कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार लक्ष्मी संग गणेश-सरस्वती पूजन का अर्थ October 19, 2025 / October 19, 2025 by डा. विनोद बब्बर | Leave a Comment डा. विनोद बब्बर प्रकाश पर्व है पर न जाने कब से लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती की पूजा का प्रचलन है। हम सभी ने हजारों बार उस चित्र को देखा होगा जिसके बीच में लक्ष्मी है तो एक ओर गणेश जी तो दूसरी ओर सरस्वती। क्या कभी यह सोचने का समय मिला कि आखिर प्रकाश पर्व पर […] Read more » Meaning of worshipping Ganesha-Saraswati along with Lakshmi
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार लक्ष्मी के रूप में समाई प्रकृति October 19, 2025 / October 19, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गवसमुद्र-मंथन के दौरान जिस स्थल से कल्पवृक्ष और अप्सराएं मिलीं, उसी के निकट से महालक्ष्मी मिलीं। ये लक्ष्मी अनुपम सुंदरी थीं, इसलिए इन्हें भगवती लक्ष्मी कहा गया है। श्रीमद् भागवत में लिखा है कि ‘अनिंद्य सुंदरी लक्ष्मी ने अपने सौंदर्य, औदार्य, यौवन, रंग, रूप और महिमा से सबका चित्त अपनी ओर खींच लिया।‘ देव-असुर सभी ने गुहार लगाई कि लक्ष्मी हमें मिलें। […] Read more » Nature in the form of Lakshmi लक्ष्मी के रूप में समाई प्रकृति
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार समृद्ध राष्ट्र की कहानी कहते भारत के लक्ष्मी मंदिर October 19, 2025 / October 19, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment भारत के विभिन्न कोनों में फैले ये मंदिर, दक्षिण से उत्तर तक, द्रविड़, नागर और चालुक्य शैलियों का प्रदर्शन करते हैं। इनकी स्थापना प्राचीन काल से चली आ रही है, जहां राजाओं, संतों और भक्तों ने इन्हें समृद्ध किया। दिवाली और नवरात्रि जैसे त्योहारों पर ये मंदिर भक्तों से पट जाते हैं, जहां प्रार्थना और उत्सव एक साथ फलते-फूलते हैं। Read more » अष्टलक्ष्मी गजलक्ष्मी पद्मावती भारत के लक्ष्मी मंदिर महालक्ष्मी
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म रंगोली बिना सुनी है हर घर की दीपावली October 17, 2025 / October 17, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव दीपावली पर रंगोली के बिना घर आँगन सुना समझा जाता है। जब रंगोली सज जाती है तब उस रंगोली के बीच तेल- घी का दीपक अंधकार को मिटाता एक संदेश देता है वही आज रंगोली के बीच पटाखे छोडने को लोग शुभ मानते है । पौराणिक या प्राचीन इतिहास मे मनुष्य ने लोक […] Read more »
कला-संस्कृति राजनीति असीम ऊर्जा की प्रतीक देवी दुर्गा September 29, 2025 / September 29, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव भारत में देवी की पूजा वैदिक युग में ही आरंभ हो गई थी। ऋग्वेद के देवी सूक्तम में सभी देवताओं की आंतरिक षक्ति की बात कही गई है, जो ऊर्जा की प्रतीक है। हरिवंष पुराण में कालरात्रि, निद्रा और योगमाया के समन्वित रूपों के बारे में बताया है कि जब भगवान विश्णु नींद में होते […] Read more » Goddess Durga the symbol of infinite energy असीम ऊर्जा की प्रतीक देवी दुर्गा
कला-संस्कृति दशहरा का संदेश : हर हृदय में होना चाहिए रावण-वध September 26, 2025 / September 26, 2025 by उमेश कुमार साहू | Leave a Comment उमेश कुमार साहू भारत की सांस्कृतिक धारा में दशहरा का पर्व केवल परंपरा या अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सतत स्मरण है कि असत्य कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः सत्य की विजय निश्चित है। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने रावण जैसे महाबली राक्षस का वध कर संसार को यह संदेश दिया कि अधर्म का अंत और धर्म का उत्थान ही जीवन का ध्येय है। आज जबकि हम 21वीं सदी के आधुनिक समाज में जी रहे हैं, रावण के दस सिर हमें बाहरी युद्ध से अधिक आंतरिक और सामाजिक बुराइयों से लड़ने की प्रेरणा देते हैं। आइए देखें कि आज का समाज किन-किन “रावणों” से ग्रसित है। 