कला-संस्कृति लेख वर्त-त्यौहार कृष्ण का जीवन दर्शन व अलौकिक लीलाएं August 10, 2020 / August 10, 2020 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment जन्माष्टमी (11-12 अगस्त) पर विशेष – योगेश कुमार गोयल भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में जन्माष्टमी का त्यौहार प्रतिवर्ष भाद्रपक्ष कृष्णाष्टमी को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी ने कृष्ण को जन्म दिया था। जन्माष्टमी का भारतीय संस्कृति में इतना महत्व क्यों है, […] Read more » कृष्ण का जीवन दर्शन जन्माष्टमी जन्माष्टमी 11-12 अगस्त)
कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार राखी के धागों में नारी रक्षा के बीज August 1, 2020 / August 1, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment रक्षाबंधन-3 अगस्त, 2020 पर विशेष-ललित गर्ग – रक्षाबन्धन हिन्दूधर्म का प्रमुख सांस्कृतिक, सामाजिक और पारिवारिक पर्व है। यह आपसी संबंधों की एकबद्धता, प्रेम एवं एकसूत्रता का सांस्कृतिक उपक्रम है। प्यार के धागों का यह एक ऐसा पर्व जो घर-घर मानवीय रिश्तों में नवीन ऊर्जा का संचार करता है। यह जीवन की प्रगति और मैत्री की […] Read more » राखी के धागों में नारी रक्षा
कला-संस्कृति लेख शिव, शक्ति और प्रकृति को निहारने का मौसम है सावन July 26, 2020 / July 26, 2020 by सोनम लववंशी | Leave a Comment हम ज़िन्दगी को जिस नजरिये से देखते है जिंदगी हमें वैसी ही नजर आने लगती है। ये हमारी आस्था और मन का विश्वास ही तय करता है कि हमें ज़िन्दगी को किस चश्मे से देखना है। जीवन में आशा-निराशा, सुख-दुःख और जीवन-मरण की प्रक्रिया अपनी गति से चलती रहती है। ये सत्य है कि […] Read more » Sawan is the season to see Shiva Shakti and nature शक्ति और प्रकृति शिव
कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार हरियाली तीज पर्व का महत्व और इसको मनाने की प्रासंगिकता July 23, 2020 / July 23, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य अनेक शताब्दियों से भारत मे महिलाओं द्वारा हरियाली तीज का पर्व को मनाने की परम्परा है। प्रत्येक श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को यह पर्व मनाया जाता है। इसे हरि तृतीया भी करते हैं। हरि का अर्थ हरियाली से है और तृतीया श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया […] Read more » Importance of Hariyali Teej festival हरियाली तीज पर्व हरियाली तीज पर्व का महत्व
कला-संस्कृति मनोरंजन वर्त-त्यौहार पति की दीर्घायु कामना और कालसर्प दोष निवारणार्थ सोमवती अमावस्या July 19, 2020 / July 19, 2020 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध” यूँ तो प्रत्येक मास में एक अमावस्या आती ही है, परन्तु अमावस्या के अवसर पर सोमवार के दिन कम ही आते हैं। सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। जिस प्रकार शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं, उसी प्रकार सप्ताह के पहले दिन […] Read more » Somvati Amavasya) सोमवती अमावस्या
कला-संस्कृति विश्ववार्ता भारतीय एकता के प्रतीक राम, नेपाल के कैसे हो गए? July 17, 2020 / July 17, 2020 by सोनम लववंशी | Leave a Comment कोरोना संक्रमण का तूफान थमने का नाम नही ले रहा है। सम्पूर्ण विश्व इस महामारी की मार से जूझ रहा है। तो वही कुछ देश इस महामारी की मार में भी अपने गुप्त मनोरथ को पूर्ण करने में लगें है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति से वैश्विक पटल का सरदार बन जाना चाहता तो उसी के […] Read more » नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप ज्ञवली राम नेपाल का बेटा राम नेपाल के कैसे हो गए
