Category: कला-संस्कृति

कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

योगेश्वर कृष्ण का युद्ध भूमि में अर्जुन को दिया गया आत्मज्ञान

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  कृष्ण जी अर्जुन को कहते हैं कि तुझे अपने धर्म का विचार करके भी डरना नहीं चाहिये क्योंकि धर्मयुक्त युद्ध के अतिरिक्त क्षत्रिय का अन्य किसी प्रकार से कल्याण नहीं है। कृष्ण जी अर्जुन को यह भी समझाते हैं कि तू यह समझ कि तुझे अकस्मात् स्वर्ग का खुला हुआ द्वार मिल गया है। ऐसे युद्ध को तो सौभाग्यशाली क्षत्रिय पाते हैं। यदि तू इस धर्मयुक्त संग्राम को नहीं करेगा तो फिर अपने धर्म और यश को छोड़कर पाप को पायेगा। लोग तेरे अपयश की चर्चा सदा-सदा किया करेंगे। हे अर्जुन ! कीर्तिमान् की अपकीर्ति मौत से भी बढ़कर होती है।

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श्रावणी पर्व अविद्या के नाश तथा विद्या की वृद्धि करने का विश्व का एकमात्र मुख्य पर्व

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   वेद और यज्ञ का परस्पर गहरा सम्बन्ध है। सभी यज्ञ वेद मन्त्रों के पाठ व वेद मंत्रों में निहित विधियों के द्वारा ही होते हैं। अतः श्रावण मास में यज्ञों को नियम पूर्वक करना चाहिये। यज्ञ से हानिकारक किटाणुओं का नाश होता है। वायु की दुर्गन्ध का नाश होकर वायु सुगन्धित हो जाती है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। अनेक प्रकार के रोग नियमित यज्ञ करने से दूर हो जाते हैं और यज्ञ करने से अधिकांश साध्य व असाध्य रोगों से बचाव भी होता है। यज्ञ के प्रभाव से निवास स्थान व घर के भीतर की वायु यज्ञाग्नि की गर्मी से हल्की होकर बाहर चली जाती है और बाहर की शीतल व शुद्ध वायु घर के भीतर प्रवेश करती है जो स्वास्थ्यप्रद होती है।

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कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

अपनी राशि अनुसार ज्योर्तिलिंग की पूजा का महात्‍म, तथ्‍ाा फल प्राप्‍‍‍त होने का महात्‍म पढे—-

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जानिए किस राशि के व्यक्ति को किस ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है— देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं\ भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं |संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी […]

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कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

नारद पत्रकार ही नहीं, जनउद्धारक थे

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२६वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है देवर्षियों में मैं नारद हूं। वायुपुराण में देवर्षि के पद और लक्षण का वर्णन है- देवलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करनेवाले ऋषिगण देवर्षि नाम से जाने जाते हैं। भूत, वर्तमान एवं भविष्य-तीनों कालों के ज्ञाता, सत्यभाषी, स्वयं का साक्षात्कार करके स्वयं में सम्बद्ध, कठोर तपस्या से लोकविख्यात, गर्भावस्था में ही अज्ञान रूपी अंधकार के नष्ट हो जाने से जिनमें ज्ञान का प्रकाश हो चुका है, ऐसे मंत्रवेत्ता तथा अपने ऐश्वर्य (सिद्धियों) के बल से सब लोकों में सर्वत्र पहुँचने में सक्षम, मंत्रणा हेतु मनीषियों से घिरे हुए देवता, द्विज और नृपदेवर्षि कहे जाते हैं।

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कला-संस्कृति समाज

मोगरी से पुरुषों की पिटाई का सन्देश क्यों?

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अक्सर ऐसा देखा जाता है कि महिलाओं पर ज्यादा अत्याचार होते हैं, जबकि कई मामलों में पुरूष भी घरेलू हिंसा कि शिकार होते हैं और महिलाएं पुरुषों पर अत्याचार करती हैं। ‘पत्नी सताए तो हमें बताएं’ जैसे विज्ञापनों को एक समय अतिरंजना के तौर पर देखा जाता था, लेकिन पिछले कुछ समय के आंकड़ों ने इस धारणा को बदल दिया है कि सिर्फ महिलाएं ही घरेलू हिंसा का शिकार बनती हैं। अब सिक्के का दूसरा पहलू सामने आया है, जिसमें पुरुषों को भी घर या समाज में किसी-न-किसी प्रकार की शारीरिक, मानसिक या आर्थिक हिंसा का सामना करना पड़ रहा है।

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शिव अवतार में महायोगी गोरखनाथ

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गुरु गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। गोरखनाथ जी का मन्दिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर मे स्थित है। गोरखनाथ के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पड़ा है। गुरु गोरखनाथ जी के नाम से ही नेपाल के गोरखाओं ने नाम पाया। नेपाल में एक जिला है गोरखा, का नाम गोरखा भी इन्हीं के नाम से पड़ा। माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ सबसे पहले यही दिखे थें। गोरखा जिला में एक गुफा है जहाँ गोरखनाथ का पग चिन्ह है और उनकी एक मूर्ति भी है। यहाँ हर साल वैशाख पूर्णिमा को एक उत्सव मनाया जाता है जिसे रोट महोत्सव कहते है और यहाँ मेला भी लगता है।

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