1. भ्रष्टाचार : आधुनिक रावण का सबसे बड़ा सिर रावण विद्वान था, लेकिन अहंकार ने उसे भ्रष्ट बना दिया। आज हमारा समाज भी इसी रावण से जूझ रहा है। रिश्वतखोरी, सत्ता का दुरुपयोग और लालच ने व्यवस्था को खोखला कर दिया है। भ्रष्टाचार केवल पैसों का लेन-देन नहीं, बल्कि यह जनता के विश्वास का सबसे बड़ा हरण है। 2. महिला असुरक्षा : सीता हरण की पुनरावृत्ति रावण का सबसे बड़ा अपराध था – माता सीता का अपहरण। आज भी महिलाओं के साथ छेड़छाड़, शोषण, बलात्कार और दहेज हत्या जैसी घटनाएँ रावण के इस सिर की जीवित गवाही देती हैं। जब तक नारी सुरक्षित नहीं, समाज में रामराज्य संभव नहीं। 3. नशाखोरी : युवाओं का भविष्य निगलता रावण दारू, ड्रग्स और तंबाकू जैसे नशे समाज को खोखला कर रहे हैं। युवा जो देश का भविष्य हैं, वही इस दलदल में फँस रहे हैं। यह नशे का रावण घर-परिवार ही नहीं, पूरे समाज का विनाशक है। 4. डिजिटल लत और फर्जी प्रचार : तकनीक का अति प्रयोग आज का युग सूचना का है, लेकिन यही तकनीक जब व्यसनों और अफवाहों का माध्यम बन जाती है, तो यह रावण का नया रूप धारण कर लेती है। फेक न्यूज़, ऑनलाइन ठगी, और सोशल मीडिया पर समय की बर्बादी युवाओं को वास्तविक लक्ष्यों से भटका रही है। 5. जातिवाद और भेदभाव : समाज को बाँटता सिर रावण ने विभाजन की नीति से राम की सेना को कमजोर करने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। आज जातिवाद, ऊँच-नीच, रंगभेद और धार्मिक कट्टरता का रावण हमारी एकता को चुनौती देता है। जब तक समाज में यह दीवारें कायम रहेंगी, हम सच्चे अर्थों में स्वतंत्र नहीं हो सकते। 6. पर्यावरण विनाश : प्रकृति का अपमान रावण ने स्वार्थ के लिए धरती और आकाश को चुनौती दी। आज मानव अपने स्वार्थ में पेड़ काट रहा है, नदियों को प्रदूषित कर रहा है और वायु को जहरीला बना रहा है। जलवायु परिवर्तन और आपदाएँ इसी पर्यावरण-विनाश के रावण की मार हैं। 7. अहंकार और लालच : शक्ति का दुरुपयोग रावण स्वयं महान शिवभक्त और विद्वान था, लेकिन उसका अहंकार और लालच ही उसके पतन का कारण बना। आज सत्ता, धन और पद का नशा इंसान को विनम्रता से दूर ले जा रहा है। यही अहंकार रिश्तों को तोड़ता है और समाज में विष घोलता है। 8. हिंसा और आतंकवाद : निर्दोषों का संहार रावण ने निर्दोष ऋषियों और वानरों को सताया। आज दुनिया आतंकवाद और हिंसा के जाल में फँसी है। निर्दोषों की हत्या, युद्ध और सामूहिक हिंसा हमें उस रावण की याद दिलाती है जिसे राम ने परास्त किया था। 9. बेरोजगारी और आर्थिक असमानता : समाज का असंतुलन रावण के राज्य में स्वर्ण लंका थी, लेकिन जनता उसके आतंक से त्रस्त थी। आज भी अमीरी-गरीबी की खाई, बेरोजगारी और अवसरों की असमानता समाज को कमजोर कर रही है। यह आर्थिक असमानता ही कई अपराधों और सामाजिक तनावों की जड़ है। 10. नैतिक पतन : मूल्यहीनता का रावण राम और रावण के युद्ध का मूल अंतर था – मर्यादा और अमर्यादा। राम ने आदर्श और धर्म का पालन किया, जबकि रावण ने नैतिकता को तिलांजलि दी। आज झूठ, छल-कपट, बेईमानी और स्वार्थ समाज में नैतिक पतन का रावण खड़ा कर चुके हैं। दशहरे का सच्चा अर्थ : बाहरी नहीं, भीतरी रावण का दहन जब हम दशहरा मनाते हैं और रावण का पुतला जलाते हैं, तो वह केवल प्रतीक है। असली विजय तब होगी जब हम अपने भीतर और समाज में छिपे इन दस सिरों को पहचानकर उन्हें खत्म करेंगे। त्योहार केवल उत्सव नहीं, आत्ममंथन का अवसर है। रामराज्य की ओर बढ़ते कदम आज आवश्यकता है कि हम केवल रामलीला देखने तक न रुकें, बल्कि अपने जीवन को भी “रामकथा” बनाएं। सत्य, साहस, करुणा और न्याय को जीवन का हिस्सा बनाकर ही हम रावण के इन दस सिरों का दहन कर सकते हैं। दशहरा हमें यह प्रेरणा देता है कि सत्य की विजय और अधर्म का अंत केवल मंच पर नहीं, बल्कि समाज की हर गली, हर घर और हर हृदय में होना चाहिए। उमेश कुमार साहू Read more » Message of Dussehra Ravana-killing should be in every heart
