वीरेंदर परिहार

वीरेंदर परिहार

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लेखक - वीरेंदर परिहार - के पोस्ट :

राजनीति

‘‘खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे’’

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यह भी उल्लेखनीय है कि उस समय तेज प्रताप की उम्र साढ़े तीन बरस की थी, और यह जमीन रमा देवी से तेज प्रताप के नाम सेवा करने के लिए लिखाई गई। भला समझा जा सकता है। इसी तरह से श्रीमती कान्ति सिंह से केन्द्रीय मंत्री बनाने के एवज में 5 करोड़ रुपये का फ्लैट लिखा लिया गया। सूत्रों का कहना है कि मंत्री, सांसद, विधायक एवं दूसरे पद देने की एवज में लालू यादव बतौर रिश्वत जमीने लेते थे। खबर है कि बिहार के मुख्यमंत्री पद पर लालू और राबड़ी देवी के रहते और लालू के रेलमंत्री रहने के दौरान इस परिवार ने दसों हजार करोड़ रुपये की सम्पत्ति इकठ्ठा की। जहां तक लालू की ईमानदारी का प्रश्न है तो यह सर्वविदित है कि वह बिहार में अपने मुख्यमंत्रित्व काल मं 900 करोड़ के चारा घोटाले में दोषसिद्ध हैं, और कई महीनों तक जेल में रहने के दौरान फिलहाल जमानत पर हैं।

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राजनीति

जन विश्वास की कसौटी पर: मोदी सरकार

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यह पूछा जा सकता है कि मोदी सरकार भी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है? इसके उत्तर में निसंदेह कहा जा सकता है कि भारतीय संविधान में कानून के समक्ष जो समानता का अधिकार दिया गया है, उसे मोदी सरकार ने बखूबी कायम किया है। अब यह कहावत बिल्कुल उलट चली है कि कानून गरीबों पर शासन करता है और अमीर कानून पर शासन करता है। इसी का नतीजा है कि बड़े राजनीतिज्ञ जैसे ओम प्रकाश चैटाला, छगन भुजबल जैसे लोग जेल में हैं, तो कई जेल जाने की प्रक्रिया में गुजर रहे हैं।

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राजनीति

कौन सा रास्ता…..

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रामजन्म भूमि में राममंदिर तों बनेगा, पर हिन्दू समाज की भावना एवं आस्था को देखते हुये मुस्लिम समुदाय यदि स्वतः उसके निर्माण में आगे आये तो हिन्दू-मुसलमान एकाकी दृष्टि से ऐतिहासिक पहल हो सकती है। वैसे भी राम सिर्फ हिन्दुओं ही नहीं, भारतीय मुसलमानों के भी महान पूर्वज है। ईरान में मुसलमान रूस्तम और सोहराब को अपना पूर्वज मानकर गर्व कर सकते है तो भारतीय मुसलमान राम पर गर्व क्यों नही कर सकते ?

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कला-संस्कृति विविधा

राम और रामराज्य

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गांधीजी कहते थे- ‘‘अपराधी से नहीं अपराध से घृणा होनी चाहिये।’’ कितना भी बड़ा अपराध क्यों न हो, उसे एहसास करनें वाला, लज्जित होने वाला अपराध का परिमार्जन कर देता है। निश्चित रूप से अपराधबोध से ग्रस्तव्यक्ति का व्यक्तित्व भी विभाजित होगा और ऐसे व्यक्ति एक आदर्श समाज बनाने मे सहायक नहीं हो सकते। श्री राम को यह बात अच्छी तरह पता है। यद्यपि सत्ता के लिये निकटतम सम्बंधियों की हत्याओं से इतिहास भरा पड़ा है। मुस्लिमों की परम्पराओं पर इस सम्बंध में अलग से कुछ कहने की जरूरत नहीं है। वहीं सिंहासन की जगह वनवास दिलाने वाली कैकेयी को श्री राम लज्जित समझकर सबसे पहले उसी से मिलकर उसे अपराध बोध से मुक्त कराते हैं। इस तरह से श्रीराम जैसे उदात्त दृष्टि वाले शासक अथवा अग्रणी व्यक्ति होंगे, तभी इस धरती पर रामराज्य संभव है।

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