कला-संस्कृति मनोरंजन वर्त-त्यौहार श्रावण अमावस्या- दिन सोमवार (सोमवती अमावस्या)- 20 जुलाई 2020 को मनाई जाएगी। July 10, 2020 / July 10, 2020 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment शिव भक्तों के लिए सावन का महीना अपने आराध्य देव की उपासना का महीना होता है। सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार का विशेष महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव समर्पित होता है ऐसे में अगर सावन के महीने में सोमवार के दिन शिव पूजा करने पर हर तरह की मनोकामना अवश्य […] Read more » Shravan Amavasya - Shravan Amavasya - Day will be celebrated on Monday (Somvati Amavasya) - July 20 Somvati Amavasya)
कला-संस्कृति लेख सहस्त्रों साल की विरासत पर गर्व करने का क्षण May 30, 2020 / May 30, 2020 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment दक्षिण पूर्व एशिया के देश वियतनाम में खुदाई के दौरान बलुआ पत्थर का एक शिवलिंग मिलना ना सिर्फ पुरातात्विक शोध की दृष्टि से एक अद्भुत घटना हैअपितु भारत के सनातन धर्म की सनातनता और उसकी व्यापकता का एक अहम प्रमाणभी है। यह शिवलिंग 9 वीं शताब्दी का बताया जा रहा है। जिस परिसर में यह शिवलिंग मिला है, इससे पहले […] Read more » proud hindu proud of being hindu भारत के सनातन धर्म की सनातनता सहस्त्रों साल की विरासत
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म मनोरंजन यज्ञ में मन्त्रों से आहुति क्यों? May 25, 2020 / May 25, 2020 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment – शिवदेव आर्य ‘यज्ञ’ शब्द यज देवपूजासंगतिकरणदानेषु धातु से नङ्प्रत्यय करने से निष्पन्न हुआ है। जिस कर्म में परमेश्वर का पूजन, विद्वानों का सत्कार, संगतिकरण अर्थात् मेल और हवि आदि का दान किया जाता है, उसे यज्ञ कहते हैं। यज्ञ शब्द के कहने से नानाविध अर्थों का ग्रहण किया जाता है किन्तु यहाँ पर […] Read more » Why the chanting of mantras in the yajna यज्ञ में मन्त्रों से आहुति क्यों
कला-संस्कृति मनोरंजन पश्चिम से पुनः पूर्व की ओर…। May 25, 2020 / May 25, 2020 by शकुन्तला बहादुर | 1 Comment on पश्चिम से पुनः पूर्व की ओर…। स्वर्ग में सभा जुटी थी। महर्षि पतंजलि उदास बैठे थे । योगिराज श्रीकृष्ण और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भी सभा में थे। तभी नारद मुनि आ पहुँचे । सबने अभिवादन किया। मुनि बोले , महर्षि पतंजलि ! आप इतने उदास क्यों हैं ? ऋषि ने कहा – “क्या बताऊँ तुमको ? मैंने अपना योगदर्शन का ग्रन्थ देववाणी […] Read more » पश्चिम से पुनः पूर्व की ओर
कला-संस्कृति गाय ओर पशुओ के रक्षक लोक देवता-कारस देव May 19, 2020 / May 19, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव भारत के लोकजीवन की अवधारणा ब्रह्मांड को संचालित करने वाली परमात्मा की मायाशक्तियों से आच्छन है। लोक में देव या देवता शब्द का प्रयोग मनुष्य के आत्मसाक्षात्कार से आर्भिभूत अहर्निश दिव्यता को उपलब्ध होने पर तथा पवित्र आत्माओं एवं जड़ चेतन प्रकृति ओर सूर्य, चंद्र, ग्रह नक्षत्रों व जगत के कर्ता- धर्ता […] Read more » गाय ओर पशुओ के रक्षक लोक देवता-कारस देव देवता-कारस देव
कला-संस्कृति पान-बताशे से प्रसन्न होने वाले विवाहों के देवता-हरदौल लाला May 19, 2020 / May 19, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीवलोक कथाओं में नियतिप्रधान, व्यक्तिप्रधान, समाजप्रधान एवं जातिप्रदान विशेषणों का आधिक्य देखने को मिलता है। कुछ रचनायें व्यक्तिविशेष के माध्यम से उत्पन्न होती है तो कुछेक रचनाओं को जनसमुदाय द्वारा यथावत प्रस्तुत करने का चलन रहा है।व्यक्तिप्रधान रचनाओं का जन्म किसी कवि,लेखक की कृतियों-रचनाओं को आधार माना गया है।लोककथायें किसी समाज-जाति विशेष के व्यक्तित्व के […] Read more » विवाहों के देवता-हरदौल लाला