कला-संस्कृति लेख नवरात्र पर स्त्री जीवन गाथा के नौ सोपान September 25, 2025 / September 25, 2025 by डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी | Leave a Comment नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी हकीकत में हम देखे तो यह कह सकते व इसकी तुलना कर सकते है कि एक स्त्री के जन्म से लेकर उच्चतम स्तर तक पहुंचने की गाथा है नवरात्रि जिसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं – 1- कन्या पुत्री- स्त्री का सबसे पहला रूप होता है पुत्री का . इस रूप […] Read more » नवरात्र
कला-संस्कृति आस्था-विश्वास का प्रतीक कालीघाट मंदिर September 25, 2025 / September 25, 2025 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment कुमार कृष्णन पश्चिम बंगाल के कोलकाता का कालीघाट शक्तिपीठ सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। यहां माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। देवी यहां कालिका रूप में विराजमान हैं और भैरव को नकुशील कहा जाता है। कालीघाट मंदिर विश्वविख्यात है और लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहां दर्शन के लिए आते हैं। कोलकाता के […] Read more » a symbol of faith Kalighat Temple कालीघाट मंदिर
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म नवरात्रि का माहात्म्य September 24, 2025 / September 24, 2025 by विवेक रंजन श्रीवास्तव | Leave a Comment विवेक रंजन श्रीवास्तव नवरात्र भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जो केवल धार्मिक आचरण तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के हर पहलू को स्पर्श करता है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है चैत्र और आश्विन मास में और दोनों ही बार यह ऋतु परिवर्तन के संधि-काल में अपना विशेष महत्व लेकर आता है। नवरात्रि, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, नौ रात्रियों का उत्सव है। ये नौ रातें और नौ दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित होते हैं, जो शक्ति, ज्ञान, समृद्धि और शांति के प्रतीक हैं। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना के साथ होती है, जहाँ एक मिट्टी के घड़े में जौ बोए जाते हैं। यह जीवन के अंकुरण, नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक है। अगले नौ दिनों तक, देवी के नौ रूपों की पूजा का एक विशेष क्रम होता है। प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप की आराधना की जाती है, जो मानव जीवन के विभिन्न आयामों को दर्शाता है। शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक का यह सफर केवल पूजा अर्चना का ही नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति और आंतरिक शुद्धि का भी मार्ग प्रशस्त करता है। इस पर्व का सबसे गहरा महत्व इसकी आध्यात्मिकता में निहित है। मान्यता है कि इन्हीं नौ दिनों में देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गया है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने अंदर की काम, क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार जैसे दसों प्रकार के राक्षसों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है, जो विजय का प्रतीक है। नवरात्रि केवल पूजा पाठ का ही पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उल्लास का भी अवसर है। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गरबा और डांडिया का आयोजन इसका उदाहरण है। रातभर चलने वाले इन नृत्यों में समुदाय के सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ मिलकर नृत्य करते हैं। यह सामाजिक सद्भाव और सामूहिक उल्लास का अनूठा दृश्य होता है। घरों में रंगोली बनाने, दीये जलाने और पारंपरिक वस्त्र पहनने की परंपरा हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखती है। इस पर्व का एक वैज्ञानिक पक्ष भी है। ऋतु परिवर्तन के इस समय में उपवास रखना और सात्विक आहार लेना शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। यह शरीर को शुद्ध करने, पाचन तंत्र को आराम देने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। इस प्रकार, नवरात्रि शरीर, मन