरबों रुपये की सहायता दी है; पर उसका दिल कितना काला है, यह इसी से पता लगता है कि उसने एक सप्ताह तक भारत से राशि नहीं ली। अब उसने इस शर्त पर इसे स्वीकार किया […] Read more » Stupid मूर्ख
राजनीति वेतन वृद्धि और वामपंथी सांसदों का विधवा विलाप September 10, 2010 / December 22, 2011 | Leave a Comment -विजय कुमार पिछले दिनों जब सांसदों ने वेतन वृद्धि के लिए शोर किया, तो प्रायः सभी दलों के सांसद इस बहती गंगा में हाथ धोने को आतुर दिखे। अपवाद रहे कुछ वामपंथी सांसद। इससे उनकी ऐसी छवि बनी, मानो वे गरीबों के बड़े हमदर्द हैं; पर इसके पीछे का सच क्या है, यह जान लेने […] Read more » Increment वेतन वृद्धि सांसदों
विविधा आंतकवाद का रंग, धर्म और मजहब September 8, 2010 / December 22, 2011 | 6 Comments on आंतकवाद का रंग, धर्म और मजहब -विजय कुमार इन दिनों भगवा आतंक के नाम पर आतंकवाद के रंग की चर्चा छिड़ गयी है। चिदम्बरम् के गृह मंत्री बनने से जिनके दिल जल रहे थे, वे कांग्रेसी ही अब मजा ले रहे हैं। यह सौ प्रतिशत सच है कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता। यदि कोई भगवा, हरा, काला, नीला या […] Read more » terrorism भगवा आतंकवाद
धर्म-अध्यात्म युद्धिष्ठिर का न्याय August 30, 2010 / December 22, 2011 | 4 Comments on युद्धिष्ठिर का न्याय – विजय कुमार एक बार राजा युद्धिष्ठिर के पास एक किसान का मामला आया। उसके खेत में चोरी करते हुए चार लोग पकड़े गये थे। उनमें से एक अध्यापक था, दूसरा पुलिसकर्मी, तीसरा व्यापारी और चौथा मजदूर। किसान ने युद्धिष्ठिर से उन्हें समुचित दंड देने को कहा। युद्धिष्ठिर ने मजदूर को एक महीने, व्यापारी को […] Read more » Yudhishtir युद्धिष्ठिर
राजनीति भगवा आतंक का नया शिगूफा August 28, 2010 / December 22, 2011 | 25 Comments on भगवा आतंक का नया शिगूफा -विजय कुमार भारत में स्वाधीनता के बाद भी अंग्रेजी कानून और मानसिकता जारी है। इसीलिए इस्लामी, ईसाई और वामपंथी आतंकवाद के सामने ‘भगवा आतंक’ का शिगूफा कांग्रेसी नेता छेड़ रहे हैं। इसकी आड़ में वे उन हिन्दू संगठनों को लपेटने के चक्कर में हैं, जिनकी देशभक्ति तथा सेवा भावना पर विरोधी भी संदेह नहीं करते। […] Read more » Terror भगवा आतंक