और आत्मा तीनों के लिए शुद्धि का कार्य करती है। नवरात्रि का संदेश अत्यंत सारगर्भित है। यह हमें बाहरी आडंबरों से ऊपर उठकर आंतरिक शुद्धि की ओर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देती है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में सफलता और शांति के लिए आवश्यक है कि हम अपने अंदर की नकारात्मक शक्तियों पर विजय प्राप्त करें और सकारात्मक ऊर्जा को अपनाएं। नवरात्रि आस्था, संस्कृति और विजय का अनूठा संगम है, जो हमें न केवल बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देती है, बल्कि समाज में एकता और प्रेम का संदेश भी फैलाती है। यही कारण है कि सदियों से यह पर्व हमारी सांस्कृतिक चेतना का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। विवेक रंजन श्रीवास्तव Read more » importance of navratri Navratri नवरात्रि का माहात्म्य
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म नवरात्र में माँ को लगाएं नौ दिन अलग अलग भोग September 24, 2025 / September 24, 2025 by डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी | Leave a Comment नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी 1 – प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर घर पर बनी श्वेत (सफेद) मिठाई अर्पित की जाती है। लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। 2 – दूसरे नवरात्रि के दिन मां को गुड़ वाले शक्कर का भोग लगाएं और भोग लगाने के बाद इसे घर में सभी सदस्यों को दें। इससे उम्र में वृद्धि होती है। 3 – तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग मां को लगाएं एवं इसे ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों से मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है। 4 – चतुर्थ नवरात्र पर मां भगवती को मालपुए का भोग लगाएं और ब्राह्मण को दान दें।इससे बुद्धि का विकास होने के साथ निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। 5 – नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवेद्य अर्पित कर के बटुक ब्राम्हणों को दान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। 6 – नवरात्रि के छठे दिन मां को शुद्ध शहद का भोग लगाएं और प्रसाद रूप में ग्रहण करने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। 7 – सप्तमी पर मां को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करने और इसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं अचानक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है। 8 – अष्टमी व नवमी पर मां को नारियल का भोग लगाएं और नारियल का दान करें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी Read more » Offer different offerings to Mother Goddess for nine days during Navratri नवरात्र में माँ को लगाएं नौ दिन अलग अलग भोग
कला-संस्कृति खेत-खलिहान कृषि मेँ नवाचार – किसान और खेती हेतु नयी क्रांति का प्रसार September 23, 2025 / September 23, 2025 by चंद्र मोहन | Leave a Comment चंद्रमोहन परम्परागत तरीके से अलग से कुछ नया सोचना और उस पर अमल करना. लीक से हट कर नयी पद्धति को अपना कर आकर्षक परिणाम का मिल जाना नवाचार का पहला कदम है. किसी भी काम मेँ चाहे वह खेती – बाड़ी ही क्यों ना हो, नवाचार की अपनी एक खास भूमिका रहती है. इसी […] Read more » कृषि मेँ नवाचार
कला-संस्कृति नवरात्रि का गूढ़ संदेश : आध्यात्मिक जागरण की नौ रातें September 22, 2025 / September 22, 2025 by उमेश कुमार साहू | Leave a Comment उमेश कुमार साहू नवरात्रि केवल उत्सव, व्रत या आराधना का नाम नहीं है. यह जीवन की वह तपोभूमि है, जहाँ मनुष्य अपने भीतर छिपी दिव्यता से साक्षात्कार करता है। नौ रातों का यह पर्व हमें बाहरी शोरगुल और सांसारिक मोहजाल से उठाकर आत्मा की यात्रा पर ले जाता है, जहाँ शांति, संतुलन और अनंत शक्ति का प्रकाश […] Read more » The Deep Message of Navratri: Nine Nights of Spiritual Awakening नवरात्रि का गूढ़ संदेश